Investors के लिए ला रहा है जिओ खुशख़बरी,बदल देगा मार्केट
मुकेश अम्बानी के रिलायंस कंपनी में Jio का IPO (Initial public offering) मार्केट में तबाही लाने वाला है, Reliance Industries Limited (RIL) की कंपनी Jio Platforms Ltd, जो टेलीकॉम, डिजिटल सर्विसेज और टेक्नोलॉजी में है,अब पब्लिक होने के लिए तैयार हो रही है। जियो के IPO के माध्यम से RIL भारतीय और ग्लोबल निवेशकों के लिए Jio में निवेश करने का मौका देगी |
Jio का वैल्यूएशन लगभग 13-15 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है, जिससे यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा IPO बन सकता है। इस IPO का आकार लगभग 50,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक होने की संभावना है, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा ऑफरिंग बना सकता है। जियो की सबसे बड़ी खूबी उसके यूजर्स और मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में है, Jio वर्तमान में 450 मिलियन से अधिक ग्राहकों के साथ, भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में सबसे आगे है है। इसकी बढ़ते ग्राहक में वृद्धि और कम रेट ने इसे बाजार में एक मजबूत जगह दी है। Jio सिर्फ टेलीकॉम ही नहीं बल्कि डिजिटल, म्यूजिक, OTT प्लेटफार्म, ई-कॉमर्स और IoT सेवाएं भी प्रदान करता है। JioMart, JioSaavn,JioCinema जैसी सेवाएं इसके बड़े बिजनेस पोर्टफोलियो का हिस्सा हैं |
Reliance Jio के इस IPO के प्रमुख उद्देश्यों मे कर्ज कम करना सबसे बड़ा उद्देश्य है |Jio द्वारा प्राप्त फंड्स का एक हिस्सा इसके डिजिटल और तकनीकी विस्तार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, खासकर AI, 5G और IoT क्षेत्रों में। नए फंड का एक हिस्सा उपभोक्ता के एक्सपीरियन्स को बेहतर बनाने और ज्यादा उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने में खर्च किया जाएगा।
Jio ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के डिजिटल क्षेत्र में बहुत मजबूत पकड़ बनाई है, जिससे इसमें भविष्य में भी विकास की संभावना है। Jio पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से फंडिंग प्राप्त कर चुका है जैसे कि Facebook, Google आदि। Jio Platforms के अंतर्गत कई डिजिटल और टेक्नोलॉजी क्षेत्र आते हैं, जो भविष्य में जिओ के डेवलपमेंट का हिस्सा होंगे |
भारतीय टेलीकॉम उद्योग में थोड़ी तो कॉम्पिटिशन है, Airtel और Vodafone-Idea जैसे खिलाड़ी भी तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं।
टेलीकॉम क्षेत्र में नियमों का पालन और बदलाव कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। टेलीकॉम और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में लाभ मार्जिन अक्सर धीमी गति से बढ़ता है, जिससे लॉन्ग टर्म में इसका मुनाफा बढ़ाने में समय लग सकता है। यह IPO निश्चित रूप से भारतीय बाजार में बड़ी हलचल ला सकता है, और इसके साथ ही निवेशकों को एक नया और मजबूत निवेश का अवसर मिलेगा। ये IPO 2025 में लांच होगा |
सुप्रीम कोर्ट आज अपनी सुनवाई के दौरान यह तय करेगा कि क्या निजी संपत्ति को 'सार्वजनिक भलाई' के लिए लिया जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट में आज यह महत्वपूर्ण सवाल उठाया गया है कि क्या निजी संपत्ति को ‘सार्वजनिक भलाई’ (public good) के लिए सरकार के द्वारा लिया जा सकता है। यह मामला भारत के संविधान और नागरिक अधिकारों के बीच सवाल का विषय है |और यह तय करेगा कि सरकारें किस सीमा तक निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती हैं। भारत के संविधान के Article 300A के तहत सभी नागरिकों को अपनी संपत्ति रखने का अधिकार दिया गया है। यह Article कहता है कि " अगर कानून का उलंघन न हो तो किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा " इस अधिकार को संविधान के 44वें संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) की सूची से हटाकर एक लीगल राइट्स के रूप में क्लासिफाइड किया गया था। