Latest News

Breaking News 30 July 2025

1.) : दिमाग से कंप्यूटर कंट्रोल? Musk की Neuralink ने पहली बार कर दिखाया

दुनिया के सबसे क्रांतिकारी टेक उद्यमियों में गिने जाने वाले Elon Musk ने एक बार फिर विज्ञान और कल्पना के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है। उनकी कंपनी Neuralink Corp.जो 2016 में स्थापित की गई थी, अब उस मुकाम पर पहुंच गई है जहाँ इंसानी दिमाग सीधे कंप्यूटर से कम्युनिकेट कर सकता है बिना कीबोर्ड, बिना माउस, बिना किसी शारीरिक हलचल के।

तो आखिर क्या है Neuralink?

Neuralink एक अत्याधुनिक Brain-Computer Interface  टेक्नोलॉजी है, जो मानव मस्तिष्क में एक माइक्रोचिप इम्प्लांट करती है। यह चिप motor cortex (दिमाग का वह हिस्सा जो मूवमेंट कंट्रोल करता है) उससे neural signals को पढ़ती है और उन्हें कंप्यूटर के कर्सर की मूवमेंट और क्लिक में बदल देती है। इस टेक्नोलॉजी का प्राथमिक उद्देश्य है paralysis, spinal injury, ALS जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को सोचने की शक्ति के जरिए डिजिटल दुनिया से जोड़ना। Elon Musk का दावा है कि अब तक तीन पेशेंट्स में Neuralink इम्प्लांट किया जा चुका है और सभी सुरक्षित हैं। कंपनी का अगला लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक 20 से 30 लोगों तक यह चिप इम्प्लांट की जाए। इस टेक्नोलॉजी का सबसे प्रभावशाली उदाहरण बनी हैं अमेरिका की निवासी Audrey Crews, जिन्हें Neuralink के PRIME clinical trial में Patient 9 (P9) के रूप में शामिल किया गया था। Audrey पिछले 20 वर्षों से पूरी तरह (paralyzed) थीं, लेकिन अब उन्होंने वह कर दिखाया है जो कभी साइंस फिक्शन लगता था सिर्फ सोचकर कंप्यूटर स्क्रीन पर अपने नाम "Audrey" को लिखा। उन्होंने यह उपलब्धि बिना किसी शारीरिक गतिविधि के सिर्फ दिमाग से सिग्नल भेजकर हासिल की। अपने X (पूर्व ट्विटर) हैंडल @NeuraNova9 से Audrey ने एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने न केवल नाम लिखा, बल्कि दिल, चेहरा, चिड़िया और पिज्जा जैसे कलरफुल डूडल्स भी ड्रॉ किए और वह भी केवल अपने thoughts की मदद से।

कैसे काम करता है ये ब्रेन इम्प्लांट?

Audrey के दिमाग की खोपड़ी में एक coin-sized Neuralink chip इम्प्लांट की गई है, जिसमें 128 ultra-thin electrodes (wires) उनके motor cortex में डाले गए हैं। ये electrodes उनके दिमाग की electrical signals को detect करते हैं, और कंप्यूटर के interface पर इसे कर्सर की मूवमेंट, क्लिक और ड्रॉ में कन्वर्ट करते हैं। यानी अब Audrey माउस को नहीं छूतीं, बल्कि वह "माउस बन गई हैं" सिर्फ अपने मानसिक निर्देशों से। Neuralink के इस प्रयोग ने दुनिया भर के मेडिकल और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों को चौंका दिया है। यह सिर्फ Audrey की जीत नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की उम्मीद है जो शारीरिक रूप से बंधे हुए हैं, लेकिन जिनका दिमाग आज भी तेज़ी से सोच सकता है। Elon Musk ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले वक्त में Neuralink केवल इलाज का तरीका नहीं, बल्कि एक नया कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म बन सकता है जहाँ इंसान और मशीन के बीच संवाद बोलकर नहीं, सोचकर होगा। Elon Musk की Neuralink न केवल भविष्य को आकार दे रही है, बल्कि इंसान की सबसे बड़ी शक्ति उसकी सोच  को अब तकनीक का अगला कंट्रोलर बना रही है।

 

