क्रिप्टो मार्केट के लिए एक तगड़ी खबर है! बिटकॉइन ने $100,000 का आंकड़ा छू लिया है। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद Bitcoin ने बहुत बड़ा उछाल लेते हुए $100,000 का ऐतिहासिक स्तर पार कर लिया है। यह उछाल उनकी क्रिप्टो-समर्थक नीतियों और SEC के लिए पॉल एटकिंस की नियुक्ति से प्रेरित माना जा रहा है। बिटकॉइन की इस ऊंचाई का सबसे बड़ा कारण है,Institutional investors का जबरदस्त निवेश। बिटकॉइन ETFs (Exchange-Traded Funds) की बढ़ती पॉपुलैरिटी और इन्वेस्टर्स की भारी डिमांड ने इसकी वैल्यू को ऊपर खींच लिया। खासकर दिसंबर में ETFs के ज़रिए पैसे की धुआंधार एंट्री देखी गई, जिससे मार्केट में "बुल रन" चालू हो गया। अब, टेक्निकल एनालिसिस की मानें, तो बिटकॉइन ने पहले $99,588 का रेजिस्टेंस तोड़ा और उसे सपोर्ट लेवल बना लिया। इसके बाद मार्केट में बड़ी होल्डिंग वाले "व्हेल" (यानी 10 BTC या ज्यादा वाले इन्वेस्टर्स) ने नवंबर में ही $6 बिलियन के बिटकॉइन जमा कर लिए थे, जिससे इसका प्राइस तेजी से बढ़ा। यही नहीं, ग्लोबल मार्केट में इकोनॉमिक प्रेशर थोड़ा कम हुआ है, जिसने इस ग्रोथ को सपोर्ट किया। कुछ पुराने इन्वेस्टर्स, जैसे ट्रेडर DonAlt, जो $16,000 के समय से इसमें लगे हुए थे, अब इसका फायदा उठा रहे हैं। ये लोग लंबे समय से इंतजार में थे कि बिटकॉइन $100,000 के आंकड़े को छुए। तो कुल मिलाकर, बिटकॉइन का यह रिकॉर्ड सेट करना दिखाता है कि क्रिप्टो मार्केट अब और उचाईयों पर है।
ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान डिजिटल संपत्तियों को बढ़ावा देने और अमेरिका को "क्रिप्टो कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" बनाने का वादा किया था। SEC के नए अध्यक्ष की नियुक्ति से नियामक स्पष्टता की उम्मीदें बढ़ी हैं। चुनाव परिणामों के बाद क्रिप्टो-ईटीएफ में $4 बिलियन से अधिक का निवेश हुआ। बिटकॉइन से संबंधित स्टॉक्स, जैसे MARA और MicroStrategy, में भी बड़ी तेजी देखी गई। निवेशकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन क्रिप्टोकरेंसी के लिए सकारात्मक माहौल बना सकता है, जिससे पूरी ब्लॉकचेन इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, नियामकीय सुधारों की प्रक्रिया अभी स्पष्ट नहीं है। यह बदलाव क्रिप्टो बाजार और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। बिटकॉइन सिर्फ एक करेंसी नहीं है; यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का प्रतिनिधित्व करता है। ब्लॉकचेन एक विकेंद्रीकृत (decentralized) नेटवर्क है, जिसमें हर ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड होता है। यह तकनीक इतनी सुरक्षित और पारदर्शी है कि इसे अब बैंकिंग, हेल्थकेयर, और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वजह से बिटकॉइन की लोकप्रियता और बढ़ी है। बिटकॉइन में पब्लिक की (address) और प्राइवेट की (password) होती है। पब्लिक की का इस्तेमाल भेजने और प्राप्त करने के लिए होता है, जबकि प्राइवेट की सिर्फ उस व्यक्ति के पास होती है जो बिटकॉइन का मालिक है। इसका मतलब है कि आप अपने फंड्स पर पूरी तरह से नियंत्रण रखते हैं, बिना किसी बैंक के।
बिटकॉइन माइनिंग से नए बिटकॉइन बनाए जाते हैं। यह प्रक्रिया बहुत ऊर्जा-गहन (energy-intensive) है, क्योंकि इसे हल करने के लिए सिस्टम को जटिल समस्याओं को solve करना पड़ता है। आज, माइनिंग का अधिकांश हिस्सा बड़े डेटा सेंटर और ग्रुप्स द्वारा किया जाता है। बिटकॉइन की कीमतों में उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) इसकी सबसे बड़ी खासियत और चुनौती है। निवेशक इसे एक मौका मानते हैं, क्योंकि वोलैटिलिटी से मुनाफे की संभावना बढ़ती है। लेकिन यह जोखिमभरा भी है, क्योंकि कीमतें तेज़ी से गिर भी सकती हैं।
