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Breaking News 9 October 2024

1.) भारत आते ही बदले मालदीव के राष्ट्रपति के सुर

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पांच दिन की यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली पहुंचे। मुइज्जू 'इंडिया आउट' का नारा देकर सत्ता में आए हैं, उनके भारत विरोधी रुख से दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव पैदा हुआ था। अब ऐसे में उनकी यह भारत यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, खासकर मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए, मालदीव की अर्थव्यवस्था इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। मालदीव की आर्थिक हालत ऐसी हो गई है कि वो कर्ज की किस्तें नहीं चुका पा रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार उतना भी नहीं है, जितना की उसे 2025 में कर्ज चुकाने के लिए चाहिए। मालदीव को साल 2025 में कर्ज चुकाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में जरूरी 600 मिलियन डॉलर की आवशक्ता है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 440 मिलियन डॉलर रह गया है। नई दिल्ली रवाना होने से पहले ही मुइज्जू ने कहा था कि भारत हमारे सबसे बड़े विकास साझेदारों में से एक हैं। उन्होंने कहा था कि भारत हमारे बोझ को कम करने, हमारी चुनौतियों के लिए बेहतर विकल्प और समाधान खोजने के लिए हमेशा एक साझेदार रहा है। मुइज्जू की यात्रा से पहले ही भारत बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए मालदीव को 1.4 अरब डॉलर की वित्तीय मदद की पेशकश कर चुका है। भारत ने मुइज्जू सरकार के अनुरोध पर 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज वापस करने को भी स्थगित कर दिया था। इसके साथ ही मालदीव का खाद्य कोटा भी दो साल के लिए बढ़ा दिया है। 

क्या है मुइज्जू का भारत-चीन के बीच बैलेंसिंग एक्ट?

भारत आने से पहले ही मुइज्जू ने माहौल बनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने चुनाव में 'इंडिया आउट' का नारा दिया था। उन्होंने कहा कि अपनी जमीन पर विदेशी सैनिकों की मौजूदगी से मालदीव को समस्या थी और मालदीव के लोग अपनी जमीन पर एक भी विदेशी सैनिक की मौजूदगी नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि सत्ता में आते ही हमने अपनी विदेशी नीति स्पष्ट कर दी, वह थी 'मालदीव फर्स्ट' की नीति। बता दें, सत्ता में आने के बाद ही मुइज्जू ने अपने देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था। भारत ने इस संकट को बहुत ही सूझबूझ और बेहतर कूटनीति से सुलझाया। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि भारत 10 मार्च से 10 मई के बीच मालदीव में तैनात अपने 80 सैन्यकर्मियों को वापस बुला लेगा। विदेश मंत्रालय ने उस समय कहा था कि मालदीव में दो हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान का संचालन सक्षम भारतीय तकनीशियन की ओर से किया जाएगा और वे मौजूदा कार्मिकों की जगह लेंगे। इस साल के शुरू में मुइज्जू चीन की यात्रा पर गए थे, वहां से लौटने के बाद उन्होंने कहा था कि हम एक छोटा देश हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया था, लेकिन माना गया कि उनका इशारा भारत की ओर ही था। बता दें, अब भारत की अपनी यात्रा से पहले मुइज्जू ने कहा कि उनका मानना है कि भारत मालदीव की आर्थिक स्थिति को अच्छी तरह से जानता है और भारत उनके देश के विकास में एक बड़ा साझीदार है।

RuPay कार्ड और UPI से जुड़ेंगे दोनों देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध सदियों पुराने हैं। भारत मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र देश है। हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और सागर विजन में मालदीव का महत्वपूर्ण स्थान है। हमने रक्षा और सुरक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। पीएम ने कहा, मालदीव में RuPay कार्ड से भुगतान की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस तरह के पहले लेनदेन के गवाह बने। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले मालदीव में RuPay कार्ड लॉन्च किया गया। आने वाले समय में भारत और मालदीव UPI के जरिए जुड़ जाएंगे। इसके अलावा दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मालदीव में हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। भारत ने उसके सहयोग से निर्मित 700 से अधिक सामाजिक आवास इकाइयां भी मालदीव को सौंपीं। इसके साथ भारत और मालदीव के बीच कई अहम समझौते हुए। पीएम ने कहा कि भारत ने सदैव मालदीव के लिए फर्स्ट रेस्पॉन्डर की भूमिका निभाई है, चाहे मालदीव के लोगों के लिए आवश्यक वस्तुएं की जरूरत पूरा करना हो, जैसे प्राकृतिक आपदा के समय पीने का पानी उपलब्द्ध कराना हो, कोविड के समय वैक्सीन देने की बात हो, भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी होने के दायित्व को निभाया है।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात पर मुइज्जू ने क्या कहा?

