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Breaking News 4 December 2024

1 ) दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के मार्शल लॉ पर हंगामा !

 

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को अचानक मार्शल लॉ लागू करने का निर्णय लिया, लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर इसे वापस लेने की घोषणा कर दी। उनके इस कदम ने न केवल विपक्ष बल्कि पूरे देश के सांसदों को एकजुट कर दिया। राष्ट्रपति ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए विपक्ष को "सत्ता-विरोधी ताकत" और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया| मार्शल लॉ के एलान के बाद संसद में असाधारण राजनीतिक एकजुटता देखने को मिली। सभी सांसदों ने राष्ट्रपति के इस फैसले का विरोध किया और एकमत से इसे खारिज करने का प्रस्ताव पारित किया। राष्ट्रपति यून सुक योल ने यह कदम लोकतंत्र की सुरक्षा और देश में स्थिरता कायम करने के नाम पर उठाया था, लेकिन इसने उनके खिलाफ व्यापक विरोध को जन्म दिया। यह घटना दक्षिण कोरियाई राजनीति में जनता, संसद और सरकार के बीच संतुलन की आवश्यकता को भी उजागर करती है।

 तुरंत क्यों हटाना पड़ा मार्शल लॉ को ? 

दक्षिण कोरिया में जब राष्ट्रपति यून सुक योल ने मार्शल लॉ का ऐलान किया, तो इसका असर तुरंत देश की संसद पर दिखाई दिया। सुरक्षा बलों ने संसद भवन को घेर लिया और उसकी इमारत को सील कर दिया| इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए सैनिक अंदर तैनात कर दिए। माना गया कि यह कदम सांसदों को संसद में प्रवेश करने से रोकने के लिए उठाया गया था।हालांकि, इस बाधा के बावजूद, 190 सांसद किसी तरह संसद भवन तक पहुँचने में सफल रहे। वहाँ उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा घोषित मार्शल लॉ के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान किया। सभी सांसदों ने एकमत से इसे असंवैधानिक मानते हुए मार्शल लॉ हटाने के पक्ष में वोट दिया। दक्षिण कोरिया के संवैधानिक नियमों के अनुसार, संसद के प्रस्ताव राष्ट्रपति के फैसलों पर प्राथमिकता रखते हैं। राष्ट्रपति के कैबिनेट ने भी संसद के प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया। इस प्रकार, यून सुक योल की अपनी कैबिनेट के सदस्यों और विपक्ष की एकजुटता ने उन पर दबाव बनाया। इस बीच, संसद भवन के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए, जिन्होंने राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी गिरफ्तारी की माँग की। इन घटनाओं के कारण, राष्ट्रपति को केवल छह घंटे के भीतर मार्शल लॉ हटाने पर मजबूर होना पड़ा।यह स्थिति राजनीतिक अस्थिरता, जनाक्रोश और संवैधानिक नियमों के दबाव की एक स्पष्ट मिसाल है।

राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लागू करने की क्या वजह बतायी ?

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने देश में मार्शल लॉ लागू करने का तर्क देते हुए कहा कि यह कदम "देश के उदार लोकतंत्र को सत्ता-विरोधी ताकतों" और "उत्तर कोरिया से उत्पन्न हो रहे खतरों" से बचाने के लिए उठाया गया था। हालांकि, उन्होंने इस फैसले के पीछे विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी। विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण देश के विपक्षी दल, डेमोक्रेटिक पार्टी, के साथ राष्ट्रपति का टकराव हो सकता है। हाल ही में इस पार्टी ने 2025 के बजट में 677 ट्रिलियन वॉन से 4.1 ट्रिलियन वॉन की कटौती की थी, जिससे राष्ट्रपति नाराज हो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि विपक्ष आवश्यक खर्चों में कटौती कर देश की बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज कर रहा है। एशिया में अमेरिकी राजनयिक रह चुके एलन यू ने टिप्पणी की कि राष्ट्रपति यून सुक योल अपनी लोकप्रियता में गिरावट का सामना कर रहे हैं। उनके कार्यकाल से जुड़े विवादों और विवादास्पद निर्णयों के कारण जनता का समर्थन कमजोर हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मार्शल लॉ लागू करना राष्ट्रपति द्वारा अपनी सरकार को स्थिर करने की जल्दबाजी भरी कोशिशों का हिस्सा हो सकता है। यह घटनाक्रम राष्ट्रपति और विपक्ष के बीच बढ़ती खाई और दक्षिण कोरियाई राजनीति में बढ़ते तनाव का संकेत देता है। राष्ट्रपति के इस कदम ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया है, जबकि आलोचक इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा मान रहे हैं।

 

2.) इंडिगो 6E और महिंद्रा BE 6e के बीच कानूनी लड़ाई: कौन सही?