पार्लियामेंट का उच्य सदन कहे जाने वाले राज्यसभा में आज कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से नोटों की गड्डी मिलने का मामला सामने आया है। दरअसल हुआ कुछ ऐसा कि कल राज्यसभा में सुरक्षा अधिकारियों को जांच के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के नीचे से नोटों की गड्डी मिला था और घटना सदन के सामने आने के बाद इस मामले पर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा भी हुआ। राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने की जानकारी देते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं सभी उपस्थित सदस्यों को सूचित करना चाहता हूं कि कल सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सदन की नियमित जांच के दौरान, सुरक्षा अधिकारियों ने सीट संख्या-222 से नोटों की एक गड्डी बरामद की, जो वर्तमान में तेलंगाना राज्य से निर्वाचित अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। उन्होंने बताया कि जब यह मामला मेरे संज्ञान में लाया गया तब मैंने सुनिश्चित किया कि जांच हो और इसकी जांच चल रही है। वहीं, खुद पर लगे आरोपों से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इनकार किया है। उन्होंने कहा कि सदन में मिले पैसे उनके नहीं है और वे सदन में सिर्फ 500 का नोट लेकर गए थे। बता दें, पेशे से अधिवक्ता और कांग्रेस सांसद सिंघवी ने कहा कि उन्होंने आज से पहले कभी कोई ऐसा मामला नहीं सुना। मैं जब भी राज्यसभा जाता हूं तो 500 रुपए का नोट साथ लेकर जाता हूं, मैं इस तरह के मामले को पहली बार सुन रहा हूँ। उन्होंने बताया कि मैं 12:57 बजे सदन में पहुंचा और सदन से 1 बजे चला गया, फिर मैं 1:30 बजे तक कैंटीन में बैठा और फिर संसद से चला गया।
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष और सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा इसे किसी एक पार्टी से जोड़ने पर सवाल उठाया है। खड़गे ने कहा कि जब घटना की जांच होगी तो उसमें साफ होगा कि कौन दोषी है, लेकिन अभी किसी व्यक्ति या पार्टी पर सीधे तौर पर आरोप लगाना सही नहीं है। मैं अनुरोध करता हूं कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और घटना की प्रामाणिकता स्थापित नहीं हो जाती तब तक इस मामले में किसी भी सदस्य का नाम उजागर न किया जाए। कांग्रेस सांसद खड़गे की बात के जवाब में सभापति ने कहा कि उन्होंने सिर्फ सीट नंबर की जानकारी दी है और इसे किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष से नहीं जोड़ा है। वहीं, इस पूरे मामले में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि नियमित प्रोटोकॉल के अनुसार सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद एंटी-सैबोटेज टीम ने सीटों की जांच की और इस प्रक्रिया के दौरान नोट पाया गया, जिसके बाद सीट नंबर का पता किया गया। उन्होंने कहा कि सदस्यों ने जाँच वाले दिन हस्ताक्षर भी किए हैं, ऐसे में मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस बात पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए कि अध्यक्ष को सदस्य का नाम नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने सीट नंबर और उस विशेष सीट नंबर पर बैठे सदस्य का नाम सही ढंग से सदन के सामने रखा है और इसमें क्या गलत है? इस पर किसी भी पार्टी या सदस्य को आपत्ति क्यों होनी चाहिए? क्या आपको नहीं लगता कि जब हम डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहे हैं, तो ऐसे में सदन में नोटों का बंडल ले जाना कितना उचित है? हम सदन में नोटों का बंडल नहीं ले जाते। मैं सभापति की इस टिप्पणी से पूरी तरह सहमत हूं कि इसकी गंभीर जांच होनी चाहिए और इस मामले में सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताएं भी वास्तविक हैं।
