हरियाणा विधानसभा चुनाव में आज प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों के लिए सुबह से मतदान किया जा रहा है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंकज अग्रवाल के मुताबिक हरियाणा के सभी 90 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान पांच अक्टूबर की सुबह सात बजे शुरू होकर शाम छह बजे तक चलेगा। इस चुनाव में दो करोड़ से अधिक मतदाता 1031 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे और इसके लिए 20 हजार से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। पिछले दो बार से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए मैदान में है, लेकिन पार्टी को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। वहीं एक दशक से राज्य की सत्ता से बहार कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और उसके नेताओं ने भाजपा के विरुद्ध सत्ता विरोधी लहर को भरपूर तरीके से भुनाने की कोशिश की। कांग्रेस ने बेरोजगारी, संविधान पर खतरा, अग्नीवीर योजना को मुद्दा बनाया। वहीं बीजेपी ने अपनी राज्य और केंद्र सरकार के कामकाज, नरेंद्र मोदी के चेहरे और कांग्रेस को दलित-पिछड़ा विरोधी बताकर वोट मांगा।
हरियाणा में क्या कहती है गठबंधन की राजनीती?
इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), बहुजन समाज पार्टी (BSP), जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) चुनाव मैदान में हैं, इसके अलावा बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में तीन गठबंधन चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसने भिवानी सीट गठबंधन के सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी (मार्कसिस्ट) को दी है। बीजेपी की सरकार में साझीदार रही जननायक जनता पार्टी (JJP) ने दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) से गठबंधन किया है, जिसके तहत JJP 70 और ASP 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। वहीं राज्य में कई बार सरकार चला चुके इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) से गठबंधन किया है. इसके तहत INLD 53 और BSP 37 सीटों पर चुनाल लड़ रही है। वहीं, बीजेपी और आम आदमी पार्टी प्रदेश की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
हरियाणा में क्या कहते हैं अब तक के मतदान प्रतिशत?
हरियाणा की 90 विधानसभा सीट के लिए आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वोटिंग हो रही है। इस बार मतदाता किसे चुनने जा रहे हैं, इसका अंदाजा वोटिंग प्रतिशत से लगाया जा सकता है। आज हो रहे विधानसभा चुनाव का प्रतिशत यह तय कर देगा कि वोटरों का रुख किस पार्टी की ओर ज्यादा है। शुरुआती 4 घंटों में हरियाणा की 90 सीटों पर 22.70 प्रतिशत मतदान हुआ है, इससे पहले सुबह 9 बजे तक 9.53% वोटिंग हुई है। हरियाणा में कुछ सालों पहले तक यह ट्रेंड था कि एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार भाजपा के हाथों में सत्ता आती थी, लेकिन 2019 में यह ट्रेंड बदला और लगातार दूसरी बार भाजपा ने सत्ता हासिल की। साल 2019 में 90 सीटों पर अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए 65.57 फीसदी लोगों ने वोटिंग की थी। वहीं, इससे पहले साल 2014 के चुनाव में कुल 76.6 फीसदी मतदान हुआ था। राजनीति के जानकारों की मानें तो वोटिंग प्रतिशत का ट्रेंड ये बता देता है कि हवा का रुख किस ओर है। अगर वोटिंग प्रतिशत ज्यादा होता है, तो आमतौर पर इसे सत्ता के खिलाफ माना जाता है। हालांकि, कई बार इसका उलट भी देखने को मिला है। फिलहाल, हरियाणा चुनाव के परिणाम 8 अक्टूबर को आ जाएंगे और इसके साथ ये भी साफ हो जायेगा की इस बार कौन जीतेगा हरियाणा का दंगल।
2014 के बाद पहली बार किसी भारतीय मंत्री का पाकिस्तान दौरा
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से राजनीतिक और कारोबारी रिश्ते लगभग खत्म हैं और बॉर्डर पर तनातनी का सिलसिला जारी है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान का दौरा करेंगे। बता दें, विदेश मंत्री अपने इस दौरे में SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की सालाना होने वाली बैठक में शामिल होंगे, जो इस बार पाकिस्तान में होनी है, ये बैठक 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होगी। साल 2014 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मंत्री पाकिस्तान जाएगा, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 9 साल बाद पाकिस्तान में होंगे। बता दें, इससे पहले डॉ जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान से बातचीत करने का दौर अब खत्म हो चुका है। जयशंकर ने आगे कहा था कि जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो अब वहां आर्टिकल 370 खत्म हो गया है, यानी मुद्दा ही खत्म हो चुका है तो अब हमें पाकिस्तान के साथ किसी रिश्ते पर क्यों विचार करना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने की खबर की पुष्टि
