नोएडा में सक्रिय हुआ ATM कार्ड बदलने वाला गिरोह
शहर में ATM कार्ड बदलकर बैंक खाता खाली करने वाला गिरोह फिर से सक्रिय हो गया है। नॉएडा सेक्टर-24 थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति के ATM कार्ड को बदलकर गिरोह ने खाते से एक लाख रुपये उड़ा लिए। पीड़ित ने थाने में मामले में शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ित ने शिकायत में बताया कि वो गीझोड के पास ATM बूथ से पैसे निकालने गए थे। इसी दौरान दो शातिर आये और बातों में उलझाकर पीड़ित का ATM कार्ड बदल दिया। घर पहुंच कर मोबाइल पर मैसेज आए तो पीड़ित को बैंक खाते से पैसे निकालने का पता चला। पीड़ित ने तुरंत बैंक और पुलिस अधिकारियों से मामले की शिकायत की। उधर, पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। साइबर पुलिस का कहना है कि सावधान रहें और अपने खाते को सुरक्षित रखें और जाने-अनजाने में भी किसी से अपना पिन व ओटीपी नंबर शेयर न करें।
आग में जलकर 17 बच्चों की मौत
केन्या के प्राथमिक बोर्डिंग स्कूल में लगी भीषण आग की चपेट में आकर 17 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 13 घायल हो गए। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। आग लगने के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है। घटना गुरुवार देर रात की है। न्येरी स्थित एंडरासा एकेडमी हॉस्टल में 14 साल तक के बच्चों को रखा जाता है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि यहां 150 छात्र रह रहे थे। यहां अधिकांश मकान लकड़ी से बने हैं, यही कारण है कि आग तेजी से फैल गई। राष्ट्रपति विलियम रुटो ने घटना को भयावह बताया है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों को घटना की व्यापक जांच के आदेश दिए गए हैं। स्कूल में कुल 824 छात्र पढ़ते हैं, देश के केंद्रीय हाइलैंड्स में राजधानी नैरोबी से 200 किलोमीटर उत्तर में स्थित है, इस जगह पर स्कूलों को बनाने में लकड़ी की संरचनाएं आम हैं।
स्कूल हॉस्टल में कैसे लगी आग?
काम के बोझ की स्थिति को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों द्वारा आग लगाई गई हैं। 2017 में, नैरोबी में एक छात्र द्वारा स्कूल में लगाई गई आग में हाई स्कूल के 10 छात्रों की मौत हो गई। सबसे घातक आग लगने की घटना स्कूल में साल 2001 में सामने आई थी, जब मचाकोस काउंटी में एक छात्रावास में आग लगने से 67 छात्रों की मौत हो गई थी। बता दें, हाल ही में शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, केन्याई बोर्डिंग स्कूलों में स्कूल में आग लगना आम बात है, जो अक्सर नशीली दवाओं के दुरुपयोग और भीड़भाड़ के कारण होने वाली आगजनी के कारण होती है। कई छात्र स्कूल में ही रुकते हैं क्योंकि माता-पिता का मानना है कि इससे उन्हें लंबे सफर के बिना पढ़ाई के लिए अधिक समय मिल जाता है।