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Breaking News 8 February 2025

1 ) Delhi Election Result Live 

 

दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की आहट तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से मामूली बढ़त बनाए हुए हैं, लेकिन उनके मुकाबले भाजपा के प्रवेश वर्मा काफी करीबी मुकाबला दे रहे हैं। मनीष सिसोदिया जंगपुरा सीट से कांटे की टक्कर में हैं, जबकि सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश सीट से भाजपा की शिखा राय से 2721 वोटों से पीछे चल रहे हैं। AAP की स्टार नेता आतिशी कालकाजी सीट से 2800 वोटों से पीछे हैं। वहीँ बाबरपुर सीट से गोपाल राय 20750 वोटों से आगे चल रहे हैं, जबकि बल्लीमारान से इमरान हुसैन 15302 वोटों से आगे हैं। नांगलोई जाट से राघवेंद्र शौकीन 10765 वोटों से पीछे हैं। पटपड़गंज सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा पीछे चल रहे हैं, जबकि बिजवासन सीट से कैलाश गहलोत 4518 वोटों से आगे हैं। दिलचस्प बात यह है कि कैलाश गहलोत कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि AAP के अंदर भी राजनीतिक अस्थिरता थी। भाजपा के लिए यह चुनाव ऐतिहासिक साबित हो सकता है। 1993 में बीजेपी ने 49 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी, लेकिन पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बदले मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज। उसके बाद से पार्टी दिल्ली में सत्ता से बाहर रही। अब, 2025 में भाजपा कई सीटों पर मजबूत बढ़त बनाए हुए है, जिससे यह तय माना जा रहा है कि AAP की सत्ता खत्म होने जा रही है। वहीँ मुस्तफाबाद सीट से भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट 16,181 वोटों से आगे चल रहे हैं, जबकि कालकाजी में भाजपा के रमेश बिधूड़ी 2800 वोटों से आगे हैं। विकासपुरी में भाजपा 4300 वोटों से आगे, द्वारका में 2400 वोटों से आगे, मटियामहल में 6200 वोटों से आगे और नजफगढ़ में 11300 वोटों से आगे है। ओखला में भाजपा के मनीष चौधरी बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि करावल नगर में भाजपा के कपिल मिश्रा मजबूत स्थिति में हैं। AAP ने 2015 में 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। इसपर भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "दिल्ली की जनता अब 'प्रयोगात्मक' राजनीति से तंग आ चुकी है और स्थिर सरकार चाहती है।" वहीं, भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली का कहना है कि "AAP सिर्फ घोषणाओं की राजनीति करती है, जबकि भाजपा संकल्प पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए जानी जाती है।" इस चुनाव में भाजपा ने मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश की कि मुफ्त योजनाओं से ज्यादा जरूरी है बुनियादी ढांचा, कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार मुक्त शासन। शुरुआती चुनावी रुझानों से साफ संकेत मिल रहे हैं कि आम आदमी पार्टी  को इस बार करारा झटका लग सकता है। भारतीय जनता पार्टी 40 से अधिक सीटों पर आगे चल रही है, जिससे यह संभावना प्रबल हो गई है कि 27 साल बाद दिल्ली में भगवा लहर लौट सकती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में AAP ने पिछले एक दशक में दिल्ली की राजनीति में गहरी पैठ बनाई थी, लेकिन इस बार की स्थिति उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। पार्टी के कई दिग्गज उम्मीदवार भाजपा प्रत्याशियों से पीछे चल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस अब भी अप्रासंगिक नजर आ रही है, जो उसके लिए बड़ा झटका है। 