 

भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन, इंडिगो ने महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल लिमिटेड के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक मामला दायर किया है। इंडिगो का आरोप है कि महिंद्रा ने अपनी नई इलेक्ट्रिक कार, महिंद्रा BE 6E, में '6E' का उपयोग किया है, जो इंडिगो के ट्रेडमार्क से मेल खाता है। यह कार 2025 के फरवरी महीने में भारतीय बाजार में लॉन्च होने वाली है। इंडिगो का कहना है कि '6E' उनके एयरलाइन के ट्रेडमार्क का हिस्सा है और इसके उपयोग से उनका ब्रांड प्रभावित हो सकता है। कोर्ट में यह मामला अब विचाराधीन है, और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों से अपने-अपने तर्क पेश करने का समय दिया है।

क्या है इंडिगो का 6 E 

Indigo की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन ने महिंद्रा के ऊपर यह मुकदमा दायर किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि महिंद्रा इलेक्ट्रिक द्वारा '6E' का इस्तेमाल उसके पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया गया है। इंडिगो, जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है, उसने 6E को अपने कॉलसाइन और अपनी ब्रांडिंग के रूप में इस्तेमाल किया है। इंडिगो एयरलाइंस का 6E न केवल इसकी आधिकारिक पहचान है, बल्कि यह कंपनी की ब्रांडिंग का एक अहम हिस्सा भी है। यह सेवा ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसमें 6E प्राइम शामिल है, जो यात्रियों को सीट चयन, चेक-इन और मुफ्त स्नैक्स जैसी सुविधाएं प्रदान करता है। इसके साथ ही 6E ऐड-ऑन पैसेंजर को अतिरिक्त सामान, प्री-बुक्ड भोजन और लाउंज एक्सेस जैसी सेवाएं भी देता है। इंडिगो ने 2015 में लगभग एक दशक पहले '6E लिंक' नाम से वर्ड मार्क रजिस्टर कराया था, जो क्लास 9, 35, 39 और 16 के तहत दर्ज है। क्लास 9 के अंतर्गत, इंडिगो को इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन और प्रबुद्ध संकेतों में '6E' का उपयोग करने की अनुमति प्राप्त है। वहीं, क्लास 35 में, यह कंपनी को बैनर, ऑनलाइन, टीवी और अन्य विज्ञापन सेवाओं में इस चिन्ह का इस्तेमाल करने की अनुमति देती है।

महिंद्रा की सफाई 

महिंद्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में इंडिगो द्वारा दायर किए गए ट्रेडमार्क मामले पर अपनी सफाई दी है। महिंद्रा ने 26 नवंबर, 2024 को अपनी नई इलेक्ट्रिक एसयूवी BE 6e और XEV 9e का अनावरण किया और बताया कि "BE 6e" के लिए उन्होंने क्लास 12 (वाहन) के तहत ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। महिंद्रा का कहना है कि उनका ट्रेडमार्क "BE 6e" इंडिगो के "6E" से पूरी तरह से अलग है, क्योंकि उनका नाम "BE 6e" है, न कि सिर्फ "6E"। इसके अलावा, महिंद्रा का यह नाम एयरलाइन से संबंधित नहीं है, जिससे किसी प्रकार की उलझन या भ्रम की संभावना नहीं बनती है। महिंद्रा ने यह भी कहा कि वह इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड की चिंताओं को समझते हैं और उन्हें यह समझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं कि उनका इरादा किसी भी तरह से उनकी सद्भावना का उल्लंघन करने का नहीं था।

 

3.) देवेंद्र फडणवीस बनेंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री

 

महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय से चल रहा सस्पेंस अब खत्म हो गया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को नेता चुना गया, जिससे यह तय हो गया कि वे फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में आयोजित होगा। इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे। इस गठबंधन में शिवसेना और एनसीपी को उपमुख्यमंत्री पद और गृह विभाग का प्रभार दिए जाने की संभावना है। बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के विधायक दल की बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भाग लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी भाजपा विधायकों ने सर्वसम्मति से अपना समर्थन देवेंद्र फडणवीस के नाम पर व्यक्त किया। बैठक के दौरान विधायकों ने एक स्वर में कहा कि वे सभी देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व के साथ मजबूती से खड़े हैं। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस पर अपनी सहमति व्यक्त की है, जिससे फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए और अधिक पुख्ता हो गया। सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रकांत पाटिल ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जबकि आशीष शेलार और रविंद्र चव्हाण ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया। यह बैठक न केवल आगामी सरकार के लिए दिशा तय करने का मंच बनी, बल्कि पार्टी के भीतर एकता और सामंजस्य का भी प्रदर्शन किया। 5 दिसंबर को फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारियां जोरों पर हैं, और इसे ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह बनाने की योजना है।

देवेंद्र फडणवीस की राजनितिक कहानी?

देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस (Devendra Gangadharrao Fadnavis) महाराष्ट्र की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा हैं। 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्होंने नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट से लगातार छठी बार जीत दर्ज की। चुनाव से पहले उन्होंने जनता पर भरोसा जताते हुए कहा था कि जिस तरह पिछले पांच चुनावों में उन्हें समर्थन मिला, इस बार भी वे बहुमत से जीत हासिल करेंगे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता फडणवीस 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में सेवा दे चुके हैं। फडणवीस ने 44 वर्ष की आयु में राज्य के दूसरे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। 2019 में उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया था। उनका जन्म 22 जुलाई 1970 को नागपुर, महाराष्ट्र में गंगाधरराव और सरिता फडणवीस के घर हुआ। कानून में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, 1998 में वे जर्मनी गए और डहलेम स्कूल ऑफ एजुकेशन से बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएशन और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया। 2006 में उन्होंने अमृता फडणवीस से विवाह किया और दोनों की एक बेटी है। देवेंद्र फडणवीस ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ की थी। 1990 के दशक में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े। 22 वर्ष की उम्र में, उन्होंने नागपुर के राम नगर वार्ड से पहला नगरपालिका चुनाव जीता और 1992 में नागपुर नगर निगम के सबसे युवा पार्षद बने। 1997 में वे नागपुर के सबसे कम उम्र के मेयर बने और भारत के इतिहास में दूसरे सबसे युवा मेयर का खिताब भी हासिल किया। फडणवीस ने 1999 से 2004 तक लगातार तीन बार महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य के रूप में काम किया। 2001 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। इसके बाद, 2010 में भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव बने और 2013 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक सफर समर्पण और मेहनत का प्रतीक है, जो उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में एक मजबूत और भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित करता है।

 

 

4.) Zee Media Corporation Ltd के शेयर में मौजूदा उछाल 

 

Zee Media Corporation Ltd के शेयरों ने बीते कुछ महीनों में लगातार मजबूती दिखाई है। बुधवार को यह स्टॉक 5% की बढ़त के साथ 21.82 रुपये पर पहुंच गया, जो कि अपर सर्किट रेंज है। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि Zee Media के शेयरों में यह बढ़त कंपनी के बेहतर प्रदर्शन और निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है। बीते कुछ समय में कंपनी ने डिजिटल और पारंपरिक मीडिया क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है, जिससे निवेशकों का झुकाव इस ओर बढ़ा है। जानकारों के अनुसार, अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो Zee Media के शेयर आने वाले समय में और ऊंचाई छू सकते हैं। निवेशकों के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, हालांकि किसी भी निवेश से पहले सही सलाह लेना जरूरी है। Zee Media Corporation Ltd का स्टॉक पिछले कुछ सालों में कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है। अप्रैल 2022 में यह स्टॉक 23 रुपये के स्तर पर ट्रेंड कर रहा था, लेकिन इसके बाद बाजार में आई गिरावट ने इसे मार्च 2023 तक 8 रुपये के लेवल तक पहुंचा दिया। हालांकि, इसके बाद से एक नया मोड़ आया। मार्च 2023 से लेकर अप्रैल 2024 तक, Zee Media के स्टॉक ने कंसोलिडेशन का दौर देखा और 10 रुपये के आस-पास कारोबार कर रहा था। यहां से एक नई शुरुआत हुई, जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने स्टॉक में दिलचस्पी लेना शुरू किया। एफआईआई ने लगातार इसमें निवेश किया और अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाते हुए अब 8.80 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। इससे यह साफ है कि Zee Media के लिए एक नया अध्याय शुरू हो चुका है, और निवेशकों का भरोसा अब फिर से इस कंपनी में दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ समय की गिरावट के बाद यह तेजी का संकेत है कि Zee Media आने वाले समय में अपने निवेशकों के लिए अच्छे अवसर ला सकती है।

