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Breaking News 5 November 2025

1.)  बंगाल में वोटर लिस्ट की 'सर्जरी' शुरू…18 लाख फॉर्म बाँटे

पश्चिम बंगाल में इस वक्त एक नई हलचल मची हुई है। नाम है SIR, यानी Special Intensive Revision of Electoral Rolls। असल में ये वही प्रोसेस है जिसमें तय होता है कि अगले चुनाव में कौन वोट देगा और कौन नहीं। 4 नवंबर से यह अभियान शुरू हुआ और पहले ही हफ्ते में 18 लाख से ज़्यादा एन्यूमरेशन फॉर्म घर-घर बाँटे जा चुके हैं। 80 हज़ार से ज़्यादा BLO (Booth Level Officers) इस ‘घर-घर सर्वे’ में जुटे हुए हैं। चुनाव आयोग कहता है “हम बस साफ-सुथरी मतदाता सूची चाहते हैं, किसी को बाहर नहीं किया जाएगा।” लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती...
4 नवंबर को ही कोलकाता की सड़कों पर एक और नज़ारा थ TMC के झंडे, ढोल-नगाड़े और ममता बनर्जी का नेतृत्व।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद सड़कों पर उतरीं और बोलीं,
 “ये SIR नहीं, Silent Rigging है। इसके ज़रिए हमारे वैध मतदाताओं के नाम काटे जा सकते हैं।” उनका दावा है कि भाजपा इस प्रोसेस का इस्तेमाल “लोगों की आवाज़ दबाने” के लिए कर सकती है। वहीं दूसरी तरफ, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह “क्लीनिंग ड्राइव” जरूरी है, क्योंकि मतदाता सूची में “फर्जी नाम, डुप्लीकेट वोटर और ग़ैर-भारतीय एंट्रीज़” भरी पड़ी हैं।यानि एक ही SIR, दो नज़रिए।

 आखिर ये SIR है क्या?

अगर सीधा बोले तो SIR कोई नई चीज़ नहीं। हर कुछ सालों में चुनाव आयोग “Intensive Revision” करता है मतलब वोटर लिस्ट की सफ़ाई। BLO घर-घर जाकर चेक करते हैं कि जो नाम लिस्ट में हैं, वो अब भी वहीं रहते हैं या नहीं। कोई नया 18+ हुआ हो तो उसे शामिल करते हैं, और जो लोग दूसरे इलाके में शिफ्ट हो चुके हैं या जिनका डुप्लीकेट नाम है, उन्हें हटाया जाता है।
इस बार फॉर्म बाँटने का काम 4 दिसंबर 2025 तक चलेगा।
अगर BLO आपके घर आया है, तो फॉर्म पर जानकारी भर दें, हस्ताक्षर करें और रसीद (acknowledgement slip) संभालकर रखें। अगर BLO नहीं आया तो आप ऑनलाइन भी अपने नाम की जांच और अपडेट कर सकते हैं, सीईओ बंगाल वेबसाइट पर। अब यहीं दिलचस्प होता है क्योंकि SIR जैसी प्रशासनिक प्रक्रिया भी बंगाल में राजनीति का अखाड़ा बन गई है। TMC कहती है, “यह जनता के अधिकार छीनने का तरीका है।” BJP कहती है, “यह फर्जी वोटर हटाने का वक्त है।”और आम जनता? वो BLO से पूछ रही है  “भइया हमारा नाम रहेगा ना?” यानी साफ़ शब्दों में  बंगाल में वोटर लिस्ट की सफ़ाई चल रही है, पर सियासी गली में हर कोई अपनी झाड़ू लेकर उतर आया है। सब्सक्राइब करें ग्रेट पोस्ट न्यूज़।

 

2.)राहुल गांधी का हाइड्रोजन बम ! हरियाणा के वोटिंग में ब्राज़ीलियन मॉडल 

हरियाणा में वोटिंग हुई, नतीजे आए, सरकार बन गई पर बात यहीं खत्म नहीं हुई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब कह रहे हैं कि हरियाणा का चुनाव उतना सीधा नहीं था, जितना नतीजों में दिखा। उनका दावा है “यह चुनाव लोकतंत्र नहीं, डेटा चोरी का महाकुंभ था।” राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाइलें लहराईं, नाम दिया ‘H-Files’। बोले कि सिर्फ हरियाणा में ही करीब 25 लाख फर्ज़ी वोटर बनाए गए। यानी हर आठवां वोट नकली। और मामला यहीं से मसालेदार हुई क्योंकि उन्होंने एक फोटो दिखाई, जो किसी हरियाणवी मतदाता की नहीं, बल्कि एक ब्राज़ीलियन मॉडल की थी! राहुल के मुताबिक, उस मॉडल की फोटो का इस्तेमाल 22 बार किया गया कभी स्वीटी के नाम से, कभी सीमा, कभी सरस्वती। अलग-अलग बूथ, अलग-अलग नाम, लेकिन एक ही चेहरा। मतलब हरियाणा के वोटर लिस्ट में ‘ब्राज़ीलियन सुंदरता’ 22 जगह वोट डाल आई। वो बोले, “अगर यही लोकतंत्र है, तो चुनाव आयोग को फेसवॉश भेजना पड़ेगा!” आरोप हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से जुड़ा है, जिसमें 5 अक्टूबर 2024 को मतदान हुआ और 8 अक्टूबर 2024 को नतीजे आए थे। कांग्रेस का दावा है कि यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि सिस्टमेटिक वोट हेराफेरी है जिसमें “डुप्लिकेट वोटर”, “फर्जी एड्रेस”, “फॉर्म 6 और 7” के दुरुपयोग जैसी कई श्रेणियों में वोट डाले गए। उनका आंकड़ा कहता है कि 25 लाख वोट ऐसे हैं जिनका या तो नाम गलत है या चेहरा दोहराया गया है।
राहुल गांधी ने सीधे सवाल दागे “अगर एक विदेशी मॉडल की फोटो से 22 बार वोट पड़ सकता है, तो फिर असली मतदाता की औकात क्या बची?” अब बात करते हैं दूसरी तरफ की चुनाव आयोग ने अभी तक इन दावों पर कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है। न ये माना कि मामला सही है, न खारिज किया। बस जांच की बात कही है। वहीं बीजेपी खेमे ने इसे “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया है। लेकिन जो भी हो इस पूरे मामले ने जनता के मन में एक बड़ा सवाल छोड़ दिया है कि क्या वोटर लिस्ट अब भी उतनी पवित्र है, जितनी इसे समझा जाता है? राहुल का टोन इस बार ज्यादा तीखा था वो बोले, “अगर डेटा से लोकतंत्र बदल सकते हैं, तो जनता का भरोसा किस काम का?” जनता ने सुना, सोशल मीडिया पर मीम्स चले “हरियाणा में मॉडल ने वोट डाला, असली वोटर घर बैठा रह गया।” लेकिन मज़ाक के पीछे का डर असली है  क्योंकि अगर यह सच है, तो यह सिर्फ एक राज्य की नहीं, पूरे सिस्टम की पोल खोलता है ।