NLFT-ATTF ने शांति समझौते पर किए हस्ताक्षर
भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर्स फोर्स (एटीटीएफ) ने बुधवार को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और अन्य की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के बाद NLFT ने कहा कि हमने सरकार पर भरोसा किया है, इसलिए हम अपना 30 साल का सशस्त्र संघर्ष समाप्त कर रहे हैं। हमने अपनी शर्तों को साझा किया है और हमें गृहमंत्री पर भरोसा है।
मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री शाह का जताया आभार
शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा, मैं गृहमंत्री शाह का आभार जताना चाहता हूं, जिन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सद्भावना का माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री शाह की सक्रिय पहल पर पिछले दस वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। त्रिपुरा के लिए अब तक तीन समझौते किए गए हैं। यह बहुत खुशी की बात है कि NLFT और ATTF के सदस्यों ने मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और गृह मंत्री शाह के मार्गदर्शन में त्रिपुरा में सभी लोगों का भविष्य उज्जवल है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में उत्तर पूर्व में एक दर्जन से ज्यादा शांति समझौते हुए हैं जिसमें 3 समझौते त्रिपुरा के लिए हैं। त्रिपुरा का भविष्य उज्ज्वल है और हम इस के लिए पीएम मोदी का भी धन्यवाद देते हैं।
क्या बोले अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा, "यह हमारे लिए खुशी की बात है कि 35 वर्षों के संघर्ष के बाद आपने हथियार डाल दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल होकर त्रिपुरा के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस समझौते से इन दोनों संगठनों के 328 लोग मुख्यधारा में आएंगे। 250 करोड़ का पैकेज त्रिपुरा के इस इलाके के लिए होगा और इस समझौते की हर बात का पालन किया जाएगा। आज हम सबके लिए गर्व का विषय है कि 35 साल से जो संघर्ष चल रहा था वो खत्म हो गया। यह सब शांति और संवाद के जरिए हो सका है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की कमान संभालने के बाद से शांति और संवाद के जरिए विकसित पूर्वोत्तर का दृष्टिकोण पेश किया है। पूर्वोत्तर के लोगों और दिल्ली के बीच बहुत दूरी थी। उन्होंने इसे सड़क, रेल और हवाई संपर्क से ही नहीं, बल्कि लोगों के दिलों के बीच की दूरी को भी कम करके समाप्त किया है। पीएम मोदी ने नार्थ ईस्ट से दिलों का फासला दूर किया है। अमित शाह ने कहा कि ये समझौता कागज का टुकड़ा नहीं बल्कि दिलों का मेल है। उन्होंने कहा कि उग्रवाद, हिंसा और संघर्ष से मुक्त विकसित पूर्वोत्तर के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय अथक प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और समृद्धि लाने के लिए 12 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से तीन त्रिपुरा से संबंधित हैं। इन समझौतों के कारण करीब 10,000 लोग हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
मार्च में भी हुआ था समझौता
त्रिपुरा के मूल निवासियों की समस्याओं का स्थायी समाधान लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इसी साल मार्च माह के दौरान TIPRA मोथा, त्रिपुरा और केंद्र सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। एक आधिकारिक बयान के अनुसार समझौते के तहत त्रिपुरा के मूल निवासियों के इतिहास, भूमि, राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमति व्यक्त की गई थी। इस दौरान अमित शाह ने कहा था कि मैं त्रिपुरा के सभी हितधारकों को आश्वस्त करता हूं कि अब आपको अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। भारत सरकार आपके अधिकारों की सुरक्षा के लिए तंत्र बनाने में दो कदम आगे रहेगी। उन्होंने कहा, मोदी सरकार पूर्वोत्तर में, खासकर आदिवासी समूहों की संस्कृति, भाषा और पहचान को संरक्षित रखते हुए, समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
केंद्र सरकार ने शांति समझौते पर क्या कहा?
केंद्र सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के उग्रवाद, हिंसा और संघर्ष से मुक्त, विकसित पूर्वोत्तर के विजन को साकार करने की दिशा में गृह मंत्रालय अथक प्रयास कर रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार ने नॉर्थईस्ट में शांति व समृद्धि बहाल करने के लिए 12 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 3 त्रिपुरा राज्य से संबंधित हैं। बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा किए गए अनेक समझौतों के कारण लगभग 10 हजार लोग हथियार छोड़ कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। बता दें, सरकार ने शांति समझौते के तुरंत बाद दोनों उग्रवादी समूहों के परिचालन वाले क्षेत्रों के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जहां भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, मोदी सरकार उन क्षेत्रों को विकसित करने और हथियार उठाने के कारणों को दूर करने के लिए काम कर रही है।
LG हुए मजबूत तो AAP ने कह दी हक छीनने की बात
केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) की शक्तियों का और विस्तार किया है। इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई। इसके अनुसार, किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड और आयोग गठित करने का पूरा अधिकार अब दिल्ली के उपराज्यपाल के पास होगा। इसके साथ ही उपराज्यपाल इन निकायों में सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकेंगे। बता दें, यह अधिसूचना गृह मंत्रालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के तहत जारी की गई है। अनुच्छेद 239 केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से जुड़ा हुआ है, जो राष्ट्रपति को नियुक्त प्रशासक के जरिए काम करने की शक्ति देता है। यह निर्णय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के तहत लिया गया है।
संसोधन से पहले किसके पास थे अधिकार?
