डोनाल्ड ट्रंप फिर गुस्से में हैं और इस बार उनका गुस्सा सीधे हिंदुस्तान की चौखट पर आ गिरा है। कारण वही पुराना रूस, तेल और अमेरिका की वही ‘दुनिया का थानेदार’ वाली सोच। लेकिन फर्क इतना है कि इस बार ट्रंप ने 24 घंटे का टाइमर लगा दिया है और धमकी दी है कि भारत पर भारी टैरिफ लगाने जा रहे हैं। शब्द थे सीधे, इरादा और भी ज़्यादा सख्त “मुझे लगता है कि मैं अगले 24 घंटों में भारत के टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करने जा रहा हूं।”
बात सिर्फ व्यापार की नहीं है, ट्रंप को चुभन इस बात की है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और वो भी भारी मात्रा में। वो कहते हैं भारत उस तेल को दुनिया में बेचकर मुनाफा कमा रहा है, जबकि रूस की वही तेल मशीन यूक्रेन में तबाही मचा रही है। यानी उनके मुताबिक भारत मुनाफा कमा रहा है, लेकिन ज़मीर बेच रहा है। ट्रंप का यह नैतिक उपदेश तब और अजीब लगता है जब अमेरिका खुद रूस से कारोबार करता है चुपचाप।
भारत ने भी चुप्पी नहीं ओढ़ी। विदेश मंत्रालय ने बयान में ट्रंप की टिप्पणियों को ‘अनुचित और तर्कहीन’ बताते हुए अमेरिका की दोहरी चाल पर सीधा वार किया। भारत ने याद दिलाया कि अमेरिका खुद रूस से 3.5 अरब डॉलर का व्यापार कर चुका है चाहे वो यूरेनियम हो, पैलेडियम हो या फर्टिलाइज़र। फिर सवाल ये उठता है कि नैतिकता का तमगा सिर्फ भारत के लिए क्यों? बयान और भी तीखा था। भारत ने साफ कहा “हम अपने फैसले खुद लेते हैं, न कि वाशिंगटन की मंज़ूरी से।” ये उस भारत की आवाज़ थी जो आज वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा है, और जो हर धमकी का जवाब नर्मी से नहीं, गरिमा से देता है। 2022 में जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तब दुनिया के ज़्यादातर देश पीछे हट गए थे। लेकिन भारत ने ऊर्जा की ज़रूरतों को प्राथमिकता दी और रूस से तेल खरीदना जारी रखा। इस व्यापार को लेकर भले ही अमेरिका को ऐतराज़ हो, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि उसके लिए पहला धर्म उसकी जनता है न कि अमेरिका की भू-राजनीतिक चिंता। अब दिलचस्प बात यह है कि इस बार भारत अकेला नहीं बोला रूस भी उसके समर्थन में सामने आया। रूस ने कहा कि हर देश को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार है और अमेरिका को यह तय करने का हक नहीं कि कौन किससे कारोबार करे। तो क्या ये वाकई एक व्यापार युद्ध की शुरुआत है? या फिर ट्रंप की चुनावी रैली से निकली एक और नारा? विश्लेषक कहते हैं कि ट्रंप इस समय चुनावी मोड में हैंऔर चीन, मेक्सिको, अब भारत जैसे देशों पर तीखी बयानबाज़ी करके वो ‘अमेरिका फर्स्ट’ की इमेज फिर चमकाना चाहते हैं। अब देखना ये है कि ट्रंप का अगला ट्वीट किस दिशा में जाएगा धमकी की ओर या सफाई की ओर। लेकिन एक बात तय है भारत अब वॉशिंगटन की नहीं, अपने आत्मविश्वास की नीति पर चलता है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले का धराली गांव शनिवार को मानो नक्शे से मिट गया, जब दोपहर करीब 1:30 बजे खीरगंगा नदी के ऊपर बादल फटा और 58 सेकेंड के भीतर ऐसा मलबा और पानी गांव में घुसा कि सबकुछ तबाह हो गया। बिजली से भी तेज रफ्तार से आए इस मलबे ने घर, दुकान, होटल, रास्ते सबकुछ अपने साथ बहा लिया। घटना के बाद की स्थिति इतनी भयानक थी कि जो कुछ आंखों के सामने था, वो किसी लाइव भूकंप या विस्फोट से कम नहीं लगा। बहुत से लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है, जबकि कई लोग लापता हैं, और 4 मौतों की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। लेकिन मौके से मिले चश्मदीद