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Breaking News 5 December 2025

1 ) रणवीर सिंह विवाद: सोशल मीडिया, संस्कृति और सिनेमा हुआ बेनक़ाब ?

आज का दौर वह है जहाँ अदालत बाद में चलती है, लेकिन सोशल मीडिया पहले ही सज़ा सुना देता है। Ranveer का एक मज़ाक एक मिनट में वायरल हुआ, पाँच मिनट में ट्रोल बन गया दस मिनट में धार्मिक अपराध बन गया और कुछ घंटों में कानूनी मामला बन गया यही बड़ा सवाल पैदा होता है क्या अब सोशल मीडिया ही सिनेमा को नियंत्रित कर रहा है? आइए जानते है .... गोवा में आयोजित IFFI 2025 के मंच पर हुआ एक छोटा-सा अभिनय, एक हल्का-सा मज़ाक और देखते ही देखते देश की सांस्कृतिक राजनीति, धार्मिक संवेदनशीलता, सोशल मीडिया ट्रायल और सेलिब्रिटी अकाउंटेबिलिटी का तूफान खड़ा हो गया। Ranveer Singh द्वारा Kantara Chapter 1 के एक प्रसिद्ध दैव-दृश्य की नकल करते समय बोले गए कुछ शब्द आज एक गंभीर राष्ट्रीय बहस में बदल चुके हैं।  रिशभ शेट्टी की Kantara सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि तटीय कर्नाटक की दैव पूजा, भूतकोला परंपरा और स्थानीय देवी-दैवों की गहराई को दुनिया के सामने लाने वाला सांस्कृतिक दस्तावेज़ है। यह परंपरा उन समुदायों की आस्था, पहचान, इतिहास और समूह-सम्मान से जुड़ी हुई है। ऐसे में जब रणवीर सिंह ने IFFI मंच पर दैव के उस नाटकीय अवतार को female ghost / भूतनी कहकर मज़ाकिया अंदाज़ में पेश किया तो यह सिर्फ एक जोक नहीं रहा। यह सीधा उस समुदाय की आस्था और धार्मिक परंपरा पर चोट बन गया। इस घटना के बाद कर्नाटक के तुलु समुदायों में नाराज़गी बढ़ी, सोशल मीडिया पर #ShameOnYouRanveerSingh ट्रेंड हुआ, और बेंगलुरु में दो अलग-अलग औपचारिक शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें धार्मिक भावनाएँ आहत करने व संस्कृति का अपमान जैसे आरोप शामिल हैं। रणवीर सिंह ने तुरंत माफ़ी मांग ली लेकिन विवाद थमा नहीं। क्योंकि मामला सिर्फ जोक का नहीं था बल्कि सम्मान का था।

क्या यह सिर्फ एक मज़ाक था? या कलाकार की लापरवाही?

रणवीर का तर्क था कि उन्होंने दृश्य की तारीफ में इसे दोहराया था। लेकिन सवाल यह उठता है क्या कोई कलाकार किसी ऐसे सांस्कृतिक-धार्मिक अनुष्ठान की नकल कर सकता है जो एक समुदाय की पवित्र परंपरा हो? बॉलीवुड में लंबे समय से यह समस्या रही है कि स्थानीय संस्कृतियाँ मनोरंजन का सामान बन जाती हैं। और इस घटना ने यही दर्द फिर से सामने ला दिया 
कि कला की आज़ादी और संस्कृति का सम्मान कहाँ मिलते हैं, और कहाँ टकराते हैं।  सोशल मीडिया का दबदबा अदालत से पहले जनता का फैसला? क्या रचनात्मकता अब लाइक, शेयर, कमेंट के डर से सीमित हो जाएगी? भारतीय समाज इतना संवेदनशील क्यों है? कुछ लोग कहेंगे यह सिर्फ मज़ाक था, इतना बड़ा मुद्दा क्यों? लेकिन यह समझना जरूरी है कि भारत की सांस्कृतिक बनावट बेहद जटिल है हर क्षेत्र की अपनी देवी-देवता परंपरा है लोक आस्थाएँ सिर्फ धार्मिक नहीं पहचान हैं
हमारा समाज सामूहिक भावनाओं पर चलता है और सांस्कृतिक चोट व्यक्तिगत अपमान की तरह महसूस होती है भारत में संवेदनशीलता सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अस्तित्व से जुड़ी है। इसलिए जोक और असम्मान के बीच की लाइन बेहद पतली है और जनता उसी पतली लाइन पर भावनाओं के साथ चलती है। आज का कलाकार दो चीजों से डरता है गलत बोल दिया तो ट्रोल, मज़ाक कर दिया तो केस यह घटना सिर्फ Ranveer Singh का विवाद नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा की एक बड़ी समस्या का आइना है। अब कलाकार वही दिखाएँगे जो विवाद न पैदा करे, जो ट्रेंड के खिलाफ न जाए, और जो किसी समुदाय, धर्म, भाषा, संस्कृति को नाराज़ न करे।

 

