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Breaking News 4 September 2025

1.)  GST बदलाव ! क्या होगा सस्ता, क्या महंगा? जानिए झटपट

22 सितंबर से आपके जेब और जेब के अंदर रखे बटुए में थोड़ा सुकून उतरने वाला है। वजह? जीएसटी। वही जीएसटी, जिसे 2017 में बड़ी-बड़ी लाइन से लाया गया था "वन नेशन, वन टैक्स"। अब जीएसटी काउंसिल ने सोचा कि , चार-चार स्लैब रखकर जनता का गणित क्यों बिगाड़ना। तो 5%, 12%, 18% और 28% का जंजाल हटाकर दो ही बड़े स्लैब कर दिए गए 5% और 18%। हां, ऊपर से एक नया भी है 40% वाला स्लैब, जो रखा गया है उनके लिए जो या तो शौक से लक्ज़री में जीते हैं, या फिर जानबूझकर अपनी सेहत का कचरा करते हैं। अब सोचो, रोटी खाने पर भी टैक्स देना पड़ रहा था। जी हां, ब्रेड, पराठा, रोटी जैसी बेसिक चीजें अब पूरी तरह टैक्स फ्री कर दी गई हैं। पनीर, मक्खन, घी अब सब 12% से लुढ़क कर 5% पर आ गए हैं। साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट पहले 18% जीएसटी में दबे पड़े थे, अब सिर्फ 5% लगेगा। मतलब नहाना, दांत साफ करना और बाल चमकाना अब और सस्ता। पहले बीमा खरीदते वक्त लगता था, "मौत के बाद पैसा मिलेगा या पहले ही टैक्स में कट जाएगा?" अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस दोनों को कर दिया गया जीएसटी मुक्त। यानि आपकी पॉलिसी अब साफ-सुथरी। थर्मामीटर, ऑक्सीजन सिलिंडर, टेस्ट किट जैसी हेल्थ आइटम्स पर भी जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है। खेती-किसानी के औज़ार, ट्रैक्टर और सिंचाई उपकरण पहले 12% जीएसटी की मार झेल रहे थे। अब सिर्फ 5% लगेगा। यानि किसान के हल, बैलगाड़ी से लेकर ट्रैक्टर तक का बोझ कुछ हल्का हुआ। वहीं टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन, फ्रिज पहले इन पर 28% लगता था। अब 18% पर आ गए हैं। यानी घर सजाने और ठंडा रखने का खर्च घटेगा। छोटी कारें और टू-व्हीलर पेट्रोल वाली  1200cc, डीजल वाली 1500cc, और 350cc तक की बाइक/स्कूटर पहले लगभग 28–31% टैक्स में फंसी थीं। अब सिर्फ 18% लगेगा। मतलब आने वाले नवरात्र में शो-रूम जाने वालों की मुस्कान अलग ही होगी। लक्ज़री की चाहत और तंबाकू की आदत दोनों ही अब जेब काटेंगी। 350cc से ऊपर वाली मोटरसाइकिलें अब 31% से चढ़कर 40% टैक्स झेलेंगी। बड़ी SUV और 1500cc से ऊपर वाली कारें भी 45–48% से सिमटकर 40% में आएंगी। नाम सुनकर लगेगा कि घट गया, लेकिन असल में इनके दाम वही ऊँचे रहेंगे। और , सिगरेट, गुटखा, पान मसाला इन पर भी 40% GST ठोक दिया गया है। सरकार ने साफ कहा "ये चीजें चाहिए तो जेब ढीली करो।" सरकार का कहना है कम स्लैब, आसान जीवन। मतलब अब कैलकुलेटर निकालकर हिसाब लगाने की ज़रूरत नहीं। सस्ती चीजें यानी जनता खुश । त्योहारों से पहले खरीदारी यानी बाजार में रौनक,  लक्ज़री और हानिकारक सामान  टैक्स से कंट्रोल और राजस्व भी बरकरार। यानी बराबर निचोड़ । तो कुल मिलाकर 22 सितंबर से जीएसटी का नया चेहरा आपके सामने होगा। रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी, खेती-किसानी का बोझ हल्का होगा, गाड़ियां और इलेक्ट्रॉनिक्स किफायती होंगे। लेकिन अगर आपका शौक है बड़ी बाइक चलाने का या धुएं के छल्ले उड़ाने का, तो सरकार कह रही है "अब, मज़ा भी लो और टैक्स भी भरो।" इसी तरह के मजेदार और लेटेस्ट न्यूज देखने के लिए हमसे जुड़े रहे और देखते रहे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।

 

2.) Most Wanted Criminal Arrest: आखिर कौन है ये?

