देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत रखने वाले राहुल गांधी एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं और इस बार मामला बेहद गंभीर है। आरोप है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भारत के साथ-साथ ब्रिटेन की भी नागरिकता रखते हैं। इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में आज सोमवार को अहम सुनवाई होनी है, जहाँ केंद्र सरकार अपना अंतिम पक्ष रखेगी। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि याची द्वारा दिए गए प्रतिवेदन का 10 दिन के भीतर निस्तारण किया जाए। गृह मंत्रालय से कहा गया था कि वह इस मामले में स्पष्ट और अंतिम रिपोर्ट पेश करे। अब अदालत की निगाहें केंद्र सरकार के जवाब पर टिकी हैं, जो इस बहुचर्चित मामले की दिशा तय करेगा।
कर्नाटक निवासी एस. विग्नेश शिशिर नाम के व्यक्ति ने जनहित याचिका दाखिल कर यह दावा किया है कि उनके पास ऐसे तमाम दस्तावेज और ब्रिटिश अथॉरिटीज से प्राप्त ईमेल्स हैं, जिनसे यह साबित होता है कि राहुल गांधी कभी ब्रिटेन के नागरिक रह चुके हैं। याची का कहना है कि यह भारतीय नागरिकता कानून और पासपोर्ट एक्ट के उल्लंघन के दायरे में आता है। ऐसे में राहुल गांधी लोकसभा सदस्यता के लिए अयोग्य हैं। याचिका में सीधा आरोप है कि यदि किसी व्यक्ति के पास दोहरी नागरिकता है, तो वह भारत में चुनाव नहीं लड़ सकता और न ही किसी संवैधानिक पद पर रह सकता है। इससे पहले याची ने दो बार सक्षम प्राधिकरण को शिकायत भेजी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब प्रशासन ने चुप्पी साधे रखी, तो अंततः उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याची की मांग सिर्फ राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की नहीं है, बल्कि उन्होंने मामले की सीबीआई जांच और प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की है। अगर कोर्ट इस दिशा में कोई आदेश देता है, तो यह केस राजनीतिक रूप से भूचाल ला सकता है भाजपा लंबे समय से राहुल गांधी पर सवाल उठाती रही है कभी उनकी डिग्री पर, कभी उनकी नागरिकता पर। लेकिन पहली बार ये मामला अदालत की चौखट तक पहुंचा है और अब यह सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि कानूनी परीक्षा भी बन चुका है। कांग्रेस पार्टी इस याचिका को 'राजनीतिक बदले की भावना' बता रही है, जबकि याची इसे 'लोकतंत्र की रक्षा' का मामला कह रहे हैंअब देखना यह है कि केंद्र सरकार कोर्ट में क्या जवाब देती है, और क्या यह जवाब राहुल गांधी की राजनीतिक यात्रा को प्रभावित करेगा या यह मामला भी अन्य राजनीतिक आरोपों की तरह हवा में उड़ जाएगा ।
जय महाकाल” की गूंज से गूंजती धार्मिक नगरी उज्जैन सोमवार को उस समय हिल गई, जब महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर से आग का भीषण धुआं उठता देखा गया। यह आग मंदिर के शंखद्वार के पास स्थित एक टावर में लगी थी। दृश्य इतना भयावह था कि श्रद्धालुओं की जुबान पर ‘हर हर महादेव’ की जगह दहशत का सन्नाटा पसर गया। शुरुआती जांच में आग लगने की वजह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम की बैटरी में शॉर्ट सर्किट को बताया गया है। यह हादसा गेट नंबर-1 के पास स्थित अवंतिका गेट के कंट्रोल रूम की छत पर हुआ, जहाँ से आग की लपटें और काले धुएं के गुबार निकलने लगे। आग लगते ही मंदिर परिसर में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, लेकिन इसी अफरा-तफरी के बीच कुछ श्रद्धालु मोबाइल कैमरा लेकर वीडियो बनाने में जुट गए मानो भगवान की जगह ‘कंटेंट’ के