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में सरकार 'सार्वजनिक भलाई' या 'सार्वजनिक उद्देश्य' (public purpose) के नाम पर निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है। इसे 'एमिनेंट डोमेन' के सिद्धांत के अंतर्गत माना जाता है, जो सरकार को अपनी जनता की भलाई के लिए भूमि का अधिग्रहण करने का अधिकार देता है। लेकिन इस अधिग्रहण के बदले, संपत्ति मालिकों को उचित मुआवजा (fair compensation) देने का प्रावधान भी है।
1. Article 300A: यह अनुच्छेद नागरिकों को संपत्ति का अधिकार देता है, लेकिन इसे एक मौलिक अधिकार की जगह कानूनी अधिकार के रूप में क्लासिफाइड किया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर सरकार सार्वजनिक उद्देश्य के लिए आपकी संपत्ति का अधिग्रहण करती है, तो आप अदालत में न्याय की गुहार लगा सकते हैं |
2. सार्वजनिक उद्देश्य (Importance of Public Purpose): 'सार्वजनिक भलाई' के उद्देश्य से निजी संपत्ति का अधिग्रहण सड़क निर्माण, रेलवे विस्तार, स्कूल, अस्पताल, या अन्य बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है। यहाँ सवाल यह उठता है कि क्या सभी परियोजनाओं को ‘सार्वजनिक भलाई’ की श्रेणी में माना जाना चाहिए या नहीं। कुछ मामलों में निजी कंपनियों के लाभ के लिए अधिग्रहण किया जाना विवाद होने का कारण बनता है |
3. उचित मुआवजा | (Fair Compensation): भूमि अधिग्रहण के मामलों में सबसे बड़ी चुनौती उचित मुआवजे की है। कानून कहता है कि जब भी निजी संपत्ति का अधिग्रहण किया जाए, तो संपत्ति मालिक को उसका उचित मुआवजा मिलना चाहिए। यह मुआवजा संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर होता है, लेकिन कई बार मालिकों को लगता है कि यह मुआवजा उनके नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करके यह तय करेगा कि क्या सरकार का निजी संपत्ति पर नियंत्रण ‘सार्वजनिक भलाई’ के उद्देश्य को पूरा करता है या नहीं। इस केस में कोर्ट को इन प्रश्नों का उत्तर देना होगा:
किसे ‘सार्वजनिक भलाई’ माना जा सकता है? - क्या सार्वजनिक भलाई में सिर्फ पब्लिक के कार्य जैसे सड़कें, स्कूल, और अस्पताल आते हैं, या निजी परियोजनाएँ भी शामिल हो सकती हैं? कौन सा मुआवजा ‘उचित’ माना जाएगा? - यह तय करना कि मुआवजा मौजूदा बाजार के रेट के अनुसार होगा या नहीं ? अदालत को यह भी निर्णय लेना होगा कि क्या निजी संपत्ति का अधिकार फंडामेंटल राइट्स के समान महत्व रखता है, या इसे एक साधारण कानूनी अधिकार के रूप में देखा जाएगा। इसके अलावा, कोर्ट अगर यह कहता है कि मुआवजा पर्याप्त और न्याय के तहत होना चाहिए, तो यह संपत्ति मालिकों के अधिकारों को सुरक्षित करेगा। यह केस भारत के संपत्ति अधिकारों के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे यह स्पष्ट होगा कि संविधान के दायरे में रहकर सरकार किस सीमा तक निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है।
भूल भुलैया 3 ने पहले ही वीकेंड पर बनाया रिकॉर्ड