सुकुमार निर्देशित अल्लू अर्जुन की बहुप्रतीक्षित फिल्म पुष्पा द रूल पार्ट 2 ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर ऐसा धमाका किया कि सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। फिल्म की एडवांस बुकिंग से ही इस बात के संकेत मिल रहे थे कि यह एक ऐतिहासिक शुरुआत करेगी। 5 दिसंबर को रिलीज होते ही 'पुष्पा 2' ने साबित कर दिया कि यह केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक इवेंट है। सभी भाषाओं में रिलीज हुई इस फिल्म ने पहले ही दिन 165 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन किया। इसके अलावा, तेलुगू वर्जन के प्रीमियर से बुधवार को 10.1 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जिससे कुल ओपनिंग डे कलेक्शन 175.1 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि इस फिल्म का बजट 500 करोड़ रूपए है। यह आंकड़ा न केवल इस साल की, बल्कि भारतीय सिनेमा इतिहास की सबसे बड़ी ओपनिंग का रिकॉर्ड है। फिल्म ने शाहरुख खान की 'जवान', एसएस राजामौली की 'RRR', और 'बाहुबली 2' जैसी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया। इंडिया में 'RRR' का ओपनिंग डे ग्रॉस कलेक्शन 133 करोड़ रुपये था वहीँ 'बाहुबली 2' का ओपनिंग डे कलेक्शन 153 करोड़ रुपये था। इसके अलावा 'जवान' का ओपनिंग कलेक्शन 125 करोड़ रुपये था। सिर्फ दक्षिण भारत ही नहीं, 'पुष्पा 2' ने हिंदी भाषी क्षेत्रों में भी अद्वितीय सफलता हासिल की। शाहरुख खान की 'जवान' और 'पठान' जैसी बड़ी फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए, यह फिल्म हिंदी बेल्ट में सबसे बड़ी ओपनिंग करने वाली फिल्म बन गई है। एडवांस बुकिंग में ही हजारों स्क्रीन हाउसफुल हो गईं। देशभर के थिएटर्स में प्रशंसकों ने जश्न के माहौल में फिल्म देखी। कई स्थानों पर फिल्म के लिए अतिरिक्त शोज जोड़े गए।
'पुष्पा 2' ने शुरुआती तीन दिनों में ही इतिहास लिखने की नींव रख दी है। फिल्म के ट्रेंड को देखते हुए, यह जल्द ही 1000 करोड़ क्लब में शामिल हो सकती है। रश्मिका मंदाना, श्रीवल्ली के रूप में, और फहाद फासिल, जो मुख्य विलेन के रूप में वापसी कर रहे हैं, कहानी को एक नया मोड़ देते हैं। फहाद और अल्लू अर्जुन के बीच की दुश्मनी को और बढ़िया से दिखाया गया है। पुष्पा 2 की प्रमोशनल रणनीतियां किसी भी हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर को टक्कर देती हैं। इसका टीज़र और गाने लॉन्च करने के लिए बड़े इवेंट्स का आयोजन किया गया था। फिल्म के एक्शन सीक्वेंस की कोरियोग्राफी के लिए हॉलीवुड के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। साथ ही, पुष्पा का सफर इस बार सिर्फ भारत तक सीमित नहीं, बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर स्मगलिंग रिंग्स और कॉनफ्लिक्ट को दिखाएगा। फिल्म के प्रीमियर पर दर्शकों ने सिनेमाघरों में पुष्पा-स्टाइल की ड्रेसिंग और डांस करके जश्न मनाया। यह दर्शाता है कि पुष्पा को लेकर लोगो में कितना क्रेज है।