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Breaking News 8 January 2025

1.)  SGL के IPO का पहले दिन धुआंधार रिस्पॉन्स, निवेशकों में लगी होड़!

 

निवेश की दुनिया में इन दिनों सबसे बड़ी चर्चा का विषय स्टैंडर्ड ग्लास लाइनिंग टेक्नोलॉजी का IPO है। 6 जनवरी को लॉन्च हुआ यह IPO पहले ही दिन निवेशकों के बीच सुपरस्टार बन गया। कंपनी ने 410.05 करोड़ रुपये के इश्यू साइज के साथ शानदार एंट्री की, जिसमें से 210 करोड़ रुपये फ्रेश इश्यू और 200.05 करोड़ रुपये ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए जुटाए जा रहे हैं। प्रति शेयर का प्राइस बैंड ₹133-₹140 तय किया गया है, और न्यूनतम लॉट साइज 107 शेयरों का रखा गया है। IPO खुलते ही निवेशकों की लाइन लग गई, और पहले दिन यह 34 गुना सब्सक्राइब हुआ। रिटेल इन्वेस्टर्स ने इसे 33 गुना, नॉन-इंस्टिट्यूशनल निवेशकों (NII) ने 81 गुना, और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) ने 4.6 गुना सब्सक्राइब किया। कुल मिलाकर, 2,08,29,567 शेयरों के मुकाबले 72,58,72,378 शेयरों की बोलियां आईं। ग्रे मार्केट में भी इस IPO का प्रदर्शन शानदार रहा। इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ₹95-₹100 के बीच दर्ज किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि लिस्टिंग के समय निवेशकों को 65-67% का मुनाफा हो सकता है। इसका मतलब है कि जिसने ₹140 के प्राइस पर शेयर खरीदे हैं, वह लिस्टिंग के दिन इन्हें ₹235-₹240 के बीच बेच सकता है।

स्टैंडर्ड ग्लास लाइनिंग कंपनी ?

2012 में स्थापित यह कंपनी फार्मास्यूटिकल और केमिकल सेक्टर के लिए खास इंजीनियरिंग उपकरण बनाती है। अपनी प्रोडक्ट क्वालिटी और शानदार ट्रैक रिकॉर्ड की वजह से यह दोनों सेक्टर्स में एक मजबूत खिलाड़ी बन चुकी है। ब्रोकरेज हाउस भी इसे सब्सक्राइब करने की सलाह दे रहे हैं। उनका मानना है कि कंपनी का फाइनेंशियल प्रदर्शन मजबूत है और यह तेजी से ग्रो कर रहे सेक्टर्स का हिस्सा है। यह IPO निवेशकों के लिए लिस्टिंग गेन का एक बड़ा मौका है। बेहतरीन सब्सक्रिप्शन आंकड़े और ग्रे मार्केट प्रीमियम इसे निवेश का एक शानदार विकल्प बनाते हैं। स्टैंडर्ड ग्लास लाइनिंग टेक्नोलॉजी का IPO नए निवेशकों के लिए एक बेहतरीन मौका साबित हो सकता है।

 

2.) दिल्ली चुनाव में कौन से मुद्दे रहेंगे हावी?   

 

चुनाव आयोग ने कल दोपहर दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें, दिल्ली में इस बार विधानसभा चुनाव सिंगल फेज में होंगे, 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। इस बार यह मुकाबला तीन बड़े दलों- सत्तासीन आम आदमी पार्टी, विपक्षी भाजपा और पिछले चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने वाली कांग्रेस के बीच हो रहा है। तीनों ही दल अपने पिछले प्रदर्शन से कहीं बेहतर सीटें लाने का दावा कर रहे हैं। दिल्ली में बीते 12 वर्षों से आम आदमी पार्टी की सरकार रही है। पार्टी ने साल 2013, 2015 और फिर 2020 के चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की, लेकिन इस बार का चुनाव दिलचस्प होने की बड़ी वजह है पार्टी पर लगे आरोप। बता दें, पहले तीन चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली का कार्यभार बेदाग छवि के साथ संभाला। हालांकि, इस बार पहले शराब घोटाला उसके बाद मुख्यमंत्री बंगले के रेनोवेशन से जुड़े आरोप सामने आने के चलते केजरीवाल और आप की राह आसान नजर नहीं आ रही। इतना ही नहीं भाजपा और कांग्रेस ने भी अपनी उम्मीदवारों की लिस्ट में कद्दावर नेताओं का नाम देकर और केजरीवाल के तर्ज पर योजनाओं का एलान कर यह बता दिया है कि वह इस चुनाव में कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। इसके अलावा प्रमुख मुद्दे कुछ इस प्रकार रहने वाले हैं;

