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Breaking News 31 January 2025

1.)  जामताड़ा का डिजिटल डकैत गैंग 

जामताड़ा, जो कभी "साइबर ठगी की राजधानी" के रूप में बदनाम था, अब एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। झारखंड के जामताड़ा से एक दिलचस्प किस्सा सामने आया है।  इस बार ठगों ने तकनीक को इतना आत्मसात कर लिया कि जैसे यह कोई पारिवारिक धरोहर हो! पुलिस ने जिन छह आरोपियों को धर दबोचा है, वे महज ऑनलाइन ठग नहीं, बल्कि "साइबर अपराध एज़ ए सर्विस" मुहैया कराने वाले डिजिटल बाबाओं का अवतार थे। इन महानुभावों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ऐसा सदुपयोग किया कि एक क्लिक में भोले-भाले मोबाइल यूजर्स की जेबें खाली हो जातीं। डीके बॉस के नाम से कुख्यात इन ठगों ने 500 से अधिक साइबर अपराध को अंजाम दिया और करीब 12 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। इनके शिकार हुए लोगों की संख्या सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे पूरे 3,000 मासूम मोबाइल यूजर्स!

कैसे बनी 'ऑनलाइन ठगी की फैक्ट्री'?

इस गिरोह के दिमागी खिलाड़ियों ने ठगी के लिए कोई ताश-पत्ते नहीं बिछाए, बल्कि एंड्रॉइड एप्लिकेशन पैकेज (APK) बनाना सीखा। इनका गुरु कौन था?
यूट्यूब ट्यूटोरियल और चैटजीपीटी! जी हां, ये वही प्लेटफॉर्म हैं, जहां कुछ लोग करियर बनाते हैं, और कुछ "कैसे लूटें" के कोर्स में दाखिला ले लेते हैं। इन्होंने 25,000 रुपये में ठगी वाले APK बेचने की स्कीम बनाई। ग्राहक (अर्थात अन्य साइबर ठग) इन ऐप्स को खरीदते और फिर सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और बैंक खाताधारकों का डेटा उड़ाकर अपनी जेबें भरते। इस मॉड्यूल की तुलना अगर आप सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस (SaaS) से करें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी! ठगी की यह सेवा इतनी लोकप्रिय थी कि ठगों को एक महीने की 'गारंटी' भी दी जाती थी "कहीं आपका ठगी वाला ऐप क्रैश हो जाए तो चिंता मत कीजिए, फटाफट नया अपडेट मिलेगा!" पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि इनके बनाए ऐप्स के खिलाफ 415 से अधिक साइबर अपराध शिकायतें दर्ज थीं। ठगों की कंपनी इतनी सुनियोजित थी कि वे अपने ग्राहकों को 'फॉल्ट रिपेयर' तक की सुविधा दे रहे थे।

कैसे पुलिस ने 'डिजिटल  ठगो को पकड़ लिया?

अब जब अपराधी इतने हाईटेक थे, तो पुलिस को भी स्मार्ट बनना पड़ा। शुरुआती छानबीन में पुलिस को सिर्फ 15-20 निष्क्रिय नंबर मिले, लेकिन एक नंबर जो 5-6 साल पुराना था, उसने सारे राज़ खोल दिए। यह नंबर अपराध की दुनिया में प्रवेश करने से पहले 'डीके बॉस' का निजी संपर्क नंबर था। इस एक सुराग ने पुलिस को गिरिडीह के अहिल्यापुर पहुंचा दिया, जहां से 'डीके बॉस' गैंग का सदस्य अख्तर पकड़ा गया। और फिर, जैसे-जैसे परतें खुलती गईं, पूरे गैंग की असली पहचान सामने आती गई। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से अधिकतर स्कूल ड्रॉपआउट थे, मगर इन्होंने डिजिटल शिक्षा को इतनी गंभीरता से लिया कि साइबर ठगी में P.hD कर डाली! इन्होंने न केवल यूट्यूब से सीखकर खुद को कोडिंग एक्सपर्ट बनाया, बल्कि चैटजीपीटी जैसी एआई तकनीकों का उपयोग करके ठगी के नए-नए तरीके इजाद किए। अब ये सभी हाई-टेक ठग लोहे के सीखचों के पीछे हैं और पुलिस इनकी बनाई गई ठगी की डिजिटल दुनिया को खंगालने में जुटी है। देखना यह है कि पुलिस इस डिजिटल महाभारत के और कितने 'कर्णों' को गिरफ्तार करती है! तो अगली बार जब कोई अनजान लिंक भेजे या कोई आकर्षक सरकारी योजना वाली ऐप डाउनलोड करने को कहे, तो ध्यान दें हो सकता है कि कहीं से कोई 'डीके बॉस' आपके फोन में भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा हो!

