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Breaking News 8 August 2024

1.) उपराष्ट्रपति ने विनेश फोगाट के उल्लेखनीय प्रदर्शन की सराहना की

माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट के उल्लेखनीय प्रदर्शन ने भारत को गौरवान्वित किया है। उन्होंने आगे कहा की कि विनेश को जो झटका लगा, उस पर हम सभी अपनी देश की बेटी का दर्द और निराशा साझा करते हैं। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में अपने निडर भावना, साहस, दृढ़ विश्वास और दृढ़ता का प्रमाण दिया है। वह इस देश के करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा एक चैंपियन बनी रहेंगी। मैं कामना करता हूं कि उन्हें जीवन में लगातार सफलता मिले और ढेर सारी प्रशंसाएं मिलती रहें। बता दें, पेरिस ओलंपिक 2024 में महिला कुश्ती 50 किग्रा स्पर्धा के फाइनल मुकाबले से पहले पहलवान विनेश फोगाट को तगड़ा झटका लगा था। उन्हें अधिक वजन के कारण फाइनल मुकाबले से पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था। भारत के लिए दिल टूटने वाली ये खबर बुधवार को सामने आई, इस खबर ने पेरिस ओलंपिक में भारत के पहले स्वर्ण पदक के सपने को भी तोड़ दिया। 

2.) उपराष्ट्रपति के साथ संसदीय चर्चाओं में प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों ने भाग लिया 

श्री नितिन जयराम गडकरी, माननीय केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री; श्री पीयूष गोयल, माननीय केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री; श्री धर्मेंद्र प्रधान, माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री; श्री प्रल्हाद जोशी, माननीय केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री; श्री किरण रिजिजू, माननीय केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री; डॉ. एल. मुरुगन जी, माननीय संसदीय कार्य और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल जी, माननीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य ने आज संसद भवन में माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। बैठक ने संसदीय कार्यवाही की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए प्रमुख विधायी मामलों और रणनीतियों पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान किया। चर्चा में माननीय मंत्रियों ने देश को आगे बढ़ाने, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण विधायी मामलों को संबोधित करने पर जोड़ दिया। उपराष्ट्रपति ने भारत के आर्थिक और संसदीय परिदृश्य को मजबूत करने में उनके समर्पण और सक्रिय भागीदारी की सराहना की।

 

3.) पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री का निधन 

80 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

पश्चिम बंगाल के 34 साल के वाम मोर्चा शासन के दूसरे और आखिरी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का आज गुरुवार की सुबह 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। आपको बता दें, बुद्धदेव 2000 से 2011 तक लगातार 11 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उनके निधन की खबर उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने सबसे पहले दी। बता दें, आज सुबह करीब 8.20 बजे पाम एवेन्यू स्थित अपने घर पर ही उन्होंने देह त्याग दिया। खबर मिलने के बाद उनके परिजन और राजनीतिक लोग एकत्रित होने शुरू हो गए। बता दें, बुद्धदेव पिछले साल 9 अगस्त को अस्पताल से ठीक होकर घर लौटे थे। उन्हें 29 जुलाई को गंभीर हालत में दक्षिण कोलकाता के अलीपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें कई दिनों तक वेंटिलेशन (इनवेसिव) सपोर्ट पर रखा था। उन्हें फेफड़ों और श्वासनली में गंभीर रूप से संक्रमण हो गया था। अस्पताल में धीरे-धीरे उन पर इलाज का असर होने लगा था और 12 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली। हालांकि, घर वापस आकर भी वो डॉक्टर की निगरानी में थे।

निधन की खबर से पूरे बंगाल में शोक की लहर

पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीपीएम नेता अशोक भट्टाचार्य ने कहा, बुद्ध दा बीमार पड़ने के बाद भी बार-बार ठीक होकर आते थे। इस बार भी पूरा विश्वास था कि वे ठीक हो जाएंगे। वह आज सुबह चले गए, विश्वास नहीं कर पा रहा हूं, मेरे पास उनके साथ व्यक्तिगत संबंधों की कई यादें हैं। वो मेरे घर आते रहते थे, कई बार गलती होने पर उन्होंने खूब डांटा भी। बंगाल का बहुत बड़ा नुकसान, अब इसकी भरपाई नहीं हो सकेगी।