 

 यमुना की सफाई

दिल्ली विधानसभा चुनावों में यमुना नदी की सफाई से जुड़ा मुद्दा अहम रहने वाला है। बीते दस वर्षों से केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते आप की सरकार ने वादा किया था कि उसके सरकार में आने के बाद यमुना नदी को इतना साफ कर दिया जाएगा कि लोग उसमें डुबकी लगा सकेंगे। हालांकि, 12 वर्ष बाद भी इस पवित्र नदी की स्थिति बद से बदतर हो गई है। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी ने यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़ी धनराशि भी खर्च की है, लेकिन धरातल पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला है। इसके उलट दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना और दिल्ली हाईकोर्ट तक ने आप सरकार की खिंचाई की है और उससे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहा है। इस पर विपक्ष ने आप को घेरते हुए कहा कि दिल्ली सरकार को यमुना की सफाई के लिए हजारों करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई, लेकिन केजरीवाल की सरकार ने यह पैसा अपने झूठे प्रचार पर खर्च कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्ट शासन के कारण दिल्ली से पैदा होने वाले गन्दे जल को एसटीपी में साफ नहीं किया जा रहा है और इसकी कीमत यमुना और दिल्ली वालों को भुगतनी पड़ रही है। 

 मनी लॉन्ड्रिंग-शराब घोटाला केस

दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी उसके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, जिसके चलते बीते कुछ वर्षों में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन जैसे शीर्ष नेताओं को जेल तक जाना पड़ा है। गत सालों में दिल्ली सरकार पर लगे सबसे बड़े आरोपों में से एक रहा मनी लॉन्ड्रिंग और शराब घोटाला केस से जुड़ा आरोप, जिसे लेकर विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस दोनों ही केजरीवाल और दिल्ली सरकार पर हमलावर हैं।

शीशमहल मुद्दा

दिल्ली के विधानसभा चुनाव से पहले जो एक और मुद्दा आप के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनकर उभरा है, वह है अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते उनके आवास में किया गया रेनोवेशन का मुद्दा। बता दें, हाल ही में CAG ऑडिटर रिपोर्ट के हवाले से आई एक अखबार में दावा किया गया है कि शुरू में सीएम के आवास के रेनोवेशन की लागत 7.91 करोड़ रुपये बताई गई थी, बाद में साल 2020 में करीब 8.62 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया, लेकिन साल 2022 में जब इसे पूरा किया गया तो इसकी कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये थी। पिछले एक साल से शीशमहल के मुद्दे को उठा रही भाजपा को इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद केजरीवाल पर वार करने का और मौका मिल गया। भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने CAG रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बंगले पर 75 से 80 करोड़ रुपये खर्च किए थे। विपक्ष का कहना है कि साल 2020 में जब दिल्ली की जनता अपने लोगों को खो रही थी, उस समय अरविंद केजरीवाल अपना शीशमहल बनवा रहे थे। आवास के रेनोवेशन के लिए किसी भी सरकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई, इसके निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। PWD विभाग ने साल 2024 में जो इन्वेंटरी घोषित की और जो समान दिखाया है कि यह PWD ने नहीं लगाया है, वह समान कहां से आया। वह किसका पैसा है? इसका जवाब अरविंद केजरीवाल को देना होगा।

'शीशमहल v/s राजमहल', क्या है मामला?

