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Breaking News 31 May 2025

1 ) क्या है ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ (OBBB) 

डोनाल्ड ट्रम्प ने इस बार कुछ ऐसा किया है जिससे लोग उनके फैसले पर संदेह करने लगे है इस बार उनका ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ (OBBB) सुर्खियों में है। ये कोई साधारण विधेयक नहीं, बल्कि ट्रम्प के 2024 के चुनावी वादों का एक ऐसा खजाना है, जिसमें उनकी सारी बड़ी योजनाएँ एक साथ समाई हैं। ट्रम्प ने इसे अपने दूसरे कार्यकाल का एक ‘खूबसूरत’ कदम बताया है, लेकिन इस बिल की राह इतनी आसान नहीं। एक तरफ जहाँ ये बिल उनके समर्थकों के लिए उम्मीद की किरण है, वहीं दूसरी तरफ ये आलोचकों और यहाँ तक कि उनके अपने सहयोगियों के लिए सिरदर्द बन गया है। खासकर, दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी और डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) के प्रमुख एलन मस्क ने इस बिल पर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। तो आखिर ये OBBB है क्या और क्यों मचा रहा है इतना हंगामा? चलो, इसे थोड़ा करीब से समझते हैं।

OBBB का जन्म और उसका मकसद

2024 के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी जनता से कई बड़े-बड़े वादे किए थे। टैक्स में कटौती, सीमा सुरक्षा को और मजबूत करना, सरकारी खर्च में फिजूलखर्ची रोकना, और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाना ये कुछ ऐसे वादे थे, जिन्होंने उन्हें दोबारा व्हाइट हाउस तक पहुँचाया। लेकिन इनमें से कई वादों को पूरा करने के लिए सिर्फ कार्यकारी आदेश काफी नहीं। इसके लिए कानून में बदलाव चाहिए, और वो अधिकार है सिर्फ अमेरिकी कांग्रेस (प्रतिनिधि सभा और सीनेट) के पास। बस, यहीं से जन्म हुआ ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ का। इस बिल में ट्रम्प ने अपने सारे नीतिगत एजेंडे और चुनावी वादों को एक साथ पिरोया है। ये एक तरह से ट्रम्प का मास्टरप्लान है, जिसके जरिए वो अपने वादों को हकीकत में बदलना चाहते हैं। लेकिन इसकी भव्यता और जटिलता ने इसे विवादों के घेरे में भी ला खड़ा किया है।

OBBB में है क्या खास?

OBBB कोई छोटा-मोटा बिल नहीं, बल्कि इसमें पाँच बड़े तत्व हैं, जो ट्रम्प की सोच और प्राथमिकताओं को साफ दिखाते हैं। आइए, एक-एक करके इनके बारे में जानते हैं 

1.) टैक्स कटौती का बड़ा खेल: ट्रम्प का पहला कार्यकाल टैक्स कटौती के लिए मशहूर रहा। 2017 में उन्होंने आयकर और संपत्ति कर में बड़ी राहत दी थी, और अब OBBB के जरिए वो इन कटौतियों को न सिर्फ स्थायी करना चाहते हैं, बल्कि इनका दायरा और बढ़ाना चाहते हैं। इस बिल में ओवरटाइम वेतन, टिप्स (जैसे रेस्तरां में वेटर को दी जाने वाली टिप), और सामाजिक सुरक्षा से होने वाली आय पर भी टैक्स में छूट देने की बात है। व्हाइट हाउस का दावा है कि अगर ये बिल पास हो गया, तो हर साल 30,000 से 80,000 डॉलर कमाने वाले मध्यम वर्ग के अमेरिकियों को अगले साल अपने टैक्स में 15% तक की बचत हो सकती हैयानी, अगर आप अमेरिका में मध्यम वर्ग से हैं, तो आपके जेब में कुछ ज्यादा पैसे रह सकते हैं। 

2.) सीमा सुरक्षा और रक्षा का दम: ट्रम्प का एक और बड़ा वादा था अवैध आव्रजन को रोकना और अमेरिकी सेना को और ताकतवर बनाना। OBBB में इसके लिए बड़ा बजट रखा गया है। चाहे वो मैक्सिको की सीमा पर दीवार बनाना हो या सीमा सुरक्षा एजेंसियों को और संसाधन देना, इस बिल में इन सबके लिए पैसों का इंतजाम है। साथ ही, अमेरिकी सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी खर्च बढ़ाया जा रहा है। ट्रम्प के लिए ये मुद्दा हमेशा से प्राथमिकता रहा है, और ये बिल उनकी इस सोच को और मजबूत करता है।

