2025 में ओला इलेक्ट्रिक और इसके सीईओ भाविश अग्रवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले साल इलेक्ट्रिक स्कूटर की खराबी के चलते कंपनी पहले ही चर्चाओं में थी, और अब 2025 के पहले हफ्ते में SEBI का वार्निंग लेटर ओला इलेक्ट्रिक को एक और झटका दे गया। आइए, समझते हैं पूरा मामला कि कैसे एक ट्वीट ने भाविश अग्रवाल को SEBI के निशाने पर ला दिया और ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में गिरावट आ गई।
2 दिसंबर 2024 को, भाविश अग्रवाल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सुबह 9:58 बजे एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा, "हम अपने देश में सर्विस स्टेशन नेटवर्क को 20 दिसंबर 2024 तक चार गुना बढ़ाने जा रहे हैं।" अब दिक्कत ये है कि SEBI के नियम के मुताबिक, ऐसी बड़ी घोषणाएं पहले स्टॉक एक्सचेंजों (BSE और NSE) पर शेयर करनी होती हैं, ताकि सभी निवेशकों को बराबर मौका मिले। लेकिन भाविश अग्रवाल ने स्टॉक एक्सचेंजों पर यह जानकारी दोपहर 1:36 बजे (BSE) और 1:41 बजे (NSE) पर शेयर की। यानी सोशल मीडिया पर सुबह 9:58 बजे यह घोषणा पहले कर दी, जो कि SEBI के नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
7 जनवरी 2025 को SEBI ने ओला इलेक्ट्रिक को एक चेतावनी पत्र जारी किया। इस पत्र में SEBI ने कहा "आपकी कंपनी ने 2 दिसंबर 2024 को सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर की, जबकि इसे पहले स्टॉक एक्सचेंजों पर साझा करना चाहिए था। SEBI ने ओला इलेक्ट्रिक को भेजे अपने चेतावनी पत्र में लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) रेगुलेशन, 2015 के तहत कई नियमों के उल्लंघन की बात कही। इसमें रूल 4(1)(d) के तहत सभी निवेशकों को समान जानकारी उपलब्ध कराने का प्रावधान, रूल 4(1)(f) के तहत डिस्क्लोजर के समय पारदर्शिता सुनिश्चित करना, रूल 4(1)(h) के तहत सभी शेयरधारकों को जानकारी की समान और समानांतर पहुंच प्रदान करना, और रूल 30(6) के तहत स्टॉक एक्सचेंज को समय पर जानकारी देना शामिल है। SEBI ने इस उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए ओला इलेक्ट्रिक को स्पष्ट चेतावनी दी है कि भविष्य में अगर ऐसा दोबारा होता है, तो कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, साथ ही स्टॉक एक्सचेंज के साथ बेहतर कम्युनिकेशन बनाए रखने की सलाह भी दी गई है।
इस घटना का असर बाजार पर तुरंत दिखा। 8 जनवरी 2025 को ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों का भरोसा पहले ही डगमगाया हुआ था, और अब SEBI की चेतावनी ने आग में घी डालने का काम किया। हालांकि अब तक भाविश अग्रवाल की तरफ से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन SEBI ने साफ कर दिया है कि इस चेतावनी का फिलहाल ओला इलेक्ट्रिक के वित्तीय और ऑपरेशनल कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास में भारत चीन से पीछे है, मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना का सबसे उन्नत विमान फ्रांस से लिया गया राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो की एक 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। हालांकि, वर्तमान में भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू कार्यक्रम, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को बनाने पर अपना फोकस कर रहा है, जो अपने डिजाइन और डेवलपमेंट फेज में है। चीन पहले से ही पांचवी पीढ़ी के दो लड़ाकू विमानों J-20 और J-35 का निर्माण कर अपनी एयरफोर्स में शामिल कर चूका है। पिछले वर्ष दिसंबर 2024 के अंत में, चीन ने अपनी छठी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट का अनावरण किया, जो उसकी तेजी से बढ़ती सैन्य क्षमताओं में एक और छलांग है। माना जाता है कि नया विमान J-36 कार्यक्रम का हिस्सा है। ऐसे में अब भारत का फाइटर जेट चीन के सामने तकनीकी क्षमता और उत्पादन गति दोनों के मामले में पिछड़ जाएगा। इन बढ़ती चुनौतियों के जवाब में, IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी सिंह ने रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी का आह्वान किया, जो तेजस जैसे स्वदेशी विमान के प्रमुख कॉम्पोनेन्ट के उत्पादन में तेजी लाने में मदद कर सकता है।
एक सेमीनार के दौरान IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी सिंह ने हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) कार्यक्रम में हो रही देरी को लेकर अपने संबोधन में चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि साल 2016 में HAL द्वारा डिलीवरी शुरू करने के बावजूद, IAF को अभी तक 40 तेजस लड़ाकू विमान ही प्राप्त मिल सके हैं। उनके शब्द भारत की रक्षा महत्वाकांक्षाओं और उत्पादन की गति के बीच बढ़ती असमानता की याद को दर्शाता है। उन्होंने कहा की तेजस के प्रोडक्शन में हो रही देरी केवल तकनीकी विफलताएं नहीं हैं, भारत की रक्षा तत्परता पर इनका वास्तविक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, प्रोडक्शन में हो देरी के कुछ अन्य कारण भी है जैसे की फॉरेन मनुफ्रैक्चरर द्वारा सप्लाई चैन इशू। उन्होंने कहा, तेजस के प्रोडक्शन में रुकावट मुख्य रूप से जनरल इलेक्ट्रिक के GE-F404 जेट इंजन जैसे महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट के सप्लाई में हो रही देरी के कारण है, जो तेजस की मैन्युफैक्चरिंग के लिए महत्वपूर्ण हैं। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उत्पादन की गति को बढ़ावा देने के लिए उन्नत प्रोडक्शन फैसिलिटी में निवेश बढ़ाना आवश्यक है। प्रोडक्शन एजेंसियों को अपनी उन्नत प्रोडक्शन प्रक्रियाओं में निवेश करना होगा ताकि मैन्युफैक्चरिंग स्पीड बढ़ सके। इन परिवर्तनों से न केवल उत्पादन दर में सुधार होगा बल्कि विदेशी प्रौद्योगिकी और प्रणालियों पर भारत की निर्भरता भी कम होगी।
आज जब GE-F404 जेट इंजन में हो रही देरी के कारण भारत की अपनी प्रोडक्शन लाइनें ठप हैं, ऐसे समय में चीन ने अभुत्वपूर्व रूप से अपने सैन्य आधुनिकीकरण में तेजी ला दी है। J-36, जो की एक छठी पीढ़ी का फाइटर बॉम्बर विमान होने वाला है, आने वाले दशकों में चीनी वायुसेना को आसमान में बढ़त दिलाने के लिए तैयार है। एयर चीफ मार्शल सिंह ने बताया कि चीन अपनी वायु सेना में भारी निवेश कर रहा है, हाल ही में चीन के नए स्टील्थ फाइटर जेट का अनावरण इसका एक उदाहरण है। चीन की सैन्य प्रगति केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है - उनके वैश्विक प्रभाव भी हैं। जैसे-जैसे चीन