 

2.) भारत में एक नई स्वास्थ्य आपदा!

देश अभी कोरोना और अन्य बीमारियों से उबर ही रहा था कि अब गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। महाराष्ट्र से शुरू हुई यह बीमारी अब पश्चिम बंगाल और राजस्थान तक पहुंच चुकी है, और लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं। पुणे, जहां सबसे पहले इस बीमारी का प्रकोप दिखा, अब महाराष्ट्र में 127 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 20 मरीज वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं! अब तक महाराष्ट्र में दो मौतों की पुष्टि हो चुकी है। पुणे में एक 56 वर्षीय महिला, जो पहले से ही कैंसर से जूझ रही थी, उनकी 28 जनवरी को सेप्सिस और रेस्पिरेटरी फेलियर से मौत हो गई। इससे पहले, 25 जनवरी को 40 वर्षीय पुरुष की मौत भी GBS की वजह से हुई थी। पश्चिम बंगाल में पिछले चार दिनों में कथित तौर पर तीन मौतें हो चुकी हैं, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। इसके अलावा राजस्थान में जयपुर से तीन मरीजों के संक्रमित होने की खबर आई है। इन मरीजों का इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है, और फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

 क्या है गिलियन बैरे सिंड्रोम ? 

गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद ही नसों (Nerves) पर हमला करने लगती है। इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, लकवे जैसी स्थिति बन सकती है, और मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत होती है। गंभीर मामलों में यह मरीज को वेंटिलेटर तक पहुंचा देता है और मौत तक हो सकती है। GBS के अचानक बढ़ते मामलों को लेकर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने आशंका जताई है कि पुणे में दूषित जल स्रोत इस बीमारी के पीछे हो सकते हैं। वही महाराष्ट्र सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है, जो इस मामले की जांच कर रही है। पुणे के अलग-अलग इलाकों से पानी के सैंपल लिए जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं कोई खतरनाक बैक्टीरिया या वायरस तो इसका कारण नहीं है।

क्या कोई नया वायरस या म्यूटेशन है जिम्मेदार?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो, इस बीमारी के अचानक बढ़ने के पीछे कोई नया वायरस या बैक्टीरिया का म्यूटेशन भी हो सकता है। जब भी कोई इंसान किसी संक्रमण या वायरस के संपर्क में आता है, तो उसका इम्यून सिस्टम उससे लड़ने की कोशिश करता है। लेकिन अगर वायरस म्यूटेट हो चुका हो, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उसे पहचान नहीं पाती और खुद ही नसों पर हमला करने लगती है। GBS कोई संक्रामक बीमारी नहीं है, लेकिन इसके तेजी से बढ़ते मामले इसे गंभीर चिंता का विषय बना रहे हैं। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में इस बीमारी के उभरने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो चुका है। महाराष्ट्र सरकार दूषित पानी की थ्योरी पर फोकस कर रही है। मेडिकल लैब्स में संभावित नए वायरस या बैक्टीरिया की खोज जारी है। जनता को सतर्क किया जा रहा है और साफ-सफाई और सुरक्षित पानी पीने की सलाह दी जा रही है। GBS का अचानक फैलना न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी हो सकता है। क्या यह किसी नई महामारी का संकेत है? क्या यह सिर्फ एक जलजनित संक्रमण है, या फिर इसके पीछे कोई नया वायरस छिपा है?