3.) सरकारी खर्च में फिजूलखर्ची पर चोट: OBBB का तीसरा हिस्सा है सरकारी खर्च में ‘बर्बादी, धोखाधड़ी, और दुरुपयोग’ को कम करना। आसान शब्दों में, ट्रम्प का मानना है कि सरकारी पैसे का बहुत सारा हिस्सा गलत जगहों पर खर्च हो रहा है। इस बिल के जरिए वो सरकारी कार्यक्रमों को और पारदर्शी और कुशल बनाना चाहते हैं। ये सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन असल में इसे लागू करना कितना आसान होगा, ये देखना बाकी है।

4.) स्वच्छ ऊर्जा टैक्स क्रेडिट पर कैंची: OBBB में स्वच्छ ऊर्जा से जुड़े टैक्स क्रेडिट को खत्म करने या बदलने का प्रावधान है। ये कदम ट्रम्प प्रशासन के पर्यावरण नीतियों के प्रति रुख को दिखाता है। जहाँ एक तरफ दुनिया जलवायु परिवर्तन से जूझ रही है, वहीं ट्रम्प का ये कदम पर्यावरणविदों और कुछ डेमोक्रेट्स को रास नहीं आ रहा।

5.) कर्ज की सीमा बढ़ाने का विवाद: OBBB का पाँचवाँ और सबसे ज्यादा विवादास्पद हिस्सा है अमेरिकी सरकार की उधार लेने की सीमा को बढ़ाना। पिछले कुछ सालों में अमेरिका का सरकारी कर्ज बढ़ता जा रहा है। अगर ये सीमा न बढ़ाई गई, तो सरकार अपने बिल—जैसे कर्मचारियों की सैलरी, सामाजिक सुरक्षा, और दूसरी योजनाओं का भुगतान नहीं कर पाएगी। लेकिन इस सीमा को बढ़ाने का मतलब है और ज्यादा कर्ज, जो पहले से ही आसमान छू रहा है।

क्यों मचा है बवाल?

OBBB की चमक के पीछे कुछ बड़ी चिंताएँ भी हैं, जिन्हें अर्थशास्त्रियों, सांसदों, और यहाँ तक कि ट्रम्प के अपने सहयोगियों ने उठाया है। सबसे बड़ी चिंता है इस बिल का अमेरिका के पहले से ही भारी-भरकम फेडरल घाटे पर असर। 2024 के आँकड़ों के मुताबिक, अमेरिका का फेडरल घाटा करीब 1.9 ट्रिलियन डॉलर है, जो उनकी जीडीपी का 6.4% है। इतना समझ लो, ये रकम भारत की 2024 की कुल जीडीपी का लगभग आधा हिस्सा है! OBBB में एक तरफ टैक्स कटौती से सरकार की कमाई कम होगी, और दूसरी तरफ सीमा सुरक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में खर्च बढ़ेगा। इसका सीधा असर होगा अमेरिका के कर्ज पर, जो पहले से ही बढ़ता जा रहा है। दूसरी चिंता है इसके व्यापक आर्थिक प्रभाव। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर टैक्स कटौती और खर्च बढ़ाने से महंगाई बढ़ सकती है, और अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ सकता है। यहाँ तक कि कुछ रिपब्लिकन सांसद, जैसे मिसौरी के सीनेटर जोश हॉले, इस बिल को लेकर सवाल उठा रहे हैं। और फिर बात करें एलन मस्क की, जिन्होंने हाल ही में एक साक्षात्कार में OBBB को ‘भारी-भरकम खर्चे वाला’ बिल बताते हुए इसकी आलोचना की। मस्क का कहना है कि ये बिल बजट घाटे को कम करने की बजाय और बढ़ाएगा, और DOGE के मिशन यानी सरकारी दक्षता बढ़ाने को कमजोर करेगा। मस्क की ये टिप्पणी ट्रम्प के साथ उनके मतभेद को उजागर करती है, और इस बिल की राह को और पेचीदा बना रही है। तो आगे क्या? OBBB अभी सीनेट में पास होने का इंतजार कर रहा है। अगर ये पास हो गया, तो ट्रम्प के 2017 के टैक्स कट को और मजबूती मिलेगी, सीमा सुरक्षा पर खर्च बढ़ेगा, मेडिकेड जैसे कार्यक्रमों में बदलाव आएँगे, और स्वच्छ ऊर्जा नीतियों पर नया रुख दिखेगा। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये बिल वाकई ट्रम्प के लिए ‘खूबसूरत’ साबित होगा? या फिर ये उनके अपने ही सहयोगियों, जैसे मस्क और कुछ रिपब्लिकन सांसदों, के लिए सिरदर्द बन जाएगा।

 

2) देश में फिर पैर पसारता कोरोना, किसे है सबसे ज्यादा खतरा?