अपनी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के विकास को आगे बढ़ा रहा है, भारत खुद को आगे बढ़ने की दौड़ में फंसा हुआ देख रहा है। वर्तमान में, भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू कार्यक्रम, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो अपने डिजाइन और डेवलपमेंट का फेज लगभग पूरा कर चूका है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना में लड़ाकू स्क्वाड्रनों की मौजूदा कमी को देखते हुए तेजस में देरी और भी चिंताजनक है। जबकि भारत को अपनी दोनों सीमाओं पर टो फ्रंट वॉर जैसे खतरे को देखते हुए एयर डोमिनान्स बनाए रखने के लिए 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है, जो की वर्तमान में केवल 30 स्क्वाड्रन है। स्क्वाड्रन में इस अंतर ने भारतीय वायुसेना की मांगों को पूरा करने के लिए पुराने प्लेटफार्मों और फ्रांस से खरीदे गए राफेल जेट पर निर्भर कर दिया है।
माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में डिजिटल क्रांति का बिगुल फूंक दिया है, और इसके पीछे हैं सत्य नडेला की योजनाएं। भारत को अब सिर्फ एक "क्लाइंट" नहीं, बल्कि A.I का हब बनाया जायेगा। सत्य नडेला, जिन्हें टेक्नोलॉजी की दुनिया का "चाणक्य" कहा जाता है, भारत में डिजिटल बवंडर लाने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने घोषणा की है कि माइक्रोसॉफ्ट भारत में 3 बिलियन डॉलर (लगभग 25,000 करोड़ रुपये) का मेगा इन्वेस्टमेंट करेगा। यह निवेश देश के क्लाउड और एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह बदलकर रख देगा। जब नडेला कहते हैं, "भारत टेक्नोलॉजी के लिए तैयार है," तो इसका मतलब है कि यहां हर गली में स्मार्ट घर होंगे! इसके साथ ही माइक्रोसॉफ्ट ने यह भी वादा किया है कि 2030 तक 1 करोड़ भारतीयों को एआई स्किल्स में मास्टर बनाया जाएगा। नडेला का कहना है, "भारत के लोग टेक्नोलॉजी को न सिर्फ अपनाते हैं, बल्कि उसे नए स्तर पर ले जाते हैं।" अब तो शायद आपकी चाय बनाने वाली केतली भी आपको आपके मूड के हिसाब से चाय परोस देगी। और आपके जूते खुद तय करेंगे कि कितने कदम चलना है।
नडेला की तीन दिन की भारत यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात। इस मुलाकात में उन्होंने भारत में एआई और क्लाउड टेक्नोलॉजी के विस्तार पर गहन चर्चा की। नडेला ने इस दौरान भारत की टेक्नोलॉजिकल रफ्तार की जमकर तारीफ की और कहा कि "भारत अब सिर्फ टेक्नोलॉजी का ग्राहक नहीं, बल्कि निर्माता बन चुका है। यहां की ऊर्जा और संभावनाएं इसे दुनिया का 'डिजिटल बॉस' बनाने के लिए तैयार कर रही हैं।" माइक्रोसॉफ्ट की Azure क्षमता को मजबूत करने के लिए यह निवेश न केवल भारतीय युवाओं को आधुनिक स्किल्स सिखाएगा, बल्कि नई पीढ़ी को नौकरी और उद्यमिता के नए रास्ते भी दिखाएगा। इस मुलाकात से यह साफ हो गया कि डिजिटल इंडिया का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है।