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर SCO के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट की बैठक में हिस्सा लेंगे। इस खबर की पुष्टि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने की है। बता दें, विदेश मंत्रायल की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, विदेश मंत्री जयशंकर इस बार इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले SCO शिखर सम्मेलन के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। दरअसल, इस बार SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी पाकिस्तान कर रहा है और 15-16 अक्टूबर तक होने इस सम्मेलन के लिए विभिन्न देशों के नेताओं को न्योता भेजा गया है। पाकिस्तान ने 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक का न्योता दिया था। पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा था कि बैठक में भाग लेने के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है।
'सीएम पर चर्चाएं तेज... हो सकता है चौंकाने वाला नाम'
केंद्रीय शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, अब सबको चुनाव के परिणाम का इंतजार है। परिणाम के इंतजार की उत्सुकता जितनी है, उतनी ही दिलचस्पी अब इस बात को भी जानने में है कि इस बार प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा? कारण साफ है, इस बार सभी राजनीतिक दल सीएम चेहरे के बिना ही मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी स्थानीय पार्टी तक ने मुख्यमंत्री के लिए चेहरे घोषित नहीं किए, जबकि इनके कई नेता पूर्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। भाजपा भी बिना चेहरे के मैदान में थी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गठबंधन जीतता है तो सीएम चेहरे के रूप में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला का नाम आगे होने की संभावना रहेगी और अगर भाजपा सत्ता में आती है तो चेहरा कौन होगा, यह सवाल सभी के जेहन में बना हुआ है।
भाजपा सत्ता में आई तो कौन होगा सीएम?
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तोह भाजपा सत्ता में आई तो हो सकता है कोई चौंकाने वाला नया नाम सामने आए, क्यूंकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा कई राज्यों में ऐसा कर चुकी है। बता दें, भाजपा पिछले कुछ चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर आश्वस्त है कि वह बहुमत का आंकड़ा छू लेगी। प्रश्न यह भी है कि अगर भाजपा बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाती है तो वह किसके साथ गठबंधन करेगी, गठबंधन करती है तो जाहिर सी बात है कि उसे सहयोगी की बात भी माननी पड़ सकती है और ऐसे में सीएम चेहरे पर पार्टी को नए सिरे से मंथन करना पड़ सकता है। बता दें, साल 2014 के चुनाव में भाजपा और पीडीपी ने सरकार बनाई थी। हालांकि यह गठबंधन तीन साल ही चल सका था क्यूंकि भाजपा ने सरकार से अलग होने का फैसला किया था और किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत न होने के कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपनी पत्नी के साथ पांच दिनों की यात्रा पर रविवार को भारत पहुंचे हैं। उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच तनाव में चल रहे रिश्तों को फिर से मजबूती देना है। बता दें, मालदीव के राष्ट्रपति ने इसी साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था, लेकिन यह उनकी पहली द्विपक्षीय भारत यात्रा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट कर मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत की राजकीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचने पर हार्दिक स्वागत किया गया, वहीं हवाई अड्डे पर विदेश राज्यमंत्री के.वी सिंह ने उनका स्वागत किया। दोनों देशों को भरोसा है की मालदीव के राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत-मालदीव के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यापक द्विपक्षीय साझेदारी को और बढ़ावा देगी।
भारत पहुंचे मुइज्जू का पीएम और राष्ट्रपति ने किया स्वागत
मालदीव के राष्ट्रपति रविवार को अपनी पांच दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हैं। वह भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आमंत्रण पर भारत आए हैं। हालांकि मुइज्जू जून में पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए भारत आए थे, पर उनका यह दौरा एक राजकीय दौरा है। मुइज्जू अपनी पत्नी साजिदा के साथ सोमवार, 7 अक्टूबर को राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहाँ उनका राजकीय स्वागत हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी वहाँ मौजूद रहे और उन्होंने मुइज्जू और उनकी पत्नी का स्वागत किया। मुइज्जू ने आज पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय मीटिंग में भी हिस्सा लिया, दोनों के बीच यह मीटिंग दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के विषय पर चर्चा हुई। इसके अलावा मीटिंग में इस विषय पर भी चर्चा हुई, मालदीव ने भारत से 400.9 मिलियन डॉलर्स का लोन लिया हुआ है, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू करीब 3,366 करोड़ रुपये है और मालदीव फिलहाल इसे चुकाने में समर्थ नहीं है, ऐसे में मुइज्जू इसमें भारत से कुछ राहत चाहते हैं। मुइज्जू अपने भारत दौरे के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मीटिंग करेंगे।