बीते दिन मंगलवार को चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद से सत्ता का सियासी संग्राम शुरू हो गया है। दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को एक चरण में चुनाव होगा और नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। इस बीच दिल्ली में 'शीशमहल' मामले को लेकर सियासत गर्म है। जहां भाजपा इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी को घेरने में लगी है वहीं अब आप नेता संजय सिंह ने भाजपा के नेताओं को खुली चुनौती दे दी है। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने 2700 करोड़ रुपये में बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलीशान 'राजमहल' को भाजपा को दिखाने की चुनौती दी। संजय सिंह के मुताबिक बुधवार सुबह वह मीडिया के साथ पहले मुख्यमंत्री आवास 'शीशमहल' जाएंगे और उसके बाद प्रधानमंत्री का आवास देखने जाएंगे। संजय सिंह ने भाजपा से मांग की है कि वह पीएम का राजमहल सबको दिखाएं। संजय सिंह के एलान के बाद से मुख्यमंत्री आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, पुलिस बल के साथ अर्धसैनिक बल की तैनाती की गई है। बता दें, संजय सिंह का आरोप है कि पीएम मोदी के 2,700 करोड़ रुपये में बने राजमहल में 300 करोड़ की कालीन बिछी हुई है, 200 करोड़ का झूमर लगा है और वह 10 लाख के पेन, 6,700 जोड़ी जूते व 5,000 सूट का इस्तेमाल करते हैं। हम यह चाहते हैं कि दिल्ली और देश के लोगों को सच्चाई पता चले।

 

3.) सड़क सुरक्षा को लेकर गडकरी की बड़ी बैठक: क्या है अगला कदम?

 

दिल्ली के भारत मंडपम में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को सड़क सुरक्षा पर काफी अहम् और जरुरी घोषणाएं कर 'कैशलेस ट्रीटमेंट' योजना का ऐलान किया। गडकरी ने बताया कि सड़क दुर्घटना के तुरंत बाद पीड़ितों के इलाज के लिए सरकार मदद करेगी। अगर दुर्घटना के बारे में पुलिस को 24 घंटे के भीतर सूचित किया जाता है, तो सरकार सात दिन के इलाज का खर्च या अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का खर्चा सरकार उठाएगी। अब हादसा हुआ तो आपको मेडिकल बिल की चिंता नहीं, सरकार की पूरी मदद मिलेगी। साथ ही, नितिन गडकरी ने हिट-एंड-रन मामलों में मृतकों के परिवारों के लिए भी दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। उनका कहना था, "अब हम कैशलेस ट्रीटमेंट योजना की शुरुआत कर रहे है, जिसमें दुर्घटना के 24 घंटे के भीतर सूचना मिलने पर इलाज का खर्च 1.5 लाख रुपये तक का होगा। हिट-एंड-रन मामलों में मृतकों के परिवार को भी दो लाख रुपये मिलेंगे।" इस घोषणा के साथ, उन्होंने सड़क सुरक्षा को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए इसे हर नागरिक की सुरक्षा से जुड़ा विषय बताया। गडकरी ने 2024 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों के आंकड़े साझा किए। उन्होंने बताया कि इस साल करीब 1.80 लाख लोगों की जान सड़क हादसों में गई, जिनमें से 30 हजार मौतें सिर्फ हेलमेट न पहनने के कारण हुईं। उनका कहना था कि हेलमेट के उपयोग की कमी से दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या बढ़ रही है, खासकर युवा वर्ग में। गडकरी ने यह भी कहा कि 66 प्रतिशत दुर्घटनाएं 18 से 34 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में हुईं, जो कि एक चिंता का विषय है। यह बैठक दिल्ली में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की ओर से आयोजित की गई थी, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक का उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और सड़क सुरक्षा, यातायात नियमों और परिवहन नीतियों पर चर्चा करना था। गडकरी ने इस मौके पर सभी मंत्रीगणों से अपील की कि वे सड़क सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाएं और सभी को सुरक्षित यात्रा का अवसर प्रदान करें।