चिकित्सा अनुसंधान के लिए बुद्धदेव ने किया था देहदान

जानकारी के मुताबित बुद्धदेव को अंतिम विदाई कैसे दी जाए यह निर्णय सीपीएम राज्य नेतत्व इस पर चर्चा करेगा। ऐसे में उनकी अंतिम यात्रा में दिल्ली के नेताओं की भी भूमिका रहेगी। फिलहाल, उनका पार्थिव शरीर पाम एवेन्यू स्थित उनके घर पर रखा गया है। पार्टी ने तय किया है कि कुछ देर तक पार्थिव देह को यहीं पर रखेंगे, ताकि आसपास के लोग उनको श्रद्धांजलि दे सकें। उसके बाद दोपहर 12:30 बजे तक पार्थिव शरीर को यहां से ले जाया जाएगा और संरक्षित किया जाएगा। बता दें, जिस कार्यालय से उन्होंने अपनी बीमारी तक काम किया, वहां से अंतिम यात्रा कल शाम 4 बजे होगी। उन्होंने देहदान किया था, ऐसे में उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, शरीर को चिकित्सा में अनुसंधान के लिए दान कर दिया जाएगा।

बुद्धदेव ने बंगाल में औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत की 

एक समय तक पश्चिम बंगाल की आय का प्राथमिक साधन कृषि थी, लेकिन बुद्धदेव ने इस स्थिति को बदलने के लिए अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा जोखिम उठाते हुए औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने बंगाल में फैक्टरियों की स्थापना हेतु विदेशी और राष्ट्रीय पूंजी को आमंत्रित किया। इनमें से दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो भी शामिल रही, जिसका उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित किया जाना था। पर उस समय की TMC नेता और मौजूदा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के विरोध और हिंसात्मक आंदोलन के वजह से टाटा ने अपने नैनो प्लांट को गुजरात में स्थापित कर दिया था। इसके अलावा उनकी योजना राज्य में अन्य बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत करने की भी थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर विरोध के चलते वह सफल नहीं हो सके और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार मनीष गुप्ता के हाथों मात मिली थी।

 

4.) RBI ने रेपो रेट, EMI, UPI पर दी अहम जानकारी

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज मौद्रिक नीति बैठक 2024 के फैसले का ऐलान किया। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार नौंवी बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने के निर्णय के पक्ष में मत दिया, एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है। उन्होंने आगे कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है।

क्या है रेपो रेट?

रोज़मर्रा के कामकाज के लिए सभी बैंकों को कभी-कभार बड़ी रकम की आवश्यकता पड़ती है, और ऐसे परिस्थिति में उनके पास सबसे सरल विकल्प होता है कि वो देश के केंद्रीय बैंक, यानी RBI से अल्पावधि ऋण, यानी कर्ज़ लें. इस तरह के ओवरनाइट कर्ज़ पर रिज़र्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। दूसरी भषा में कहें तो रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), बैंकों को पैसे उधार देता है। रेपो रेट में बदलाव का असर देश के आम लोगों पर पड़ता है। अगर आप घर या कार का लोन लेना चाहते हैं तो रेपो रेट का सीधा असर आपकी EMI पर पड़ता है। रेपो रेट यह तय करता है कि बैंकों को पैसे उधार लेने में कितना खर्च आएगा और बदले में बैंक अपने ग्राहकों से कितना ब्याज लेंगे।

लोन की EMI पर क्या होगा इस फैसले का असर?

आरबीआई ने फिलहाल रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए इसे स्थिर रखने का फैसला किया है, तो इसका मतलब है कि कम से कम फिलहाल आपके होम लोन या अन्य लोन की ईएमआई में कोई वृद्धि नहीं होगी। 

GDP को लेकर क्या RBI का अनुमान

गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर (GDP Growth Rate) के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। साथ ही उन्होंने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि देश में महंगाई तीसरी तिमाही में कम होने की उम्मीद है और घरेलू स्तर पर ग्रोथ बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि लगातार ऊंची खाद्य कीमतों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई कम करने के प्रयासों को धीमा कर दिया। 