भूल भुलैया-3, 1 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई और दीवाली वीकेंड पर रिलीज हुई भूल भुलैया-3 उम्मीदों पर खड़ी उतरती दिखाई दे रही है। आपको बता दें, पहले दिन इस फिल्म ने 35.5 करोड़ की ओपनिंग कमाई की, दूसरे दिन 37 करोड़ और वहीं तीसरे दिन फिल्म की कमाई का आंकड़ा 33.5 करोड़ जा पहुंचा है। अकेले भारत में ही इस फिल्म ने अबतक 106 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है, वहीं वर्ल्डवाइड कमाई 130 से 140 करोड़ के पास पहुंच चूका है। इस फिल्म का बजट 150 करोड़ रुपये तक का बताया जा रहा है, जिसका कलेक्शन ये फिल्म मेहज कुछ ही दिनों में हासिल कर चुकी है। कार्तिक आर्यन ने अपने करियर में सोनू की टीटू की स्वीटी, लुका छुपी, पति-पत्नी और वोह, सत्यप्रेम की कथा और प्यार का पंचनामा जैसी फिल्में दी हैं, लेकिन उनकी लेटेस्ट रिलीज भूल भुलैया-3 अबतक के उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई है, क्योंकि इस मूवी ने अपने ओपनिंग वीकेंड के कुछ ही दिनों में ही फिल्म के बजट की कमाई को हासिल कर लिया है। बता दें, कार्तिक आर्यन के अलावा भूल भुलैया-3 में माधुरी दीक्षित और विद्या बालन भी नजर आ रहे हैं। हॉरर-कॉमेडी के आधार पर बानी इस मूवी की बॉक्स ऑफिस पर सीधी टक्कर रोहित शेट्टी की “सिंघम अगेन” से हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई करते हुए 100 करोड़ का कलेक्शन पार कर चुकी है।
महाभारत जैसा कुछ-कुछ मिलता-जुलता सीन एक नवंबर को बॉक्स ऑफिस पर भी देखने को मिला, जब कार्तिक आर्यन अपनी भूल भुलैया-3 जैसी फिल्म लेकर दर्शकों की कसौटी पर कसे जाने के लिए तैयार थे और रोहित शेट्टी अपने 9 सुपरस्टार योद्धाओं को लेकर आ रहे थे। बता दें, रोहित शेट्टी ने कार्तिक आर्यन के लिए चक्रव्यूह रचने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। उन्होंने बॉलीवुड के सारे दिग्गजों को भूल भुलैया-3 को रोकने के लिए लगा दिया था, लेकिन जब सिंघम अगेन के पहले दिन पहले शो का नजारा सामने आया तो हॉल में भीड़ देखकर ही सबको समझ आ गया था कौन किस पर भारी पड़ने वाला है। अपने तो वो कहावत सुनी ही होगी कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं और ऐसा ही कुछ सिंघम अगेन के शो को देखकर भी महसूस हुआ। आपको बता दें, दिल्ली के एक मल्टीप्लेक्स में सुबह नौ बजे के शो में कुल मिलाकर सात लोग थे जो मूवी में नौ सुपरस्टार्स (अजय देवगन, अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोण, करीना कपूर खान, अर्जुन कपूर, टाइगर श्रॉफ, रणवीर सिंह, जैकी श्रॉफ और सलमान खान) को देखने के लिए आए थे।
सिंघम अगेन की बात करें तो इस फिल्म को रोहित शेट्टी ने फिल्म रामायण की कॉपी कर बनाया है। फिल्म के हर सीन के बारे में दर्शक बड़ी ही आसानी से पहले से अपना अनुमान लगा सकते है, जैसे सबकुछ पहले से पता हो, क्या होने वाला है? जैसे की रामायण में होता है, कुछ वैसे ही फिल्म में रावण का किरदार कर रहे अर्जुन कपूर, करीना कपूर का आसानी से अपहरण कर लेता है। जबकि कार्तिक आर्यन की भूल भुलैया-3 में जहां कॉमेडी की भरपूर डोज है और साथ ही फिल्म की एंडिंग पर भी अच्छा काम किया गया है और यही कारण है की कार्तिक आर्यन अपने दम पर नौ सुपरस्टार वाली फिल्म भारी पड़ते दिख रहे हैं। सिंघम अगने में नौ स्टार हैं जो फिल्म के बजट को लगभग 350 करोड़ रुपये के पार ले जाता है, जबकि फिल्म तीन दिन में लगभग 120 करोड़ रुपये के आसपास ही कमा सकी है। वहीं कार्तिक आर्यन की भूल भुलैया 3 का बजट लगभग 150 करोड़ रुपये बताया जा रहा है और फिल्म ने तीन दिन में लगभग 106 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया है।
योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का झारखंड में चुनाव प्रचार और रैली का आगाज
झारखंड विधानसभा चुनाव का माहौल इस समय काफी गरम है। कई बड़े नेता झारखंड में प्रचार कर रहे हैं, जिससे राज्य की जनता में चुनाव को लेकर उत्साह और जागरूकता बढ़ रही है। आज के चुनाव प्रचार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह झारखंड के विभिन्न इलाकों में रैलियों को संबोधित करेंगे। उनके प्रचार का उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रति समर्थन को मजबूत करना होगा |