अंतिम नतीजे आने में कुछ ही घंटे बाकी 

कभी दिल्ली की सत्ता पर लंबे समय तक काबिज रही कांग्रेस अब बैकफुट पर चली गई है। पार्टी के लिए यह बेहद निराशाजनक स्थिति है कि वह इस चुनाव में कहीं भी निर्णायक मुकाबले में नहीं दिख रही। अलका लांबा (कालकाजी) सहित कई प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन वे अब भी मुख्य मुकाबले से बाहर नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में भी खराब प्रदर्शन किया था और इस बार भी कोई चमत्कार होता नहीं दिख रहा।  अब सवाल यह उठता है क्या भाजपा 36+ सीटें जीतकर सरकार बना पाएगी? क्या AAP आखिरी पलों में कुछ सीटें जीतकर सत्ता बचा पाएगी? क्या कांग्रेस का खाता खुलेगा या वह फिर से शून्य पर रहेगी? अंतिम नतीजे आने में कुछ ही घंटे बाकी हैं। यह तय होने वाला है कि क्या दिल्ली की सियासत में सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, या क्या केजरीवाल आखिरी क्षणों में कोई बड़ा दांव खेलेंगे !

 

 

2 ) दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हुई दमदार जीत 

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं, और इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राजधानी की सियासत में नया इतिहास रच दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी 48 सीटों पर जीत दर्ज कर बहुमत हासिल कर चुकी है, जबकि पिछले दस वर्षों से सत्ता में रही आम आदमी पार्टी (AAP) सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अपनी सीट नहीं बचा सके। केवल कालकाजी से आतिशी अपनी सीट जीतने में कामयाब रहीं। वहीं, जंगपुरा से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी हार का सामना करना पड़ा। आदर्श नगर से बीजेपी के राज कुमार भाटिया ने जीत दर्ज की, जबकि आप के मुकेश कुमार गोयल हार गए। अंबेडकर नगर में डॉ. अजय दत्त (आप) विजयी हुए, और बीजेपी के खुशी राम चूनर को हार का सामना करना पड़ा। बाबरपुर सीट से गोपाल राय (आप) ने जीत दर्ज की, जबकि अनिल कुमार (बीजेपी) पराजित हुए। बल्लीमारान में इमरान हुसैन (आप) को जीत मिली, वहीं कमल बागरी (बीजेपी) को हार का सामना करना पड़ा। बवाना, बादली, द्वारका, घोंडा, गोकलपुर, जनकपुरी, मालवीय नगर, मटियाला, मुंडका, नरेला, ओखला, पालम, रोहिणी, शाहदरा और विकासपुरी जैसी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में बीजेपी को मजबूत जनसमर्थन मिला। वहीं, बदरपुर, बुराड़ी, बिजवासन, देवली, करोल बाग, महरौली, पटेल नगर, सीलमपुर, सीमापुरी, तिमारपुर, तुगलकाबाद, तिलक नगर और त्रिलोकपुरी जैसी सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने बाज़ी मारी, जो यह दर्शाता है कि जनता के एक बड़े वर्ग ने अब भी आप पर भरोसा कायम रखा।

दिल्ली में बीजेपी ने मारी बाज़ी

नई दिल्ली सीट, जो दिल्ली की राजनीति का केंद्र मानी जाती है, वहां से बीजेपी के प्रवेश सिंह साहिब ने जीत दर्ज की, जबकि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (आप) को हार का सामना करना पड़ा। इस हार ने यह दिखाया कि जनता ने इस बार केजरीवाल को नकार दिया और बीजेपी को सत्ता के करीब पहुंचने का अवसर दिया। ग्रेटर कैलाश से बीजेपी की शिखा रॉय विजयी रहीं, जबकि आप के सौरभ भारद्वाज हार गए। चांदनी चौक में पुनर्दीप सिंह सावनी (आप) ने जीत दर्ज की, और बीजेपी के सतीश जैन को हार का सामना करना पड़ा। लक्ष्मी नगर से बीजेपी के अभय कुमार वर्मा विजेता बने, जबकि बीबी त्यागी (आप) हार गए। कृष्णा नगर से डॉ. अनिल गोयल (बीजेपी) ने जीत दर्ज की, जबकि विकास बग्गा (आप) पराजित हुए। इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह हाशिए पर नजर आई। जहां बीजेपी और आप के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली, वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार कई सीटों पर तीसरे या चौथे स्थान पर ही सिमट गए। कांग्रेस के लिए यह चुनाव एक और बड़ा झटका साबित हुआ।

 

3)  दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की हार के क्या है कारण ? 

