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Breaking News 8 May 2025

 

 1 ) पहली बार दो महिला सैन्य अधिकारियों बताया रणनीति की पूरी कहानी

भारत ने पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले का ऐसा जवाब दिया है, जिसे इतिहास लंबे समय तक याद रखेगा। “ऑपरेशन सिंदूर” के नाम से हुए इस संयुक्त सैन्य अभियान में भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंक के 9 अड्डों को निशाना बनाकर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया। इस एयर-सर्जिकल स्ट्राइक में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। लेकिन इस ऑपरेशन की सबसे खास बात सिर्फ सैन्य जवाब नहीं, बल्कि उसका नेतृत्व करने वाली वो दो बहादुर महिलाएं हैं, जिन्होंने देश के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आकर सैन्य कार्रवाई की रणनीति, तकनीक और सफलता की पूरी कहानी साझा की । कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, ये नाम अब सिर्फ वर्दी नहीं, प्रेरणा, पराक्रम और प्रतीक बन चुके हैं। इन दोनों सैन्य अफसरों ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ प्रेस को ब्रीफ किया और बताया कि यह कार्रवाई सिर्फ बदले की कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है—भारत अब हर आतंकी हमले का जवाब उसी भाषा में देगा, लेकिन कहीं ज़्यादा असरदार तरीके से।

कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?

गुजरात की रहने वाली और भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी, कर्नल सोफिया का रिश्ता सेना से पीढ़ियों पुराना है। उनके दादा और पिता दोनों भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन पाने के बाद उन्होंने कई संवेदनशील पोस्टिंग्स और काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन को लीड किया। वो 2006 में संयुक्त राष्ट्र पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में तैनात रहीं और 2016 में इतिहास रच दिया—जब उन्होंने Exercise Force 18 में भारत की 40-सदस्यीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया। वो किसी भी मल्टीनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज़ में भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं। इस अभ्यास में अमेरिका, चीन, जापान, रूस समेत 18 देशों की सेनाएं शामिल थीं। भारतीय वायुसेना की अनुभवी हेलिकॉप्टर पायलट व्योमिका सिंह के नाम 2500 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है। वो हर तरह की भौगोलिक परिस्थितियों में उड़ान भर चुकी हैं—चाहे वो पहाड़ हों, रेगिस्तान या फिर घने जंगल। व्योमिका सिर्फ एक कुशल पायलट ही नहीं, बल्कि ऑपरेशनल रणनीति में भी निपुण हैं। उन्होंने प्रेस को बताया कि इस ऑपरेशन की प्लानिंग महीनों से की जा रही थी, लेकिन एकदम सटीक समय का इंतज़ार था। कर्नल सोफिया ने बताया कि यह ऑपरेशन 1:05 से 1:30 के बीच अंजाम दिया गया। टारगेट स्पष्ट थे—लॉन्चपैड्स, ट्रेनिंग कैंप्स और आतंकी ठिकाने। “पाकिस्तान में आतंक की फैक्ट्री तीन दशक से चल रही है। पहलगाम में जो हुआ, वो इसका ताज़ा उदाहरण था। हमने नौ ठिकानों को चिन्हित कर एक ही समय पर सटीक हमले किए,” उन्होंने कहा। महज प्रेस ब्रीफिंग करने आई दो महिलाएं नहीं थीं वो—बल्कि वो चेहरें थीं एक ऐसे बदलाव के, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं, बल्कि नेतृत्व, समर्पण और संवेदनशीलता से लैस है।

 

2.)  धोनी ने फिर साबित किया ‘The Finisher Is Forever

 

