भारतीय शेयर बाजार सोमवार की सुबह खुलते ही बुरी तरह धराशायी हो गया। वैश्विक स्तर पर आर्थिक अस्थिरता, अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी में अचानक आए बदलाव और मंदी की आशंका ने मिलकर बाजार में जबरदस्त घबराहट पैदा कर दी है। बीएसई सेंसेक्स करीब 2900 अंकों की गिरावट के साथ 72,389 और एनएसई निफ्टी 920 अंक लुढ़ककर 21,977 पर ट्रेड कर रहा है। प्री-ओपन सेशन में ही संकेत मिल चुके थे कि बाजार के लिए यह दिन ऐतिहासिक गिरावट का हो सकता है। सेंसेक्स 4000 और निफ्टी 1100 अंक तक गिर चुके थे। यह गिरावट 4 जून 2024 के बाद सबसे बड़ी है, जब लोकसभा चुनाव परिणामों की अनिश्चितता के कारण बाजार 8% तक टूट गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 180 से अधिक देशों पर टैरिफ लागू करने की घोषणा ने वैश्विक व्यापारिक माहौल को झकझोर दिया है। ट्रंप ने इसे "कड़वी लेकिन ज़रूरी दवा" बताया है, लेकिन इस नीति का असर भारत सहित कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर सीधे तौर पर देखा जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका इनडायरेक्ट लेकिन गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की संभावना 60% तक बताई गई है। इससे निवेशकों में डर का माहौल है और वे इक्विटी से निकलकर सेफ हेवेन एसेट्स (जैसे- गोल्ड, बॉन्ड) की ओर बढ़ रहे हैं। 7 अप्रैल से शुरू हो रही आरबीआई की MPC बैठक को लेकर भी बाजार में अनिश्चितता का माहौल है। यदि इस बैठक में रेपो रेट में कटौती होती है, तो इससे बाजार को कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन फिलहाल, निवेशक वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। सुबह 9:35 बजे तक सेंसेक्स 2,381 अंक यानी 3.12% और निफ्टी 816 अंक यानी 3.56% की गिरावट में रहा। सेंसेक्स की सभी 30 कंपनियों के शेयर लाल निशान में रहे, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान टाटा स्टील (-8%) और टाटा मोटर्स (-7%) को हुआ। आईटी और मेटल सेक्टर्स में 7-7% की गिरावट देखी गई। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 6% से ज्यादा फिसले। मार्च में जहां विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजार में अच्छी खासी पूंजी डाली थी, वहीं अप्रैल की शुरुआत होते ही उन्होंने मुनाफावसूली शुरू कर दी है। वैश्विक अनिश्चितता के कारण गोल्ड की कीमतें लगातार ऊपर चढ़ रही हैं, जो साफ संकेत है कि निवेशक अब रक्षात्मक रणनीति अपना रहे हैं। बाजार की नजर अब पूरी तरह से RBI की नीति पर टिक गई है। यदि रेपो रेट में कटौती की घोषणा होती है और टैरिफ मुद्दे पर कोई कूटनीतिक स्पष्टता सामने आती है, तो बाजार में कुछ स्थिरता लौट सकती है। लेकिन जब तक वैश्विक स्तर पर व्यापार और आर्थिक संकेत नहीं सुधरते, तब तक निवेशकों को वोलैटिलिटी के लिए तैयार रहना होगा। 7 अप्रैल 2025 को दर्ज की गई यह गिरावट महज़ एक बाजार घटना नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति, व्यापार और निवेश ट्रेंड्स का कॉम्प्लेक्स मिक्सचर है।