उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में सोमवार देर रात एक 19 वर्षीय युवक की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान हिमांशु उर्फ चीकू के रूप में हुई है, जो संजय कॉलोनी, गोकुलपुरी का निवासी था। घटना के पीछे कथित तौर पर एक स्थानीय युवती से प्रेम संबंध को वजह बताया जा रहा है, जो मृतक और आरोपी दोनों के ही पड़ोस में रहती थी। दिल्ली पुलिस के अनुसार, 7 अप्रैल को रात करीब 9:14 बजे गोकुलपुरी थाना को चाकूबाजी की सूचना प्राप्त हुई। SHO समेत पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक घायल युवक को स्थानीय लोगों द्वारा जीटीबी अस्पताल ले जाया जा चुका था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने इस संबंध में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1)/3(5) के तहत मामला दर्ज किया है। जांच के दौरान पुलिस ने शाहरुख खान (19) और साहिल खान (22) नामक दो भाइयों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी मृतक के पड़ोसी हैं और संजय कॉलोनी, गोकुलपुरी के ही निवासी हैं। पुलिस के मुताबिक, दोनों भाइयों की बहन का मृतक हिमांशु के साथ प्रेम संबंध था, जिससे वे नाराज़ थे। घटना के प्रत्यक्षदर्शी और मृतक के पिता जोगिंदर के अनुसार, "हमलावरों में से एक ने हिमांशु को सामने से पकड़ा, जबकि दूसरे ने उसकी पीठ में कई बार चाकू घोंपा।" मृतक की मां ने रोते हुए आरोप लगाया कि उनके बेटे की जान सिर्फ इसलिए ले ली गई क्योंकि वह एक लड़की से प्यार करता था। "उसने मरते वक्त मुझसे कहा उन्हें मत छोड़ना… मुझे न्याय चाहिए," मां ने कहा। घटना के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया। परिजन और स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। पुलिस का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इलाके में निगरानी तेज कर दी गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई और तुरंत गिरफ्तार किया गया। एक तीसरे व्यक्ति की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जो इस हमले में शामिल हो सकता है।" प्रारंभिक जांच से यह भी सामने आया है कि मृतक और आरोपी एक-दूसरे को पहले से जानते थे और उनके बीच पहले भी कहासुनी हो चुकी थी। फिलहाल, मृतक हिमांशु के परिजन न्याय की गुहार लगा रहे हैं और समाज के भीतर प्रेम और स्वतंत्रता के अधिकार पर उठते सवालों के बीच यह घटना कई गंभीर सामाजिक संकेत भी छोड़ जाती है।
गेम ऑफ थ्रोन्स" की दुनिया से निकला डायर वुल्फ, अब रियल वर्ल्ड में सांस ले रहा है। यह कोई CGI या काल्पनिक सीन नहीं, बल्कि 21वीं सदी के वैज्ञानिकों द्वारा रचा गया वो वास्तविक चमत्कार है, जिसने एक विलुप्त शिकारी को दोबारा धरती पर उतारा है। अमेरिका की एक बायोटेक कंपनी Colossal Biosciences ने दावा किया है कि उन्होंने डायर वुल्फ जैसे तीन शावकों को जेनेटिक रूप से तैयार कर लिया है, जो अब अमेरिका के एक अज्ञात सुरक्षित स्थान पर ज़िंदगी की पहली साँसें ले रहे हैं। ये शावक डायर वुल्फ के डीएनए से बनाए गए हैं और इन्हें घरेलू भेड़ियों की कोख से जन्म दिया गया है।
ये कोई जादू नहीं, बल्कि जेनेटिक इंजीनियरिंग का सबसे साहसी प्रयोग है। वैज्ञानिकों ने ओहियो से मिले 13,000 साल पुराने डायर वुल्फ के दांत और इदाहो की खुदाई से प्राप्त 72,000 साल पुरानी खोपड़ी के टुकड़ों का डीएनए विश्लेषण किया।
इस प्रक्रिया में प्राचीन डीएनए को डिकोड कर उसे एक आधुनिक घरेलू भेड़िये के अंडाणु में स्थानांतरित किया गया, और फिर उस भ्रूण को एक सरोगेट फीमेल भेड़िये की कोख में विकसित किया गया। 62 दिनों की गर्भावस्था के बाद जन्म हुआ—आधुनिक विज्ञान के सबसे बड़े रोमांचों में से एक का।
इन शावकों की उम्र 3 से 6 महीने है। इनके लंबे सफेद बाल हैं, मांसल जबड़े हैं और फिलहाल वजन 80 पाउंड के आसपास है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये वयस्क होने पर 140 पाउंड तक पहुँच सकते हैं। इनकी बनावट, हावभाव और इंटेंसिटी, सब कुछ डायर वुल्फ की याद दिलाते हैं । लेकिन क्या ये वाकई डायर वुल्फ हैं? या सिर्फ उनका ‘शैडो’? बफेलो यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी विन्सेंट लिंच, जो इस शोध से जुड़े नहीं हैं, साफ कहते हैं आप किसी जीव को सतही तौर पर किसी और जैसा बना सकते हैं, लेकिन एक विलुप्त प्रजाति को पूरी तरह वापस नहीं लाया जा सकता।” यानि कि ये डायर वुल्फ का क्लोन नहीं हैं, बल्कि घरेलू भेड़ियों में डायर वुल्फ के लक्षणों को इंजीनियर कर के बनाया गया एक रूपांतरित वर्ज़न है। इन्हें "रेप्लिका" कह सकते हैं—मूल नहीं, लेकिन बेहद नज़दीक। Colossal Biosciences जैसी कंपनियाँ सिर्फ डायर वुल्फ पर ही नहीं, बल्कि मैमथ (हाथी जैसे विशाल जानवर), तस्मानियन टाइगर, और अन्य विलुप्त जीवों को वापस लाने के मिशन पर काम कर रही हैं। जेनेटिक साइंस ने आज जो किया है, वो रोमांचक भी है और डरावना भी। एक ओर यह विज्ञान की संभावनाओं की उड़ान है, तो दूसरी ओर नैतिकता, इकोलॉजी और जीव विज्ञान के सामने नए सवाल।