गवाह बताते हैं कि मौतों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है, क्योंकि सैलाब इतनी तेज़ी से आया कि बहुत से लोग भाग भी नहीं पाए और सीधा मलबे में समा गए। होटल एरिया, बाज़ार, दुकानें सबकुछ एक झटके में जमींदोज हो गया। मकान तो ऐसे दबे कि अब वहां सिर्फ मलबा दिख रहा है और शिनाख्त भी मुश्किल हो गई है। कुछ लोग वीडियो में मदद के लिए चिल्लाते हुए दिखे "अरे भागो", "फोन कर", "छोटे मामा", लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। खीरगंगा से निकला सैलाब सीधे भागीरथी नदी में जा मिला और पीछे छोड़ गया तबाही, गंदगी, और वो मातम जो अब पूरे गांव की हवा में तैर रहा है। सेना की टुकड़ी 10 मिनट के अंदर मौके पर पहुंची, NDRF, SDRF, और स्थानीय पुलिस लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं, लेकिन गांव दो हिस्सों में बंट चुका है एक वो जो मिट गया, और दूसरा वो जो अब भी किसी अपने के मलबे से बाहर आने का इंतज़ार कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातचीत कर राहत के निर्देश दिए हैं, लेकिन धराली के लिए ये सब देर से पहुंची उम्मीदें हैं, क्योंकि तब तक गांव तबाही में दर्ज हो चुका था। इस गांव के ज़्यादातर मकान अब मलबे के पहाड़ के नीचे हैं, और पूरे इलाके में अफरा-तफरी, मातम और डर का माहौल है। लोग सहमे हुए हैं, टूटे हुए हैं, क्योंकि उन्होंने सिर्फ अपनों को नहीं खोया उन्होंने वो धरती खो दी, जिस पर उनका भरोसा था। ये सिर्फ एक पहाड़ी गांव की त्रासदी नहीं, ये उस सिस्टम के लिए एक सबक है, जिसे चेतावनी आने से पहले हादसा चाहिए होता है।
पटना में बुधवार सुबह उस वक्त हलचल मच गई जब फुलवारी शरीफ इलाके की तंग गलियों में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ की खबर आई। राज्य के मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों में शामिल रोशन शर्मा को पुलिस ने एक विशेष ऑपरेशन के तहत धर दबोचा। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि वह फुलवारी शरीफ में छिपा हुआ है।
पकड़े जाने के बाद जब पुलिस उसे हथियारों की बरामदगी के लिए कुरकुरी इलाके में लेकर गई, तभी वह अचानक पुलिस की एक बंदूक छीनकर फरार होने की कोशिश करने लगा। चेतावनी के बावजूद जब वह नहीं रुका, तो जवाबी फायरिंग में उसके दाहिने पैर में गोली लग गई। घायल स्थिति में उसे तात्कालिक रूप से पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत डॉक्टरों की निगरानी में स्थिर बनी हुई है।
रोशन शर्मा का नाम कोई नया नहीं है। जहानाबाद के सलेमपुर गांव का यह शख्स 2004 से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है। हत्या, डकैती, लूट और रंगदारी जैसे संगीन मामलों की लंबी फेहरिस्त बिहार से लेकर झारखंड तक फैली हुई है। दर्जनों थानों में उस पर केस दर्ज हैं और कई वर्षों से वह पुलिस की रडार पर था। पुलिस को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी के बाद रोशन के आपराधिक नेटवर्क की जड़ तक पहुंचा जा सकेगा। आशंका है कि पूछताछ में झारखंड-बिहार के कई अनसुलझे मामलों की परतें खुलेंगी। इसके साथ ही पुलिस ने उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य गुर्गों की तलाश भी तेज कर दी है। एनकाउंटर को पटना पुलिस एक बड़ी सफलता मान रही है। पुलिस अधिकारी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि रोशन की गिरफ़्तारी से एक लंबे समय से सक्रिय अपराधी की बेलगाम गतिविधियों पर लगाम लगी है। आने वाले दिनों में पूछताछ के बाद कई गंभीर मामलों में अहम सुराग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।