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि हम एक व्यापक विजन दस्तावेज पर सहमत हुए हैं, जो हमारे द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय करेगा। व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के विजन में विकास सहयोग, व्यापार और आर्थिक भागीदारी, डिजिटल और वित्तीय पहल, ऊर्जा परियोजनाएं, स्वास्थ्य सहयोग के साथ-साथ समुद्री और सुरक्षा सहयोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी बॉण्ड को आगे बढ़ाने तथा मुद्रा की अदला-बदली के समझौते पर हस्ताक्षर और उदारतापूर्वक की गई सहायता के लिए भारत का आभार जताता हूं। मालदीव में भारतीय निवेश बढ़ाने के लिए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए उत्साहित हूं। मालदीव के लिए भारत सबसे बड़ा पर्यटन का स्रोत है और हमारा देश अधिक भारतीय पर्यटकों का स्वागत करने की उत्साहित है। उन्होंने कहा, आज भारत के सहयोग से बनाये गए 700 से अधिक सोशल हाउसिंग यूनिट्स सौंपें गए हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भारत के सहयोग से ग्रेटर ‘माले' कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में भी तेजी लाई जाएगी और थिलाफुशी में नए व्यावसायिक पोर्ट के विकास में भी सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने बताया की मालदीव के अड्डू में भारतीय वाणिज्य दूतावास और बेंगलुरु में मालदीव वाणिज्य दूतावास खोलने पर चर्चा भी हुई।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले मोहम्मद मुइज्जू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू और पहली महिला साजिदा मोहम्मद का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा, आज राष्ट्रपति भवन में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और पहली महिला साजिदा मोहम्मद का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान की बात है। भारत और मालदीव भूगोल से ही नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूल्यों से भी जुड़े हुए हैं। हमने एक-दूसरे की सफलताओं का जश्न मनाया है और जरूरत के समय में एक-दूसरे का साथ दिया है। इस दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि हमारी दोस्ती सदियों पुराने समुद्री संबंधों, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत कई मालदीवियों के लिए व्यापार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और पर्यटन के लिए दूसरा घर है। राष्ट्रपति मुइज्जू का यह बयान मालदीव और भारत के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति और भाजपा अध्यक्ष से भी मिले मुइज्जू 

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा आयोजित भोज में भाग लिया। महामहिम ने मालदीव गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू सम्मान में आज राष्ट्रपति भवन में रात्री भोज का आयोजन किया था। इस दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की, अपनी इस मुलाकात में नेताओं ने आपसी सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। नड्डा और मुइज्जू की मुलाकात ‘भाजपा को जानो’ पहल के तहत हुई। दोनों नेताओं ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बात की। नड्डा ने भाजपा के संगठनात्मक ढांचे और गतिविधियों की जानकारी दी। दोनों नेताओं ने भाजपा और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर पार्टी-दर-पार्टी संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। (Tweet Link- https://x.com/vpindia/status/1843318971875115215)

मुइज्जू के आमंत्रण पर अगले साल मालदीव जाएंगे मोदी

भारत के विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि पीएम मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के अगले साल माले की राजकीय यात्रा पर आने के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। पीएम मोदी की यात्रा की तारीखें राजनयिक माध्यम से तय की जाएंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने तथा मालदीव के प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान हुई बातचीत और परिणाम आने वाले वर्षों में दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे और आने वाले सालों में इस क्षेत्र में उभरने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए इसे और अधिक उपयुक्त बनाएंगे।

 

