जब हर मोड़ पर महंगाई के बढ़ते आंकड़ों और टैक्स के बोझ ने आम आदमी की हालत दहल दी हो, तब RBI की ये राहत भरी खबर एक ताजे मौषम की तरह सामने आयी है। ऐसा लगता है जैसे बैंकों के जाल से जकड़ी मिडिल क्लास की पीड़ा में अब कुछ राहत की रौशनी हो गई हो कम ब्याज दर, घटती ईएमआई और साथ ही MSF दर में कटौती, सभी मिलकर इस वर्ग के लिए एक राहत भरी सांस बनकर सामने आए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने आज मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती करने का ऐलान किया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अब रेपो रेट घटकर 6.25% रह गया है। इस ऐलान के साथ ही, Marginal Standing Facility (MSF) दर भी 6.75% से कम होकर 6.50% कर दी गई है।
इस कदम का मकसद बैंकों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराना है ताकि वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन मुहैया कर सकें। मिडिल क्लास, जो हमेशा से बढ़ते लोन के बोझ और टैक्स के झंझट में जी रही है, अब इस राहत भरे कदम से कुछ राहत की उम्मीद लगा सकती है।
कम ब्याज दर के प्रभाव से सीधे तौर पर लोन लेने वालों की जेब पर पड़ता है असर। आइए कुछ उदाहरणों के माध्यम से समझते हैं कि कैसे ये राहत काम करेगी। अगर आपने SBI से 20 साल के लिए 9.65% ब्याज दर पर होम लोन लिया था, तो आपकी ईएमआई पहले 23,549 रुपए थी। अब रेपो रेट में कटौती के साथ ब्याज दर घटकर 9.40% हो जाने से ईएमआई 23,140 रुपए हो गई है यानी हर महीने 409 रुपए की बचत! 40 लाख रुपए के होम लोन पर
जहां पहले 37,678 रुपए की ईएमआई का बोझ था, अब 9.40% ब्याज दर पर ये घटकर 37,024 रुपए हो गई है, जिससे हर महीने 654 रुपए की राहत मिलेगी। वहीँ 50 लाख रुपए के होम लोन पर पहले 47,097 रुपए की ईएमआई भरने पड़ती थी, पर अब नई दर पर ये घटकर 46,281 रुपए हो गई है यानी हर महीने 816 रुपए का लाभ। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि छोटे-छोटे बचत के टुकड़ों का भी मिडिल क्लास की आर्थिक स्थिति पर कितना सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जब हर महीने की बचत के साथ जीवन के अन्य खर्चों को भी थोड़ा कम बोझ महसूस होगा, तो आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
पिछले कुछ वर्षों में RBI ने रेपो रेट में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मई 2020 में 0.40% की कटौती के बाद, बाद में मई 2022 में रेपो रेट बढ़ाया गया और फरवरी 2023 में इसे 6.50% तक लाया गया था। इतने उतार-चढ़ाव के बाद, अब लगभग पांच साल बाद रेपो रेट में कटौती की गई है, जो यह संकेत देती है कि RBI ने आर्थिक रिकवरी और मीडियम-टर्म में विकास की दिशा में पुनर्विचार किया है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को पैसा उधार देता है। यह दर सीधे तौर पर यह तय करती है कि बैंकों को कितनी सस्ती या महंगी फंडिंग मिलेगी। जब RBI रेपो रेट कम करता है, तो बैंकों को ऋण सस्ता पड़ता है और वे अपनी ओर से ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन देने लगते हैं। यह कदम न केवल होम लोन, बल्कि कार लोन, पर्सनल लोन समेत अन्य ऋणों पर भी असर डालता है। कम ब्याज दर से लोन लेने का खर्च घटता है, जिससे आम जनता के लिए आर्थिक रूप से सुकून का माहौल बनता है। वैसे तो रेपो रेट में कटौती अक्सर मंदी या आर्थिक मंदी के दौर में की जाती है, ताकि अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बढ़ सके और महंगाई को नियंत्रित किया जा सके। यदि RBI की ये राहत पर्याप्त नहीं लगती, तो सरकार ने भी मिडिल क्लास के लिए राहत के बड़े कदम उठाए हैं। नए बजट में घोषणा की गई है कि सालाना 12 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्ति अब इनकम टैक्स से छूट पाएंगे जो कि न्यू टैक्स रिजीम के तहत लागू होगा। इसके अलावा, टैक्स स्लैब में बदलाव से 25 लाख रुपए तक कमाने वालों को लगभग 1.1 लाख रुपए और 18 लाख रुपए की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को 70,000 रुपए तक की बचत हो सकेगी।
दिल्ली की राजनीति में फिर से एक नया ट्विस्ट आ गया है! चुनावी माहौल में गरमा-गरमी तो हमेशा रहती है, लेकिन इस बार मामला खरीद-फरोख्त का है। आरोप-प्रत्यारोप के इस हाई-वोल्टेज ड्रामे में AAP और BJP आमने-सामने हैं। अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया है, तो वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए इसे सफेद झूठ बताया और LG से जांच की मांग कर डाली। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उनके विधायकों को पार्टी छोड़ने के बदले 15-15 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर दिया गया। वहीं, बीजेपी ने इन आरोपों को झूठा और निराधार बताते हुए उपराज्यपाल (LG) से शिकायत की, जिसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
बीजेपी ने दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र लिखकर केजरीवाल के आरोपों की जांच की मांग की थी। पार्टी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी केवल राजनीतिक माहौल बिगाड़ने और जनता को भ्रमित करने के लिए ऐसे झूठे दावे कर रही है। बीजेपी ने दावा किया कि मतदान समाप्त होते ही AAP ने यह आरोप लगाकर जानबूझकर चुनावी माहौल को दूषित करने की कोशिश की। LG ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश जारी कर दिए और ACB को इस मामले की तहकीकात सौंप दी। इसके बाद ACB की एक विशेष टीम अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुँच चुकी है। साथ ही, सूत्रों के अनुसार ACB आम आदमी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से भी इस मामले में पूछताछ करने की योजना बना रही है।
गुरुवार को अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट कर दावा किया कि बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के 16 उम्मीदवारों को पार्टी बदलने के बदले 15-15 करोड़ रुपये और मंत्री पद देने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा, *“कुछ एजेंसियां दिखा रही हैं कि बीजेपी की 55 से ज्यादा सीट आ रही हैं। पिछले दो घंटे में हमारे 16 उम्मीदवारों के पास फोन आ गए हैं कि ‘आप’ छोड़कर बीजेपी में आ जाओ, मंत्री बना देंगे और हर एक को 15-15 करोड़ देंगे। अगर इनकी पार्टी की 55 से ज्यादा सीटें आ रही हैं, तो हमारे उम्मीदवारों को फोन करने की क्या जरूरत है? जाहिर तौर पर ये फर्जी सर्वे करवाए ही इसलिए गए हैं ताकि माहौल बनाकर कुछ उम्मीदवारों को तोड़ा जा सके। लेकिन हमारा एक भी आदमी नहीं टूटेगा।” इसपर AAP नेता संजय सिंह ने कहा कि ACB की टीम उनके पास पूछताछ के लिए आने से पहले ही वह खुद ACB दफ्तर जाकर बीजेपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी चुनावों में धांधली करने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। आतिशी मर्लेना ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अगर बीजेपी को 50 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं, तो हमारे प्रत्याशियों को तोड़ने की जरूरत क्यों पड़ रही है? यह साफ दिखाता है कि एग्ज़िट पोल एक साजिश है और आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। " हालांकि अब सवाल ये उठता है कि क्या ACB की जांच निष्पक्ष होगी या इसे एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।