रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने आखिरकार क्वालिफायर-1 में पंजाब किंग्स को 8 विकेट से हराकर आईपीएल 2025 के फाइनल में ज़ोरदार एंट्री कर ली है। ये चौथी बार है जब RCB फाइनल में पहुंची है, लेकिन इस बार की बात कुछ अलग है। इससे पहले तीन बार ट्रॉफी के दरवाज़े तक पहुंचने के बाद हार का स्वाद चख चुकी ये टीम इस सीजन में पूरी तरह बदल चुकी है। उनके खेल में एक नई भूख, एक अलग तेवर, और ट्रॉफी को छू लेने का पक्का इरादा दिख रहा है। मैदान पर जो जज़्बा नज़र आ रहा है, वो सिर्फ प्लेऑफ में पहुंचने की नहीं बल्कि इतिहास रचने की कहानी बुन रहा है।
विराट कोहली इस टीम का वो चेहरा हैं जो पिछले 18 सालों से लगातार इसके साथ जुड़े हैं। जब-जब टीम हारी, आलोचना हुई, कप्तान बदले, खिलाड़ी बदले – लेकिन विराट कभी नहीं बदले। वो डटे रहे, हर साल उम्मीद के साथ लौटे और फिर से टीम को उठाया। यही वजह है कि जब RCB ने फाइनल में जगह बनाई, तो सबसे ज़्यादा इमोशनल वो दिखे। मैच के बाद उन्होंने पत्नी अनुष्का शर्मा की ओर देखा, मुस्कराए और एक उंगली उठाकर इशारा किया – मानो कह रहे हों, “बस एक और कदम।” इस लम्हे में जीत से ज्यादा उस 18 सालों के सफर की थकावट, उम्मीद और जुनून झलक रहा था। अनुष्का भी ये इशारा देखकर झूम उठीं और ये पल अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। क्वालिफायर-1 में विराट कोहली सिर्फ 12 रन बनाकर आउट हो गए, लेकिन फील्ड पर वो एक असली लीडर की तरह नजर आए। गेंदबाजों को गाइड करना हो, फील्ड सेट करना हो या खिलाड़ियों को मोटिवेट करना – विराट हर जगह एक्टिव थे। वो बार-बार फील्ड चेंज कर रहे थे, बॉलर्स से बात कर रहे थे और हर रन के लिए लड़ते दिखाई दे रहे थे। उनके अंदर इस बार एक कप्तान वाला जोश फिर से लौट आया है, जो ये दिखा रहा है कि इस बार वो ट्रॉफी को किसी भी हाल में हाथ से जाने नहीं देंगे। RCB के गेंदबाजों ने इस मुकाबले में कहर बरपा दिया। उन्होंने पंजाब को महज़ 14.1 ओवर में 101 रनों पर समेट दिया, वो भी ऐसे समय पर जब मैच का दांव सबसे बड़ा था। इस जीत की स्क्रिप्ट रची गई थी जॉश हेजलवुड, सुयश शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और यश दयाल की घातक गेंदबाजी से। हेजलवुड ने 3 विकेट लेकर पंजाब की कमर तोड़ी, सुयश ने भी 3 विकेट झटके, वहीं भुवी और यश ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। 102 रनों के छोटे से लक्ष्य को RCB ने सिर्फ 10 ओवर में 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया। ये जीत सिर्फ जीत नहीं थी – ये एलान था, कि इस बार RCB खाली हाथ नहीं लौटेगी।
जॉश हेजलवुड इस वक्त RCB के लिए वो खिलाड़ी बन चुके हैं, जिनका होना ही जीत की गारंटी बन गया है। उनका रिकॉर्ड भी यही कहता है। आज तक उन्होंने जितने भी फाइनल मुकाबले खेले हैं, हर बार उनकी टीम चैंपियन बनी है। 2012 में सिडनी सिक्सर्स के साथ चैंपियंस लीग T20, 2015 में ऑस्ट्रेलिया के लिए वनडे वर्ल्ड कप, 2020 में BBL, 2021 में चेन्नई सुपर किंग्स के साथ IPL और T20 वर्ल्ड कप – और फिर 2023 का वनडे वर्ल्ड कप। यानी अब तक 6 फाइनल, 6 जीत। अब जब वो RCB के साथ फाइनल में पहुंच चुके हैं, तो फैंस मान बैठे हैं कि इस बार ट्रॉफी पक्की है। हेजलवुड ने इस बार भी वही किया, जो उनसे उम्मीद थी। पंजाब के खिलाफ उन्होंने सिर्फ 21 रन देकर 3 विकेट चटकाए – वो भी बड़े-बड़े नामों के। जॉश इंग्लिस, श्रेयस अय्यर और अजमतुल्लाह ओमरजई जैसे दिग्गज बल्लेबाज़ उनके सामने टिक नहीं पाए। ये सिर्फ एक मैच का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इस सीज़न की पूरी कहानी थी। हेजलवुड ने इस IPL में अब तक 11 मैच खेले और 15.80 की औसत से 21 विकेट अपने नाम किए। वो RCB के पहले विदेशी गेंदबाज भी बन गए हैं जिन्होंने प्लेऑफ में दो बार 3-3 विकेट लिए हैं। उनका ये प्रदर्शन न सिर्फ टीम के लिए जरूरी था, बल्कि अब फैंस को ट्रॉफी की उम्मीद दिला चुका है। 29 मई को जब RCB फाइनल खेलेगी, तो सिर्फ एक टीम मैदान पर नहीं होगी – बल्कि 18 साल की उम्मीदें, करोड़ों दिलों की धड़कन और विराट कोहली का अधूरा सपना मैदान पर उतरेगा। इस बार फैंस कह रहे हैं, “अब और इंतजार नहीं, अबकी बार RCB।” हेजलवुड का लकी रिकॉर्ड, विराट की आग, टीम का फॉर्म और किस्मत का साथ सब कुछ इशारा कर रहा है कि इस बार बेंगलुरु इतिहास लिखने वाली है।