2.) जम्मू में 'हाथ' की सफाई 

भाजपा का जादू एक बार फिर जम्मू में चल गया, नए चेहरों और जम्मू से डोगरा सीएम का नारा लेकर चुनाव में उतरी भाजपा ने क्षेत्र की 11 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा ने 11 में से 7 सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा था और पार्टी का ये दांव काम कर गया, ये सातों जीत गए। हालांकि, चुनाव से पहले कुछ सीटों पर कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन पुराने चेहरों के सहारे मैदान में उतरी कांग्रेस फिर एक बार खाता खोलने में नाकाम रही और इस तरफ जम्मू में 'हाथ' की सफाई हो गई है। बता दें, साल 2014 में कांग्रेस सभी 11 सीटों हारी थी और साल 2024 में भी कांग्रेस ने इस हार को दोहराया है। जम्मू की छंब विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सतीश शर्मा ने जीत हासिल की है, वो कांग्रेस के बागी थे। वहीं साल 2014 में दो सीटें जीतने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) भी शून्य पर सिमट गई। इस चुनाव में कांग्रेस खुद तो डूबी, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को भी ले डूबी। साल 2014 में NC के नगरोटा से देवेंद्र राणा और बिश्नाह से कमल अरोड़ा जीते थे, तब NC अकेले चुनाव लड़ी थी। इस बार NC का कांग्रेस से गठबंधन था और गठबंधन में NC को जम्मू में सिर्फ एक ही सीट मिली थी, जिस पर मड़ से पूर्व मंत्री अजय सढोत्रा लड़े, लेकिन हार गए। कांग्रेस 10 सीटों पर लड़ी और एक भी नही जीत सकी।

बीजेपी को नवरात्रि में मिला माता का आशीर्वाद

बदरीनाथ और अयोध्या में हारने के बाद बीजेपी ने श्रीमाता वैष्णो देवी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर ली है, यहां से बीजेपी ने बलदेव राज शर्मा को मैदान में उतारा था और रुझानों में वह सुबह से ही बड़त बनाए हुए थे। बता दें, श्रीमाता वैष्णो देवी विधानसभा सीट जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के कटरा क्षेत्र में आती है, जो वैष्णो देवी मंदिर के निकट है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों का पूर्व में इस सीट पर प्रभाव रहा है। श्रीमाता वैष्णो देवी विधानसभा सीट का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है क्योंकि यह क्षेत्र श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार भाजपा के देवेन्द्र सिंह राणा हैं, देवेंद्र केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई हैं। चुनावों के दौरान किश्तवाड़ सीट काफी चर्चा में रही है, यहां से भाजपा की शगुन परिहार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू को 521 वोट से हराया है। शगुन परिहार अनिल परिहार की भतीजी हैं। अनिल जम्मू कश्मीर भाजपा के सचिव थे। नवंबर 2018 में किश्तवाड़ में आतंकियों ने शगुन के पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की हत्या कर दी थी।

 

3.) हरियाणा में कैसे पलटी बाजी?

हरियाणा में BJP की 'नायाब जीत'

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार सबको चौंका दिया है। कांग्रेस जहां इस बार जीत को लेकर आश्वस्त थी, वहीं एग्जिट पोल्स से लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों के बयानों तक यही संकेत मिल रहे थे कि भाजपा इस बार मुकाबले में कमजोर है। कांग्रेस में तो यह मंथन भी होने लगा था कि 65 से ज्यादा सीटें आती हैं तो कमान किसे सौंपी जाएगी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला, तीनों नेता सीएम पद पर अपनी दावेदारी को लेकर ताल ठोंक रहे थे। युवाओं में बेराजगारी और किसानों-पहलवानों की नाराजगी जैसे मुद्दे को कांग्रेस ने पुरे चुनाव में जोरशोर से उठाया और खूब भुनाने की कोशिश भी की, लेकिन इन सबके बावजूद अति-आत्मविश्‍वास के घोड़े पर सवार कांग्रेस मुंह के बल गिर गई और प्रदेश में भाजपा तीशरी बार सरकार बनाती दिख रही है। बता दें, किसी भी एग्जिट पोल में भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान नहीं लगाया था और लगभग सभी एग्जिट पोल्स यही बता रहे थे कि कांग्रेस हरियाणा में 10 साल बाद वापसी करने जा रही है।

