माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने मुंबई, महाराष्ट्र में ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कॉटन टेक्नोलॉजी (CIRCOT) के शताब्दी स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की। संस्थान के गौरवशाली 100 वर्ष पूरे करने पर बधाई देते हुए, उन्होंने 1924 में इसकी स्थापना के बाद से इसकी यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने टिप्पणी की कि भले ही इस संस्था का प्रारंभिक उद्देश्य कपास से अधिकतम मुनाफा कमाना रहा हो, लेकिन आज का ध्यान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत एक विकसित भारत के निर्माण पर केंद्रित करना है। इस कार्यक्रम में शामिल हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्र निर्माण में किसानों की अपूरणीय भूमिका पर जोर दिया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, किसानों के बिना एक गौरवशाली, समृद्ध और समृद्ध भारत का निर्माण नहीं किया जा सकता है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा हैं और देश का कृषि मंत्री होते हुए किसानों की सेवा करना मेरे लिए भगवान की पूजा करने के समान है। उन्होंने आधुनिक चुनौतियों का सामना करने और कृषि विकास के कई आयामों में योगदान देने के लिए CIRCOT की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत में कपास की खेती की स्थिरता को बढ़ाने के लिए कपास चुनने में मशीनीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने मेकैनिकली काटे गए कपास के प्रसंस्करण पर सक्रिय रूप से काम करने वाले एकमात्र संस्थान के रूप में CIRCOT की प्रशंसा की। इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने ऐसे प्रसंस्करण के लिए संयंत्र और मशीनरी को अनुकूलित करने के लिए CIRCOT में एक पायलट संयंत्र सुविधा की स्थापना की घोषणा भी की। उन्होंने संस्थान को कपास जीनोम अनुसंधान के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र में बदलने की योजना भी साझा की और भारतीय कपास निर्यात के लिए ट्रेसबिलिटी सिस्टम विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने CIRCOT के लिए एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण व्यक्त किया। उन्होंने संस्थान से प्रधानमंत्री के विकसित भारत के लक्ष्य के अनुरूप 2047 तक का रोडमैप तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने कपास उत्पादन, उसकी प्रोसेसिंग और निर्यात टेक्नोलॉजी में तेजी से प्रगति करने का आह्वान किया, जिससे 2047 तक CIRCOT की वैश्विक नेता के रूप में स्थिति सुनिश्चित हो सके। उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की जहां CIRCOT किसानों, उद्योग और राष्ट्र के लाभ के लिए इनोवेशन को आगे बढ़ाएगा।
100 वर्षों का जश्न CIRCOT और कृषि समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने संस्थान को किसानों को लाभ पहुंचाने, उद्योग को बढ़ावा देने और कपास अनुसंधान और टेक्नोलॉजी में भारत के वैश्विक नेतृत्व में योगदान देने के लिए नए जोश और उत्साह के साथ एक नई यात्रा शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि CIRCOT को राष्ट्र की रीढ़ यानि देश के के किसानों को मजबूत करते हुए गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और वैश्विक मान्यता सुनिश्चित करते हुए इनोवेशन और प्रगति जारी रखना चाहिए। आपको बता दें, CIRCOT का शताब्दी समारोह केवल इसके शानदार अतीत का प्रतिबिंब नहीं था बल्कि भविष्य के लिए कार्रवाई का आह्वान था। रणनीतिक पहल और स्पष्ट रोडमैप के साथ, ICAR-CIRCOT कृषि इनोवेशन में नेतृत्व करने के लिए तैयार है, जिससे कपास टेक्नोलॉजी और अनुसंधान में वैश्विक नेता के रूप में भारत का स्थान सुनिश्चित हो सके।
दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन पर आज सुबह से सेवाएं प्रभावित रही हैं। मोती नगर और कीर्ति नगर के बीच केबल चोरी की घटना के कारण ट्रेनें विलंब से चल रही हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी। डीएमआरसी ने यात्रियों को हुई परेशानी के लिए खेद व्यक्त किया और स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य करने के प्रयास किए। ब्लू लाइन, जो द्वारका सेक्टर-21 से नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी और वैशाली तक फैली है, दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की सबसे व्यस्त लाइनों में से एक है। इस घटना के कारण सुबह के समय दफ्तर जाने वाले यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा डीएमआरसी ने यह भी बताया कि तकनीकी टीम को तुरंत स्थिति सुधारने के लिए तैनात किया गया और सेवाओं को सामान्य करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। केबल चोरी की घटनाएं न केवल सेवाओं को प्रभावित करती हैं, बल्कि सुरक्षा और ऑपरेशन पर भी गंभीर असर डालती हैं। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने केबल चोरी की घटना पर आधिकारिक बयान जारी किया है। डीएमआरसी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर जानकारी देते हुए बताया कि मोती नगर और कीर्ति नगर के बीच ब्लू लाइन पर प्रभावित क्षेत्र में मरम्मत का कार्य रात में ऑपरेशन खत्म होने के बाद ही पूरा हो सकेगा।
डीएमआरसी ने स्पष्ट किया कि दिन के समय इस खंड पर ट्रेनें प्रतिबंधित गति से चलेंगी, जिसके चलते सेवाओं में देरी संभव है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा की योजना इस देरी को ध्यान में रखते हुए बनाएं, क्योंकि अतिरिक्त समय लग सकता है। डीएमआरसी ने यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद भी व्यक्त किया है। डीएमआरसी के मुताबिक, इस समस्या का समाधान आज रात मेट्रो सेवाएं बंद होने के बाद ही किया जा सकेगा। दिनभर प्रभावित खंड पर ट्रेनें कम गति से चलेंगी, जिससे सेवाओं में और देरी हो सकती है। डीएमआरसी ने यात्रियों से आग्रह किया है कि वे अपनी यात्रा के लिए अतिरिक्त समय का ध्यान रखें।
देश की दो बड़ी कंपनियां, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो, एक बार फिर आमने-सामने हैं। इस बार मुकाबला है DTH और OTT मार्केट को लेकर । हालाकि इस कड़ी टक्कर में टाटा प्ले की एंट्री एयरटेल में हो गई है । तो सवाल ये उठता है कि टाटा प्ले की डील एयरटेल के लिए गेम-चेंजर साबित होगी या नहीं ? आइए, जानते हैं इस पूरी कहानी को विस्तार से। खबरों के मुताबिक, भारती एयरटेल, जो सुनील मित्तल के नेतृत्व में काम कर रही है, जल्द ही टाटा ग्रुप के साथ एक बड़ी डील करने की तैयारी में है। इस डील के तहत एयरटेल देश की सबसे बड़ी डायरेक्ट-टू-होम यानी DTH सर्विस को खरीदने की योजना बना रही है। अगर यह डील फाइनल होती है, तो यह एयरटेल के बाजार को मजबूत बनाने में बड़ा कदम साबित हो सकता है। अब जरा OTT मार्केट पर नजर डालते हैं। जियो के पास पहले से ही जियोसिनेमा जैसा बड़ा ओटीटी प्लेटफॉर्म है। और अब जियो डिज्नी प्लस हॉटस्टार खरीदने की तैयारी कर रहा है। इस कदम से जियो का कंटेंट लाइब्रेरी और भी मजबूत होगा। लेकिन दूसरी तरफ, एयरटेल टाटा प्ले के जरिए OTT मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अभी तक एयरटेल और टाटा ग्रुप के बीच इस डील को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।"
