भारतीय शेयर बाजार में हलचल मचाने वाला Hexaware Technologies Limited का IPO आखिरकार 12 फरवरी 2025 को खुलने जा रहा है। यह IPO 8,750 करोड़ रुपये का होगा, जो इसे आईटी सेक्टर का दूसरा सबसे बड़ा IPO बना देगा। Hexaware एक ग्लोबल डिजिटल और टेक सर्विस कंपनी है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर फोकस करती है। Hexaware Technologies की कहानी नई नहीं है। यह कंपनी 2002 में भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी और धीरे-धीरे इसने अपनी पहचान बनाई। लेकिन 2020 में अचानक इसे डीलिस्ट कर दिया गया। Baring Private Equity Asia नाम की इन्वेस्टमेंट फर्म ने इसे प्राइवेट कंपनी बना दिया, जिससे इसके शेयर, मार्केट से गायब हो गए। अब, 2025 में वही कंपनी IPO के जरिए फिर से बाजार में आ रही है। यह सोचने वाली बात है कि जो कंपनी चार साल पहले बाजार से हटा दी गई थी, अब उसे फिर से सूचीबद्ध करने की क्या जरूरत आन पड़ी? क्या यह IPO एक निवेश का अवसर है या सिर्फ पुराने निवेशकों के लिए बाहर निकलने का एक साधन?
Carlyle Group ने 2021 में Hexaware को लगभग 3 बिलियन डॉलर में खरीदा था। अब, महज चार साल बाद, वे इस कंपनी को IPO के जरिए निवेशकों के सामने पेश कर रहे हैं। इस IPO में पूरी रकम "ऑफर फॉर सेल" (OFS) के रूप में आएगी, जिसका मतलब यह है कि Hexaware को इस प्रक्रिया से कोई नया फंड नहीं मिलेगा। इस IPO से केवल मौजूदा निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में खुदरा निवेशकों को यह सोचना चाहिए कि वे जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, वह खुद इस रकम से कोई नया विकास नहीं करने जा रही है। Hexaware का IPO 8,750 करोड़ रुपये के साइज के साथ आ रहा है, जिसमें प्राइस बैंड 674 - 708 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। एंकर निवेशकों के लिए आवेदन की तारीख 11 फरवरी 2025 है, जबकि सार्वजनिक निवेशक 12 से 14 फरवरी 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। निवेश की न्यूनतम सीमा 21 शेयरों के एक लॉट के रूप में निर्धारित की गई है, जिसकी कीमत 14,868 रुपये होगी, जबकि खुदरा निवेशक अधिकतम 13 लॉट (273 शेयर) के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसकी कीमत 1,93,284 रुपये होगी। IPO का आवंटन 17 फरवरी 2025 को होगा, और रिफंड 18 फरवरी 2025 को जारी किए जाएंगे। इसी दिन शेयर डिमैट अकाउंट में जमा हो जाएंगे, जबकि 19 फरवरी 2025 को BSE और NSE पर लिस्टिंग होगी। इस IPO का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) के लिए, 35% रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए और 15% नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NIIs) के लिए रिजर्व किया गया है। इससे स्पष्ट है कि खुदरा निवेशकों को सीमित अवसर मिलेंगे, क्योंकि अधिकांश हिस्सेदारी संस्थागत निवेशकों के लिए निर्धारित की गई है।
Hexaware Technologies का IPO आईटी सेक्टर का अब तक का सबसे बड़ा IPO होगा, अगर हम इसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के 4,713 करोड़ रुपये के IPO से तुलना करें। Hexaware का IPO TCS के मुकाबले लगभग दो गुना बड़ा होगा। लेकिन यहाँ एक महत्वपूर्ण अंतर है TCS एक स्थापित और स्थिर कंपनी है, जबकि Hexaware की डीलिस्टिंग और फिर से लिस्टिंग इसका अस्थिर इतिहास दर्शाती है। TCS का IPO निवेशकों के लिए एक लॉन्ग-टर्म ग्रोथ का जरिया था, जिसने लगातार बेहतरीन रिटर्न दिए। Hexaware के साथ ऐसा होगा या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। इस कंपनी के प्रमोटर्स पहले भी इसे डीलिस्ट कर चुके हैं, तो क्या गारंटी है कि वे दोबारा ऐसा नहीं करेंगे? Hexaware का IPO बड़े संस्थागत निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उन्हें इसे कम कीमत पर खरीदने का मौका मिलेगा। लेकिन खुदरा निवेशकों को ऊंचे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर किया जा सकता है। अगर यह शेयर 19 फरवरी को लिस्टिंग के बाद गिरता है, तो खुदरा निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि कई विश्लेषक इस IPO को लेकर सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। बड़े खिलाड़ी इसमें पैसा लगाकर लाभ कमाकर निकल सकते हैं, जबकि आम निवेशक इसमें फंस सकते हैं। Hexaware Technologies का IPO एक आकर्षक मौका दिख सकता है, लेकिन निवेशकों को इससे पहले गहराई से सोचने की जरूरत है। यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान की जा रही है। निवेश से जुड़ा हर निर्णय बाजार जोखिमों के अधीन