भाजपा ने वो कर दिखाया जो आज तक किसी पार्टी ने नहीं किया

हरियाणा में बड़े उलटफेर की आहट हो गई है। अभी तक के रुझानों में भाजपा तीसरी बार बहुमत से सरकार बना रही हैं। यदि रुझान परिणाम में बदले तो भाजपा इतिहास रच देगी। हरियाणा में आज तक किसी भी पार्टी ने तीसरी बार सरकार नहीं बनाई है। एग्जिट पोल से उत्साहित कांग्रेस को रुझानों से तगड़ा झटका लगा है। बता दें, यहां तक कि भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में भी पार्टी ने 35 से 38 सीटों का अंदाजा लगाया गया था। इसके बाद भाजपा ने ऐसी 18 सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जहां पर मुकाबला बहुकोणीय था। वहीं, 39 ऐसी सीटों पर भी भाजपा ने जोर लगाया, जहां उसका कांग्रेस से सीधा मुकाबला था। वहीं इस उलटफेर के पीछे का कारण कांग्रेसियों का बड़बोलापन भी देखा जा रहा है। जुलाना से कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट ने कहा था कि कांग्रेस का हाथ, थप्पड़ का काम करेगा, वहीं असंध के कांग्रेस उम्मीदवार शमशेर गोगी ने कहा था कि कांग्रेस जीतती है तो पहले अपना घर भरेंगे। कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के बारे में भूपेंद्र हुड्डा समर्थक की अभद्र टिप्पणी ने एक खास वर्ग को नाराज किया, खुद कुमारी सैलजा ने करीब 12 दिनों तक चुप्पी साधे रखी। चुनाव में इस मुद्दे को भाजपा ने दलित अपमान से जोड़ा और खूब भुनाया भी।

क्या हरियाणा में युवा वर्ग निर्णायक रहा?

कांग्रेस ने इस बार बेरोजगारी का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठाया था। वहीं भाजपा पर्ची-खर्ची के मुद्दे को लेकर चुनावी मैदान में उतरी थी। भाजपा प्रचार के दौरान दावा करती आई थी कि हरियाणा की पूर्व हुड्डा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 85 हजार सरकारी नौकरियां दी थी, जबकि भाजपा सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस से दो गुनी यानि एक लाख 47 हजार सरकारी नौकरियां दी हैं। भाजपा ने बिना पर्ची-बिना खर्ची नौकरी देने का चुनावी नारा भी दिया। वहीं, कांग्रेस ने बेरोजगारी के ही मुद्दे को उठाकर युवाओं से वोट मांगे। बता दें, प्रदेश में 18 से 39 साल के युवाओं के करीब 94 लाख मतदाता हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा का पर्ची खर्ची वाला मुद्दा युवाओं को भेद गया। वहीं चुनाव में इस बड़े उलटफेर के पीछे का कारण गैर जाट वोटों के ध्रुवीकरण को भी माना जा रहा है। हालांकि इस बड़े उलटफेर के पीछे एक कारण ये भी मन जा रहा है की बीते मार्च में बड़ा बदलाव करते हुए भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना और वो मुख्यमंत्री बने। सैनी के जरिए भाजपा ने पंजाबी और पिछड़ा वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत की।

 

4) भारत आते ही बदले मालदीव के राष्ट्रपति के सुर

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पांच दिन की यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली पहुंचे। मुइज्जू 'इंडिया आउट' का नारा देकर सत्ता में आए हैं, उनके भारत विरोधी रुख से दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव पैदा हुआ था। अब ऐसे में उनकी यह भारत यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, खासकर मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए, मालदीव की अर्थव्यवस्था इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। मालदीव की आर्थिक हालत ऐसी हो गई है कि वो कर्ज की किस्तें नहीं चुका पा रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार उतना भी नहीं है, जितना की उसे 2025 में कर्ज चुकाने के लिए चाहिए। मालदीव को साल 2025 में कर्ज चुकाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में जरूरी 600 मिलियन डॉलर की आवशक्ता है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 440 मिलियन डॉलर रह गया है। नई दिल्ली रवाना होने से पहले ही मुइज्जू ने कहा था कि भारत हमारे सबसे बड़े विकास साझेदारों में से एक हैं। उन्होंने कहा था कि भारत हमारे बोझ को कम करने, हमारी चुनौतियों के लिए बेहतर विकल्प और समाधान खोजने के लिए हमेशा एक साझेदार रहा है। मुइज्जू की यात्रा से पहले ही भारत बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए मालदीव को 1.4 अरब डॉलर की वित्तीय मदद की पेशकश कर चुका है। भारत ने मुइज्जू सरकार के अनुरोध पर 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज वापस करने को भी स्थगित कर दिया था। इसके साथ ही मालदीव का खाद्य कोटा भी दो साल के लिए बढ़ा दिया है। 

क्या है मुइज्जू का भारत-चीन के बीच बैलेंसिंग एक्ट?