2.)  सोशल मीडिया पर बवाल, थिएटर में हाउसफुल महावतार नरसिंह बना 2025 का गेमचेंजर

भारत में एनिमेटेड फिल्मों को अब तक बच्चों के मनोरंजन तक सीमित माना जाता रहा है, लेकिन 'महावतार नरसिंह' ने इस सोच को बॉक्स ऑफिस पर जाकर तोड़ दिया है। 25 जुलाई 2025 को रिलीज़ हुई यह फिल्म, बिना किसी बड़े स्टार, विवाद या आक्रामक प्रमोशन के भी, सिर्फ 5 दिनों में ₹29.26 करोड़ का नेट इंडिया कलेक्शन कर चुकी है। इसमें सबसे बड़ा योगदान हिंदी वर्जन का रहा, जिसने अकेले ₹20.65 करोड़ की कमाई की और साफ संकेत दिया कि कंटेंट आधारित फिल्मों का बाजार अब पूरे देश में फैल चुका है।

फिल्म की ओपनिंग ₹5.25 करोड़ रही, जो एक एनिमेटेड फिल्म के लिए काफी मजबूत मानी जाती है। लेकिन इसकी असली ग्रोथ शनिवार और रविवार को दिखी, जब फिल्म ने क्रमशः ₹7.75 करोड़ और ₹9.50 करोड़ की कमाई की। यह आंकड़े बताते हैं कि फिल्म को मजबूत वर्ड-ऑफ-माउथ मिला है। सोमवार और मंगलवार को भी फिल्म ने अपनी पकड़ बनाए रखी और क्रमशः ₹4.45 करोड़ और ₹2.31 करोड़ का कलेक्शन किया। कुल मिलाकर, फिल्म ने मात्र 5 दिनों में 150% से अधिक रिटर्न जनरेट कर लिया, जबकि इसका अनुमानित बजट ₹20 करोड़ बताया जा रहा है।

इस फिल्म की सबसे खास बात यह रही कि इसमें कोई बड़ा चेहरा नहीं है। न कोई सुपरस्टार, न कोई चर्चित डायरेक्टर और न ही कोई मीडिया-कंट्रोवर्सी से जुड़ा प्रचार। इसके बावजूद फिल्म हिट क्यों हुई? इसका जवाब है इसकी टारगेटिंग और प्रेजेंटेशन। यह पहली ऐसी एनिमेटेड फिल्म है जो बच्चों के बजाय एडल्ट ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनाई गई। धार्मिक थीम के साथ इसकी सिनेमैटिक ट्रीटमेंट और 3D ग्राफिक्स ने इसे मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन दोनों में स्वीकार्य बना दिया।

फिल्म की तकनीकी क्वालिटी भी इसकी सफलता की बड़ी वजह रही। 3D विज़ुअल्स, बैकग्राउंड स्कोर और खास तौर पर “Roar of Narasimha” म्यूजिक ट्रैक सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। Instagram रील्स, Twitter रिएक्शन वीडियोज़ और YouTube क्लिप्स ने प्रमोशन का काम किया। फिल्म का कोई ऑफिशियल विवाद या बयानबाज़ी नहीं थी, इसके बावजूद यह ट्रेंडिंग में रही, जो इस बात का संकेत है कि अब दर्शक स्टार या विवाद नहीं, कंटेंट पर रिएक्ट कर रहे हैं।

सबसे मजबूत प्रतिक्रिया हिंदी भाषी क्षेत्रों से मिली है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में फिल्म को शानदार ओपनिंग मिली है। यह दिखाता है कि माइथोलॉजिकल बेस्ड कंटेंट का बाजार अब सिर्फ दक्षिण भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हिंदी बेल्ट भी इसके लिए तैयार है। हिंदी वर्जन से कुल कमाई का लगभग 70% आना इस ट्रेंड की पुष्टि करता है।

एक और दिलचस्प बात यह रही कि फिल्म पूरी तरह विवाद-मुक्त रही। आज जहां फिल्मों को वायरल करने के लिए बयानबाज़ी या ट्रोलिंग का सहारा लिया जाता है, वहीं ‘महावतार नरसिंह’ बिना किसी धार्मिक एजेंडा या प्रचार के चली। इसका मतलब साफ है  दर्शक अब साफ-सुथरे और दमदार कंटेंट को तवज्जो दे रहे हैं, बशर्ते वो ठीक से परोसा जाए।