बच्चो की सुरक्षा 

गडकरी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए भी बड़ी बात की! उन्होंने बताया कि स्कूल और कॉलेजों के पास सुरक्षा इंतज़ामों की कमी के कारण 10,000 बच्चों की जान जा चुकी है। और यह तो गडकरी साहब ने साफ-साफ कहा "हमारे स्कूलों और कॉलेजों के बाहर एंट्री-एग्जिट पॉइंट पर सुरक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चों की जान जा रही है। हम अब नियम बनाएंगे, ताकि इन क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। आगे गडकरी ने ये भी कहा कि सड़क पर कई ऐसे "ब्लैक स्पॉट्स" हैं जहां हादसों का खतरा ज्यादा है। इन जगहों को चिह्नित करके इन्हें ठीक किया जाएगा, ताकि इन हादसों को रोका जा सके। इसके साथ ही स्कूलों के पास ऑटो और मिनी बसों के लिए सुरक्षा के नए नियम भी लागू किए जाएंगे। गडकरी ने यह बैठक दिल्ली में आयोजित की, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने सभी से अपील की कि सड़क सुरक्षा को सबसे बड़ी प्राथमिकता दें। तो अगर आप सड़क पर निकल रहे हैं, तो ध्यान रखिए, गडकरी की योजना आपके साथ है! हेलमेट पहनिए, सुरक्षित रहिए, और दुर्घटना की चिंता छोड़िए, क्योंकि अब इलाज सरकार का है। इन घोषणाओं के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि सड़क सुरक्षा के मामले में सुधार आएगा और दुर्घटनाओं में कमी आएगी, खासकर हेलमेट पहनने और बच्चों की सुरक्षा को लेकर।

 

4.)सरकार का एलान, 1.5 लाख रुपये तक का मिलेगा उपचार 

 

केंद्र की मोदी सरकार सड़क हादसों के पीड़ितों को बड़ी राहत देने जा रही है। बता दें, सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले लोगों को अब कैशलेस उपचार मिल सकेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बीते दिन भारत मंडपम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों के साथ बैठक की थी। इसमें परिवहन संबंधी नीतियों और केंद्र व राज्य के बीच सहयोग को लेकर चर्चा की गई। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि हमने कैशलेस उपचार की योजना शुरू की है, जिसके तहत हादसों के पीड़ितों के सात दिन के इलाज का 1.5 लाख रुपये का खर्च सरकार उठाएगी। गडकरी ने कहा कि अगर पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सूचना दे दी जाती है तो सरकार इलाज का खर्च उठाएगी। इसके साथ ही उन्होंने हिट एंड रन के मामलों में भी मृतक के पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपये तक का मुआवजा देने का एलान किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

कब से देश में लागू होगी योजना?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते दिन मंगलवार को कहा कि सड़क पर किसी भी प्रकार के वाहनों के कारण हादसा होने पर घायलों को सात दिन तक प्रति दुर्घटना, प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिलेगा। इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की होगी। उन्होंने यह भी बताया कि संसद के अगले सत्र में 'मोटर वाहन संशोधन कानून' सदन में पेश किया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले वर्ष 14 मार्च को सड़क दुर्घटना पीड़ितों को 'कैशलेस' उपचार प्रदान करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस योजना को शुरुवात में छह राज्यों में लागू किया गया। नितिन गडकरी ने कहा कि असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह योजना सफल रही है। अब तक इसके जरिये 2100 लोगों की जान बचाई गई है और अब मार्च, 2025 से इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है।

ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर पॉलिसी की शुरुवात

नितिन गडकरी ने बताया कि वर्ष 2024 में सड़क हादसों में जिन 1.80 हजार लोगों की मृत्यु हुई है, उसमें से करीब 35 हजार मौतें बिना ड्राइविंग लाइसेंस वाले ड्राइवरों की वजह से हुई हैं। ड्राइवर ट्रेंड हों, इसके लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइवर ट्रेनिंग पॉलिसी को लांच किया है, इस योजना के तहत देशभर में 1250 नए ट्रेनिंग और फिटनेस सेंटर खोले जाएंगे। इसमें मंत्रालय की ओर से करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इन सेंटरों से करीब 25 लाख नए ड्राइवर ट्रेनिंग लेकर लाइसेंस के साथ निकलेंगे और उनको रोजगार मिलेगा, वहीं करीब 15 लाख लोगों को इन सेंटरों में रोजगार मिलेगा। साथ ही हर जिले में एक आटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर की भी स्थापना होगी। सोमवार को 27 राज्यों के परिवहन सचिवों और परिवहन आयुक्तों के साथ केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी.उमाशंकर ने बैठक की, जबकि मंगलवार को नितिन गडकरी ने परिवहन मंत्रियों के साथ बैठक की।