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक की शुरुआत को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया है। यह ट्रैक आईआईटी मद्रास के थईयूर स्थित डिस्कवरी कैंपस में बनाया गया है और 410 मीटर लंबा है। इसे भारतीय रेलवे, IIT मद्रास की "अविष्कार हाइपरलूप टीम," और "TuTr हाइपरलूप" के सहयोग से विकसित किया गया है। यह परियोजना देश में हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह ट्रैक 100 किलोमीटर प्रति घंटे की प्रारंभिक गति पर काम करेगा। लंबी अवधि के लिए 600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर परीक्षण करने की योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यावसायिक और पर्यावरणीय रूप से व्यवहारिक हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट विकसित करना है। TuTr हाइपरलूप ने "लीनियर इंडक्शन मोटर" और "लेविटेशन तकनीक" विकसित की है, जो न्यूनतम वायुरोधी वातावरण में कार्य करती है। इसका उपयोग यात्रियों के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि चेन्नई पोर्ट से कंटेनरों की तेज़ ट्रांसपोर्टेशन। हाइपरलूप को मेट्रो रेल नेटवर्क का एक हाई-स्पीड विकल्प बनाना। यह 60 किलोमीटर की दूरी को मात्र 15 मिनट में कवर करने में सक्षम होगा। यह न केवल समय बचाने में मदद करेगा, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी फायदेमंद होगा।
परियोजना को भारतीय रेलवे से ₹8 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। इसमें L&T, अर्सेलर मित्तल, हिंडाल्को जैसी प्रमुख कंपनियों का समर्थन मिला है। IIT मद्रास फरवरी 2025 में "ग्लोबल हाइपरलूप प्रतियोगिता" की मेजबानी करेगा, जो नवाचार को और बढ़ावा देगा।
हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक एक उन्नत हाई-स्पीड परिवहन प्रणाली का परीक्षण करने के लिए निर्मित एक ट्रैक है, जो दुनिया भर में पारंपरिक परिवहन विधियों को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। भारत में यह टेस्ट ट्रैक आईआईटी मद्रास के थईयूर स्थित डिस्कवरी कैंपस में स्थापित किया गया है, और यह भारतीय रेलवे, आईआईटी मद्रास की अविष्कार हाइपरलूप टीम और TuTr हाइपरलूप के सहयोग से विकसित हुआ है। हाइपरलूप एक सुपरफास्ट परिवहन प्रणाली है, जिसे एक शून्य दबाव वाले ट्यूब में चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस प्रणाली में गाड़ी को मैग्नेटिक लिविटेशन या "मगलेव" तकनीक से उठाया जाता है और फिर यह ट्यूब के अंदर बहुत तेज़ गति से चलती है।
मारुति सुजुकी, जो भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है, उसने 6 दिसंबर को एक एक्सचेंज फाइलिंग के माध्यम से घोषणा की कि वह जनवरी 2025 से अपनी कारों की कीमतों में 4% तक की बढ़ोतरी करने जा रही है। यह कदम बढ़ती इनपुट लागत और परिचालन खर्चों को संतुलित करने के लिए उठाया गया है। कंपनी का कहना है कि बढ़ोतरी का असर विभिन्न मॉडलों पर अलग-अलग होगा, और अधिकतम वृद्धि 4% तक हो सकती है। मारुति सुजुकी का यह कदम अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरह है, जो बढ़ती कच्ची सामग्री की लागत और इन्फ्लेशन के कारण कीमतों में वृद्धि कर रही हैं। इस तरह की वृद्धि का उद्देश्य उन बढ़ती लागतों को कवर करना है, जो Global Supply Chainमें दबाव, कच्चे माल की बढ़ी हुई कीमतों और महंगाई के कारण उत्पन्न हो रही हैं। यह बदलाव भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में उपभोक्ताओं के लिए एक और संकेत है कि आगामी सालों में कारों की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