किये गए सभी बदलाव राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 की धारा 45D से जुड़े हुए हैं। धारा 45D खास तौर पर प्राधिकरणों, बोर्डों, आयोगों या वैधानिक संस्थाओं की नियुक्ति की शक्ति से जुड़ी है। 11 अगस्त, 2023 को संशोधन अधिनियम को अधिसूचित किया गया था। शुरू में, धारा 45 की उपधारा 'D' की शक्ति राष्ट्रपति को सौंपी गई थी, इसका मतलब यह था कि पहले राष्ट्रपति के पास किसी भी बोर्ड, आयोग, प्राधिकरण या वैधानिक निकाय के गठन का अधिकार था। उनके पास ही इन निकायों के भीतर किसी भी अधिकारी को नियुक्त करने की शक्ति थी। पहले उपराज्यपाल के पास सदस्यों को नामित करने का अधिकार था और नियुक्ति को अंततः गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दी जाती थी। अब उपराज्यपाल राष्ट्रपति की अनुमति के बिना सीधे नियुक्तियां कर सकते हैं। पिछली व्यवस्था के तहत, दिल्ली सरकार और उसके अधिकारियों की वैधानिक निकायों के गठन और कामकाज में अधिक अहम भूमिका थी। इनमें मुख्यमंत्री और विभिन्न विभाग प्रमुख शामिल हैं। नए निर्देश इन जिम्मेदारियों को दिल्ली सरकार से दूर कर देते हैं और उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देते हैं।
क्या है राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम?
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 11 मई, 2023 को फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सारे प्रशासनिक फैसले लेने के लिए दिल्ली की सरकार स्वतंत्र होगी। अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर-पोस्टिंग भी कर पाएगी। उपराज्यपाल इन तीन मुद्दों को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। बता दें, इस फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे। कोर्ट के फैसले के एक हफ्ते बाद ही 19 मई, 2023 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई। केंद्र ने 'गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली ऑर्डिनेंस 2023' लाकर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार वापस उपराज्यपाल को दे दिया। अगस्त 2023 में केंद्र सरकार लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 लेकर आई और संसद से पास होने के बाद 11 अगस्त, 2023 को संशोधन अधिनियम को अधिसूचित कर दिया गया।
केंद्र-राज्य टकराव से बदलाव की जरूरत हुई?
दिल्ली महिला आयोग और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पद कई महीनों से खाली पड़े हैं। दिल्ली में पिछले साल दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर काफी विवाद हुआ था। उस वक्त मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पद के लिए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजीव कुमार श्रीवास्तव की सिफारिश की थी। नियुक्ति के लिए लंबे इंतजार के बाद, राजीव ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए कहा कि वह अब कार्यभार नहीं संभाल पाएंगे। इसके बाद सीएम ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति संगीत लोढ़ा के नाम की सिफारिश की लेकिन, केंद्र ने न्यायमूर्ति उमेश कुमार (सेवानिवृत्त) की नियुक्ति की। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने नियुक्ति के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और इसे अवैध और असंवैधानिक बता दिया। न्यायालय ने दोनों कार्यालयों से एक साथ बैठकर नाम तय करने को कहा, लेकिन दोनों पक्ष ऐसा करने में असफल रहे। अंत में सर्वोच्च न्यायालय को इस पद के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयंतनाथ को नामित करना पड़ा।
नए फैसले पर आमने-सामने आप और भाजपा
दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने केंद्र के नए फैसले पर एक ओर जहाँ कड़ा ऐतराज जताया है। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के अधिकार छीनकर थोपे गए लोगों को अधिकार दिए जा रहे हैं। सौरभ ने कहा, केंद्र सरकार चाहती है कि पूरी दिल्ली को उनके द्वारा लगाये गये एलजी चलाएं। भाजपा चुनाव नहीं जीत पा रही है, इसलिए वह पिछले दरवाजे से दिल्ली पर कब्जा करना चाहती है। तो वहीं, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सचदेवा ने कहा, सौरभ भारद्वाज और वर्तमान में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेताओं को यह बताना चाहिए कि जब वे सत्ता में थे, तो उन्होंने अपने लोगों को 1.5-2 लाख रुपये के वेतन वाले पदों पर क्यों नियुक्त किया था। आने वाले दिनों में दोनों पार्टीओं के बीच इस बदलाव को लेकर और वार-पलटवार देखने को मिल सकता है, ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी का इस संसोधन को लेकर अगला कदम क्या होने वाला है।