चीन के दोस्त ने की भारत से मदद की गुहार
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 10 अक्टूबर तक राजकीय यात्रा पर भारत में रहेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार मुइज्जू अपनी इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पर बातचीत करेंगे। वह दिल्ली के अलावा मुंबई और बेंगलुरु भी जाएंगे, जहां वह इंडस्ट्री से जुड़े कार्यक्रम में भाग लेंगे। बता दें, चीन के प्रति झुकाव रखने वाले मुइज्जू के नवंबर में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया. मुइज्जू ने शपथ लेने के कुछ ही घंटे के भीतर अपने देश से भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी की मांग की थी। खबरों के अनुसान, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के होश अब ठिकाने आ गए हैं। भारत के खिलाफ मुहिम चलाकर अपने ही देश की हालत खस्ता कर चुके मुइज्जू अब मदद की गुहार लेकर रविवार दिल्ली पहुंचे हैं। सोमवार को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं, इस दौरान वह पीएम मोदी से आर्थिक मदद और कर्ज अदायगी में ढील देने की गुजारिश भी करने वाले हैं। मुइज्जू ने भारत आने से पहले अपने एक इंटरव्यू में उम्मीद जताई कि भारत ‘मालदीव का बोझ कम करने’ में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि भारत हमारी आर्थिक स्थिति से पूरी तरह अवगत है।
भारत से दुश्मनी में टूटी मुइज्जू की कमर
मोहम्मद मुइज्जू की यह यात्रा मालदीव में गहराते वित्तीय संकट के बीच हो रही है। बता दें, मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार 44 करोड़ डॉलर तक गिर गया है और इसी के साथ देश पर लोन डिफॉल्ट का खतरा भी मंडरा रहा है। दरअसल पर्यटन को मालदीव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान मुइज्जू सरकार के भारत विरोधी रुख की वजह से मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 41 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट देखी गई है और यही वजह है कि राष्ट्रपति मुइज्ज के इस दौरे का एक मकसद भारत से मालदीव में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के अलावा भारत के साथ संबंधों को बेहतर भी करना है। अब देखना होगा कि मालदीव के राष्ट्रपति अपने इस भारत दौरे के दौरान मालदीव की मुसीबतों को कितना हल निकाल पाते हैं।
चीन के यार ने दी भारत से दोस्ती की दुहाई
कभी चीन के कंधे पर सवार होकर भारत को आंख दिखाने वाले मुइज्जू अब भारत और मालदीव की ऐतिहासिक रिश्तों की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचे। भारत के एक अखबार के साथ बातचीत में मुइज्जू ने कहा कि भारत मालदीव का एक भरोसेमंद साझेदार और दोस्त है और यह संबंध दोनों देशों के बीच आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित है। राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन के साथ मालदीव के बढ़ते संबंधों पर कहा कि मालदीव दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि उसके किसी भी कदम से भारत की सुरक्षा और स्थिरता को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि मालदीव भारत के साथ मजबूत और रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाना जारी रखेगा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेगा।
इस्राइल-हमास युद्ध के एक साल पूरे हो गए हैं। पिछले साल 7 अक्तूबर को हमास ने इस्राइल की सीमा में घुसकर घातक हमला किया था। हमले में 1200 इस्राइली नागरिकों की हत्या कर दी गई थी और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था। 7 अक्तूबर के हमले के बाद इस्राइल ने हमास को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया था। इसके लिए इस्राइली सेना ने गाजा में हवाई और जमीनी हमले शुरू कर दिए। इस तरह हमास और इस्राइल के बीच बीते एक साल से खूनी जंग जारी है। दोनों पक्षों में कई बार युद्धविराम को लेकर कोशिशें भी हुईं जो हर बार अंत में बेनतीजा साबित हुईं। अब तक इस युद्ध में 1200 इस्राइली नागरिकों के अलावा हजारों हमास व अन्य सशस्त्र संगठनों के लड़ाके, 42 हजार से ज्यादा फलस्तीनी नागरिक और कई सौ इस्राइली सैनिक मारे जा चुके हैं। इस्राइली सेना ने कहा कि 7 अक्तूबर 2023 से अब तक 726 इस्राइली सैनिक मारे गए हैं। इनमें से 380 सैनिक 7 अक्तूबर के हमलों में मारे गए और 346 सैनिक 27 अक्तूबर 2023 से गाजा में शुरू हुई लड़ाई में मारे गए। अब तक घायल सैनिकों की संख्या 4,576 हो गई है। 56 सैनिक ऑपरेशन के दौरान हुईं दुर्घटनाओं के कारण मारे गए। इस्राइली सेना के आंकड़ों के अनुसार, हमास के कब्जे में अभी भी 100 से अधिक इस्राइली बंधक हैं।
युद्ध को लेकर क्या है इस्राइल का दावा?