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 अगस्त तक 675 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। अगस्त में भारतीय रुपया काफी हद तक सीमित दायरे में रहेगा। वहीं, चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा काफी हद तक प्रबंधन के दायरे में रहेगा।

Tax भरना हुआ और भी आसान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यूपीआई (UPI) के जरिये टैक्स पेमेंट की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख तक करने की घोषणा की है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से पेमेंट का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। आपको बता दें, वर्तमान में यूपीआई के लिए टैक्स पेमेंट की लिमिट एक लाख रुपये है।

 

5.) उपराष्ट्रपति ने माननीय सदस्यों को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं

माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, श्री जगदीप धनखड़ जी ने आज राज्यसभा में माननीय सदस्य श्री सुभाष चंद्र बोस पिल्ली जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। 

माननीय उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने श्री कपिल सिब्बल को भी आज उनके जन्मदिन के अवसर पर जन्मदिन की बधाई दी। 

 

6.) CDS ने क्यों कहा द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे हिंसक दौर

बांग्लादेश संकट ने दुनियभार के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं पड़ोसी मुल्क होने के नाते बांग्लादेश के विपरीत हालातों का भारत पर काफी हद तक असर पड़ सकता है। इसलिए भारत में भी इसे लेकर हलचल तेज हो गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के बाद बांग्लादेश के संकट पर CDS अनिल चौहान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बांग्लादेश के बिगड़े हालातों पर कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया सबसे हिंसक दौर में है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम अपने चारों ओर देखते हैं, तो हम ये पाते हैं कि दुनिया उथल-पुथल के दौर में है। दुनिया मौजूदा समय में एक बड़े उतार-चढ़ाव की स्थिति में है और मेरा मानना ​​है कि हम बड़े वैश्विक समस्याओं के दौर से गुजर रहे हैं। वैश्विक सुरक्षा वातावरण दो बड़े युद्धों, रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास से बदल गया है। हालांकि, लीबिया, सीरिया, यमन और आर्मेनिया में युद्ध फिलहाल शांत हो गया है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया सबसे हिंसक दौर में है। 

बांग्लादेश की अस्थिरता भारत के लिए क्यों चिंता का सबब

बांग्लादेश, भारत के साथ लंबी सीमा साझा करता है। वहीं, बांग्लादेश के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध भी काफी बढ़िया रहे हैं। अब ऐसे में बांग्लादेश में पैदा हुई अस्थिरता की स्थिति भारत के लिए परेशानी का सबब है। यही वजह है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पर बयान देते हुए बताया कि बांंग्लादेश की स्थिति पर हमारी नजर हैं। जहां एक ओर सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री ने तमाम दलों के नेताओं को बांग्लादेश के हालात से रूबरू कराया, तो वहीं दूसरी तरफ इस मुद्दे पर उन्होंने राज्य सभा में भी बयान दिया। 

अस्थिर सीमाओं को लेकर CDS ने देश को किया आगाह

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन का उदय, पकिस्तान से बढ़ता आतंकवाद, गृहयुद्ध की आग में जलता म्यांमार और अब बांग्लादेश में हिंसा के बाद तख्तापलट देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने आगे कहा कि इस देश से सटी अस्थिर सीमाएं निकट भविष्य में भारत और उसके सशस्त्र बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी। चीन के उदय और दुनिया पर इसके प्रभाव के विषय पर रणनीतिक और सुरक्षा परिचर्चा को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने विवादित सीमाओं से संबंधित सभी टकराव बिंदुओं पर चीनी सेना के साथ दक्षतापूर्वक निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। जनरल चौहान ने कहा कि भारत का पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर विवाद है और इन संघर्षों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसे शब्द सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन सीमा से सम्बंधित समस्यायें आकार लेने लगी हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा हमें विवादित बॉर्डर्स विरासत में मिले। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद एक नया पड़ोसी बना गया। भारत के विभाजन के बाद एक नए राष्ट्र का निर्माण हुआ, जो दुश्मनी और हमारे प्रति नफरत के आधार पर बना।