वर्तमान समय में PPF यानि पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम में निवेश करने पर आपको 7.1 प्रतिशत की ब्याज दर मिल रही है। PPF स्कीम में निवेश करने पर आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है और इस स्कीम में निवेश किए गए पैसों पर किसी भी प्रकार के बाजार से जुड़े जोखिमों का सामना नहीं करना पड़ता है। मौजूदा समय में देश में कई लोग पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम में निवेश करते हैं और निवेश का यह विकल्प देशभर में काफी लोकप्रिय भी है। PPF स्कीम में आप न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये सालाना निवेश कर सकते हैं। PPF में निवेश किया गया पैसा 15 सालों में मैच्योर हो जाता है। हालांकि, आप पांच-पांच सालों के लिए अपनी निवेश अवधि को बढ़ा सकते हैं।
अक्तूबर से लागू होंगे PPF में बड़े बदलाव
सर्कुलर के मुताबिक PPF स्कीम के जिन नियमों में बदलाव हुए हैं वह 1 अक्तूबर, 2024 से लागू हो जाएंगे। अगर आपका पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम में खाता है तो आपको बदले गए इन नियमों के बारे में जरूर पता होना चाहिए। जारी सर्कुलर के मुताबिक नाबालिग के नाम पर जो PPF अकाउंट खोले गए हैं उस पर पोस्ट ऑफिस के सेविंग अकाउंट के बराबर ब्याज मिलेगी। नाबालिग की उम्र जब 18 साल हो जाएगी उसके बाद उसको पूरी ब्याज दर का भुगतान किया जाएगा। ऐसे निवेशक जिन्होंने एक से ज्यादा PPF अकाउंट खोल रखा है उनके सिर्फ प्राइमरी अकाउंट पर ही PPF स्कीम की ब्याज दर लागू होगी। इसके अलावा दूसरे अकाउंट के बैलेंस को प्राइमरी अकाउंट में डाल दिया जाएगा। सर्कुलर के मुताबिक NRI PPF अकाउंट में 30 सितंबर तक पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट के बराबर ब्याज दर दिया जाएगा। इसके बाद उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज एजेंसी ANI की अवमानना याचिका पर विकिपीडिया को नोटिस जारी किया है। याचिका में हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए पहले के आदेश में विकिपीडिया को निर्देश देते हुए कहा गया था कि ANI के 'विकिपीडिया पेज' पर कथित रूप से अपमानजनक एडिटिंग करने वाले सब्सक्राइबर्स की जानकारी का खुलासा करें, जिसका पालन अभी तक नहीं किया गया है। बता दें, कोर्ट ने विकिपीडिया के ऑथराइज्ड प्रतिनिधि को 25 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद होने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने वकील के उस कथन पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें अदालत में उपस्थित होने में वक्त लगा, क्योंकि संस्था भारत में स्थित नहीं है।
"भारत पसंद नहीं है तो भारत में काम न करें"
हाई कोर्ट ने कहा कि हम यहां आपके व्यापारिक लेन-देन बंद कर देंगे और हम सरकार से विकिपीडिया को ब्लॉक करने के लिए कहेंगे। अगर आपको भारत पसंद नहीं है, तो कृपया भारत में काम न करें। आपको बता दें कि यह विवाद तब शुरू हुआ, जब ANI ने समाचार एजेंसी के कथित अपमानजनक मामले को लेकर विकिपीडिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया। इस साल 20 अगस्त को, विकिपीडिया समन जारी होने के बाद कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुआ था, तब कोर्ट ने विकिपीडिया को निर्देश दिया कि वह दो हफ्ते के अंदर ANI को तीनों व्यक्तियों के सब्सक्राइबर डीटेल्स का खुलासा करें।
उपराष्ट्रपति ने नवनिर्वाचित सदस्यों को दिलाया शपथ
संसद भवन में आयोजित एक महत्वपूर्ण समारोह में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के पांच नवनिर्वाचित सदस्यों को पद की शपथ दिलाई। शपथ लेने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों में श्री रवनीत सिंह, श्रीमती ममता मोहंता, श्री उपेन्द्र कुशवाहा, श्री नितिन लक्ष्मणराव जाधव-पाटिल और श्री मनन कुमार मिश्रा शामिल थे। यह समारोह देश की विधायी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है, क्योंकि ये नेता आने वाले सत्र में संसद के ऊपरी सदन में अपनी विशेषज्ञता और दृष्टिकोण का योगदान करेंगे। उपराष्ट्रपति ने नए सदस्यों को हार्दिक बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि वे सदन में स्वस्थ बहस और निर्णय लेने के माध्यम से देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन संसद सदस्यों से आज भारत के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए नए विचार और समर्पण लाने की उम्मीद की जाती है। उनकी विविध पृष्ठभूमि और अनुभव निस्संदेह राज्यसभा में विचार-विमर्श को समृद्ध करेंगे, जिससे विभिन्न मोर्चों पर देश की प्रगति को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह महत्वपूर्ण अवसर भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार को दर्शाता है, जहां देश भर के प्रतिनिधि लोगों की सेवा करने और संविधान में निहित मूल्यों को बनाए रखने के लिए एक साथ आते है