इस्राइल-हमास के बीच जारी युद्ध को एक साल होने पर इस्राइल रक्षा बलों (IDF) ने एक डेटा प्रकाशित किया है। इसमें इस्राइली सेना ने गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और लेबनान में अपने अभियानों की जानकारी, मारे गए हमास लड़ाकों की संख्या और हमले की जगहों की संख्या का जिक्र किया है। इस्राइल का दावा है कि इस जंग में उसने हमास के हजारों लड़ाकों को मार गिराया है। इस्राइल ने गाजा में हमास के सुरंगों के नेटवर्क को खत्म करने का दावा भी किया है। इस्राइली सेना ने बताया कि एक साल में गाजा पट्टी में हमास के 40 हजार से ज्यादा ठिकानों पर बमबारी की गई। वहीं, हमास की 4,700 सुरंगों और 1,000 रॉकेट लॉन्चर साइट को भी तबाह कर दिया गया। युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक इस्राइल पर गाजा से 13,200 रॉकेट दागे गए हैं। पिछले एक साल में इस्राइल ने वेस्ट बैंक और जॉर्डन घाटी में 5,000 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। सेना ने यह भी बताया कहा कि उसने पिछले वर्ष गाजा के आठ लड़ाकू ब्रिगेड कमांडरों, लगभग 30 बटालियन कमांडरों और 165 कंपनी कमांडरों को मार गिराया।
इस्राइल एक साथ कई फ्रंट पर लड़ रहा है युद्ध
इस्राइल और हमास की जंग को एक साल पूरे हो गए है और इस एक साल की जंग ने हर तरफ तबाही मचा दी है। हमास के नियंत्रण वाले गाजा पट्टी से शुरू हुई ये जंग ईरान, लेबनान, सीरिया और यमन तक जा पहुंची है। लेबनान में हिज्बुल्लाह के खिलाफ कई हफ्तों से इस्राइली सेना का ऑपरेशन जारी है। लेबनान में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद से ईरान और इस्राइल के बीच भी तनाव चरम पर है। ईरान की तरफ से इस साल दो बार इस्राइल पर मिसाइलों से हमला किया गया है। इस्राइली सेना ने बताया कि जंग शुरू होने के बाद से अब तक इस्राइल पर गाजा से 13,200 रॉकेट दागे गए हैं। गाजा के अलावा 12,400 रॉकेट लेबनान से, 400 ईरान से, 180 यमन से और 60 रॉकेट सीरिया से दागे गए हैं। इस्राइली सेना ने बताया कि लेबनान में 800 से ज्यादा आतंकियों को मारा जा चुका है। वहीं, लेबनान में हिज्बुल्लाह के 6 हजार से ज्यादा जमीनी ठिकानों को तबाह कर दिया गया है। एक साल में इस्राइल ने वेस्ट बैंक और जॉर्डन घाटी से 5 हजार से ज्यादा संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया है।
युद्ध में हमास और हिजबुल्ला के प्रमुख की मौत
गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद ईरान समर्थक सशस्त्र समूहों ने भी इस्राइल के विरुद्ध कई मोर्चों पर युद्ध सुरु कर दिया। इसमें लेबनान से हिजबुल्ला, यमन से हूती और फलीस्तीन का इस्लामिक जिहाद संगठन शामिल है। इसी संघर्ष के बीच जुलाई 2024 में हमास प्रमुख इस्माइल हनिया ईरान की राजधानी तेहरान में एक विस्फोट में मारा गया। हानिया ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए तेहरान गया हुआ था। इस हमले के लिए हमास और ईरान ने इस्राइल को दोषी ठहराया था, लेकिन इस्राइल ने न तो इसमें शामिल होने की पुष्टि की है और न ही इनकार किया है। 28 सितंबर 2024 को इस्राइल ने लेबनान के बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर व्यापक हमला किया, इस हमले में तीन दशकों से अधिक समय तक हिजबुल्ला का नेतृत्व करने वाला हसन नसरल्ला मारा गया, जिसकी पुष्टि अगले दिन हिजबुल्ला ने की। इस बीच हसन नसरल्लाह की हत्या के कुछ दिन बाद अब इस्राइल ने बेरूत के दहिह उपनगर में पूर्व हिजबुल्लाह महासचिव और हसन नसरल्लाह के उत्तराधिकारी हाशेम सफीद्दीन को भी मार गिराया। इसके अलावा बीते दिन इस्राइल ने उत्तरी लेबनान के त्रिपोली शहर पर हमला किया, जिसमें IDF ने अल-कस्साम कमांडर सईद अतल्लाह को मार गिराने का दावा किया।