एक हाथ में परोल का ऑर्डर, दूसरे हाथ में फरारी का प्लान। एक पाँव जेल में, दूसरा विदेश में। और चेहरा हरियाणा का सबसे खतरनाक गैंगस्टर। नाम है मैनपाल बादली, वो अपराधी जिसने कानून को सालों तक मुंह चिढ़ाया। एक वक्त था जब यह ट्रैक्टर रिपेयर करता था। लेकिन 2000 में अपने चाचा की हत्या के बाद इसने ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी। उसी दिन से यह अपराध की दुनिया में कूद पड़ा और धीरे-धीरे हरियाणा का सबसे खतरनाक गैंगस्टर बन गया। मैनपाल बादली का अपराध रिकॉर्ड छोटा-मोटा नहीं, बल्कि हत्या, हत्या की कोशिश, एक्सटॉर्शन, गैंगवार और फरारी से भरा पड़ा है। 2013 में बहादुरगढ़ के एक मामले में इसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। सोचा गया था कि अब यह सलाखों के पीछे ही सड़ेगा। लेकिन जेल भी इसे रोक नहीं पाई। 2014 में भोंडसी जेल के अंदर खून की नदियाँ बहीं, और उस गैंगवार के पीछे भी मैनपाल का नाम सामने आया। पुलिस रिकॉर्ड्स ने इसे “बादली गैंग” का सरगना घोषित कर दिया। यह गैंग हरियाणा और आसपास के इलाकों में आतंक का पर्याय बन चुका था। जेल की चारदीवारी इसके लिए मज़ाक बन गई थी। अंदर बैठकर भी मर्डर प्लान करता रहा। और फिर 2018 में अदालत से परोल मिली। वापसी की उम्मीद थी, लेकिन मैनपाल बादली फरार हो गया। नाम बदल लिया “सोनू कुमार”। नकली पहचान बनाई और सीधे विदेश जा पहुंचा। कंबोडिया में बैठकर मैनपाल बादली ने अपना गैंग चलाना शुरू कर दिया। फोन और नेटवर्किंग के जरिए हरियाणा में मर्डर, धमकी और वसूली के ऑर्डर देता रहा। यह आजीवन कारावास भुगतने वाला अपराधी खुलेआम मज़े ले रहा था, और भारतीय सिस्टम मुंह ताक रहा था। पुलिस ने उसके ऊपर ₹7 लाख का इनाम रखा। उसकी संपत्ति कुर्क करने की कोशिश हुई, नीलामी का एलान हुआ। लेकिन उसके डर से कोई खरीदार तक सामने नहीं आया। एक अपराधी का खौफ इतना गहरा था कि लोग बोली लगाने से भी डर गए।2018 से फरार यह अपराधी 2024 तक पुलिस की पकड़ से बाहर रहा। तब भारत ने इंटरपोल से मदद ली और उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी हुआ। जांच ने बताया कि यह कंबोडिया में छिपा बैठा है। वहीं से अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था।  जुलाई 2025 में कंबोडिया की पुलिस ने आखिरकार इसे पकड़ लिया। दस दिन तक वह विदेशी पुलिस की हिरासत में रहा। फिर कागज़ी कार्यवाही, कानूनी औपचारिकताएँ और राजनयिक दबाव के बाद 3 सितंबर 2025 को उसे भारत लाया गया। और जैसे ही उसके पाँव भारतीय ज़मीन पर पड़े, STF ने उसकी गिरफ्तारी दर्ज कर ली। आज जब यह फिर से सलाखों के पीछे है, तो साफ़ है मैनपाल बादली कोई डॉन नहीं, कोई "वर्ल्ड लेवल गैंगस्टर" नहीं। यह सिर्फ और सिर्फ एक खूनी अपराधी है। एक ऐसा गुंडा, जिसने हरियाणा की सड़कों को खून से रंगा, जेल की दीवारों को गवाह बनाया और सालों तक फरार रहकर सिस्टम का मज़ाक उड़ाया। नतीजा मैनपाल बादली की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि अपराध कितना भी बड़ा हो, और अपराधी कितनी भी दूर भाग जाए, क़ानून की पकड़ से बचना नामुमकिन है।

 

3 ) दिल्ली सचिवालय तक पहुँचा यमुना का पानी, अब कौन बचाएगा राजधानी?