आईपीएल 2025 का 57वां मुकाबला जबरदस्त रोमांच से भरा रहा, जहां चेन्नई सुपर किंग्स ने कोलकाता नाइट राइडर्स को 2 विकेट से हराकर एक शानदार जीत दर्ज की। पहले बल्लेबाजी करते हुए केकेआर ने 20 ओवर में 6 विकेट पर 179 रन बनाए। जवाब में सीएसके ने आखिरी ओवर में आठ विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। चेन्नई के लिए डेवाल्ड ब्रेविस ने 52 रन और शिवम दुबे ने 45 रनों की अहम पारी खेली, लेकिन असली आकर्षण रहे महेंद्र सिंह धोनी, जिन्होंने 18 गेंदों पर नाबाद 17 रन बनाकर न सिर्फ मैच जिताया, बल्कि इतिहास भी रच दिया। धोनी अब आईपीएल इतिहास में 100 बार नाबाद रहने वाले पहले और इकलौते बल्लेबाज बन चुके हैं। उनसे पहले ये मुकाम किसी बल्लेबाज ने नहीं छुआ था। उनके बाद इस सूची में रविंद्र जडेजा (80), कीरोन पोलार्ड (52), दिनेश कार्तिक (50) और डेविड मिलर (49) जैसे बड़े नाम आते हैं। धोनी की यह उपलब्धि बताती है कि वह सिर्फ एक कप्तान या फिनिशर नहीं, बल्कि रिकॉर्ड्स के बादशाह भी हैं। इतना ही नहीं, धोनी ने विकेटकीपिंग में भी नया रिकॉर्ड बना दिया है। अब वह आईपीएल में सबसे ज्यादा 200 डिस्मिसल करने वाले पहले विकेटकीपर बन गए हैं, जिसमें 153 कैच और 47 स्टंपिंग शामिल हैं। ये आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं, धोनी की सालों की मेहनत, फिटनेस और क्रिकेटिंग माइंड के गवाह हैं। दरअसल, आईपीएल में जब भी इतिहास लिखा जाता है, उसमें 'माही' नाम जरूर होता है। एक बार फिर धोनी ने साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और जुनून अगर माही जैसा हो, तो हर मैदान जीतना तय है।

 

 

3.)  पुंछ में गोलाबारी का दर्द और टूटे सपनों की चीखें

 

"हमने सोचा था कि अब गोलियों की आदत हो गई है... लेकिन आज जो देखा, उसने कारगिल की याद दिला दी।" – यह शब्द हैं एक बुज़ुर्ग सिख के, जिनकी आंखों के सामने बुधवार को चार जनाजे उठे, एक गुरुद्वारा खंडहर हुआ और कई घरों में चूल्हे ठंडे पड़ गए। बुधवार को पाकिस्तान की ओर से पुंछ जिले में की गई भीषण गोलाबारी ने न केवल सीमावर्ती इलाके की चुप्पी तोड़ी, बल्कि कई मासूम ज़िंदगियों को लील लिया। इस बर्बर हमले में स्थानीय सिख समुदाय के चार लोगों – अमरीक सिंह, रंजीत सिंह, अमरजीत सिंह और रूबी कौर की जान चली गई। एक गुरुद्वारे की दीवारें तक इस वहशत की गवाही दे रही हैं। अमरजीत सिंह, 50 वर्षीय पूर्व सैनिक, जो गुरुद्वारे में तबला बजाते थे और हर सुबह पाठ करते थे – आज शांत हैं। उनकी पत्नी, बेटा और बेटी के आंसू अब किसी भी शांति प्रस्ताव में नहीं सूख सकते अमरीक सिंह, सिर्फ एक दुकानदार नहीं थे। वह भजन गाते थे, रागी थे, और परिवार के इकलौते कमाने वाले थे।
रंजीत सिंह भी दुकानदार थे – उनकी दुकान का मलबा अब उनकी चिता की राख में मिल गया है। रूबी कौर – 32 साल की गृहिणी, तीन बच्चों की मां – अब सिर्फ एक नाम है, जो मनकोट की एक टूटी दीवार पर लिखा रह गया है। स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नरिंदर सिंह की आंखों में सवाल हैं – "क्या यह वही पुंछ है, जहाँ हम शांति की उम्मीद करते थे?" यह वही पुंछ है जहाँ करीब 25 से 30 हजार सिख रहते हैं। वर्षों से सीमा की गोलियों के बीच जीना सीख लिया था, पर बुधवार ने साबित कर दिया कि कोई भी सुरक्षा भ्रम से ज़्यादा कुछ नहीं। गुरुद्वारे की क्षतिग्रस्त दीवारें और शांत पड़ी गलियों में अब सिर्फ एक मांग गूंज रही है – इंसाफ। सवाल यह नहीं कि पाकिस्तान ने क्यों गोलीबारी की, सवाल यह है कि हम कब तक इन हमलों में अपनों को खोते रहेंगे? सवाल यह भी है कि जिन बच्चों की मां की गोद छिन गई, उन मासूमों की जिम्मेदारी अब किसके कंधे पर है ।