योगी आदित्यनाथ अपने बोल्ड अवतार और साहसी शैली के लिए जाने जाते हैं। उनकी छवि एक कट्टर नेता की है, जो अपने स्पष्ट विचारों और मजबूत फैसलों के लिए प्रसिद्ध हैं। झारखंड के लोगों के बीच वे डेवलपमेंट, सुरक्षा और सांस्कृतिक मुद्दों पर जोर देंगे। इसके अलावा, वे धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को भी अपने भाषण में शामिल कर सकते हैं, ताकि जनता के साथ इमोशनल कनेक्शन बना रहे |
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का प्रचार का तरीका संयमित और बैलंस्ड होता है। वे अक्सर एक अनुभवी राजनेता के रूप में जाने जाते हैं जो शांति, सुरक्षा, और विकास पर जोर देते हैं। उनका संबोधन आमतौर पर एकता को बढ़ावा देने वाला होता है। राजनाथ सिंह झारखंड में भाजपा सरकार के विकास कार्यों को जनता के सामने रखेंगे और केंद्र की योजनाओं को प्रस्तुत करेंगे, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, और रोजगार संबंधी पहल।
झारखंड में बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाएं की कमी जैसी समस्याएं आम हैं। इन मुद्दों को लेकर Opposition Party लगातार भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह दोनों इन समस्याओं का समाधान देने की कोशिश करेंगे। दोनों नेताओं की रैलियां भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये राज्य के हर केटेगरी के वोटरों को इन्फ्लुएंस करने का दम रखता है | राजनाथ सिंह का अनुभव और योगी आदित्यनाथ की उत्साही शैली एक डेडली कॉम्बिनेशन के रूप में काम करेगी जो जनता के बीच भाजपा के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने में सहायक हो सकती है।
अमेरिकी चुनाव कौन जीत रहा , डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस ?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 का मुकाबला बेहद करीबी हो गया है, जिसमें रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर चल रही है। मौजूदा अनुमानों के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप को जीतने की 50.8% संभावना और कमला हैरिस को 48.8% संभावना दी जा रही है। चुनावी मतों की दृष्टि से, ट्रंप को 270 और हैरिस को 268 मत मिलने का अनुमान है। चुनाव के दौरान, ट्रंप कई महत्वपूर्ण राज्यों में आगे हैं, जैसे कि फ्लोरिडा, जॉर्जिया, और पेंसिल्वेनिया हैं। दूसरी ओर, हैरिस को कुछ राज्यों, जैसे मिशिगन में थोड़ा फायदा हो रहा है, लेकिन कई अन्य महत्वपूर्ण राज्यों में स्थिति टाई है। इसके अलावा चुनावी विशेषज्ञ यह बता रहे हैं कि चुनाव का परिणाम काफी निकट हो सकता है। कई तटस्थ राज्य (toss-up states) जैसे नेवादा, एरिज़ोना और विस्कॉन्सिन में मतदान का परिणाम जल्दी आ सकता है। वहीं, चुनावी सुरक्षा को लेकर एफबीआई (Federal Bureau of Investigation) ने एक विशेष सेंटर बनाया है जो धमकियों और हस्तक्षेप को रोकने के लिए काम करेगा | साथ ही, कई फेमस सेलिब्रिटीज़ के समर्थन ने भी चुनावी माहौल को और नज़र में ला दिया है |
अमेरिका में वोटिंग दो प्रकार से होती है- पहला इन-पर्सन वोटिंग है, इस प्रणाली में मतदाता मतदान केंद्र पर जाकर अपना वोट डालते हैं। इसमें कई राज्यों में प्रारंभिक वोटिंग भी होती है, जो चुनाव के दिन से पहले ही शुरू हो जाती है।
दूसरा है मेल-इन वोटिंग: इस प्रणाली में मतदाता अपने वोट को मेल के माध्यम से भेजते हैं। इस तरह की वोटिंग का महत्व COVID-19 के दौरान बहुत बढ़ गया था, क्योंकि लोगों ने घर से ही वोट डालने का विकल्प चुना था |इस चुनाव में भी मेल-इन वोटिंग का उपयोग जारी रहेगा, और कई राज्यों में इसे विस्तार से अपनाया गया है। कुछ राज्यों ने पहले से ही सभी मतदाताओं के लिए मेल-इन वोटिंग की अनुमति दी है, जबकि अन्य में, यह विशेष परिस्थितियों में उपलब्ध है, जैसे कि यदि मतदाता बीमार है, यात्रा कर रहा है, या किसी अन्य कारण से मतदान स्थल पर नहीं जा सकता है तो वो मेल-इन वोटिंग करेगा |