दर्शन जरूरी हो गए हों। कुछ ही मिनटों में यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और भगवान महाकाल के दरबार से धुएं का संदेश पूरे देश में फैल गया घटना की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड और प्रशासन ने मिलकर स्थिति पर काबू पाया। सौभाग्य से इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक आग से सिर्फ बैटरियों को नुकसान पहुंचा है, और सभी श्रद्धालु सुरक्षित हैं। आग बुझाने के बाद जले हुए सभी उपकरणों को बाहर निकाल दिया गया और मंदिर के गेट को पुनः खोल दिया गया। अब दर्शन व्यवस्था सामान्य है महाकाल मंदिर प्रबंधन की ओर से सफाई दी गई है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और आगे की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि देश के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक, जो करोड़ों आस्थाओं का केंद्र है—वहाँ सुरक्षा व्यवस्था इतनी लाचार क्यों? क्या बैटरियों की हालत की नियमित जांच नहीं होती? क्या संवेदनशील स्थानों पर तकनीकी उपकरण ऐसे ही बिना निगरानी के चलाए जाते रहें । धार्मिक स्थल में आग लगी, लेकिन “सब सुरक्षित हैं” की सरकारी स्क्रिप्ट फिर से पढ़ दी गई। सवाल वही पुराना है: जब भगवान के दरबार की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी जाए, तो प्रशासन किसके भरोसे चल रहा है महाकाल मंदिर में लगी यह आग भले ही कुछ बैटरियों को राख कर गई हो, लेकिन उसने सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को भी उजागर कर दिया है। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा अब केवल धार्मिक विश्वासों के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती।
एक ओर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को डिजिटल क्रांति का प्रतीक माना जा रहा है, तो दूसरी ओर अश्लीलता और अनियंत्रित कंटेंट के आरोपों ने इनकी छवि पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। ताजा मामला है उल्लू ऐप पर स्ट्रीम हुए विवादास्पद रियलिटी शो 'हाउस अरेस्ट' का, जिसे बॉलीवुड अभिनेता एजाज खान होस्ट कर रहे थे। अब इस शो को लेकर इतना जबरदस्त विरोध हुआ है कि मामला एफआईआर और पुलिस पूछताछ तक पहुंच गया है। शो के एक वायरल क्लिप में एजाज खान, कंटेस्टेंट्स से कैमरे के सामने अश्लील टास्क करवाते नजर आए जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों से अपने अंडरगार्मेंट्स हटाने जैसी हरकतें करने को कहा। यह दृश्य टीवी और सोशल मीडिया पर जैसे ही वायरल हुआ, आम जनता के साथ-साथ हिंदू संगठन बजरंग दल ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। इस क्लिप के सामने आने के बाद शुक्रवार को बजरंग दल के कार्यकर्ता गौतम रवरिया ने मुंबई के अंबोली पुलिस स्टेशन में इस शो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लेते हुए उल्लू ऐप के मैनेजर से पूछताछ की और अब शो के होस्ट एजाज खान को भी समन भेजे जाने की तैयारी कर ली गई है। मुंबई पुलिस ने इस मामले में एजाज खान के साथ-साथ शो के निर्माता राजकुमार पांडे और अन्य के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं में मामला दर्ज किया है। जांच अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि यह शो किस आधार पर अनुमोदित किया गया और कंटेंट की जांच किसने की। तेज होती जांच और बढ़ते जनदबाव को देखते हुए उल्लू ऐप की टीम ने बजरंग दल को एक आधिकारिक पत्र भेजकर माफी मांगी है। उन्होंने लिखा "यह रिलीज हमारी आंतरिक टीम की लापरवाही और चूक का परिणाम थी... हम किसी भी असुविधा के लिए क्षमा चाहते हैं। हमने यह शो पहले ही प्लेटफॉर्म से हटा लिया है। मगर सवाल यह उठता है कि क्या यह माफी काफी है? क्या सिर्फ शो हटाने और माफीनामा भेज देने से कानून के उल्लंघन और सामाजिक नैतिकता की अनदेखी माफ की जा सकती है? ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अब तक सेंसर बोर्ड से मुक्त एक स्वतंत्र मंच माना जाता रहा है, जहां 'क्रिएटिव फ्रीडम' के नाम पर बोल्ड कंटेंट को खुली छूट मिलती रही है। लेकिन अब जब सार्वजनिक चेतना जाग रही है, तो सवाल पूछे जा रहे हैं पुलिस की जांच जारी है। एजाज खान से जल्द पूछताछ हो सकती है। शो से जुड़े अन्य लोगों को भी समन भेजे जा सकते हैं। इस बीच, उल्लू ऐप की संपूर्ण सामग्री पर नजर रखी जा रही है, और अन्य शो भी जांच के दायरे में आ सकते है हाउस अरेस्ट" शो भले एक रियलिटी शो हो, लेकिन उसने भारत की डिजिटल नैतिकता को 'हाउस अरेस्ट' करने का काम किया है। अब जिम्मेदारी सिर्फ कानून की नहीं, हमारी सामाजिक चेतना की भी है, कि हम तय करें कि डिजिटल स्वतंत्रता की सीमा कहां खत्म होती है और विकृति की शुरुआत कहां होती है।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में ग़ुस्से का तापमान उबाल पर है। चाय की दुकानों से लेकर न्यूज़ चैनलों के डिबेट रूम तक, हर जगह एक ही शोर है “अब बहुत हो गया, पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए!” लोग आक्रोश में हैं, और कुछ तो इस हद तक पहुंच चुके हैं कि कहते हैं "परमाणु हमला कर दो!" लेकिन क्या आपने कभी ठहर कर सोचा है कि अगर वाकई भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छिड़ जाए तो उसका अंजाम क्या होगा? इस सवाल का जवाब किसी टीवी डिबेटर ने नहीं, बल्कि एक बेहद शांत, तार्किक और निष्पक्ष इकाई ने दिया है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने। AI कहता है “अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो इसमें कोई नहीं जीतेगा, हार सिर्फ इंसानियत की होगी।” भारत और पाकिस्तान, दोनों परमाणु शक्ति से लैस हैं। भारत के पास Agni-5 जैसी लॉन्ग-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, ब्रह्मोस जैसी सटीक क्रूज़ मिसाइल और तीनों सेनाओं से परमाणु हमला करने की क्षमता है। वहीं पाकिस्तान के पास Shaheen और Ghauri जैसी मिसाइलें हैं, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की ताकत रखती हैं। दोनों देशों के पास लगभग 170-172 परमाणु हथियार हैं। अगर ये हथियार सक्रिय हुए और दोनों ने एक-दूसरे पर सिर्फ 100-100 बम भी दाग दिए, तो AI का आकलन है कि करीब 2 करोड़ लोग चंद मिनटों में राख में बदल जाएंगे। लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती। इस युद्ध का प्रभाव सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं रहेगा। तापमान 5 से 8 डिग्री तक गिर सकता है, जिससे खेती पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। सूरज महीनों तक बादलों में छिपा रहेगा, और फसलों की जगह ज़मीन पर रेडिएशन उगने लगेगा। पूरी दुनिया में खाद्यान्न संकट गहराएगा, भूख से करोड़ों लोग दम तोड़ देंगे। हवा, पानी और मिट्टी तक ज़हरीले हो जाएंगे। कैंसर, जन्म दोष, त्वचा रोग और न जाने कितनी बीमारियां इंसानों को धीरे-धीरे निगल जाएंगी। AI के मुताबिक, ये सिर्फ एक युद्ध नहीं, बल्कि एक वैश्विक आत्महत्या होगी। युद्ध के बाद कोई तिरंगा नहीं लहराएगा, कोई जयकारा नहीं गूंजेगा। सिर्फ सन्नाटा बचेगा, और उस सन्नाटे में गूंजेगी एक ही बात "इंसान ने अपनी ही बनाई आग में खुद को जला डाला।