पिछले कुछ हफ्तों से दुनिया की रफ्तार एक बार फिर धीमी पड़ती नज़र आ रही है क्योंकि वो पुराना दुश्मन, जो हमने समझा था अब थम गया है, फिर से धीरे-धीरे लौट रहा है। जी हां, बात हो रही है कोरोना संक्रमण की। एक बार फिर से वैश्विक मंच पर इसकी दस्तक सुनाई देने लगी है। भारत भी इसकी चपेट में आता दिखाई दे रहा है। 22 मई को देश में कोरोना के कुल 257 एक्टिव केस थे, लेकिन सिर्फ 10 दिनों में ये संख्या 13 गुना बढ़कर 3395 तक पहुंच गई। एक दिन में 685 नए केस दर्ज हुए और 4 लोगों की मौत ने ये जता दिया कि भले ही वैरिएंट कमजोर हो, लेकिन लापरवाही भारी पड़ सकती है। देश में कोरोना के मामलों की बढ़ती संख्या में सबसे ज्यादा योगदान केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों का है। केरल में 1,336 सक्रिय मामले, महाराष्ट्र में 467 और दिल्ली में 375 केस दर्ज किए गए हैं। इस स्थिति ने स्वास्थ्य विभाग को एक बार फिर अलर्ट मोड में ला दिया है। इस बार का वैरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ और उसके सब-वैरिएंट्स से जुड़ा है, जिसे पहले की तुलना में अधिक संक्रामक माना जा रहा है। हालांकि राहत की बात ये है कि इसकी गंभीरता अभी कम मानी जा रही है, यानी ज़्यादातर लोग हल्के लक्षणों के साथ ठीक हो रहे हैं। लेकिन यही लापरवाही की सबसे बड़ी वजह बन सकती है। अगर यह संक्रमण किसी समुदाय में फैलना शुरू कर दे, तो बहुत तेजी से बड़ी आबादी इसकी चपेट में आ सकती है—और फिर ये वैसा ही कहर ढा सकता है जैसा हमने 2020 और 2021 में देखा था। भले ही नया वैरिएंट सभी को न झकझोरे, लेकिन कुछ वर्ग ऐसे हैं जिनके लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, गर्भवती महिलाएं, वो लोग जो कोमॉर्बिडिटी से पीड़ित हैं (जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, अस्थमा आदि), और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग इस संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं। हाल के दिनों में जो 4 मौतें दर्ज की गई हैं, उनमें से 2 अकेले महाराष्ट्र से थीं। एक 67 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हुई, जो पहले से एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, निमोनिया और डायबिटीज से पीड़ित था। दूसरी मौत एक 21 वर्षीय युवक की हुई, जिसे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस था और बाद में उसे श्वसन तंत्र में गंभीर संक्रमण भी हो गया था। ये घटनाएं इशारा करती हैं कि संक्रमण की गंभीरता उन लोगों के लिए घातक हो सकती है, जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। साफ है कोरोना गया नहीं है, बस रफ्तार धीमी पड़ी थी। लेकिन जैसे ही हम लापरवाह होते हैं, ये वापस तेज हो जाता है। इस बार हमारे पास अनुभव है, संसाधन हैं और जानकारी भी बस ज़रूरत है समझदारी और ज़िम्मेदारी की।

 

 

3 )  क्या IPL 2025 फिर इतिहास रचेगा?