 

5.) क्या इतिहास में पहली बार भारतीय मूल की महिला बनेंगी कनाडा की प्रधानमंत्री?

 

सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी और प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। जनता के सामने कारण साफ है वो न सिर्फ अपनी पार्टी के , बल्कि जनता का भी भरोसा खो चुके थे। जस्टिन ट्रूडो के इस फैसले के बाद अब सवाल उठ रहा है कि कनाडा का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा?  तो यहां पर सबसे बड़ा नाम सामने आ रहा है अनीता आनंद का। अगर लिबरल पार्टी उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करती है, तो वो कनाडा की पहली अश्वेत और भारतीय मूल की महिला प्रधानमंत्री बन जाएंगी। नए प्रधानमंत्री के चुनाव का रास्ता 24 मार्च तक साफ हो जाएगा। इस दौड़ में अनीता आनंद सबसे आगे हैं। फिलहाल, उनकी उम्मीदवारी पर पार्टी के अंदर सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है। अनीता आनंद जो अब तक परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री रही हैं, इससे पहले वह पब्लिक सर्विस, राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय और ट्रेजरी बोर्ड जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। आज यानी 8 जनवरी को लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा की नेशनल कॉकस मीटिंग होगी, जिसमें अनीता के नाम पर सहमति बनने की पूरी संभावना है। अब सवाल ये है कि क्या अनीता आनंद इस बार इतिहास रचते हुए प्रधानमंत्री बन पाती हैं, या फिर कोई और उनके रास्ते में आकर उनके सपनों को ध्वस्त कर देता है?

कौन है अनीता आनंद ? 

अनीता आनंद का जन्म 20 मई 1967 को कनाडा के नोवा स्कॉटिया प्रांत के केंटविल में हुआ था। उनके पिता तमिलनाडु से थे और माता पंजाब से थीं, और दोनों ही डॉक्टर थे। अनीता ने 2019 में ओकविल से लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर सांसद बनने के बाद से ही राजनीति में एक मजबूत जगह बनाई। वह पब्लिक सर्विस, राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय और ट्रेजरी बोर्ड की अध्यक्षता कर चुकी हैं। 2024 से वह परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्रालय का कार्यभार संभाल रही हैं। उनकी राजनीति में सफलता को देखते हुए यह माना जा रहा है कि लिबरल पार्टी के भीतर उन्हें प्रधानमंत्री बनने की पूरी संभावना है। अनीता ने हमेशा अपनी कड़ी मेहनत और काबिलियत से खुद को साबित किया है, और अब प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में उनका नाम सबसे आगे है। 

जस्टिन ट्रुडो की गलती और इस्तीफे का कारण ? 

कनाडा की जनता के बीच ट्रूडो की सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा था। कोविड-19 महामारी के दौरान, ट्रूडो की सरकार की नीतियों और निर्णयों पर आलोचना हुई। इसके अलावा, महंगाई, बेरोजगारी, और विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लेकर भी जनता में निराशा थी। कुछ मामलों में, ट्रूडो की सरकार ने बड़े विवादों का सामना किया, जैसे कि 'लव' और 'हसीना वाजिद' जैसे घोटाले, जिनसे उनकी छवि को नुकसान हुआ। ट्रूडो के नेतृत्व में कई व्यक्तिगत विवाद भी सामने आए। 2019 में, एक पुराने फोटो में ट्रूडो को काले रंग का मेकअप लगाए हुए देखा गया था। इसके बाद उनकी छवि पर बहुत से सवाल उठे। इसके अलावा, उनके परिवार और निजी जीवन से जुड़ी कुछ अन्य घटनाओं ने भी उनके खिलाफ सार्वजनिक राय को प्रभावित किया।  इन सभी विवादों के वजह से आखिरकार ट्रुडो को इस्तीफा देना पड़ा।

 

6.)  भारतीय सिनेमा और ऑस्कर का रिश्ता ? 