होता है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी वित्तीय विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे फॉर्म में दिखे। कांग्रेस पर जमकर बरसे और अपनी सरकार की नीतियों को जनता के हित में बताया। मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि देश के भविष्य का रोडमैप भी तय करता है। लेकिन, "जिसने जैसा समझा, उसने वैसा समझाया।" प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के विकास मॉडल को कांग्रेस के मॉडल से अलग बताते हुए कहा कि कांग्रेस का मॉडल "फैमिली फर्स्ट" पर टिका रहा, जबकि उनकी सरकार "नेशन फर्स्ट" की नीति पर काम कर रही है। मोदी ने सीधे-सीधे कहा "इतना बड़ा दल एक ही परिवार के लिए समर्पित हो गया है। उनसे कोई उम्मीद करना ही गलती होगी।" उन्होंने कहा कि जनता ने लगातार तीसरी बार भाजपा को मौका दिया है, जिससे यह साफ हो गया कि जनता ने उनके मॉडल को परखा, समझा और समर्थन दिया है।
मोदी ने कांग्रेस की राजनीति को "झुनझुना बांटने और आंखों पर पट्टी बांधकर वोट बैंक की खेती करने की राजनीति" बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का तरीका यही था कि चुनावों से ठीक पहले छोटे तबकों को कुछ दे दो और बाकी को नजरअंदाज कर दो। "कांग्रेस की राजनीति का तरीका यही रहा कि जब चुनाव आए, तब कुछ लोगों को फायदा दो और बाकी को तरसते देखो। हमने इस राजनीति को बदलकर सबको समान अवसर देने पर जोर दिया है।" मोदी ने साफ कहा कि उनकी सरकार ‘तुष्टिकरण नहीं, संतुष्टिकरण’ की नीति पर चलती है, ताकि योजनाओं का लाभ 100 फीसदी जरूरतमंदों तक पहुंचे। जातीय राजनीति पर भी मोदी ने कांग्रेस को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि तीन दशक तक देश के ओबीसी सांसद ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग करते रहे, लेकिन कांग्रेस ने इसे ठुकरा दिया। "तीन दशक तक मांग उठती रही, लेकिन कांग्रेस सरकारों ने इसे ठुकरा दिया। क्यों? क्योंकि शायद उस समय उनकी राजनीति को ये सूट नहीं करता था।" मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को मजबूत बनाकर दलित और आदिवासी समाज के प्रति सम्मान भी दिखाया और सुरक्षा की गारंटी भी दी। उन्होंने कहा कि आज जातिवाद का ज़हर फैलाने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन उनकी सरकार बिना भेदभाव के हर वर्ग के लिए काम कर रही है। 'सबका साथ, सबका विकास’ हमारा मंत्र। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का गवर्नेंस मॉडल एकदम साफ है हर योजना का लाभ उन तक पहुंचे, जिनके लिए वह बनाई गई है। उन्होंने कहा "हमारी सरकार ने पैर उतने ही लंबे किए, जितनी चादर थी। लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि हर किसी को योजनाओं का 100 फीसदी लाभ मिले।" उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोगों को इसमें दिक्कत हो रही है, जबकि इसमें कठिनाई क्या है? "यह तो हम सबका दायित्व है।" ‘2014 से पहले कोई वैकल्पिक मॉडल ही नहीं था’ मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने दशकों तक देश को कोई विकल्प ही नहीं दिया। बोले "पांच से छह दशक तक देश के सामने कोई ऑल्टरनेटिव मॉडल नहीं था। 2014 के बाद जनता ने वैकल्पिक मॉडल देखा और उसे अपनाया।" मोदी ने जोर देकर कहा कि 2014 के बाद उनकी सरकार ने एक नया दृष्टिकोण दिया, जो संसाधनों के इष्टतम उपयोग पर आधारित था। बोले "हमारी कोशिश रही है कि भारत के पास जो भी संसाधन हैं, उनका पूरी तरह से सही उपयोग किया जाए। एक-एक पल और एक-एक संसाधन को देश के विकास में लगाया जाए।" ‘तीसरी बार मौका मिला, जनता को हमारे मॉडल पर भरोसा’ मोदी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि जनता ने उनकी सरकार के मॉडल को समझा और उसे स्वीकार किया। बोले "हमने योजनाओं को ज़मीन पर उतारने का काम किया। हमने वोट बैंक की राजनीति नहीं की, बल्कि हर तबके तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया। यही वजह है कि जनता ने हमें तीसरी बार सेवा करने का मौका दिया है।" इस पूरे भाषण में मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। ‘फैमिली फर्स्ट बनाम नेशन फर्स्ट’ की बहस को धार दी और खुद को विकास की राजनीति का वाहक बताया। साथ ही, उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं को देश के हर वर्ग के लिए फायदेमंद बताते हुए कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति पर सवाल उठाए। तो कुल मिलाकर, मोदी ने अपनी सरकार के विकास मॉडल को सही ठहराया और कांग्रेस के ‘फैमिली फर्स्ट’ मॉडल को कटघरे में खड़ा कर दिया!