आईपीएल 2025 का रोमांच अब अपने चरम पर है। क्रिकेट प्रेमियों की सांसें अब हर मैच के साथ ऊपर-नीचे हो रही हैं, और पसीना इसलिए नहीं छूट रहा कि गर्मी ज्यादा है, बल्कि इसलिए कि अब हर बॉल पर किस्मत बदल रही है। प्लेऑफ में दो मुकाबले हो चुके हैं, दो बाकी हैं और इस पूरे खेल में अगर कोई टीम चुपचाप इतिहास के पीछे से झाँक रही है, तो वो है मुंबई इंडियंस। जी हाँ, वही मुंबई  जो IPL की आधिकारिक ट्रॉफी कलेक्टर है। और अब, 2025 में मौका है कि वो वो कर दिखाए जो आज तक सिर्फ एक टीम कर पाई है एलिमिनेटर खेलते हुए ट्रॉफी जीतना। और उस टीम का नाम है  सनराइजर्स हैदराबाद। साल था 2016, जब SRH ने एलिमिनेटर, क्वालिफायर-2 और फिर फाइनल — तीनों मैच जीतकर इतिहास रच दिया था। और क्या कमाल की बात है उस साल RCB फाइनल में थी, और इस बार भी है! संयोग अगर इतना जोर मार रहा है, तो कुदरत भी IPL स्क्रिप्ट लिखने लगी है क्या?

मुंबई का ‘मिशन मिरर’: 2016 दोहराने की तैयारी

मुंबई इंडियंस इस बार चौथे नंबर पर प्लेऑफ में दाखिल हुई थी, यानी उन्होंने सीधे एलिमिनेटर खेला। गुजरात टाइटंस को 228 रन ठोककर ऐसा झटका दिया कि उनकी बॉलिंग यूनिट को अब भी गूगल मैप से गेंदें ढूंढनी पड़ रही हैं। मुंबई ने ना सिर्फ धमाकेदार बल्लेबाज़ी की, बल्कि गेंदबाज़ी से भी ये जताया कि पुराने MI वाले दिन लौट आए हैं। हार्दिक पांड्या, जो इस बार कप्तान हैं, उनकी अगुआई में टीम ने दिखाया कि जब मामला बड़ा होता है, तो मुंबई का दिल और भी बड़ा हो जाता है। अब मुंबई के सामने है पंजाब किंग्स — वो टीम जो हर साल ट्रॉफी के सपने देखती है लेकिन हर बार सपने टूट जाते हैं जैसे इंटरनेट का नेटवर्क गांव में। पंजाब की टीम को लीड कर रहे हैं श्रेयस अय्यर, और डगआउट में खड़े हैं वही रिकी पोंटिंग, जिनका IPL ट्रॉफी से कुछ वैसा ही रिश्ता है जैसे बेस्टफ्रेंड की शादी में इनविटेशन कार्ड का देखा बहुत है, लेकिन मिला नहीं। 2020 में ये दोनों दिल्ली की टीम के लिए साथ थे और फाइनल तक पहुंचे थे, लेकिन ट्रॉफी... मुंबई ले गई। अब वो दोनों पंजाब में हैं, पर सामने फिर से मुंबई खड़ी है। इतिहास तो जैसे इन्हें हर बार एक ही पाठ पढ़ा रहा है।
पंजाब की टीम पिछले मैच में 101 रन पर सिमट गई थी, तो उनका आत्मविश्वास थोड़ा हिलता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन IPL में कब कौन कमबैक कर जाए, इसका कोई भरोसा नहीं। अब तक दोनों के बीच 33 मुकाबले हुए हैं। मुंबई ने 17 बार बाजी मारी है, पंजाब ने 16 बार। यानी मुकाबला पूरा टक्कर का है, जैसे दो बराबरी के पहलवान अखाड़े में उतरें। लेकिन इस सीजन के एकमात्र मैच में पंजाब ने मुंबई को हराया था — तो मुंबई बदला लेने उतरेगी, और पंजाब खुद को साबित करने। और हाँ, ध्यान रखिए  RCB और पंजाब अब तक एक भी बार चैंपियन नहीं बने हैं। अब सोचिए, या तो IPL को मिलेगा नया चैंपियन, या फिर MI का ट्रॉफी कैबिनेट और भारी हो जाएगा।मुंबई अगर इस बार खिताब जीतती है, तो वह सनराइजर्स हैदराबाद के बाद दूसरी ऐसी टीम बन जाएगी जिसने एलिमिनेटर से फाइनल तक का सफर तय करके ट्रॉफी उठाई हो। और फिर एक लाइन और जुड़ जाएगी “IPL में कुछ भी हो सकता है, लेकिन मुंबई जब टॉप गियर में आती है, तो विरोधी सिर्फ 'Well Played' लिखकर रह जाते हैं।”