भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्होंने हाल ही में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर कदम रखा, वहां एक ऐसा Medical Research कर रहे हैं जो आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत से लेकर धरती पर बुजुर्गों की मांसपेशियों तक, सबके लिए उम्मीद की नई किरण बन सकता है। शुक्ला अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी Axiom Space के Ax-4 Mission का हिस्सा हैं, और इसी के तहत वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे। वे इस मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले व्यक्ति हैं। उनकी यह उपस्थिति केवल एक यात्री के तौर पर नहीं, बल्कि एक Scientific Investigator के रूप में है। NASA द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने जापान के Kibo Module में स्थित Life Sciences Glovebox (LSG) के भीतर मानव मांसपेशियों से जुड़ी Stem Cells पर बारीकी से शोध किया। यह अध्ययन यह समझने के लिए किया जा रहा है कि Zero Gravity यानी गुरुत्वहीनता में मानव मांसपेशियों पर क्या प्रभाव पड़ता है, और क्या इसे कुछ पोषक तत्वों या दवाओं के ज़रिए नियंत्रित किया जा सकता है।
यह प्रयोग न केवल मेडिकल साइंस की दिशा बदल सकता है, बल्कि यह भी तय करेगा कि भविष्य में लंबे समय के लिए स्पेस मिशन पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को Muscle Degeneration से कैसे बचाया जाए।
इस प्रयोग के पीछे का वैज्ञानिक कारण बिल्कुल स्पष्ट है। जैसे ही कोई इंसान अंतरिक्ष में प्रवेश करता है, वहां Gravity नहीं होती। ज़मीन पर हमारे शरीर पर जो भार पड़ता है, वह अंतरिक्ष में पूरी तरह से खत्म हो जाता है। इसके कारण मांसपेशियां अपनी ताकत और संरचना खोने लगती हैं। इसे ही Muscle Atrophy कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत में ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने बताया कि यह प्रयोग यह पता लगाने के लिए किया जा रहा है कि अगर हम कुछ खास प्रकार के Supplements या Bio-nutrients दें, तो क्या इस Degeneration को रोका या धीमा किया जा सकता है।
इस रिसर्च का महत्व केवल स्पेस तक सीमित नहीं है। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो इसका सीधा लाभ धरती पर भी देखने को मिलेगा। उम्र बढ़ने के साथ मानव शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। भारत सहित पूरी दुनिया में करोड़ों बुज़ुर्ग इस समस्या से जूझते हैं, और कई गंभीर बीमारियों का कारण बनती है यह कमजोरी। यदि अंतरिक्ष में हुए इस शोध से ऐसे Supplements तैयार किए जाते हैं जो मांसपेशियों की ताकत को बरकरार रखें, तो यह Geriatric Medicine (बुज़ुर्गों की चिकित्सा) में एक क्रांतिकारी खोज साबित हो सकती है।
Axiom Space ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि यह शोध खासकर उन Missions के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा, जहां इंसानों को लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना होगा — जैसे कि भविष्य में Moon Base या Mars Colonization की योजनाएं। इन परिस्थितियों में Muscle Loss एक बड़ी चुनौती बन सकती है, जिसे समय रहते नियंत्रित करना ही मानव उपस्थिति को स्थायी बनाने की कुंजी है। Ax-4 Mission के दौरान 14 दिनों की इस अंतरिक्ष यात्रा में कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे हैं। इनमें अमेरिका, भारत, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, ब्राज़ील, नाइजीरिया, UAE और यूरोप के कई देशों की सक्रिय भागीदारी है। भारत ने अपने हिस्से से 7 बेहद अहम Scientific Studies इस मिशन में भेजी हैं। इनमें से शुभांशु शुक्ला द्वारा किया जा रहा Muscle Stem Cell Research सबसे प्राथमिकता वाला और महत्वपूर्ण प्रयोग माना जा रहा है। NASA के अनुसार, ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने इस अवसर का उपयोग भारतीय छात्रों को विज्ञान के प्रति प्रेरित करने के लिए भी किया है। उन्होंने अंतरिक्ष से एक खास वीडियो मैसेज रिकॉर्ड किया है, जिसमें यह समझाया गया है कि स्पेस में Digestive System कैसे काम करता है। इसके अलावा, उन्होंने Astronaut Mental Health पर भी एक वीडियो तैयार किया है — एक ऐसा विषय जिस पर आज भी ज्यादा बात नहीं की जाती, लेकिन जो Space Psychology और Future Mission Readiness के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर संगठन के अनुभव और राजनीतिक संतुलन को तरजीह दी गई है। 30 जून को निवर्तमान अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए दोबारा नामांकन दाखिल किया, और इस प्रक्रिया में कोई अन्य उम्मीदवार सामने न आने के कारण उनके दोबारा चुने जाने की औपचारिक घोषणा अब केवल समय की प्रतीक्षा है। यह न केवल भट्ट की व्यक्तिगत स्वीकार्यता का प्रमाण है, बल्कि पार्टी के भीतर उनकी मजबूत पकड़ और नेतृत्व क्षमता की भी पुष्टि है। वे उत्तराखंड में दो बार प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले पहले नेता बन जाएंगे।
नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं उनके साथ उपस्थित रहे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करने वाली पार्टी है, और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी उसी प्रक्रिया के तहत संपन्न हो रहा है। उन्होंने महेंद्र भट्ट के संगठनात्मक अनुभव की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में पार्टी को निरंतर सफलता मिली है, और भविष्य में भी पार्टी को उनके अनुभव का लाभ मिलेगा।
गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले ब्राह्मण नेता महेंद्र भट्ट न केवल संगठन के भरोसेमंद चेहरा हैं, बल्कि सरकार और संगठन के बीच सेतु की भूमिका निभाने में भी माहिर माने जाते हैं। उन्होंने पहली बार 30 जुलाई 2022 को प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। उस समय से लेकर अब तक, उनके कार्यकाल में पार्टी ने अधिकांश चुनावों में जीत दर्ज की और संगठनात्मक स्थायित्व बनाए रखा। भट्ट, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी माने जाते हैं, और उनके बीच बेहतर तालमेल पार्टी के लिए एक मजबूत स्तंभ साबित हुआ है।
वर्तमान में राज्यसभा सांसद भट्ट को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे कई कारण हैं—उनकी संगठन में मजबूत पकड़, आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी, निर्णयों पर स्पष्ट और मुखर पक्ष, और चुनावी सफलता। हाल के वर्षों में वे पार्टी के कई संकट क्षणों में नेतृत्व करते नज़र आए हैं। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व ने नेतृत्व परिवर्तन की बजाय स्थायित्व को प्राथमिकता दी।
महेंद्र भट्ट का राजनीतिक सफर साधारण छात्र राजनीति से शुरू होकर राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचा है। 1991 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले भट्ट 1991 से 1996 के बीच संगठन के विभिन्न पदों पर रहे—प्रदेश सह मंत्री से लेकर विभाग संगठन मंत्री तक। 1997 में वे बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश सह मंत्री बने और 1998 से 2000 तक उत्तरांचल युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री के रूप में कार्य किया। उत्तराखंड राज्य निर्माण के दौरान 2000 से 2002 तक वे पहले युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद 2002 में उन्होंने नंदप्रयाग विधानसभा से पहली बार विधायक के रूप में जीत दर्ज की।