अगर DTH सेक्टर के मार्केट लीड की बात करे तो । TRAI की रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा प्ले 32.7% हिस्सेदारी और 20.77 मिलियन ग्राहकों के साथ इस समय नंबर वन पर है। वहीं, एयरटेल डिजिटल टीवी 27.8% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके बाद डिश टीवी और सन डायरेक्ट 20.8% और 18.7% हिस्सेदारी के साथ मौजूद हैं। हालाकि इसी बीच एक दिलचस्प बदलाव भी देखने को मिल रहा है। शहरी इलाकों में लोग डीटीएच छोड़कर होम ब्रॉडबैंड और OTT प्लेटफॉर्म्स को चुन रहे हैं। दूसरी तरफ, ग्रामीण क्षेत्रों में दूरदर्शन की फ्री डिश का विकल्प अब भी लोकप्रिय है। यह बदलाव इस बात का संकेत है कि बाजार किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। तो साफ है कि जियो और एयरटेल के बीच यह मुकाबला सिर्फ DTH और OTT तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह टेक्नोलॉजी, कस्टमर बेस और कंटेंट के भविष्य को भी तय करेगा। देखना होगा कि कौन सी कंपनी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करती है। फिलहाल के लिए इतना ही, लेकिन ऐसी ही बड़ी खबरों के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।
RBI ने अब डिजिटल पेमेंट को और भी आसान और तेज बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब UPI Lite के जरिए एक बार में 1,000 रुपये तक का पेमेंट कर सकते हो। इसके साथ ही, UPI Lite की कुल वॉलेट लिमिट को भी 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब अब छोटे ट्रांजैक्शंस और भी आसान हो जाएंगे, खासकर उन जगहों पर जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं मिलती। RBI ने ये भी बताया कि UPI Lite वॉलेट को रीलोड करने के लिए एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन (AFA) की जरूरत होगी, और ये रीलोड केवल ऑनलाइन मोड में ही किया जा सकेगा, ताकि सुरक्षा बनी रहे।
UPI Lite एक बहुत ही सरल और यूजर-फ्रेंडली पेमेंट सिस्टम है, जो खासतौर पर छोटे ट्रांजैक्शंस के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें आप पहले से अपने वॉलेट में पैसे लोड कर सकते हो और बिना इंटरनेट या PIN के पेमेंट कर सकते हो। मान लो, आपको ऑटो का किराया देना है, छोटे दुकानदार से सामान खरीदना है, या फिर खाने-पीने का बिल चुकाना है, तो UPI Lite से सब काम आसान हो जाता है। अब एक बार में 1,000 रुपये तक का पेमेंट और कुल 5,000 रुपये तक की लिमिट होने से ये सुविधा और भी प्रभावी हो गई है। इसके अलावा, NPCI ने ऑटो-टॉप-अप की सुविधा भी जोड़ दी है, जिससे अब मैन्युअली वॉलेट को रिचार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह सुविधा खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी, जो छोटे दुकानदारों या स्ट्रीट वेंडर्स को पेमेंट करते हैं। अब बिना इंटरनेट और बिना PIN के किराने की दुकान, ऑटो वाले या स्ट्रीट फूड वेंडर को पेमेंट करना और भी आसान हो जाएगा। डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने में यह कदम एक नया अध्याय साबित होगा।
UPI की पॉपुलैरिटी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ रही है। ये सिस्टम अब श्रीलंका, मॉरीशस, फ्रांस, यूएई, सिंगापुर, भूटान और नेपाल जैसे देशों में भी इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा, NPCI की अंतरराष्ट्रीय शाखा (NIPL) अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के करीब 20 देशों में UPI जैसे पेमेंट सिस्टम को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। यह कदम डिजिटल इंडिया की ओर एक और अहम पहल है। खासतौर पर उन लोगों के लिए, जिन्हें इंटरनेट पर निर्भर नहीं रहना है, UPI Lite एक बड़ी राहत है। कुल मिलाकर, यह एक ऐसा बदलाव है जो न सिर्फ भारत में डिजिटल भुगतान को सरल बनाएगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी स्वीकार्यता और विस्तार को बढ़ावा देगा।