2 ) यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का भारत दौरा : सवाल ज़्यादा.....जवाब कम 

क्या रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा सिर्फ एक औपचारिक शिखर वार्ता है, या इसके पीछे कुछ गहरे रणनीतिक समीकरण छिपे हैं? क्या ये मुलाकात सिर्फ ऊर्जा, हथियार और व्यापार की बात है, या दुनिया में बदलते शक्ति-संतुलन के बीच भारत और रूस एक नई धुरी तैयार कर रहे हैं? और सबसे बड़ा सवाल जब अमेरिका और यूरोप रूस पर कड़े प्रतिबंधों का दबाव बनाए हुए हैं, तब भारत का पुतिन को रेड-कार्पेट वेलकम देना आखिर वैश्विक राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा? ये सवाल सिर्फ कूटनीति के नहीं, बल्कि आने वाले दशक की भू-राजनीति का चेहरा बनाने वाले सवाल हैं। और इन्हीं सवालों के बीच पुतिन की 4 से 5 दिसंबर की भारत यात्रा कुछ कह रही है आइये जानते है .... चार साल बाद पुतिन का भारत आना अपने आप में एक संदेश है भारत–रूस व्यापार 2030 तक 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य इस यात्रा का आर्थिक स्तंभ है। पर असली मुद्दा यह है कि यह व्यापार अभी भारी असंतुलित है रूस से तेल, कोयला और खाद आयात तो रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ गया, लेकिन भारत की ओर से निर्यात बेहद कम है। इसलिए चर्चा का बड़ा हिस्सा फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पाद, टेक्सटाइल और मशीनरी को रूसी बाजार में तेज़ी से आगे बढ़ाने पर केंद्रित है। साथ ही, INSTC और चेन्नई वलादिवोस्तोक समुद्री मार्ग को सक्रिय करने पर रणनीतिक सहमति बन रही है, ताकि भारत रूस तक यूरोप को बायपास कर सीधा और तेज़ व्यापार कर सके। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के पास ऊर्जा बिक्री के लिए सीमित बाजार बचे हैं। इसी कारण वह भारत को दीर्घकालिक साझेदार के रूप में देख रहा है। भारत भी महंगे वैश्विक बाजारों के बीच रूसी तेल पर निर्भरता बढ़ाकर घरेलू महंगाई को नियंत्रित कर पाया है। इस यात्रा में सबसे बड़ी चर्चा सस्ती रूसी तेल सप्लाई, भुगतान व्यवस्था, और लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स की है ताकि भारत डॉलर निर्भरता कम कर सके और रूस पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार कर सके। इसी के साथ गैस प्रोजेक्ट्स, LNG सप्लाई, और तमिलनाडु के कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के नए चरण पर विस्तृत समझौते मसौदे में शामिल हैं। भारत की सेना का लगभग 55–60% उपकरण रूसी ओरिजन का है। इसका मतलब है कि भारत रूस के साथ रिश्ते ठंडे नहीं रख सकता, क्योंकि स्पेयर पार्ट्स, मेंटेनेंस, एयरक्राफ्ट अपग्रेड्स, मिसाइल सिस्टम सपोर्ट सब रूसी तकनीक पर निर्भर हैं। इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण रक्षा विषय उठे हैं  Su-30MKI जेट्स का नया अपग्रेड चरण R-37 लंबी दूरी की मिसाइलें S-400 के आगे के सपोर्ट सिस्टम VSHORAD मिसाइल सिस्टम और AK-203 राइफल्स का स्थानीय उत्पादन साथ ही रूस ने संकेत दिया है कि वह भारत की “आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन” नीति का समर्थन करने के लिए तकनीक ट्रांसफर पर और खुलकर बात करने को तैयार है। यह भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब अमेरिका, फ्रांस और यूरोप भारत के रक्षा बाजार में तेजी से प्रवेश कर रहे हैं।  जब पश्चिम रूस के खिलाफ अपनी आक्रामक कूटनीति जारी रखे हुए है, तब भारत का पुतिन का स्वागत करना यह संकेत देता है कि नई दिल्ली अपनी प्राथमिकताएँ खुद तय करती है ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा स्थिरता और आर्थिक हित उसके लिए प्राथमिक हैं।

आखिरकार, इस दौरे का भारत पर क्या प्रभाव होगा?

तत्काल प्रभाव होगा ऊर्जा सौदों में स्थिरता, डिफेंस सप्लाई चेन को सुरक्षा, इंडियन एक्सपोर्टर्स के लिए रूस में नए अवसर .दीर्घकालिक प्रभाव होगा  भारत–रूस समीकरण रूस–चीन धुरी के बीच संतुलन बनाएगा अमेरिका की एशिया रणनीति में भारत की भूमिका और स्वतंत्र हो जाएगी भारत दुनिया को संकेत देगा कि वह “मल्टी-पोलर वर्ल्ड” के निर्माण में सक्रिय भूमिका चाहता है ऐसे ही लेटेस्ट खबरों के लिए सब्सक्राइब करे ग्रेट पोस्ट न्यूज़