यूपी के हजारों मदरसों में कहीं खुश - कहीं गम
मंगलवार, 05 नवंबर को प्रदेश के 16 हजार मदरसों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें हाई कोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा ऐक्ट (2004) को असंवैधानिक बताया था। उत्तर प्रदेश में 16 हजार मदरसे हैं, जिनमें करीब 17 लाख छात्र पढ़ाई करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की वैधता को बरकरार रखा है और साथ ही कहा है कि यह एक्ट धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा बोर्ड के फाजिल और कामिल की डिग्री असंवैधानिसक माना है। कोर्ट ने कहा कि यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का विशेषाधिकार है। बता दें कि यूपी के मदरसों में डिग्री हाई स्कूल और इंटर तक होती है, उसके बाद फाजिल और कामिल होता है और इसी को लेकर मदरसों ने UGC से इन कोर्सों को मान्यता देने की मांग की थी। UGC ने अभी तक इस पर अप्रूवल नहीं दिया है, जिसके बाद मदरसों ने फाजिल और कामिल की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों की यह अपील खारिज करते हुए कहा कि यह अधिकार UGC का है।
यूपी मदरसा शिक्षा ऐक्ट मामले पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मदरसा बोर्ड और राज्य सरकार के पास शिक्षा का स्टैंडर्ड निर्धारित करने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं। सरकार चाहे तो क्वालिटी एजुकेशन के लिए मदरसों को रेगुलेट कर सकती है। अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अधिनियम की विधायी योजना मदरसों में निर्धारित शिक्षा के स्तर को ऊपर करना है। मदरसा अधिनियम मदरसों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करते है और इसका मूल्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना है और यह राज्य के सकारात्मक दायित्व के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करता है कि छात्र उत्तीर्ण होकर सभ्य और अच्छा जीवन जी सकें। कोर्ट ने कहा, शिक्षा के स्टैंडर्ड को बेहतर बनाने के लिए मदरसों को विनियमित करने में राज्य की रुचि महत्वपूर्ण है और इसलिए राज्यों का यह दायित्व भी है कि वे सुनिश्चित करें कि न्यूनतम स्टैंडर्ड बनाए रखे जाएं।
Wikipedia पर ANI ने किया मुकदमा दर्ज़ , विकिपीडिया हमेशा रहता है सवालों के घेरे में
दिल्ली हाई कोर्ट ने विकिपीडिया को एक नोटिस भेजा है। इसका मुख्य कारण यह है कि विकिपीडिया पर एक पृष्ठ पर गलत और आपत्तिजनक जानकारी प्रकाशित की गई थी, जिसमें भारत की न्यूज़ एजेंसी ANI को "सरकारी प्रचार उपकरण" के रूप में दिखाया गया। ANI ने इस पर आपत्ति जताते हुए विकिपीडिया पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया अदालत ने विकिमीडिआ फाउंडेशन ( विकिपीडिया की संस्था जो इसे चलाती है )को यह निर्देश दिया कि वे इस मामले में सुधारने योग्य कदम उठाएं एवं एडिटर और संपादक से संबंधित जानकारियाँ प्रदान करके तब कुछ पब्लिश करें |कोर्ट का मानना है कि विकिपीडिया को स्वतंत्रता का अधिकार है, परन्तु इसका दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं है। अगर विकिपीडिया इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो सरकार से इसे बंद करने की भी सिफारिश की जा सकती है।,इस मामले से यह सवाल भी उठता है कि क्या विकिपीडिया पर Users द्वारा Publish आर्टिकल या जानकारी की पर्याप्त निगरानी होती भी है या नहीं, और क्या ऐसे मंच को बिना उचित देख रेख के जारी रखना सुरक्षित है।