पश्चिम एशिया के एक और देश में संघर्ष तेज हो गया है। सीरिया में शुरू हुए नए संघर्ष ने पश्चिम एशिया में एक और युद्ध के खुलने की आशंका को बढ़ा दिया है, वह भी ऐसे समय में जब इजरायल गाजा में हमास से और लेबनान में हिजबुल्ला से लड़ रहा है। खबरों के अनुसार सीरियन विद्रोही गुटों ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया है, इससे ईरान के साथ-साथ रूस की भी टेंशन बढ़ गई है। आपको बता दें, इस पूरे संघर्ष में कई किरदार हैं, रूस और ईरान जहां बशर सरकार को बचाने के लिए प्रमुख सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं तो वहीं तुर्की पर आरोप है कि उसने सुन्नी विद्रोही गुटों को ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराया है। इसके अलावा कुर्दिश लड़ाके भी इस संघर्ष में मौजूद हैं, जिन्हें अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। सीरियाई राष्ट्रपति असद ने विद्रोहियों के हमले के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को दोषी ठहराया है। सीरिया में आशान्ति का दौर साल 2011 के अरब जगत में शुरू हुए विद्रोह का एक हिस्सा है जो 15 मार्च 2011 को आरंभ हुआ। आपको बता दें कि ये विद्रोह सिरियाई सरकार और सशस्त्र बलों के बीच आरम्भ हुआ जिसमें राष्ट्रपति बशर अल-असद को हटाने के लिए शुरू किया गया हिंसक विद्रोह देखते ही देखते बड़े स्तर पर फैल गया। वर्तमान में ये युद्ध विभिन्न गुटों के बीच चल रहा है, जिसमें सीरिया की सशस्त्र सेना तथा इसके स्थानीय एवं विदेशी सहयोगी, बागी सुन्नी विपक्ष के कुछ गुट, सलाफी जिहादी संगठन जैसे की अल-नुसरा फ्रॅण्ट और तहरीर अल-शाम, कुर्दिश-अरब सीरियाई गणतांत्रिक बल (SDF) और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक लेवेंट (ISIL) शामिल हैं। वहीं, इस युद्ध में विदेशी ताकतों के रूप में ईरान, रूस, तुर्की, इजरायल और अमेरिका या तो सीधे तौर पर विद्रोह में शामिल हैं या फिर किसी अन्य गुट को सहायता पहुँचा रहे हैं।
सीरिया एक बार फिर गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है। बता दें, राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोही गुटों ने जंग छेड़ दी है और यह साल 2016 के बाद सबसे बड़ा हमला है। खबरों के अनुसार बीते हफ्ते कट्टरपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) और अन्य गुटों ने अलेप्पो, इदलिब और हामा शहरों पर चढ़ाई कर दिया, जिससे संघर्ष बढ़ गया और हिंसक टकराव में सैकड़ों आम नागरिक चोटिल हो गए और हजारों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गए। इस संघर्ष में देश के कई अहम बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा है। बता दें कि कट्टरपंथी समूह हयात तहरीर अल-शाम ने पिछले हफ्ते सीरिया में अचानक और सफल आक्रमण करके सबको चौंका दिया। हयात तहरीर अल-शाम लंबे समय से देश का सबसे मजबूत विद्रोही गुट माना जाता रहा है। इन विद्रोहियों ने 26 नवंबर को अचानक अलेप्पो के उत्तर और उत्तर-पश्चिम के इलाकों से हमला किया, वहीं 29-30 नवंबर को वे शहर में घुस आए और सेना को वहां से खदेड़ दिया। अब HTS के हजारों लड़ाकों ने एक प्रमुख शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया है और इसके साथ ही एक रणनीतिक राजमार्ग को भी काट दिया है। देश के एक अहम हिस्से से बशर अल-असद की सेना को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है। इस टकराव से देश में 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध में एक नया दौर शुरू हो गया है जिसके बारे में कई लोगों का मानना था कि यह खत्म हो चूका है। साल 2016 के बाद यह पहली बार है जब अलप्पो शहर का नियंत्रण सरकार से छिन लिया गया है। आज से करीब आठ साल पहले रूस और ईरान समर्थित सैन्य बलों ने अलेप्पो के पूर्वी जिलों पर कब्जा करने वाले विद्रोहियों को खदेड़ दिया था। फिलहाल विद्रोहियों ने अलेप्पो के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में अपना नियंत्रण जमा रखा है और हामा प्रांत के इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है। बता दें, साल 2011 में असद सरकार के खिलाफ अरब स्प्रिंग विद्रोह से शुरू हुए इस युद्ध में करीब पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 68 लाख लोगों को अपने घरों से मजबूरन बेघर होना पड़ा है।