जनरल चौहान ने अपने संबोधन में भविष्य के युद्ध में अंतरिक्ष की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष को निर्णायक मोर्चा कहा जाता है, अंतरिक्ष का विस्तार अनंत है। सीडीएस ने कहा कि युद्ध के लिहाज से भविष्य में अंतरिक्ष क्षेत्र- वायु, समुद्री और भूमि क्षेत्रों पर अपना प्रभाव डालेगा। दिल्ली में तीन दिवसीय भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में जनरल चौहान ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष कूटनीति जल्द ही वास्तविकता बन जाएगी। बता दें, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर 

 

6.) CDS ने क्यों कहा द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे हिंसक दौर

बांग्लादेश संकट ने दुनियभार के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं पड़ोसी मुल्क होने के नाते बांग्लादेश के विपरीत हालातों का भारत पर काफी हद तक असर पड़ सकता है। इसलिए भारत में भी इसे लेकर हलचल तेज हो गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के बाद बांग्लादेश के संकट पर CDS अनिल चौहान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बांग्लादेश के बिगड़े हालातों पर कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया सबसे हिंसक दौर में है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम अपने चारों ओर देखते हैं, तो हम ये पाते हैं कि दुनिया उथल-पुथल के दौर में है। दुनिया मौजूदा समय में एक बड़े उतार-चढ़ाव की स्थिति में है और मेरा मानना ​​है कि हम बड़े वैश्विक समस्याओं के दौर से गुजर रहे हैं। वैश्विक सुरक्षा वातावरण दो बड़े युद्धों, रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास से बदल गया है। हालांकि, लीबिया, सीरिया, यमन और आर्मेनिया में युद्ध फिलहाल शांत हो गया है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया सबसे हिंसक दौर में है। 

बांग्लादेश की अस्थिरता भारत के लिए क्यों चिंता का सबब

बांग्लादेश, भारत के साथ लंबी सीमा साझा करता है। वहीं, बांग्लादेश के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध भी काफी बढ़िया रहे हैं। अब ऐसे में बांग्लादेश में पैदा हुई अस्थिरता की स्थिति भारत के लिए परेशानी का सबब है। यही वजह है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस पर बयान देते हुए बताया कि बांंग्लादेश की स्थिति पर हमारी नजर हैं। जहां एक ओर सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री ने तमाम दलों के नेताओं को बांग्लादेश के हालात से रूबरू कराया, तो वहीं दूसरी तरफ इस मुद्दे पर उन्होंने राज्य सभा में भी बयान दिया। 

अस्थिर सीमाओं को लेकर CDS ने देश को किया आगाह

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन का उदय, पकिस्तान से बढ़ता आतंकवाद, गृहयुद्ध की आग में जलता म्यांमार और अब बांग्लादेश में हिंसा के बाद तख्तापलट देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने आगे कहा कि इस देश से सटी अस्थिर सीमाएं निकट भविष्य में भारत और उसके सशस्त्र बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी। चीन के उदय और दुनिया पर इसके प्रभाव के विषय पर रणनीतिक और सुरक्षा परिचर्चा को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने विवादित सीमाओं से संबंधित सभी टकराव बिंदुओं पर चीनी सेना के साथ दक्षतापूर्वक निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। जनरल चौहान ने कहा कि भारत का पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर विवाद है और इन संघर्षों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसे शब्द सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन सीमा से सम्बंधित समस्यायें आकार लेने लगी हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा हमें विवादित बॉर्डर्स विरासत में मिले। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद एक नया पड़ोसी बना गया। भारत के विभाजन के बाद एक नए राष्ट्र का निर्माण हुआ, जो दुश्मनी और हमारे प्रति नफरत के आधार पर बना।

 

 

7) उपराष्ट्रपति ने संसद सदस्यों के साथ मुलाकात की

माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने आज संसद भवन में अपने कक्ष में विभिन्न राजनीतिक दलों के संसद सदस्यों के साथ बातचीत की। इस बैठक ने कई मुद्दों पर रचनात्मक बातचीत की सुविधा प्रदान की और सहयोगात्मक शासन की भावना को मजबूत किया। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र के सामने मौजूद गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए सदस्यों के बीच बातचीत और सहयोग के महत्व पर जोर दिया। विभिन्न पार्टी के सदस्यों ने बैठक में भाग लिया, बैठक ने खुली चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रभावी शासन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह जुड़ाव एक मजबूत और समावेशी संसदीय प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए उपराष्ट्रपति के समर्पण को रेखांकित करता है।