 

3.) आज पुणे में खेला जायेगा भारत-इंग्लैंड के बीच चौथा मैच  

शुक्रवार, 31 जनवरी को पुणे में भारत-इंग्लैंड के बीच चौथा टी20 मैच खेला जाना है। ये मुकाबला पुणे के महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेला जाना है। भारत ने इस मैदान पर अभी तक 4 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, इसमें भारत को 2 में जीत और 2 में हार का सामना करना पड़ा है। बता दें, इससे पहले मंगलवार, 28 जनवरी को राजकोट में तीसरा मैच हारने के बाद आज भारतीय टीम के पास मुंबई में दो फरवरी को खेले जाने वाले आखिरी मैच से पहले सीरीज जीतने का एक और मौका है। सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में टीम पहले ही कोलकाता और चेन्नई में दो मैच जीत चुकी है। हालांकि, तेज रफ्तार के सामने संजू सैमसन की कमजोरी और रिंकू सिंह का खराब फॉर्म और फिटनेस इंग्लैंड के खिलाफ शुक्रवार को चौथे टी20 मैच से पहले भारतीय टीम के लिए चिंता का सबब होगा। विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन मौजूदा सीरीज के खेले गए तीन मैचों में 26, 5 और 3 का स्कोर ही बना सकें है जो की टीम के लिए चिंता की बात है। मौजूदा सीरीज में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर और मार्क वुड ने 145 से 155 km की रफ्तार से गेंदबाजी की है और ये गति सैमसन के लिये परेशानी का कारण बनी हुई है। सूत्रों की माने तो सैमसन टीम के हेड कोच गौतम गंभीर के पसंदीदा खिलाड़ियों में से है और माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले टी-20 विश्व कप को देखते हुए वह उन पर भरोसा बनाये रखेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें भी तेज गेंदबाजी के कारण हो रही तकनीकी कमियों को दूर करना होगा।

मध्यक्रम और गेंदबाजी में आज बदलाव संभव

भारतीय मध्यक्रम भी टीम के लिए एक बड़ी चिंता है, जो मौजूदा सीरीज में इंग्लैंड के स्पिनर आदिल रशीद को नहीं खेल पा रहा है और ऐसे में देखना है कि क्या कोच और सिलेक्टर शिवम दुबे को चौथे मैच में मौका देते है। दूसरा विकल्प रमनदीप सिंह है जो फिनिशर होने के साथ दुबे से बेहतर तेज गेंदबाज भी है, लेकिन अंतराष्ट्रीय बेहतरीन तेज गेंदबाजों के सामने टेस्ट होना अभी बाकि है। रिंकू सिंह की फिटनेस और कमर की तकलीफ के कारण सातवें नंबर पर ध्रुव जुरेल को उतारा गया, लेकिन सीरीज में वो अब तक कुछ खास परफॉर्म नहीं कर पाए हैं। रिंकू को पहले दो मैचों में आराम दिया गया लेकिन सहायक कोच द्वारा आयोजित प्रेस एक कांफ्रेंस में शुक्रवार के मुकाबले के लिए उन्हें फिट घोषित कर दिया, ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आज के मैच में उनकी प्लेइंग इलेवन में वापसी होती है या नहीं। वहीं, भारतीय गेंदबाजी की बात करें तो मोहम्मद शमी काफी समय बाद टीम में लौटे हैं और राजकोट में खेले गए तीसरे मैच में उन्होंने अच्छी वापसी की है। बता दें कि पुणे की पिच काली मिट्टी की बनी है, जो स्पिन के लिए ज्यादा अनुकूल मानी जाती है और तेज गेंदबाजों को यहां कुछ खास मदद नहीं मिलेगी। अब ऐसे में देखना यह है कि जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में क्या भारत के टी-20 में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज अर्शदीप सिंह को जगह मिलती है तो पावरप्ले में टीम को कितनी सफलता दिला पाते हैं।

 

4.)  बजट से पहले सरकार का रिपोर्ट कार्ड

 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 (Economic Survey 2025) पेश किया। यह दस्तावेज देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति, संभावनाओं और चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करता है। आर्थिक सर्वेक्षण को सरकार के वार्षिक रिपोर्ट कार्ड के रूप में देखा जाता है, जिसमें बीते वित्त वर्ष के प्रदर्शन और आगामी नीतिगत प्राथमिकताओं की झलक मिलती है। भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विकास दर में उतार-चढ़ाव की संभावना है। वित्त वर्ष 2025-26 में रियल जीडीपी ग्रोथ 6.3 से 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में यह 6.4 फीसदी रह सकती है। पिछला वित्त वर्ष (2023-24) 8.4 फीसदी की तेज रफ्तार से बढ़ा था, जो भारत की मजबूती को दर्शाता है। आइए जानते हैं कि देश की आर्थिक सेहत को लेकर सरकार का नजरिया क्या है और किन मोर्चों पर आगे की राह आसान या चुनौतीपूर्ण हो सकती है। 