स्टील, एल्यूमिनियम और अन्य निर्माण सामग्रियों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जो कार निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण इनपुट हैं। इन सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि ने कार निर्माण की कुल लागत को बढ़ा दिया है। कोविड-19 के बाद, Global Supply Chain में बाधा आया है, जिससे कच्चे माल की सप्लाई में कठिनाई हो रही है। इसके साथ ही, परिवहन और लॉजिस्टिक्स की लागत भी बढ़ गई है, जो उत्पादन पर अतिरिक्त दबाव डाल रही है। ग्लोबल लेवल पर ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि (जैसे पेट्रोल, डीजल, और अन्य ऊर्जा स्रोतों के दाम बढ़ने से) ने ऑटोमोटिव उद्योग की लागत को प्रभावित किया है। इसके कारण उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है। जो अंततः कार की कीमतों में वृद्धि के रूप में सामने आ रही है। भारत और अन्य देशों में Inflation की दर बढ़ने से लगभग सभी उत्पादों और सेवाओं की कीमतों में इजाफा हुआ है। यह महंगाई का असर भी कार उद्योग पर पड़ा है, जिसके कारण कंपनियां कीमतों में वृद्धि कर रही हैं। कंपनियां नए तकनीकी फीचर्स और उन्नत इंजन विकल्पों के साथ कारें पेश करती हैं, जो उनकी निर्माण लागत को बढ़ाते हैं। नई तकनीकों को अपनाने के कारण उत्पादन में लागत बढ़ जाती है, जिससे कीमतें बढ़ाई जाती हैं। इसलिए, इन मामलों के मिलेजुले प्रभाव से कंपनियों को अपनी कारों की कीमतें बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा है। ताकि वे अपने उत्पादन खर्चों को कवर कर सकें और मुनाफे में बने रह सकें।
6 दिसंबर यानी आज भारतीय शेयर बाजार में मिली-जुली तस्वीर देखने को मिली, जिसमें प्रमुख इंडेक्स में गिरावट आई। लेकिन छोटे और मिडकैप स्टॉक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया। सेंसेक्स 57 अंक की गिरावट के साथ 81,709 के स्तर पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 50 में 31 अंकों की गिरावट आई और इंडेक्स 24,678 पर बंद हुआ। हालांकि, बाजार के एक हिस्से में गिरावट आई, लेकिन छोटे शेयरों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा। स्मॉलकैप 50 इंडेक्स में 0.84% और मिडकैप 50 इंडेक्स में 0.32% की बढ़त देखने को मिली। मेटल सेक्टर के स्टॉक्स में भी अच्छी बढ़त देखी गई, जबकि बैंक और फाइनेंशियल सेक्टर के स्टॉक्स पर सीमित दबाव था। बाजार की गिरावट का मुख्य कारण रिजर्व बैंक द्वारा पॉलिसी के एलान के बाद उत्पन्न हुई निराशा थी। एक दिन पहले नोमुरा द्वारा रेपो रेट में कटौती की उम्मीद जताई गई थी। जिसके बाद बाजार में उत्साह था, लेकिन रिजर्व बैंक ने इस उम्मीद को पूरा नहीं किया। पॉलिसी के बाद, बाजार में तत्काल गिरावट आई, लेकिन यह गिरावट जल्द ही रिकवर हो गई। हालांकि, हैवीवेट स्टॉक्स के दबाव के कारण प्रमुख इंडेक्स इस रिकवरी को कायम नहीं रख सके। निफ्टी 50 के 32 स्टॉक्स में गिरावट आई, जिसमें टाटा मोटर्स (3.21%), बजाज ऑटो (2.34%), और एक्सिस बैंक (1.5%) प्रमुख थे। वहीं, अडानी (1.5%), सिप्ला (1.4%), और भारती एयरटेल (1.09%) में भी गिरावट आई। इसके अलावा, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और इंफोसिस जैसे बड़े नाम गिरावट के साथ बंद हुए। इसमें India VIX में लगभग 3% की गिरावट आई, जो कि बाजार की अनिश्चितता के संकेतों को थोड़ा शांत करता है। इसके अलावा मिडकैप स्टॉक्स की मजबूत प्रदर्शन ने निवेशकों का ध्यान खींचा।