Zee Media Corporation Ltd का परिचय 

 

Zee Media Corporation Ltd एक प्रमुख भारतीय मीडिया और प्रसारण कंपनी है, जो समाचार चैनल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करती है। कंपनी की स्थापना 1999 में हुई थी और यह ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEE) का हिस्सा रही है। बाद में इसे स्वतंत्र रूप से एक मीडिया समूह के रूप में स्थापित किया गया। Zee Media के पास कई प्रमुख समाचार चैनल्स हैं, जिनमें Zee News, Zee Business, Zee 24 Taas, और Zee Hindustan शामिल हैं। यह कंपनी हिंदी, अंग्रेजी, और क्षेत्रीय भाषाओं में अपने समाचार प्रसारण करती है। Zee Media का डिजिटल प्लेटफॉर्म भी काफी मजबूत है, जहां वह ऑनलाइन न्यूज़, वीडियो कंटेंट, और अन्य मीडिया सेवाएं प्रदान करता है।

 

5.) सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला

 

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सुखबीर सिंह बादल पर एक जानलेवा हमले की वारदात सामने आई है। सुखबीर सिंह बादल, जो उस दिन दरबान बनकर अपनी धार्मिक सेवा दे रहे थे, अचानक एक बुजुर्ग हमलावर के निशाने पर आ गए। हमलावर ने अपनी पिस्तौल निकाली और फायरिंग करने की कोशिश की, लेकिन गनीमत यह रही कि गोली मिसफायर हो गई और कोई घायल नहीं हुआ। घटना से स्वर्ण मंदिर परिसर में हड़कंप मच गया। इस हमले का वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में एक शख्स रिवॉल्वर निकालकर सुखबीर सिंह बादल पर फायरिंग करने की कोशिश करता है, लेकिन आसपास मौजूद लोगों ने उसे रोककर हमला नाकाम कर दिया। यह हमला उस समय हुआ, जब सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल के अन्य नेता 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा उन्हें दिए गए धार्मिक दंड के तहत सेवा कर रहे थे। आरोपी नारायण सिंह चौरा का आतंकवादी गतिविधियों में लंबा इतिहास रहा है। वह चंडीगढ़ जेल ब्रेक कांड का आरोपी है और उसे हथियारों की तस्करी के मामले में भी सजा हो चुकी है। पुलिस ने आरोपी को तुरंत कस्टडी में ले लिया और उसके पास से पिस्तौल बरामद कर ली है। यह हमला सुखबीर सिंह बादल की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, वहीं पंजाब में राजनीतिक हलचल को और बढ़ा देता है। पुलिस ने हमलावर को तुरंत कस्टडी में ले लिया। आरोपी की पहचान नारायण सिंह के रूप में हुई है, जो कट्टरपंथी विचारधारा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इस घटना ने न केवल धार्मिक स्थान पर सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया, बल्कि पंजाब की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। 

सीएम भगवंत मान ने हमले पर दी प्रतिक्रिया 

 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सुखबीर सिंह बादल पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस की सतर्कता के चलते एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया गया। यह पुलिस की मुस्तैदी का ही नतीजा है कि पंजाब और इसके लोगों को बदनाम करने की कोशिश विफल रही। मुख्यमंत्री ने कहा, "हमलावर को मौके पर ही गिरफ्तार कर लेना पुलिस की बड़ी उपलब्धि है। मैं पंजाब पुलिस के इस त्वरित और साहसिक कदम की सराहना करता हूं।" उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं और पुलिस से जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दिलाने का आश्वासन दिया।