फिल्म के अंत में ‘महावतार परशुराम’ का एक पोस्ट-क्रेडिट टीज़र दिखाया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि मेकर्स इस फिल्म को एक फ्रेंचाइज़ी के रूप में आगे बढ़ाना चाहते हैं। यानी भारत का खुद का 'Sanatan Cinematic Universe' तैयार किया जा रहा है  एक ऐसा यूनिवर्स, जहां हर अवतार की कहानी एक-एक करके पर्दे पर उतारी जाएगी, लेकिन एक्शन, VFX और मॉडर्न ट्रीटमेंट के साथ।

इस फिल्म की सफलता कोई इत्तेफाक नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी  जिसमें बजट सीमित था, लेकिन टारगेट क्लियर था। सही भाषा रिलीज, तकनीकी गुणवत्ता, मल्टीप्लेटफॉर्म सोशल ट्रिगर और कंटेंट की सादगी इन चार स्तंभों पर खड़ी इस फिल्म ने दिखा दिया कि भारत में माइथोलॉजिकल कहानियां आज भी कॉमर्शियल रूप से काम कर सकती हैं, बस उन्हें सही तरीके से पेश करना जरूरी है।

 

3.)  India vs Pakistan सेमीफाइनल टल गया… लेकिन क्यों? 

World Championship of Legends 2025 का पहला Semi-Final मैच भारत और पाकिस्तान के बीच 31 जुलाई को निर्धारित था, लेकिन भारतीय टीम ने इस हाई-वोल्टेज मुकाबले में खेलने से इनकार कर दिया है। India Champions, जिसकी कप्तानी Yuvraj Singh कर रहे हैं, ने पहले भी लीग राउंड में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से इनकार किया था। यह दूसरी बार है जब भारतीय टीम ने पाकिस्तान के खिलाफ मैच का boycott किया है। भारत की टीम में Shikhar Dhawan, Suresh Raina, Harbhajan Singh, Irfan Pathan जैसे दिग्गज शामिल हैं। मंगलवार को भारतीय टीम ने West Indies Champions को 5 विकेट से हराकर knockout stage में जगह बनाई थी। लेकिन अब देश के मौजूदा सुरक्षा हालात को देखते हुए उन्होंने पाकिस्तान से टकराव से इंकार कर दिया है। इस निर्णय की पृष्ठभूमि में Pahalgam Terror Attack और भारत द्वारा चलाए गए Operation Sindoor की घटनाएं हैं। भारतीय सेना ने इस हमले के जवाब में Pok में स्थित आतंकी ठिकानों को टारगेट करते हुए एक सटीक सैन्य कार्रवाई की थी, जिसमें कई आतंकवादी मारे गए थे। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से एक और infiltration attempt की गई थी, जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के प्रति भारत की zero tolerance policy का असर अब क्रिकेट जैसे क्षेत्रों में भी दिखाई दे रहा है। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार और Board of Control for Cricket in India (BCCI) ने अनौपचारिक तौर पर टीम को पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से मना किया था, ताकि राष्ट्रीय संवेदनशीलता से कोई समझौता न हो EaseMyTrip के Founder and Chairman निशांत पिट्टी ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा"Team India को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सलाम। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल कोई आम मुकाबला नहीं है। Terrorism and Cricket cannot go hand in hand. हम ऐसे किसी आयोजन का समर्थन नहीं कर सकते जो आतंक को बढ़ावा देने वाले देश के साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश करे। हम भारत के साथ हैं।" इस बयान के बाद EaseMyTrip ने टूर्नामेंट से खुद को disassociate कर लिया है। अब टूर्नामेंट आयोजकों के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक और प्रबंधन चुनौती बन गई है। सेमीफाइनल मुकाबले का walkover, suspension या rescheduling किसी भी संभावित विकल्प को लेकर चर्चा जारी है। वहीं, दूसरा सेमीफाइनल South Africa Champions और Australia Champions के बीच 31 जुलाई को तय है, जिसमें AB de Villiers और Brett Lee आमने-सामने होंगे। भारत का यह diplomatic boycott न केवल खेल के मैदान से दूर रहने का फैसला है, बल्कि एक मजबूत geo-political message भी है। यह उदाहरण दर्शाता है कि क्रिकेट अब केवल एक खेल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और वैश्विक नीति का प्रतिनिधित्व करता है। Sporting neutrality की परंपरा को पीछे छोड़ते हुए भारत ने यह स्पष्ट किया है कि जब बात देश की सुरक्षा और आत्म-सम्मान की हो, तो मैदान से बाहर रहना भी एक जीत होती है।