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Breaking News 7 July 2025

1 ) History Created in Mumbai | Raj-Uddhav’s Grand Reunion After 20 Years 

महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को ऐसा दृश्य देखने को मिला, जो दशकों तक केवल कल्पना में ही संभव था। करीब दो दशक बाद ठाकरे परिवार के दो चचेरे भाई — राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे — एक साथ एक ही मंच पर दिखाई दिए। मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित 'आवाज मराठीचा' महारैली, ना सिर्फ मराठी अस्मिता का प्रदर्शन बनी, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक संभावित नई करवट की चेतावनी भी बनकर उभरी। इस ऐतिहासिक रैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी अस्मिता के नाम पर जो तेवर दिखाए, वह किसी धमाके से कम नहीं थे। राज ठाकरे ने मंच से एक ऐसा बयान दे डाला, जिसने सियासी हलकों में सनसनी फैला दी। उन्होंने कहा, “मैंने पहले ही कहा था कि मेरा महाराष्ट्र, किसी भी राजनीति या व्यक्तिगत झगड़े से बड़ा है। और आज, बीस साल बाद मैं और उद्धव साथ आए हैं। जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया — हमें एक साथ लाने का काम।” इस एक वाक्य ने ना सिर्फ ठाकरे परिवार के पुराने रिश्तों को फिर से हवा दे दी, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित समीकरणों की गूंज भी पैदा कर दी। मंच पर यह दृश्य देख पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
राज ठाकरे ने अपने भाषण में केंद्र सरकार के तीन-भाषा फॉर्मूले को रद्द किए जाने को मराठी अस्मिता की जीत करार दिया। उन्होंने चेतावनी के अंदाज में कहा कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की जो भी साजिशें चल रही हैं, वे कभी कामयाब नहीं होंगी। “अगर किसी ने मुंबई पर हाथ डालने की हिम्मत की, तो मराठी मानुष का असली बल देखेगा,” यह शब्द जैसे मराठी स्वाभिमान की हुंकार बनकर गूंजे। राज यहीं नहीं रुके। उन्होंने तीखा सवाल उठाते हुए कहा — “अचानक हिंदी पर इतना जोर क्यों? क्या यह भाषा प्रेम है या कोई एजेंडा?” उन्होंने साफ आरोप लगाया कि महाराष्ट्र पर हिंदी थोपी जा रही है और यह मराठी संस्कृति पर सीधा हमला है। “जब हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ते हैं, तो मराठीपना खतरे में बताया जाता है। लेकिन जब बीजेपी नेता मिशनरी स्कूलों से पढ़े हों, तब उनके हिंदुत्व पर कोई सवाल नहीं उठता! ये दोगलापन नहीं चलेगा,” राज ने कहा। उन्होंने बालासाहेब ठाकरे और अपने पिता श्रीकांत ठाकरे का उदाहरण देते हुए बताया कि वे भी इंग्लिश मीडियम से पढ़े थे, लेकिन उन्होंने कभी मराठी को नहीं छोड़ा।

राज ने दक्षिण भारत का उदाहरण देकर महाराष्ट्र को सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में स्टालिन, जयललिता, ए.आर. रहमान जैसे लोग इंग्लिश मीडियम से पढ़े हैं, लेकिन क्या किसी ने उनके तमिल प्रेम पर शक किया? रहमान तो एक बार हिंदी भाषण सुनकर मंच छोड़कर चले गए थे।” उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, “अगर मैं हिब्रू भी सीख लूं, तो किसी को क्या दिक्कत है?” इसके साथ उन्होंने आरोप लगाया कि अब जब मराठी भाषा को लेकर एकता दिख रही है, तो कुछ ताकतें जाति की राजनीति शुरू करने की कोशिश करेंगी — ताकि मराठी एकता को तोड़ा जा सके।