 महंगाई पर सरकार और RBI की कड़ी नजर

महंगाई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि ब्याज दरों में लंबे समय से बदलाव नहीं होने का कारण महंगाई को काबू में रखना है। आरबीआई ने सख्त मौद्रिक नीतियों से स्थिति को संभालने की कोशिश की है, लेकिन महंगाई दर आम जनता की जेब पर असर डाल रही है। सरकार की योजनाओं और नई तकनीकों के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि दर्ज की गई है। ड्रोन, प्रिसिजन फार्मिंग और हाई-क्वालिटी बीजों के कारण पैदावार बढ़ी है। PM-किसान योजना, डिजिटल एग्रीकल्चर और सिंचाई सुधार जैसे कदमों से किसानों को सीधा लाभ मिला है। भारत में अप्रैल-सितंबर 2024 के बीच 29.8 अरब डॉलर का FDI आया, जिसमें से सबसे ज्यादा 5.7 अरब डॉलर का निवेश सर्विस सेक्टर में हुआ। इससे साफ है कि विदेशी निवेशक सर्विस इंडस्ट्री में बड़ा दांव लगा रहे हैं। सरकार ने इनोवेशन को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। नीतिगत उलझनों को कम करने और उद्यमियों को स्वतंत्रता देने की बात कही गई है। इससे नए स्टार्टअप और कंपनियां वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान बना सकेंगी। सरकार ने साफ किया कि 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियों के मौके सृजित किए जाएंगे। सर्विस सेक्टर की मजबूती के साथ मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी रोजगार बढ़ाने की योजना है। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 89 लाख से अधिक घर बनाए जा चुके हैं, जिससे रियल एस्टेट में रोजगार और आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं।


बजट से पहले क्यों आता है आर्थिक सर्वेक्षण?

आर्थिक सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था का विस्तृत खाका पेश करता है। इसमें जीडीपी (GDP) वृद्धि दर, मुद्रास्फीति (Inflation), रोजगार (Employment), बजट घाटा (Fiscal Deficit) और विभिन्न सेक्टर्स की स्थिति पर विस्तृत डेटा और विश्लेषण शामिल होता है। यह सरकार और नीति-निर्माताओं को आर्थिक फैसले लेने में मदद करता है। 1964 से पहले आर्थिक सर्वेक्षण बजट का हिस्सा था, लेकिन बाद में इसे बजट से एक दिन पहले पेश करने की परंपरा शुरू हुई। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि नीति-निर्माता और जनता बजट से पहले देश की अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को समझ सकें और सरकार की आर्थिक प्राथमिकताओं को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण बना सकें। आम नागरिकों के लिए यह जानना जरूरी है कि महंगाई किस स्तर पर है और रोजगार के अवसर किस दिशा में बढ़ रहे हैं। यह सर्वेक्षण निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि किन सेक्टर्स में संभावनाएं ज्यादा हैं और सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं।
सरकार किन क्षेत्रों पर जोर दे रही है और किस तरह की नीतियां लागू हो सकती हैं, इसका संकेत आर्थिक सर्वेक्षण से मिलता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में सिर्फ आंकड़ों की प्रस्तुति नहीं होती, बल्कि सरकार के आगामी नीतिगत फैसलों की झलक भी मिलती है। अगर किसी क्षेत्र में गिरावट आई है, तो सरकार उसे सुधारने के लिए कौन-कौन से कदम उठा सकती है, इसका भी संकेत इस रिपोर्ट में दिया जाता है। अगर सरकार का फोकस इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, ऑटोमोबाइल या स्टार्टअप सेक्टर पर है, तो निवेशकों को यह अंदाजा लग जाता है कि इनमें भविष्य में विकास की कितनी संभावनाएं हैं। इससे वे अपने निवेश के फैसले बेहतर तरीके से ले सकते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण सिर्फ सरकार के लिए नहीं, बल्कि आम नागरिकों, नीति-निर्माताओं और निवेशकों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह न सिर्फ बीते वर्ष की आर्थिक गतिविधियों का लेखा-जोखा पेश करता है, बल्कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा का संकेत भी देता है।