भारत आने से पहले ही मुइज्जू ने माहौल बनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने चुनाव में 'इंडिया आउट' का नारा दिया था। उन्होंने कहा कि अपनी जमीन पर विदेशी सैनिकों की मौजूदगी से मालदीव को समस्या थी और मालदीव के लोग अपनी जमीन पर एक भी विदेशी सैनिक की मौजूदगी नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि सत्ता में आते ही हमने अपनी विदेशी नीति स्पष्ट कर दी, वह थी 'मालदीव फर्स्ट' की नीति। बता दें, सत्ता में आने के बाद ही मुइज्जू ने अपने देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था। भारत ने इस संकट को बहुत ही सूझबूझ और बेहतर कूटनीति से सुलझाया। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि भारत 10 मार्च से 10 मई के बीच मालदीव में तैनात अपने 80 सैन्यकर्मियों को वापस बुला लेगा। विदेश मंत्रालय ने उस समय कहा था कि मालदीव में दो हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान का संचालन सक्षम भारतीय तकनीशियन की ओर से किया जाएगा और वे मौजूदा कार्मिकों की जगह लेंगे। इस साल के शुरू में मुइज्जू चीन की यात्रा पर गए थे, वहां से लौटने के बाद उन्होंने कहा था कि हम एक छोटा देश हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया था, लेकिन माना गया कि उनका इशारा भारत की ओर ही था। बता दें, अब भारत की अपनी यात्रा से पहले मुइज्जू ने कहा कि उनका मानना है कि भारत मालदीव की आर्थिक स्थिति को अच्छी तरह से जानता है और भारत उनके देश के विकास में एक बड़ा साझीदार है।

RuPay कार्ड और UPI से जुड़ेंगे दोनों देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध सदियों पुराने हैं। भारत मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी और घनिष्ठ मित्र देश है। हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और सागर विजन में मालदीव का महत्वपूर्ण स्थान है। हमने रक्षा और सुरक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। पीएम ने कहा, मालदीव में RuPay कार्ड से भुगतान की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस तरह के पहले लेनदेन के गवाह बने। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले मालदीव में RuPay कार्ड लॉन्च किया गया। आने वाले समय में भारत और मालदीव UPI के जरिए जुड़ जाएंगे। इसके अलावा दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मालदीव में हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। भारत ने उसके सहयोग से निर्मित 700 से अधिक सामाजिक आवास इकाइयां भी मालदीव को सौंपीं। इसके साथ भारत और मालदीव के बीच कई अहम समझौते हुए। पीएम ने कहा कि भारत ने सदैव मालदीव के लिए फर्स्ट रेस्पॉन्डर की भूमिका निभाई है, चाहे मालदीव के लोगों के लिए आवश्यक वस्तुएं की जरूरत पूरा करना हो, जैसे प्राकृतिक आपदा के समय पीने का पानी उपलब्द्ध कराना हो, कोविड के समय वैक्सीन देने की बात हो, भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी होने के दायित्व को निभाया है।

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात पर मुइज्जू ने क्या कहा?

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि हम एक व्यापक विजन दस्तावेज पर सहमत हुए हैं, जो हमारे द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय करेगा। व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के विजन में विकास सहयोग, व्यापार और आर्थिक भागीदारी, डिजिटल और वित्तीय पहल, ऊर्जा परियोजनाएं, स्वास्थ्य सहयोग के साथ-साथ समुद्री और सुरक्षा सहयोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी बॉण्ड को आगे बढ़ाने तथा मुद्रा की अदला-बदली के समझौते पर हस्ताक्षर और उदारतापूर्वक की गई सहायता के लिए भारत का आभार जताता हूं। मालदीव में भारतीय निवेश बढ़ाने के लिए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए उत्साहित हूं। मालदीव के लिए भारत सबसे बड़ा पर्यटन का स्रोत है और हमारा देश अधिक भारतीय पर्यटकों का स्वागत करने की उत्साहित है। उन्होंने कहा, आज भारत के सहयोग से बनाये गए 700 से अधिक सोशल हाउसिंग यूनिट्स सौंपें गए हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भारत के सहयोग से ग्रेटर ‘माले' कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में भी तेजी लाई जाएगी और थिलाफुशी में नए व्यावसायिक पोर्ट के विकास में भी सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने बताया की मालदीव के अड्डू में भारतीय वाणिज्य दूतावास और बेंगलुरु में मालदीव वाणिज्य दूतावास खोलने पर चर्चा भी हुई।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले मोहम्मद मुइज्जू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू और पहली महिला साजिदा मोहम्मद का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा, आज राष्ट्रपति भवन में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और पहली महिला साजिदा मोहम्मद का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान की बात है। भारत और मालदीव भूगोल से ही नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूल्यों से भी जुड़े हुए हैं। हमने एक-दूसरे की सफलताओं का जश्न मनाया है और जरूरत के समय में एक-दूसरे का साथ दिया है। इस दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि हमारी दोस्ती सदियों पुराने समुद्री संबंधों, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत कई मालदीवियों के लिए व्यापार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और पर्यटन के लिए दूसरा घर है। राष्ट्रपति मुइज्जू का यह बयान मालदीव और भारत के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति और भाजपा अध्यक्ष से भी मिले मुइज्जू 