राज ठाकरे ने हाल ही की मीरा रोड की घटना का भी ज़िक्र किया, जिसमें कथित रूप से एक गुजराती युवक को थप्पड़ मारा गया था। इस मुद्दे पर उन्होंने कहा — “अगर झगड़े में किसी को थप्पड़ मारा गया और वो गुजराती निकला तो क्या करें? क्या उसके माथे पर लिखा था?” उन्होंने लोगों को समझाया कि बिना वजह किसी पर हाथ उठाना गलत है, लेकिन अगर कोई ज़्यादा करे तो चुप भी नहीं बैठना चाहिए। हालांकि, उनका यह बयान कुछ हलकों में आलोचना के घेरे में है, क्योंकि यह सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है और इसे “गलत को भी जायज़ ठहराने की कोशिश” के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने आगे अपील की कि “मारपीट के वीडियो बनाना बंद करो – यह शोशेबाज़ी है।” साथ ही दोहराया कि – “बिना वजह किसी को मत मारो, लेकिन गलती करने वालों को सबक जरूर सिखाओ।

इस दौरान राज ने अपने गुजराती दोस्तों का ज़िक्र करते हुए एक नया शब्द दिया — 'गुज-राठी'। उन्होंने कहा, “मेरे कई गुजराती दोस्त हैं जो दिल से मराठी हैं। शिवाजी पार्क में मेरे भाषणों को सुनने आने वाले कई दोस्त गुजराती हैं, लेकिन मराठी से जुड़े हुए हैं। यही महाराष्ट्र की सुंदरता है।” अपने भाषण के अंत में राज ठाकरे ने एक ऐसी घोषणा की, जो इस रैली की आत्मा बन गई — “सरकारें आएंगी-जाएंगी, गठबंधन बनेंगे-बिगड़ेंगे, लेकिन मराठी भाषा और संस्कृति के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। यही बालासाहेब ठाकरे का सपना था, और यही हमारी निष्ठा है।”

 

2 )  रुपया गिरा, बाजार हिला... अब 9 July पर टिकी हैं सबकी सांसें!

भारतीय शेयर बाजार सोमवार को बेहद सतर्क माहौल में बंद हुआ। निवेशकों की नजरें पूरी तरह 9 जुलाई की उस डेडलाइन पर टिकी रहीं, जब अमेरिका की ओर से भारत समेत कई देशों पर 26% additional tariff लागू किए जाने की संभावना है। अमेरिकी टैरिफ छूट की 90 दिन की अवधि समाप्त होने से पहले बाजार में volatility देखने को मिली और निवेशक किसी भी तरह की आक्रामक positioning से बचते नजर आए।

बीएसई सेंसेक्स मात्र 9.61 points की हल्की बढ़त के साथ 83,442.50 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 0.30 points बढ़कर 25,461.30 के स्तर पर पहुंचा। सेंसेक्स का trading range दिनभर 83,262.23 से 83,516.82 के बीच रहा, वहीं निफ्टी 25,407 से 25,489 के दायरे में घूमता रहा। पूरे सत्र के दौरान बाजार सीमित दायरे में बना रहा, जो दर्शाता है कि निवेशकों में फिलहाल अनिश्चितता को लेकर स्पष्ट सतर्कता है।

मुद्रा बाजार की स्थिति भी चिंताजनक रही, जहाँ रुपया सोमवार को 48 paise गिरकर 85.88 per USD (provisional) के स्तर पर बंद हुआ। डॉलर की मजबूत स्थिति और लगातार जारी FII outflow ने रुपये पर दबाव बनाए रखा।

विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल बाजार पूरी तरह wait-and-watch मोड में है। सेंसेक्स की कुछ कंपनियों ने बाजार को सहारा दिया, जिनमें Hindustan Unilever, Kotak Mahindra Bank, Reliance Industries, Asian Paints, ITC और Trent प्रमुख रहीं। वहीं BEL, Tech Mahindra, UltraTech Cement, Maruti और Eternal जैसे स्टॉक्स दबाव में रहे और नुकसान के साथ बंद हुए।

वैश्विक स्तर पर भी बाजारों से स्पष्ट दिशा नहीं मिली। Japan का Nikkei 225 और Hong Kong का Hang Seng गिरावट के साथ बंद हुए, जबकि South Korea का Kospi और China का Shanghai Composite थोड़ा मजबूती में बंद हुए। European markets में भी मिलाजुला रुख देखा गया। हालांकि अमेरिकी बाजार शुक्रवार को positive territory में बंद हुए थे, लेकिन निवेशकों की नजरें अब 9 जुलाई की डेडलाइन पर टिकी हैं, जो भारतीय बाजार की निकट भविष्य की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।