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Breaking News15 December 2024

1.) संभल में मिली 400 साल पुरानी मंदिर 

 

संभल में ऐसा क्या हुआ, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है? पुलिस बिजली चोरी पकड़ने गई, लेकिन 46 साल से गायब 400 साल पुराना शिव मंदिर मिल गया! अब सवाल उठता है ये मंदिर इतने सालों तक बंद क्यों था? किसने इसे कब्जे में रखा था? और प्रशासन को इसकी भनक अब तक क्यों नहीं लगी? इस मंदिर के अंदर शिवलिंग, नंदी बाबा, हनुमान जी और कार्तिकेय की मूर्तियां मिली हैं। ये मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में, सांसद जियाउर्रहमान बर्क के घर से महज 200 मीटर की दूरी पर है। तो सोचिए अगर पुलिस की ये कार्रवाई नहीं होती, तो क्या ये मंदिर हमेशा के लिए गायब हो जाता? असल में संभल के नखासा थाना क्षेत्र में पुलिस-प्रशासन पहुंचा था बिजली चोरी पकड़ने। घर-घर की चेकिंग, अवैध कनेक्शन काटे जा रहे थे और तभी, अचानक, ऐसा कुछ मिला, जिससे सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं। वहां मिला 400 साल पुराना मंदिर। ये मंदिर 1978 से बंद पड़ा था। सुनने में आया है कि हिंदुओं के पलायन के बाद इसे कब्जे में ले लिया गया था। सोचने की बात ये है कि जो मंदिर इतने सालों से गायब था, वो बिजली चोरी के तार चेक करते हुए मिल गया। मंदिर जामा मस्जिद के करीब है। जैसे ही मंदिर मिला, इलाके में हड़कंप मच गया। भारी पुलिस बल बुलाया गया। डीएम, एसपी मौके पर पहुंचे। बुलडोजर लाया गया और कब्जे को हटवाया गया।

मंदिर बंद क्यों था?

कहानी 1978 की है। उस दौर में हिंदुओं ने इस इलाके से पलायन करना शुरू कर दिया था। सांप्रदायिक तनाव बढ़ा, और मंदिर की देखरेख करने वाला कोई नहीं बचा। धीरे-धीरे मंदिर को बंद कर दिया गया और उस पर कब्जा कर लिया गया। अब प्रशासन की कार्रवाई से मंदिर को आजाद करवा लिया गया है। इलाके के लोग इसे फिर से खोलने और पूजा-पाठ शुरू करने की मांग कर रहे हैं। अब मुद्दा ये है कि ये सिर्फ एक मंदिर मिलने की बात नहीं है। ये उस सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की कहानी है, जिसे सालों तक भुला दिया गया। ये उस राजनीति की कहानी है, जिसमें मस्जिद-मंदिर के नाम पर तनाव खड़ा होता है।

 

2.) कौन है Indian Chess grandmaster गुकेश डी ?

 

गुकेश डी, एक नाम जो आज भारतीय शतरंज की दुनिया में सबसे ऊपर है जिसने भारत का नाम विश्व में सबसे ऊपर कर दिया है। गुकेश डोमम्माराजु 7 मई 2006 को चेन्नई में जन्मे थे। 7 साल की उम्र में ही उन्होंने शतरंज खेलना शुरू किया था और अपनी मेहनत से बहुत कम समय में साबित कर दिया कि वह शतरंज के भविष्य के सुपरस्टार बनने जा रहे हैं। पहले उन्होंने भास्कर नागैया से कोचिंग ली, फिर दिग्गज विश्वनाथन आनंद से प्रशिक्षण लिया। आनंद शतरंज अकादमी में उनका सफर और भी बेहतरीन हुआ। गुकेश के माता-पिता, जो डॉक्टर और माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं, ने हमेशा उन्हें सपोर्ट किया। स्कूल के दिनों में ही वह इस खेल के प्रति अपनी दीवानगी दिखाने लगे थे। गुकेश ने जब 17 साल की उम्र में FIDE कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर सबसे युवा खिलाड़ी बनने का रिकॉर्ड बनाया, तो यह साबित हो गया कि वह आने वाले समय में शतरंज की दुनिया पर राज करने वाले हैं। भारतीय ग्रैंडमास्टर डोम्माराजू गुकेश ने 12 दिसंबर 2024 को सिंगापुर में वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस खिताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। इसके साथ ही, गुकेश, विश्वनाथन आनंद के बाद शतरंज में विश्व चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने। उन्होंने निर्णायक 14वें गेम में चीन के डिंग लिरेन को हराकर यह शानदार उपलब्धि हासिल की। FIDE वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 के निर्णायक मुकाबले में डिंग लिरेन सफेद मोहरे और गुकेश काले मोहरे के साथ खेल रहे थे। मैच टाइब्रेकर की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन 53वीं चाल में डिंग लिरेन ने गलती कर दी, और गुकेश ने इसका पूरा फायदा उठाया। उनकी तेज सोच और चतुराई से डिंग लिरेन को वापसी का कोई मौका नहीं मिला, और अंत में गुकेश ने पिछले साल के वर्ल्ड चैंपियन को मात देकर खिताब अपने नाम कर लिया। इस जीत के साथ, गुकेश वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के 18वें विश्व चैंपियन बने। 

गुकेश की सबसे बड़ी उपलब्धिया 

 

गुकेश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी 2024 का चेस ओलंपियाड, जहां उन्होंने भारत को ओपन कैटेगरी में जीत दिलाई। उन्होंने अपने शानदार खेल से भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया, जो शतरंज के इतिहास में एक अहम पल था। गुकेश की कहानी केवल शतरंज तक सीमित नहीं है। वह 2019 में केवल 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे। इसके अलावा, उन्होंने 2018 में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप (अंडर-12) और 2022 में चेस ओलंपियाड में भी गोल्ड मेडल जीता। गुकेश का सफर यह साबित करता है कि जब आपके पास जुनून और कड़ी मेहनत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। वह आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती—बस जरूरत होती है तो खुद पर विश्वास और मेहनत की।