 

भारतीय सिनेमा के लिए ऑस्कर का सफर हमेशा से संघर्षपूर्ण रहा है। ऑस्कर 2025 के लिए भारत से सात फिल्में शॉर्टलिस्ट हुई है। अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ने इस साल के ऑस्कर के लिए एलिजिबल 323 फीचर फिल्मों की सूची जारी की है। जिसमे से 207 फिल्मों ने बेस्ट पिक्चर की रेस में जगह बनाई है। ऑस्कर 2025 के लिए भारत से सात फिल्मों का शॉर्टलिस्ट होना बेशक एक बड़ी बात है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये फिल्में नॉमिनेशन की फाइनल लिस्ट तक पहुंच पाएंगी? भारतीय सिनेमा के लिए ऑस्कर का सफर हमेशा से संघर्षपूर्ण रहा है। 'कंगुवा,' 'संतोष,' 'आडुजीविथम,' 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर,' 'गर्ल्स विल बी गर्ल्स,' 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट,' और 'अनुजा' जैसी फिल्में विविधता और गहराई दिखाती हैं । 'लापता लेडीज' की किस्मत ने साथ नहीं दिया, लेकिन बाकी भारतीय फिल्में जरूर कमाल करेंगी। वहीँ इतिहास को देखें तो भारतीय फिल्में बार-बार ऑस्कर की रेस में शामिल तो होती हैं, लेकिन नॉमिनेशन तक पहुंचने में अक्सर विफल रहती हैं। हालांकि, 2023 में 'RRR' के गाने 'नाटू-नाटू' ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया। यह जीत इसलिए खास थी क्योंकि यह पहली बार हुआ था जब किसी भारतीय फिल्म ने मेन ऑस्कर कैटेगरी में जीत हासिल की। यह दिखाता है कि भारतीय सिनेमा की प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है तो क्या बाकी फिल्में इस वजह से पीछे रह जाती है क्यूंकि उनकी मार्केटिंग RRR जैसे विदेशो में अच्छे से नहीं हो पाती है ? 97वें अकादमी पुरस्कार समारोह को अब सिर्फ दो महीने बाकी हैं, अब अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ने इस साल के ऑस्कर के लिए एलिजिबल 323 फीचर फिल्मों की सूची जारी की है। इनमें से 207 फिल्में प्रतिष्ठित पुरस्कारों में बेस्ट पिक्चर कैटेगरी की पात्रता जरूरतों पर खरी उतरी हैं। मतदान आज यानी 8 जनवरी 2025 से शुरू हो चुका है और 12 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद 17 जनवरी को अकादमी यह बताएगी कि फाइनल नॉमिनेशन की लिस्ट में कौन शामिल हुआ। क्या इस बार कोई भारतीय फिल्म बाजी मारेगी? या फिर ये उम्मीदें केवल सूची तक ही सीमित रहेंगी? ऑस्कर ने 10 श्रेणियों में शॉर्टलिस्ट की भी घोषणा की है। इनमें एनिमेटेड शॉर्ट, डॉक्यूमेंट्री फीचर, डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट, इंटरनेशनल फीचर, लाइव एक्शन शॉर्ट, मेकअप और हेयरस्टाइलिंग, ओरिजिनल स्कोर, ओरिजिनल सॉन्ग, साउंड और विजुअल इफेक्ट्स शामिल हैं। 

पिछले फिल्मों का उदाहरण: क्या कमी रह गई? 