माइक्रोसॉफ्ट ने अब तक 2,28,000 कर्मचारियों की टीम बना रखी है। लेकिन अगले कुछ महीनों में ये नंबर घटने वाला है। वहीँ 2023 में 10,000 कर्मचारियों की विदाई हो चुकी है। इसके अलावा 2024 में 4,000 कर्मचारी निकाले गए। अब 2025 में "रिव्यू का क्लाइमेक्स" आ गया है। हालांकि सिर्फ जूनियर ही नहीं, बड़े-बड़े सीनियर्स तक को झटका लग सकता है। वो सीनियर स्टाफ भी, जो अब तक "मीटिंग के नाम पर ब्रेकफास्ट और लंच के बहाने बना रहे थे। दरअसल, IT सेक्टर में मंदी और डाउनफॉल ने कई कंपनियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। CEO सत्य नडेला इस छंटनी खेल के पुराने खिलाड़ी हैं। 2014 में नडेला ने ज्वाइन करते ही 18,000 लोगों की छुट्टी कर दी थी। वहीँ 2023 में Xbox और दूसरे डिवीज़न से 10,000 कर्मचारियों को अलविदा कहागया था। हालांकि इन सब के बाद खाली हुए पदों को नए टैलेंट्स से भरा भी जाएगा।
जरा सोचिए! आपने बड़ी मेहनत से बीमा लिया, हर महीने प्रीमियम दिया, लेकिन आपका पैसा चुपचाप किसी कोने में “गुमसुम” पड़ा है। Financial Year 2024 की शुरुआत में बीमा कंपनियों के पास ₹22,237 करोड़ रुपये ऐसे ही “अनाथ” पड़े थे। ये वही पैसा है, जिसका असली मालिक या तो भूल गया, या ढूंढ नहीं पाया। लेकिन कंपनियों ने कमर कस ली और ₹1,018 करोड़ का काम तमाम कर दिया मतलब सही मालिक तक पहुंचा दिया। फिर भी, बाकी पैसा अब भी “किसका हक है?” इन सवालों के बिच में उलझा हुआ है। अब ये पैसा सही जगह क्यों नहीं पहुंचता? वजह साफ है नामांकन का चक्कर। कई बार बीमा लेने वाले पॉलिसी में किसी को नॉमिनी बनाते हैं, लेकिन उसकी जानकारी अपडेट नहीं होती। और जब परिवार में बदलाव होता है जैसे शादी तो नया घरवाले नाम जोड़ना भूल जाते हैं। ऐसे में, बीमा कंपनियां अपना “लंबा-चौड़ा” कानूनी ज्ञान लेकर दावों को रिजेक्ट कर देती हैं। वहीँ अगर आपने अपने भाई या किसी दोस्त को नॉमिनी बना दिया है, तो कानूनी वारिस बीच में आकर बोलेंगे, “ये पैसा हमारा है!”
बीमा कंपनियों को IRDAI ( भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने कहा है, कुछ दिक्कत होने पर पहले पॉलिसीधारकों से संपर्क करें। उनके KYC और बैंक डिटेल का अपडेट रखें” और जब कोई क्लेम नहीं कर पता है, तो ग्राहकों का पता लगाने के लिए क्रेडिट ब्यूरो, एजेंट, और मीडिया का सहारा लें। लेकिन मामला वहां बिगड़ता है, जब नामांकित व्यक्ति का नाम ही सही से रजिस्टर नहीं होता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसे मामलों में “ट्रस्ट” बनाकर एक ट्रस्टी को नामांकित करना बेहतर है। इससे पैसा सीधे सही हाथों में पहुंचता है, बिना किसी झंझट के। इस पर LIC कंपनी का बयान है कि नामांकित करते समय “इमोशनल” होने की जरूरत नहीं। करीबी रिश्तेदारों को ही नॉमिनी बनाओ। किसी बाहरी व्यक्ति को नामांकित करने पर मोरल रिस्क और कानूनी पचड़े बढ़ सकते हैं।
अब अगर आपको लगता है कि आपका या आपके परिवार का पैसा LIC के पास “गुमनाम” पड़ा है, तो सबसे पहले LIC की वेबसाइट पर जाएं फिर “ग्राहक सेवाएं” सेक्शन में “अनक्लेम्ड राशि” पर क्लिक करें। उसके बाद पॉलिसी नंबर, नाम, जन्मतिथि और PAN कार्ड डिटेल भरें। अगर कुछ समझ न आए, तो नजदीकी LIC शाखा जाएं। इसमें पैन कार्ड की कॉपी, रद्द किया हुआ चेक, पॉलिसी की डिटेल्स, मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) होनी चाहिए। इसके बाद LIC टीम आपके डॉक्यूमेंट की जांच करेगी। सब सही होने पर पैसा सीधे आपके बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगा। LIC और IRDAI जैसे संस्थान आपको इस प्रक्रिया में मदद करने के लिए तैयार हैं।