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा आयोजित भोज में भाग लिया। महामहिम ने मालदीव गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू सम्मान में आज राष्ट्रपति भवन में रात्री भोज का आयोजन किया था। इस दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की, अपनी इस मुलाकात में नेताओं ने आपसी सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। नड्डा और मुइज्जू की मुलाकात ‘भाजपा को जानो’ पहल के तहत हुई। दोनों नेताओं ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बात की। नड्डा ने भाजपा के संगठनात्मक ढांचे और गतिविधियों की जानकारी दी। दोनों नेताओं ने भाजपा और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर पार्टी-दर-पार्टी संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। (Tweet Link- https://x.com/vpindia/status/1843318971875115215)

मुइज्जू के आमंत्रण पर अगले साल मालदीव जाएंगे मोदी

भारत के विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि पीएम मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के अगले साल माले की राजकीय यात्रा पर आने के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। पीएम मोदी की यात्रा की तारीखें राजनयिक माध्यम से तय की जाएंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने तथा मालदीव के प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान हुई बातचीत और परिणाम आने वाले वर्षों में दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे और आने वाले सालों में इस क्षेत्र में उभरने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए इसे और अधिक उपयुक्त बनाएंगे।

 

5.) क्या जम्मू-कश्मीर में होगी धारा-370 की वापसी?

J&K में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की चाल कामयाब

जम्मू कश्मीर में 10 साल के लंबे इंतजार के बाद विधानसभा चुनाव संपन्न हुए, ऐसे में जम्मू-कश्मीर से जो चुनाव परिणाम सामने निकलकर आए हैं इसके बाद कई अहम सवाल फिर से उठने लगे हैं। आपको बता दें, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने बहुमत हासिल कर दस साल बाद फिर सरकार बनाने का जनादेश हासिल कर लिया है। पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का दोबारा मुख्यमंत्री बनना तय मन जा रहा है, लेकिन धारा-370 रद किए जाने के बाद हुए इस चुनाव के नतीजे बड़े संदेश देने वाले हैं। नतीजों के बाद कई सवाल भी सामने उभरे हैं, जिनके जवाब पर सभी की निगाहें होंगी। बता दें, गठबंधन ने रणनीति पूर्वक घाटी में अनुच्छेद-370 और जम्मू में दरबार मूव को मुद्दा बनाया। बता दें, घाटी के मुस्लिम अनुच्छेद-370 की वापसी चाहते हैं, जबकि जम्मू के लोग दरबार मूव की बहाली चाहते हैं। NC ने 370 के मुद्दे को, तो वहीं कांग्रेस ने दरबार मूव पर फोकस किया । इसका असर ये हुआ कि गठबंधन को घाटी का भरपूर समर्थन हासिल हुआ और जम्मू संभाग से भी सीटें निकालकर सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया, इस तरफ गठबंधन अपनी चल में कामयाब रहा। भाजपा ने चुनाव पूरी ताकत से लड़ा, लेकिन राज्य के दर्जे की बहाली व दरबार मूव के मुद्दे पर लोगों को आश्वस्त नहीं कर पाई और भाजपा की इसी कमजोरी का फायदा गठबंधन उठाने में कामयाब रहा।