हयात तहरीर अल-शाम का अर्थ है ग्रेटर सीरिया की मुक्ति के लिए आंदोलन। इसने उत्तर-पश्चिमी सीरियाई प्रांत इदलिब को नियंत्रित किया है। अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नेतृत्व वाली एचटीएस लंबे समय से इदलिब में प्रमुख ताकत रहा है। तहरीर अल-शाम को पहले जबात नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था। दरअसल, HTS को अल-कायदा ने बनाया था ताकि यह सीरिया के गृहयुद्ध खत्म होने के बाद यहां की स्थिति का फायदा उठा सके। यह संगठन जल्द ही अपने मकसद में कामयाब भी हो गया और इसने विद्रोही हमलों के साथ-साथ सेना और अन्य दुश्मनों के खिलाफ आत्मघाती बम विस्फोट किए। हालांकि, यह संगठन धीरे-धीरे सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट का कट्टर दुश्मन बन गया और अंत में साल 2016 में अल-कायदा से भी अलग हो गया। अमेरिका, रूस, तुर्किये और अन्य देशों ने तहरीर अल-शाम को आतंकवादी समूह घोषित किया है। एक अन्य विद्रोही गठबंधन ने अलेप्पो के उत्तरी इलाकों से अलग से हमला शुरू किया है। इन विद्रोहियों को तुर्किये का समर्थन है और ये सीरियाई राष्ट्रीय सेना के बैनर तले संगठित हैं। अल-शाम का नेता 42 वर्षीय अहमद हुसैन अल-शरा है, जिसे अबू मुहम्मद अल-गोलानी के नाम से भी जाना जाता है। गोलानी का जन्म सीरिया में हुआ था। 1967 के युद्ध के बाद जब इजरायल का गोलान हाइट्स पर नियंत्रण हुआ तो इसका परिवार यहां से चला गया। गोलानी को साल 2006 में हजारों अन्य विद्रोहियों के साथ हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उसे पांच साल तक अमेरिका और इराकी जेलों में कैद रखा गया। अबू मुहम्मद अल-गोलानी को 2011 में रिहा किया गया और इसके बाद यह अल-कायदा का नेतृत्व करने के लिए सीरिया लौट आया।
देश के करीब 30% हिस्से पर विद्रोहियों और विदेशी सैनिकों का नियंत्रण है। साल 2013 से सीरिया में शुरू हुए गृह युद्ध ने इसके क्षेत्रों में व्यापक रूप से बांट दिया है। यहां विदेशी शक्तियों ने जमीन पर अपने सैनिक तैनात कर रखे हैं। सीरिया के सबसे बड़े हिस्से, सरकारी नियंत्रण वाले इलाकों पर रूस और ईरान का प्रभाव है। अमेरिका ने पूर्वोत्तर और पूर्व में अपनी सेना की तैनाती हुई है, जो कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस का समर्थन करती है। अमेरिका ने अलेप्पो से दूर पूर्वोत्तर सीरिया में लगभग 900 सैनिक तैनात किए हुए हैं। अमेरिका और इजरायल दोनों ही सीरिया में सरकारी बलों और ईरान-सहयोगी गुट के खिलाफ हमले करते हैं। आपको बता दें, लेबनान में इजरायल के साथ दो महीने से अधिक समय तक चले युद्ध के दौरान ईरान समर्थित हिजबुल्ला को खास तौर पर बड़ा झटका लगा है। पिछले सप्ताह इजरायल के साथ युद्ध विराम करने वाले हिजबुल्ला ने साल 2016 में असद को अलेप्पो पर कब्जा करने में मदद किया था। सीरिया में गृहयुद्ध की आग के दोबारा भड़कने के पीछे तुर्किए को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। तुर्किये के पास विद्रोहियों के नियंत्रण वाले उत्तर-पश्चिम में जमीनी सैनिक हैं और अलेप्पो पर हमला करने वाले विपक्षी ताकतों के बड़े गठबंधन पर उसका प्रभाव है। दरअसल, सीरियाई सरकार के दो मजबूत सहयोगी इस वक्त खुद उलझे हुए हैं। रूस जहां बीते 1000 दिन से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहा है तो वहीं ईरान और उसके प्रॉक्सी गुट हिज़्बुल्लाह इजराइल के खिलाफ करीब एक साल से जारी संघर्ष से कमजोर हो चुके हैं और ऐसे में तुर्किए जो नॉर्दर्न सीरिया में मौजूद सीरियाई नेशनलिस्ट आर्मी को समर्थन देता रहा है, उसके पास असद सरकार का तख्तापलट करने का यह सबसे मुफीद समय है।