विकिपीडिया एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है, जिसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी जानकारी को संपादित (edit) कर सकता है। हालांकि यह एक महत्वपूर्ण और उपयोगी ज्ञान का स्रोत है, लेकिन लापरवाही की वजह से इसमें कई बार गलतियाँ देखने को मिलती हैं। आइए, समझें कि आमतौर पर विकिपीडिया पर किस तरह की गलतियाँ ज्यादातर पाई जाती हैं |
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विकिपीडिया को अधिक ट्रस्ट बनाने के लिए, उसमें बेहतर मॉडरेशन सिस्टम की आवश्यकता है। विकिपीडिया की टीम और इसके वॉलंटियर लगातार मॉनिटरिंग करते हैं, लेकिन हर बदलाव का Review करना हमेशा पॉसिबल नहीं होता है | इसीलिए विकिमीडिआ फाउंडेशन के पुरे सिस्टम में बदलाव जरुरी है |
विधानसभा के पहले सत्र में Article-370 को लेकर भीड़ी BJP-PDP
मेहबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के विधायक वहीद पारा ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ सोमवार, 04 नवंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें राज्य को पूर्व में मिला विशेष दर्जा फिर से बहाल करने की मांग की गई, जिसे लेकर सदन में खूब हंगामा भी देखने को मिला। बता दें कि पुलवामा से PDP विधायक वहीद पारा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के वरिष्ठ नेता और सात बार के विधायक अब्दुल रहीम राथर को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का पहला अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद यह प्रस्ताव पेश किया। पारा ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि प्रदेश के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह सदन जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने का विरोध करती है। इस पर भाजपा विधायकों ने विरोध जताया और सभी 28 विधायक इस कदम का विरोध करने के लिए एक साथ अपनी-अपनी जगह खड़े हो गए।
भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष और विधायक श्याम लाल शर्मा ने वहीद पारा पर विधानसभा नियमों का उल्लंघन कर प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया और इसके लिए उन्हें निलंबित करने की मांग भी की। विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने विरोध कर रहे सदस्यों से बार-बार अपनी सीट पर जाने का अनुरोध किया और कहा कि प्रस्ताव अभी उनके पास नहीं आया है और जब आएगा, तब वे इसकी जांच करेंगे। आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के कुछ ही महीनों बाद बड़ा फैसला लेते हुए तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के Article-370 को 05 अगस्त, 2019 में निरस्त कर दिया था। बता दें, माजूदा परिस्तिथि में किसी भी पार्टी के लिए Article-370 को वापस लाना तो दूर, इसके बारे में फैसला तक ले पाना नामुमकिन है, इसकी दो वजह हैं। पहला वजह ये है कि जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्रीय शासित प्रदेश है, जिसकी वजह से राज्य के लिए लिए गए किसी भी फैसले में राज्यपाल की भूमिका अहम होगी और केंद्रीय शासित प्रदेश होने के कारण अपरोक्ष रूप से राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र के सुझाव पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। दूसरी वजह सदन का मौजूदा समीकरण है, जहाँ भारतीय जनता पार्टी (BJP) विपक्ष में होते हुए भी मजबूत स्थिति में है। बता दें, विधानसभा में NC के पास 42 सीटें हैं, भाजपा के पास 28 (पहले 29 थीं, विधायक देवेंद्र राणा की मृत्यु के कारण एक सीट रिक्त हुई है), कांग्रेस के पास 6, PDP के पास 3, CPI-M के पास 1, आम आदमी पार्टी के पास 1, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के पास 1 और 7 निर्दलीयों के पास हैं।