जम्मू और कश्मीर में मतदाताओं की अलग दिखी सोच

जम्मू और कश्मीर के मतदाताओं ने इस बार भी अलग-अलग मुद्दों पर वोट किया। मुस्लिम बहुल कश्मीर के मतदाता अपने मुख्यमंत्री व क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखकर वोट करते आए हैं। अब तक सभी मुख्यमंत्री कश्मीर से ही हुए हैं, इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अब्दुल्ला परिवार से अकेले छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं। NC सहित मुस्लिम बहुल्य कश्मीर घाटी की ज्यादातर पार्टियों ने अनुच्छेद-370 बहाली के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था और चुनाव के नतीजे बयां कर रहें हैं कि यहां के मतदाताओं ने इसके लिए एकजुट होकर वोट भी किया और NC को 35 व गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस को पांच सीटें देकर उनकी झोली भर दी। दूसरी ओर हिंदू बहुल जम्मू के मतदाता पार्टी से ज्यादा प्रत्याशियों को देखकर वोट करते आए हैं, वे कश्मीरियों की तरह एकजुट नहीं होते और इस बार भी चुनाव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। जम्मू के वोटरों ने न सिर्फ भाजपा को, बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, आप और निर्दलीयों को भी गले लगाया है। संभाग ने जहां भाजपा को 29 सीटें दी, तो NC को सात, कांग्रेस व आप को 1-1 तथा निर्दलीयों को सात सीटों पर जीत दी है।

क्या है गठबंधन के सामने अहम सवाल?

1.) NC का मुख्य चुनावी वादा था कि वो सत्ता में आने के बाद धारा-370 को बहाल करेगी। अब वह सत्ता संभालने के लिए तैयार है, गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस इस मुद्दे पर पूरे चुनाव चुप रही। अब देखना होगा कि वह NC अपने इस सबसे बड़े वादे पर अमल कैसे करेगी। सुप्रीम कोर्ट तक इस फैसले पर मुहर लगा चुका है।

2.) NC ने राज्य को स्वायत्तता दिलाने का वादा किया है। पार्टी ने वर्ष 2000 में विधानसभा में इसके लिए प्रस्ताव भी पारित किया था। बता दें, तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार इस प्रस्ताव को खारिज कर चुकी है। पार्टी इस वादे पर कैसे अमल करेगी?

3.) NC ने राजनैतिक कैदियों की रिहाई का वादा किया है। माना जा रहा है कि इसकी आड़ में पत्थरबाजों को छोड़ने का आश्वासन दिया गया। धारा-370 के समाप्त होने और राज्य के केंद्रीय शासित प्रदेश बनने के बाद उपराज्यपाल को जिस तरह के अधिकार दिए गए हैं, देखने लायक होगा कि वह इस मुद्दे पर कैसे बढ़ पाती है।

4.) NC ने 200 यूनिट बिजली व 12 एलीपीजी सिलेंडर मुफ्त देने की बात की है। इसी तरह, गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने महिलाओं को 3000 रुपये हर महीने देने को कहा है। नकद भुगतान वाली योजनाओं के जरिए सत्ता में आई कई सरकारें कर्ज के बोझ तले दब चुकी हैं, इसका मौजूदा उदहारण हिमाचल की कांग्रेस सरकार है। ऐसे में बिना केंद्र की मदद के सैकड़ों करोड़ रुपये सालाना खर्च वाले ये वादे कैसे पूरे किए जाएंगे, इस पर भी सबकी नजरें होगी।

5.) केंद्र व राज्य में अलग-अलग सरकारों का होना हमेशा से घाटे का सौदा साबित हुआ है। दिल्ली व केंद्र के बीच का टकराव सुर्खियां में बना रहता है। यहां उपराज्यपाल को कई ऐसे अधिकार दिए गए हैं, ऐसे में अब सरकारी कामकाज में केंद्र सरकार व उपराज्यपाल से समन्वय बिठाकर राज्य को आगे ले जाना सबसे अहम होगा।

राज्य की राजनीती से PDP का सफाया

PDP को विधानसभा चुनाव परिणाम से बड़ा झटका लगा है। महबूबा मुफ्ती का खुद को चुनाव और सीएम की दौड़ से किनारे रखने का पैंतरा काम नहीं आया। कश्मीर के मतदाताओं ने पार्टी को खारिज कर दिया। पार्टी के लिए प्रचार में उतरीं महबूबा परिवार की बिजबिहाड़ा सीट को ही नहीं बचा पाईं। बेटी इल्तिजा के लिए महबूबा ने मजबूत किलेबंदी की, लेकिन मतदाताओं ने इसे आसानी से गिरा दिया। सुबह पहले रुझान से ही इल्तिजा मुफ्ती पीछे नजर आईं। एक बार भी नहीं लगा कि वह मुकाबले में हैं। नेकां के बशीर अहमद वीरी ने उन्हें 9770 वोट से हराया। अपने तेज तर्रार भाषण और तीखे बयानों के कारण चर्चित रहने वाली इल्तिजा का यह पहला चुनाव था। माना जा रहा था कि चुनाव जीतने के बाद पार्टी की कमान उनके हाथ आएगी, लेकिन इस हार ने पार्टी को नई रणनीति पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया। इल्तिजा मुफ्ती से पार्टी को बहुत उम्मीद थी, प्रचार में भी वो जोर-शोर से उतरीं। जोनू-जोनू के नारों के बीच भीड़ भी जुटाई, लेकिन ये भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो पाई। किंगमेकर की भूमिका के दावे करने वाली महबूबा की पार्टी का चुनाव में यह हाल होगा, किसी ने सोचा नहीं था। बता दें कि अपनी स्थापना के बाद पहली बार पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है।