पहली बार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ओडिशा के सबसे बड़े और विशिष्ट फेस्टिवल 'राजा पर्व' का भव्य आयोजन किया जा रहा है। 14 और 15 जून को नोएडा स्टेडियम के रामलीला ग्राउंड में यह दो दिवसीय महोत्सव आयोजित होगा, जिसकी तैयारियां इन दिनों पूरे जोर-शोर से जारी हैं। आयोजन का उद्देश्य न सिर्फ ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देना है, बल्कि राजधानी में बसे ओडिया समुदाय और भारत के अन्य हिस्सों से आए लोगों को उनकी जड़ों से दोबारा जोड़ना भी है।
इस ऐतिहासिक पहल की परिकल्पना सामुदायिक विकास समिति (SVS) के फाउंडर चेयरमैन, प्रख्यात चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं समाजसेवी डॉ. मनोरंजन मोहंती ने की है। डॉ. मोहंती का कहना है कि, “राजा पर्व केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि मातृभूमि, मातृभाषा और स्त्रीत्व के प्रति एक आदरांजलि है। यह पर्व धरती की उर्वरता और नारीशक्ति की गरिमा का उत्सव है।” पारंपरिक रूप से यह फेस्टिवल ओडिशा में वर्षा ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है, जब धरती खेती के लिए तैयार होती है और स्त्री के सम्मान का प्रतीक बन जाती है। नोएडा में यह पर्व पहली बार इतने बड़े स्तर पर आयोजित होने जा रहा है, जिसमें करीब 20,000 से अधिक ओडिया समुदाय के लोग और ओडिशा प्रेमी शामिल होने की उम्मीद है।
दो दिवसीय इस महोत्सव में ओडिशा की कला, संगीत, नृत्य, भोजन और हस्तशिल्प का भव्य प्रदर्शन देखने को मिलेगा। पूरे कार्यक्रम को एक कल्चरल कार्निवल की तरह डिजाइन किया गया है जिसमें ओडिया कल्चर की आत्मा को आधुनिक प्रस्तुति के माध्यम से जीवंत किया जाएगा। ओडिशा और एनसीआर के ख्यातिप्राप्त आर्टिस्ट्स जैसे कि कॉमेडी किंग पपु पम पम, सिंगर अनिंदिता दास, देवेश पाटी, पपु पांडा, ज्योति और ओलिवुड के सुप्रसिद्ध अभिनेता–निर्देशक अश्रुमोचन मोहंती अपनी परफॉर्मेंस से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। इसके साथ ही पारंपरिक नृत्य शैलियों जैसे ओडिसी, संबलपुरी, मणिपुरी, गोटीपुआ, झूमर, ट्राइबल और मॉडर्न डांस की प्रस्तुतियाँ होंगी जो युवाओं को विशेष रूप से आकर्षित करेंगी।
फेस्टिवल का मुख्य आकर्षण रहेगा ओडिशा का खास 'फूड फेस्टिवल', जिसमें राज्य की विविधता और पारंपरिक स्वादों का संगम देखने को मिलेगा। इस फूड फेस्ट में शामिल होंगे कटक का प्रसिद्ध दही बड़ा आलू दम, बारीपदा का मुढ़ी-मटन, सालिपुर का रसगुल्ला, माछा-भात, टंका तोरानी, कोरापुट का पारंपरिक नमकीन, और स्वादिष्ट पिठा जैसे अरिसा, माण्डा, काकरा, पोड़ा पीठा व छेना पोड़ा। साथ ही, जाजपुर का स्पेशल पान भी मेहमानों को मिलेगा जो ओडिशा की मिठास का प्रतीक है।
इस आयोजन को एक समग्र पारिवारिक उत्सव बनाने के लिए वहां बच्चों के लिए गेम्स, महिला सशक्तिकरण गतिविधियाँ, मेंहदी व ड्राइंग प्रतियोगिताएँ, और पारंपरिक फोक आर्ट वर्कशॉप्स भी आयोजित की जाएंगी। वहीं दूसरी ओर, हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट स्टॉल्स, फोटोग्राफी ज़ोन और ओडिया एथनिक परिधानों की प्रदर्शनी भी होगी जो दर्शकों को ओडिशा की रंग-बिरंगी संस्कृति से जोड़ेंगी।