 

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे इस बार चौंकाने वाले रहे। 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में सत्ता में वापसी कर ली है, और आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो बीते एक दशक से दिल्ली की राजनीति का सबसे मजबूत चेहरा थे। केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से भाजपा के प्रवेश वर्मा के हाथों 4,089 वोटों से हार गए। यह न सिर्फ दिल्ली की सत्ता में बदलाव का संकेत है, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक पटकथा के पूरे होने की ओर भी इशारा करता है।

अरविंद केजरीवाल की हार के प्रमुख कारण

मार्च 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अरविंद केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया था। यह भारतीय राजनीति में पहली बार था जब किसी सिटिंग मुख्यमंत्री को हिरासत में लिया गया। करीब छह महीने तक जेल में रहने के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत तो मिल गई, लेकिन राजनीतिक रूप से यह घटना उनकी छवि को गहरा आघात पहुंचा चुकी थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उनकी गिरफ्तारी के बाद AAP की पारदर्शिता और ईमानदारी की छवि पर गंभीर सवाल खड़े हुए। विरोधियों को केजरीवाल और उनकी सरकार की विश्वसनीयता पर हमले करने का बड़ा मौका मिला। यही कारण था कि इस चुनाव में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बना और भाजपा इसे भुनाने में सफल रही। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मतदाताओं से कई बड़े वादे किए थे यमुना की सफाई, कूड़े के पहाड़ों का समाधान और वायु प्रदूषण पर काबू पाना। हालांकि, 2024 तक यमुना जहरीले झाग से भरी थी, वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं हुआ, और गाजीपुर व भलस्वा के कूड़े के पहाड़ जस के तस बने रहे। AAP सरकार ने केंद्र सरकार पर बाधाएं खड़ी करने का आरोप लगाया, लेकिन जनता ने इसे वादाखिलाफी के रूप में देखा। जब नतीजे आए, तो साफ हो गया कि इन अधूरे वादों ने AAP के जनाधार को कमजोर किया। 1 फरवरी 2025 को पेश किए गए केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर इनकम टैक्स छूट की घोषणा की। यह घोषणा विशेष रूप से दिल्ली के सरकारी कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित हुई, जिनकी बड़ी संख्या नई दिल्ली विधानसभा सीट पर मौजूद है। विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले ने चुनावी समीकरण बदल दिए। सरकारी कर्मचारियों का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा और केजरीवाल को इसका नुकसान उठाना पड़ा। दिसंबर 2024 में भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास की तस्वीरें जारी कीं, जिसे उन्होंने ‘शीश महल’ करार दिया। भाजपा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने जनता के पैसे से अपने घर का ₹3.75 करोड़ की लागत से नवीनीकरण कराया, जिसमें जिम, सॉना और जैकुज़ी जैसी सुविधाएं जोड़ी गईं। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और इसका असर नतीजों में दिखा। अरविंद केजरीवाल की हार में कांग्रेस की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने नई दिल्ली सीट से 4,568 वोट हासिल किए। दिलचस्प बात यह है कि केजरीवाल की हार का अंतर भी लगभग इतना ही था। यदि कांग्रेस यहां मजबूती से मैदान में न होती, तो शायद केजरीवाल की स्थिति अलग हो सकती थी। अरविंद केजरीवाल ने हार स्वीकार करते हुए भाजपा को जीत की बधाई दी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह उनकी राजनीति का अंत है? या फिर वे वापसी की कोई रणनीति तैयार करेंगे।