अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएस कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन में अपने बयान से वैश्विक बाजार को झकझोर दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि जो देश अमेरिका पर टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। ट्रंप के इस ऐलान से भारत, चीन, मैक्सिको और कनाडा समेत कई देशों के लिए चेतावनी साफ है। अपने भाषण में ट्रंप ने भारत का खासतौर पर जिक्र किया और कहा कि भारत अमेरिका पर 100% से ज्यादा टैरिफ लगाता है, जबकि चीन दोगुना और दक्षिण कोरिया चार गुना ज्यादा टैरिफ वसूलता है। ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में कहा कि वह इस नई नीति को 1 अप्रैल से लागू करना चाहते थे, लेकिन दुनिया यह न समझे कि वह "अप्रैल फूल" बना रहे हैं, इसलिए उन्होंने 2 अप्रैल की तारीख तय की। ट्रंप की यह नीति वैश्विक व्यापार समीकरणों को हिला सकती है।ट्रंप के निशाने पर सिर्फ व्यापारिक प्रतिस्पर्धी ही नहीं, बल्कि जो बाइडेन प्रशासन भी रहा। उन्होंने बाइडेन को अमेरिका का "सबसे खराब राष्ट्रपति" करार देते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो गई और घुसपैठ को बढ़ावा मिला। ट्रंप का दावा है कि उन्होंने अप्रवासियों की समस्या को नियंत्रित किया था, लेकिन बाइडेन के नेतृत्व में हालात बिगड़ गए ।डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में यह भी दावा किया कि उन्होंने सिर्फ 43 दिनों में वो किया, जो पिछले 4 सालों में नहीं हुआ। उन्होंने USAID (अमेरिकी सहायता एजेंसी) को खत्म करने का ऐलान किया और कहा कि अब अमेरिका में सिर्फ दो जेंडर होंगे—पुरुष और महिला। ट्रंप के इस बयान से एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के अधिकारों पर बहस तेज हो सकती है । भाषण के दौरान ट्रंप ने अरबपति एलन मस्क की तारीफ की, जो चैंबर में मौजूद थे। ट्रंप के बयान के बाद रिपब्लिकन सांसदों ने तालियां बजाईं। ट्रंप ने डेमोक्रेट्स पर तंज कसते हुए कहा, "ये लोग भी मस्क की सराहना करते हैं, बस स्वीकार नहीं कर सकते।" उनके इस कमेंट पर पूरा चैंबर ठहाकों से गूंज उठा। अब देखना यह होगा कि ट्रंप की इस "रेसिप्रोकल टैरिफ" नीति पर वैश्विक बाज़ार और अमेरिकी जनता कैसी प्रतिक्रिया देती है।
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अबु असीम आजमी के विवादित बयान से सियासत गरमा गई है। औरंगजेब की तारीफ में दिए गए उनके बयान ने महाराष्ट्र में बवाल खड़ा कर दिया, जिसके चलते विधानसभा से उन्हें बजट सत्र तक निलंबित कर दिया गया। भाजपा और शिवसेना के नेताओं ने आजमी के बयान को राष्ट्रविरोधी करार दिया, जिसके बाद उनके खिलाफ देशद्रोह सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने आजमी के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। भाजपा और शिवसेना नेताओं ने उनके निलंबन पर जोर दिया, जिसके बाद विधानसभा ने उन पर कार्यवाही की। बढ़ते दबाव और विरोध के बीच अबु आजमी ने अपना बयान वापस ले लिया, लेकिन इस मुद्दे ने राजस्थान की राजनीति को भी गर्मा दिया। मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस विषय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि "इतिहास में सच को तोड़ा-मरोड़ा गया, महाराणा प्रताप को छोटा दिखाया गया, जबकि अकबर को महान बताया गया।" उन्होंने सवाल उठाया कि "अकबर आपका क्या लगता है?" दिलावर ने यह भी कहा कि औरंगजेब ने सैकड़ों मंदिर तोड़े, हिंदुओं पर जजिया कर लगाया और हजारों निर्दोष लोगों की हत्या करवाई। उन्होंने इतिहास की किताबों में तैमूर को 'महान' बताए जाने पर भी आपत्ति जताई। दिलावर के इस बयान पर कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग की, लेकिन दिलावर अपने बयान पर अडिग रहे।