मीडिया से बातचीत में डॉ. मनोरंजन मोहंती ने NCR के 1.6 मिलियन ओडिया समुदाय और सभी ओडिशा प्रेमियों से अपील की कि वे इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण का हिस्सा बनें और ओडिशा की आत्मा को दिल्ली–एनसीआर में जीवंत करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह फेस्टिवल पूरी तरह निःशुल्क है और इसमें शामिल होने के लिए किसी प्रकार के पूर्व रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है।
राजा पर्व उत्सव 2025 सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक गहन भावनात्मक अनुभव है जो यह संदेश देता है कि चाहे हम कहीं भी रहें, अपनी मिट्टी की सुगंध और अपने सांस्कृतिक मूल्यों से कभी दूर नहीं हो सकते। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विविधता में एकता का अद्भुत उदाहरण है, जो हमें यह एहसास दिलाता है कि हमारी विरासत ही हमारी असली पहचान है।
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार न्याय की दस्तक सुनाई दी है। कोटद्वार की एडीजे कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्य आरोपी पुलकित आर्या समेत तीनों अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। मामले की सुनवाई कर रही न्यायाधीश रीना नेगी ने पुलकित पर लगाए गए चारों आरोपों को सही पाया। ये वही केस है जिसने राजनीतिक रसूख, महिला सुरक्षा और व्यवस्था की निष्पक्षता—इन तीनों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया था। 18 सितंबर 2022 को यमकेश्वर स्थित वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर काम कर रही 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। शव चीला नहर में फेंका गया। हत्या के बाद जिस तरह से पूरे सिस्टम में सन्नाटा पसरा था, उससे यह आशंका गहराने लगी थी कि एक रसूखदार का बेटा कानून से बच निकलेगा। लेकिन अदालत के इस फैसले ने लोगों की उम्मीदें फिर से जगा दी हैं। अंकिता भंडारी—एक साधारण परिवार की असाधारण हिम्मती बेटी। बड़े सपनों के साथ घर से निकली थी। चाहती थी कि परिवार की आर्थिक हालत सुधरे, एक पहचान बने। लेकिन उसे उस सिस्टम ने कुचल दिया, जिससे उसे सुरक्षा मिलनी चाहिए थी। रिज़ॉर्ट के मालिक और मुख्य आरोपी पुलकित आर्या ने कथित तौर पर अंकिता पर दबाव बनाया कि वह एक वीआईपी गेस्ट को "एंटरटेन" करे। अंकिता ने इनकार किया और यही इनकार उसकी जान ले बैठा।
इस पूरे मामले में एक कड़वा सच अब भी बाकी है—वो वीआईपी गेस्ट कौन था, जिसके लिए अंकिता को मजबूर किया जा रहा था? जांच एजेंसियों ने भले ही पुलकित आर्या को साजिशकर्ता माना हो, लेकिन वह व्यक्ति कौन था जो पर्दे के पीछे छिपा रहा? क्या कभी उसका नाम सामने आएगा? क्या न्याय की प्रक्रिया वहां तक पहुंचेगी, जहां से इस गंदे खेल की शुरुआत हुई? यह हत्याकांड सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की हत्या थी। अंकिता का मामला सामने आने के बाद जनता सड़कों पर उतरी, सोशल मीडिया पर इंसाफ की गुहार लगी, और सवाल सीधे सत्ता की दहलीज तक पहुंचा। पुलकित के पिता विनोद आर्या भाजपा से जुड़े थे। विपक्ष ने लगातार सरकार पर आरोपी को बचाने के आरोप लगाए। लेकिन कोर्ट की तेज़ कार्रवाई और सख्त फैसले ने उन तमाम संशयों पर विराम लगाने की कोशिश की है। अदालत का फैसला एक 'सांकेतिक न्याय' है। लोगों के भीतर कानून के प्रति उम्मीदें फिर से जगी हैं। एक सामान्य लड़की के लिए खड़ा समाज अब यह मान रहा है कि अपराधी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से नहीं बच सकता। लेकिन जब तक उस अज्ञात वीआईपी का नाम सामने नहीं आता, अंकिता को पूरी तरह न्याय नहीं मिल सकता । आख़िर में... अंकिता भंडारी अब सिर्फ एक नाम नहीं, वो आवाज़ है जो उन लाखों लड़कियों की हिम्मत बन चुकी है जो छोटे कस्बों से निकलकर कुछ बनने का सपना देखती हैं।