पाथेर पांचाली (1955), सत्यजीत रे की यह मास्टरपीस भारतीय सिनेमा की आत्मा है। इसे इंटरनेशनल लेवल पर खूब सराहा गया, लेकिन ऑस्कर की सूची में जगह नहीं मिली। मदर इंडिया (1957) पहली भारतीय सिनेमा की फिल्म थी जिसने पहली बार ऑस्कर में नॉमिनेशन पाया था। यह फिल्म गरीबी, संघर्ष और मातृत्व की भावनाओं को दिखाती है। इसके डाइरेक्टर महबूब खान थे। लगान (2001), आमिर खान की यह फिल्म न केवल भारतीय सिनेमा बल्कि दर्शकों के दिलों में अमर है। क्रिकेट और उपनिवेशवाद का अनोखा मेल होने के बावजूद यह बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म का ऑस्कर नहीं जीत सकी। तो क्या जूरी का झुकाव  सिर्फ पश्चिमी नैरेटिव की ओर होता है? इन सवालों का जवाब तभी मिलेगा जब भारत से गई ये सात फिल्में ऑस्कर की फाइनल नॉमिनेशन लिस्ट तक पहुंचेंगी। तब तक, हर साल की तरह, उम्मीद और आशंका दोनों बनी रहेगी ।

 

7.) एक्सहिबिशन में 100 से ज्यादा रिप्रेजेंटेटिव कंपनियों होंगी शामिल 

  

भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो-2025 जिसे ऑटो एक्पो के नाम से भी जाना जाता है का आगाज 17 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में होगा। वहीं, ऑटो एक्सपो की शुरुआत 18 जनवरी को दिल्ली के यशोभूमि और 19 जनवरी को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में होगी। इस बार इन तीनों स्थान पर 40 से अधिक गाड़ियां लांच की जाएंगी। कंपनियों के साथ आयोजकों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। इस बार एक्सपो में चीन की कंपनियों की भागीदारी कम देखने को मिलेगी। बता दें, चीन की कंपनियों व रिप्रेजेंटेटिव को वीजा नहीं मिलने के कारण उनका रिप्रजेंटेशन काम रहने वाला है। इस मामले पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव विमल आनंद ने कहा कि इस पर काम किया जा रहा है। एक्सपो में चीन की कंपनियां बड़े पैमाने पर आने को तैयार हैं, लेकिन वीजा एक समस्या हो सकती है। यह एक व्यक्ति के हाथ की बात नहीं हैं, इसमें विभिन्न भारतीय मंत्रालयों का इन्वोल्वमेंट है और इस पर काम किया जा रहा है। चीन से आने वाले विजिटर्स की जांच के लिए बहुत सारी प्रणाली है।

ऑटो एक्सपो के साथ होगा भारत बैटरी शो

 

संयुक्त सचिव विमल आनंद ने कहा कि पिछली बार ऑटो एक्सपो केवल दिल्ली के मंडपम में हुआ था, लेकिन इस बार तीन गुना अधिक बड़ा होगा। ऑटोमोबाइल के साथ इसमें बैटरी शो और टायर शो भी शामिल होंगे। इलेक्ट्रॉनिक शो भी भारत मंडपम में होगा। ऑटो एक्सपो में 40 से अधिक गाड़ियां व दूसरे प्रोडक्ट्स की लॉन्चिग भी होगी। इनमें 2 और 4 व्हीलर गाड़ियों से लेकर ट्रांसपोर्ट व्हीकल शामिल होंगे। बड़ी संख्या में दर्शकों के आने की उम्मीद हैं। भारत बैटरी शो से पर्दा 19 जनवरी को उठेगा। इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस के अध्यक्ष डॉ. राहुल वालावलकर ने कहा कि ऊर्जा भंडारण और चार्जिंग इकोसिस्टम में 20 से अधिक उत्पाद लॉन्च होंगे। पिछले साल लगभग 50 रिप्रेजेंटेटिव थे और इस साल 80 के आने की पुष्टि मिल गई है। बता दें, इस साल विभिन्न देशों के 100 रिप्रेजेंटेटिव के आने की उम्मीद हैं, इनमें- यूएसए, जापान, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और चीन शामिल हैं। एक्सपो के दौरान कई कंपनियां अपनी भविष्य की रणनीति की घोषणा करेंगी। हालांकि इनमें से कुछ भविष्य की योजनाओं को पहले ही सार्वजनिक कर चुकी हैं।