दिल्ली एक बार फिर यमुना की बाढ़ से जूझ रही है। राजधानी के हालात इस समय बेहद गंभीर हैं क्योंकि नदी का जलस्तर लगातार बढ़ते हुए 207.48 मीटर तक पहुँच गया है। यह स्तर चेतावनी (204 मीटर) और खतरे के निशान (205 मीटर) दोनों से ऊपर है। पिछले वर्ष जुलाई 2023 में यमुना ने 208.66 मीटर का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था, और मौजूदा स्थिति उस स्तर से केवल एक मीटर नीचे है। तेज़ी से बढ़ते जलस्तर ने दिल्ली के कई हिस्सों को प्रभावित किया है। पानी अब दिल्ली सचिवालय तक पहुँच चुका है और शहर के लो-लाइंग इलाकों मयूर विहार फेज़-1, यमुना बाज़ार, मठ मार्केट, वसु देव घाट और कश्मीरी गेट के आसपास का इलाका जलमग्न हो चुके हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि निगमबोध घाट और गीता कॉलोनी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अस्थायी रूप से रोक दी गई है। यमुना के बढ़ते दबाव ने दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को भी प्रभावित किया है। लोहे का पुल 2 सितंबर से ही यातायात के लिए बंद है, जबकि ओल्ड वज़ीराबाद ब्रिज पर भी पानी चढ़ जाने के कारण आवागमन रोक दिया गया है। सिग्नेचर ब्रिज से लेकर राजघाट तक कई मार्गों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके अलावा, यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन की एप्रोच रोड पूरी तरह डूब चुकी है। अब तक सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 10 हज़ार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है। इनमें से लगभग 8 हज़ार लोग टेंटों में और करीब 2 हज़ार लोग 13 स्थायी शेल्टरों में रह रहे हैं। राहत और बचाव कार्य में NDRF, दिल्ली प्रशासन और MCD की टीमें लगातार लगी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें ORS, क्लोरीन टैबलेट्स और फॉगिंग के ज़रिये पानी से फैलने वाली बीमारियों को रोकने की कोशिश कर रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा संकट का सबसे बड़ा कारण हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी है। बुधवार रात तक यहाँ से 1.75 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था। इसके साथ ही वज़ीराबाद और ओखला बैराज से भी लाखों क्यूसेक का डिस्चार्ज दर्ज किया गया। आम तौर पर हथिनीकुंड से छोड़ा गया पानी दिल्ली तक पहुँचने में 48–50 घंटे लेता है, इसलिए अगले दो दिन स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। फिलहाल जलस्तर में स्थिरता देखने को मिल रही है और केंद्रीय जल आयोग का अनुमान है कि धीरे-धीरे गिरावट शुरू हो सकती है। लेकिन यदि अपस्ट्रीम से दोबारा बड़े पैमाने पर डिस्चार्ज हुआ या दिल्ली-एनसीआर में बारिश तेज़ हुई, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। सरकार की प्राथमिकताएँ इस समय साफ़ हैं 
1. बैराजों के बीच रियल-टाइम कोऑर्डिनेशन।
2. लो-लाइंग इलाकों से समय रहते लोगों को निकालना। 
3. सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय जैसे मोबाइल क्लीनिक और साफ पानी की व्यवस्था।
4. महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा जैसे पंपिंग स्टेशन और बिजली सब-स्टेशन्स।
5. यातायात और संचार व्यवस्था को दुरुस्त रखना। कुल मिलाकर, दिल्ली एक बार फिर प्राकृतिक आपदा और प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा से गुजर रही है। यमुना का यह उफान राजधानी को साफ संदेश देता है कि नदी को केवल नाला मानने की भूल अब भारी पड़ रही है। ऐसे ही देश दुनिया की लेटेस्ट खबरों के लिए सब्सक्राइब करे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।