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Breaking News 9 July 2025

1 ) क्यों है आज भारत बंद ! जानिए असली वजह 

 क्यों आज पूरे देश की रफ्तार थम गई  आखिर 25 करोड़ वर्कर्स एक साथ हड़ताल पर क्यों उतर आए? आज की India-Wide National Strike ने सरकार से लेकर आम जनता तक को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
आइए जानते है ...
इस हड़ताल का नेतृत्व देश की प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने किया है, जो केंद्र सरकार की कथित anti-labour, anti-farmer और pro-corporate policies के खिलाफ आवाज़ उठा रही हैं। हड़ताल का प्रभाव Banking, Postal Services, Public Sector Undertakings (PSUs), Transport और Industrial Units में व्यापक रूप से देखा गया।

भारत बंद का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा लाए गए Four Labour Codes का विरोध करना है, जिन्हें ट्रेड यूनियनों ने श्रमिकों के अधिकारों पर हमला करार दिया है। यूनियनों का आरोप है कि ये कोड Right to Strike, Collective Bargaining, Job Security, और Fair Wages जैसे बुनियादी अधिकारों को कमजोर करते हैं। इसके साथ ही, काम के घंटे बढ़ाना, Contractual Hiring को बढ़ावा देना और Disciplinary Actions में Employer को ज़्यादा अधिकार देना, इन नए कानूनों के प्रमुख विवादास्पद पहलू हैं। साथ ही प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगों में Minimum Monthly Wage ₹26,000, Old Pension Scheme (OPS) की बहाली, और श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है।

पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और कुछ अन्य पूर्वी राज्यों में बंद का प्रभाव सबसे अधिक देखा गया। कोलकाता और सिलीगुड़ी में Left-backed trade unions ने बड़े प्रदर्शन किए। कोलकाता के जाधवपुर इलाके में प्रदर्शनकारियों ने Railway Tracks जाम किए और पैदल मार्च निकाला। सिलीगुड़ी में सरकारी बसें बाधित रहीं। कई बस ड्राइवरों ने प्रदर्शन के चलते Helmets पहनकर ड्यूटी की, ताकि किसी भी संभावित हमले से बचा जा सके। एक चालक ने कहा, "हम मजदूर हैं, काम भी करना है और आंदोलन में हिस्सा भी लेना है।"

बिहार की राजधानी पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन पर ट्रैक को ब्लॉक किया। यह प्रदर्शन State Electoral Roll Revision (SIR) के विरोध में किया गया, जिसे विधानसभा चुनाव 2025 से पहले गलत तरीके से लागू किया जा रहा बताकर रोष व्यक्त किया गया। रेल संचालन प्रभावित रहा और कई ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा।

हड़ताल में भाग लेने वाले प्रमुख संगठनों में शामिल हैं:
All India Trade Union Congress (AITUC)
Indian National Trade Union Congress (INTUC)
Centre of Indian Trade Unions (CITU)
Hind Mazdoor Sabha (HMS)
Self-Employed Women’s Association (SEWA)
Labour Progressive Federation (LPF)
United Trade Union Congress (UTUC)
इनके साथ-साथ Self-employed groups, Informal Sector Workers, और Rural Labour Organizations ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। Samyukt Kisan Morcha जैसे किसान संगठनों ने भी समर्थन की घोषणा की है, जिन्होंने पहले Farm Laws के खिलाफ बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था।

इस हड़ताल का सीधा प्रभाव Public Services पर पड़ा है। Banking Transactions, Postal Deliveries, Public Transport, Power Supply, और Industrial Output में स्पष्ट व्यवधान देखा गया। PSU सेक्टर की कई बड़ी इकाइयों जैसे NMDC Limited, BHEL, SAIL और Indian Railways के कर्मचारी हड़ताल में शामिल रहे। हालांकि, कई व्यापारिक संगठनों का मानना है कि यह बंद Formal Sector तक ही सीमित रहेगा और आम जनजीवन पर इसका असर सीमित होगा।

सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, हालांकि कुछ राज्यों में बंद को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। प्रदर्शनकारी संगठनों का कहना है कि जब तक श्रमिकों की मांगों को सुना नहीं जाता, तब तक यह विरोध रुकने वाला नहीं है।

यह ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले भी देश ने इसी तरह के General Strikes का सामना किया है। 2020, 2022 और 2024 में भी करोड़ों श्रमिक सड़कों पर उतर चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से ठोस पहल अब तक नज़र नहीं आई है।

इस आंदोलन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि Policy Reforms अगर Inclusive Consultation के बिना किए जाएं, तो वे देश की Industrial Peace और Social Harmony को खतरे में डाल सकते हैं। भारत बंद 2025 न केवल एक आर्थिक विरोध है, बल्कि यह मौजूदा नीतियों में Structural Imbalance और Labour Disempowerment के खिलाफ एक समवेत संघर्ष बन गया है जो संगठित, असंगठित और ग्रामीण भारत की सामूहिक पीड़ा और असंतोष को स्वर दे रहा है।