अबु आजमी ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि "औरंगजेब को लेकर गलत इतिहास दिखाया गया है। उन्होंने कई मंदिर बनवाए थे। वह कोई क्रूर शासक नहीं थे।" उन्होंने दावा किया कि बनारस में जब एक पंडित की बेटी के साथ बदसलूकी करने की कोशिश की गई तो औरंगजेब ने अपराधी को हाथियों के बीच कुचलवा कर मार डाला। आजमी ने आगे कहा कि "औरंगजेब के शासनकाल में भारत की जीडीपी 24% थी और देश 'सोने की चिड़िया' था।" उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में कई चीजें गलत बताई गई हैं और औरंगजेब उनके लिए गलत नहीं थे। आजमी के बयान पर जबरदस्त विरोध के बाद मुंबई पुलिस ने IPC की धारा 295A, 298, 500 और 505 के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। इन धाराओं के तहत किसी भी धर्म या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और समाज में अशांति फैलाने के आरोप लगते हैं। हालांकि, विवाद बढ़ता देख अबु आजमी ने अपना बयान वापस ले लिया और माफी भी मांग ली, लेकिन भाजपा और शिवसेना अभी भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि यह मुद्दा केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा या फिर इसके कानूनी और सियासी असर आगे भी देखने को मिलेंगे।
भारतीय क्रिकेट टीम ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल में जगह बना ली है। सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को चार विकेट से हराकर न सिर्फ फाइनल का टिकट कटाया, बल्कि 2023 वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में मिली हार का बदला भी पूरा कर लिया। यह जीत सिर्फ एक सेमीफाइनल जीतने भर की नहीं थी, बल्कि यह टीम इंडिया की लगातार तीसरी आईसीसी टूर्नामेंट फाइनल में एंट्री थी। 2023 में वनडे वर्ल्ड कप, 2024 में टी20 वर्ल्ड कप और अब 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी भारत ने हर टूर्नामेंट में अपनी बादशाहत साबित की है। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और उनकी टीम 49.3 ओवरों में 264 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। शुरुआत में डेविड वॉर्नर और मार्नस लाबुशेन ने मजबूत नींव रखी, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने वापसी करते हुए कंगारुओं को बड़ा स्कोर नहीं बनाने दिया। मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह की धारदार गेंदबाजी ने ऑस्ट्रेलिया की रनगति पर लगाम लगाई, जबकि कुलदीप यादव और रविंद्र जडेजा ने मध्यक्रम में अहम विकेट चटकाए। 265 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को शुरुआती झटके लगे। महज 43 रन पर भारत ने अपने दो विकेट गंवा दिए और मुकाबला फंसता दिख रहा था। लेकिन मैदान पर थे विराट कोहली। कोहली ने श्रेयस अय्यर (45) के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 91 रनों की साझेदारी कर टीम को संभाला। क्लासिकल कवर ड्राइव से लेकर बैकफुट पंच तक, कोहली ने एक बार फिर साबित किया कि बड़े मुकाबलों में कैसे खेला जाता है। हालांकि, जब ऐसा लग रहा था कि कोहली अपना 49वां वनडे शतक जड़ देंगे, तभी उन्होंने एडम जैम्पा की गेंद पर बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की और 84 रनों पर आउट हो गए। कोहली के आउट होने के बाद भी मैच का रोमांच जारी रहा। केएल राहुल और हार्दिक पांड्या ने मोर्चा संभाला। पांड्या ने तीन छक्के उड़ाकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को बैकफुट पर धकेल दिया। जब भारत को जीत के लिए सिर्फ छह रन चाहिए थे, तब पांड्या एक और बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में आउट हो गए। लेकिन, राहुल ने कोई गलती नहीं की। ग्लेन मैक्सवेल की गेंद पर शानदार छक्का लगाकर भारत को यादगार जीत दिलाई। राहुल 42 रन बनाकर नाबाद लौटे, जबकि रविंद्र जडेजा (2*) ने उनका साथ निभाया। 265 रनों का लक्ष्य चेज करके भारत ने इतिहास रच दिया। यह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी भी टीम द्वारा आईसीसी नॉकआउट मुकाबलों में सबसे बड़ा सफल लक्ष्य का पीछा करने का रिकॉर्ड है। खास बात यह है कि इससे पहले भी यह रिकॉर्ड भारत के ही नाम था 2011 वर्ल्ड कप क्वार्टरफाइनल में 261 रनों का पीछा किया था। यह जीत भारत के लिए सिर्फ सेमीफाइनल जीतने से कहीं ज्यादा थी। यह दिखाता है कि यह टीम दबाव में भी बड़े लक्ष्य का पीछा कर सकती है। विराट कोहली की फॉर्म, केएल राहुल का धैर्य और हार्दिक पांड्या की विस्फोटक बल्लेबाजी ने भारत को एक मजबूत दावेदार बना दिया है। अब भारतीय टीम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल में इतिहास रचने के इरादे से उतरेगी। क्या यह टीम एक और आईसीसी ट्रॉफी उठाएगी? इसका जवाब फाइनल में मिलेगा, लेकिन इतना तय है कि भारत अब विश्व क्रिकेट में अजेय नजर आ रहा है।