 

5.) डॉक्टर का रेप और मर्डर संजय रॉय ने ही किया

आरजी कर केस में CBI ने दाखिल की चार्जशीट

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में CBI जांच में जुटी है। अब इस मामले में CBI ने बीते दिन सियालदह कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया है। इस केस में पहले से ही हिरासत में लिए गए आरोपी संजय रॉय को ही CBI ने मुख्य आरोपी बताया है। कोलकाता की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर अपने आरोपपत्र में CBI ने कहा है कि आरोपी संजय रॉय स्थानीय पुलिस के साथ एक नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहा था। CBI ने अपनी चार्जशीट में आरोपी को लेकर कहा कि संजय रॉय ने कथित तौर पर 9 अगस्त को पीड़िता के साथ अपराध किया जब पीड़िता अस्पताल के सेमिनार कक्ष में सोने गई थी। सूत्रों के अनुसार CBI ने दाखिल चार्जशीट में सामूहिक बलात्कार के आरोप का उल्लेख नहीं किया, जिससे संकेत मिलता है कि संजय रॉय ने अकेले ही ये अपराध किया था। चार्जशीट के अनुसार अस्पताल के सेमिनार कक्ष के अंदर महिला के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। पीड़िता आधी रात के बाद अस्पताल में अपनी शिफ्ट के बीच आराम करने के लिए कमरे में गई थी और अगली ही सुबह एक जूनियर डॉक्टर को उसका शव मिला। कोलकाता पुलिस को घटनास्थल से आरोपी का ब्लूटूथ हेडफोन भी मिला था।

RG मेडिकल कॉलेज के 50 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लगभग 50 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। दुष्कर्म पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा दिया है। मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय मंगलवार की सुबह सरकारी अस्पताल के विभिन्न विभागों के प्रमुखों की बैठक में लिया गया। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने समाचार एजेंसी को बताया कि यह निर्णय विभागाध्यक्षों की बैठक में  लिया गया है। अस्पताल के सभी 50 वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने त्यागपत्र पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। यह निर्णय उन युवा डॉक्टरों के प्रति हमारी एकजुटता व्यक्त करने के लिए गया है जो एक उद्देश्य के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि NRS मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर भी आरजी कर अस्पताल के अपने सहयोगियों के नक्शेकदम पर चलने पर विचार कर रहे हैं। बता दें, डॉक्टरों के संयुक्त मंच ने पश्चिम बंगाल ने उन जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता का वादा किया जो आरजी कर अस्पताल की महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के लिए न्याय और भ्रष्टाचार-ग्रस्त स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर पिछले चार दिनों से आमरण अनशन पर हैं।

पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष लेता था TMC नेता से पैसे

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले की जांच कर रहे CBI अधिकारियों को इस बारे में विशेष सुराग मिले हैं कि कैसे पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष अपने हाउस स्टाफ आशीष पांडे के जरिए मेडिकल छात्रों को आसानी से सफलता के लिए पैसे देने के लिए प्रश्नपत्र लीक करके नकदी स्वीकार करता था। बता दें, CBI वित्तीय अनियमितताओं और जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या से जुड़े दोनों मामलों में घोष के खिलाफ समानांतर जांच कर रही है। जांच अधिकारियों ने वित्तीय अनियमितताओं के मामले में पांडे को हिरासत में भी लिया है। घोष के खिलाफ अन्य आरोपों में टेंडर में हेराफेरी, आरजी कर के बुनियादी ढांचे से संबंधित ठेके राज्य लोक निर्माण विभाग के बजाय निजी एजेंसियों को देना, जैव-चिकित्सा अपशिष्टों की तस्करी और आरजी कर शवगृह में पोस्टमार्टम के लिए आने वाले अज्ञात शवों के अंगों को बेचना शामिल है।