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Breaking News 8 October 2025

1 ) Nobel 2025: Discoveries That Changed The World

दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान नोबेल पुरस्कार 2025  का एलान स्टॉकहोम और ओस्लो के मंच से शुरू हो चुका है। साल बदल गया, लेकिन वो जादू नहीं, जो हर अक्टूबर में स्वीडन की ठंडी हवा में तैरता है  जब कुछ वैज्ञानिक, लेखक, या शांतिदूत अपनी खोजों से इंसानियत को नया मोड़ देते हैं। तो चलिए, शुरू करते हैं किसे मिला, क्यों मिला और इसका मतलब हम सबके लिए क्या है…

इस साल मेडिसिन का नोबेल गया Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell और Shimon Sakaguchi को तीनों ने मिलकर उस सिस्टम की गुत्थी सुलझाई, जो हमारे शरीर को खुद से लड़ने से रोकता है। इन्हीं की खोज ने दुनिया को बताया कि regulatory T cells (FOXP3 gene) कैसे हमारे शरीर में “इम्यून पुलिस” की तरह काम करती हैं जो तय करती है कि शरीर खुद अपनी कोशिकाओं को गलती से दुश्मन न समझ ले।

 इसका मतलब? अब autoimmune diseases (जैसे diabetes, arthritis, lupus) और organ transplant rejection के इलाज में नई उम्मीदें हैं। यानी, इन वैज्ञानिकों ने हमें सिखाया कि कभी-कभी लड़ाई जीतने से ज़्यादा ज़रूरी होता है सही लड़ाई को रोकना। अब बात साइंस की उस दुनिया की, जो सुनने में कहानी लगती है लेकिन असल में हमारे भविष्य का ब्लूप्रिंट है। फिजिक्स का नोबेल गया John Clarke, Michel H. Devoret और John M. Martinis को क्योंकि इन्होंने दिखाया कि “क्वांटम” कोई लैब की चीज़ नहीं, बल्कि असली दुनिया में भी खेल सकता है। इन्होंने अपने प्रयोगों से साबित किया कि macroscopic quantum tunneling यानी बड़े स्तर पर क्वांटम छलांग संभव है। नतीजा? अब quantum computers, ultra-sensitive sensors और superconducting circuits का रास्ता साफ। जो आज फिजिक्स की किताबों में है, वो कल तुम्हारे फोन और लैपटॉप में होगा। मतलब, अगर मेडिसिन वालों ने शरीर को बचाया, तो फिजिक्स वालों ने दिमाग को भविष्य से जोड़ दिया।

 Chemistry: कल घोषित होगी…

अब बारी है केमिस्ट्री की  जिसका जानकारी आज शाम तक पता चलेगी, अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि इस बार फोकस ग्रीन केमिस्ट्री, नए कैटालिस्ट्स और मोलेक्युलर डिज़ाइनिंग पर होगा। मतलब, वह साइंस जो इंसान को ज़्यादा स्मार्ट और धरती को ज़्यादा सेफ़ बनाए। 9 अक्टूबर को आएगा नाम उस लेखक का, जिसने शब्दों से दुनिया को हिलाया। हर साल की तरह ये भी रहस्य में लिपटा है कोई अफ्रीकी लेखक, कोई एशियाई कवि, या कोई रूसी उपन्यासकार पर एक बात तय है, इस नाम के साथ साहित्य की ताकत फिर साबित होगी कि शब्द गोली से ज़्यादा असरदार होते हैं। 10 अक्टूबर, ओस्लो। यहीं मिलेगा Nobel Peace Prize 2025, उस इंसान या संस्था को जिसने हिंसा की जगह उम्मीद बोई। दुनिया में जब हर कोना बारूद से भर रहा है  गाज़ा, यूक्रेन, अफ्रीका तब ये अवॉर्ड हमें याद दिलाता है कि “शांति कोई सपना नहीं, बल्कि इंसानियत की आखिरी उम्मीद है।” अंत में 13 अक्टूबर को आएगा अर्थशास्त्र का नोबेल जो बताएगा कि पैसा सिर्फ कमाने की चीज़ नहीं, बल्कि समाज चलाने की भी ताकत है। संभावना है कि इस बार फोकस कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और आर्थिक असमानता पर होगा। क्योंकि अब दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती यह नहीं कि पैसे हैं या नहीं बल्कि यह कि किसके पास हैं। अनुमान है कि विजेता को मिलेंगे 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (SEK) यानी लगभग ₹8.6 करोड़ भारतीय रुपये।  2025 के विजेताओं ने ये साबित कर दिया  कभी कोई कोशिका बचाता है, कभी कोई इलेक्ट्रॉन को झुकाता है, कभी कोई शब्दों से दिल जीतता है और कभी कोई इंसानियत को फिर से जगाता है। subscribe करे ग्रेट पोस्ट न्यूज.