नाबालिग से दुष्कर्म मामले में मैच हुआ आरोपी का DNA
यूपी के कन्नौज में नाबालिग से रेप केस में फंसे पूर्व ब्लॉक प्रमुख और समाजवादी पार्टी नेता नवाब सिंह यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आपको बता दें, आरोपी नवाब सिंह का रेप पीड़िता के साथ DNA सैंपल मैच हुआ है और इसी के साथ नाबालिग लड़की से बलात्कार की पुष्टि भी हो गई है। फोरेंसिक टेस्ट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रेप की पुष्टि होने के बाद सूबे की सियासत फिर से गरमा गई है। बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधना शुरू कर दिया है और इस केस को लेकर दोनों दल शुरू से आमने-सामने रहे हैं। सीएम योगी भी अपने भाषणों में इसका जिक्र कर चुके हैं। बता दें कि नवाब सिंह यादव पर अब कन्नौज पुलिस नाबालिग से रेप के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल करेगी। एसपी अमित कुमार आनंद ने DNA रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि की बात कहते हुए यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि कन्नौज रेप केस में मुख्य आरोपी नवाब सिंह यादव का DNA सैंपल मैच हो गया है। बता दें, फोरेंसिक रिपोर्ट कन्नौज पुलिस को मिल गई है, जिसमें नाबालिग से बलात्कार की पुष्टि हो गई है और अब पुरे मामले में आगे की कार्यवाही की जा रही है।
कब हुआ कन्नौज दुष्कर्म मामला?
मामला 11 अगस्त की रात का है, जब नवाब सिंह यादव ने नाबालिग लड़की के साथ अपने महाविद्यालय में रेप किया था। पीड़िता ने उसी रात 112 नंबर डायल कर पुलिस को मदद के लिए बुलाया और तब मौके पर 112 और कोतवाली पुलिस टीम पहुंची, जहां पर पीड़िता की बुआ भी मौजूद थी। बता दें, पुलिस ने मौके से नवाब सिंह को हिरासत में ले लिया था। पुलिस के मुताबिक, जिस समय वह कमरे में दाखिल हुई उस समय नवाब सिंह आपत्तिजनक हालत में था। इस दौरान पुलिस ने बुआ से भी पूछताछ की थी। हालांकि, तब किसी को नहीं पता था कि इस केस में बुआ की मिलीभगत है। पीड़िता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और 13 अगस्त को उसकी मेडिकल जांच कराई। रेप की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने छेड़छाड़ और रेप से संबंधित धाराओं में आरोपी नवाब पर FIR दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
17 अगस्त को लिया आरोपी का DNA सैंपल
कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने शुक्रवार, 17 अगस्त को नवाब सिंह यादव का डीएनए सैंपल लिया। डॉक्टरों की टीम के साथ सैंपल लेने के लिए पुलिस जिला जेल पहुंची थी। एजेंसी के अनुसार, कन्नौज सदर के सर्किल ऑफिसर (सीओ) कमलेश कुमार ने बताया कि शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज के कहने पर नवाब सिंह यादव ने डीएनए सैंपल देने पर सहमति जताई। सीओ ने बताया कि नवाब सिंह की सहमति के बाद डॉक्टरों के साथ पुलिस टीम सैंपल लेने के लिए जिला जेल गई, जहाँ से सैंपल को सील कर जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया। अब 2 सितंबर को आई रिपोर्ट में नवाब सिंह का रेप पीड़िता से डीएनए सैंपल मैच कर गया है। फोरेंसिक रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है। पुलिस के अनुसार, रेप के आरोपी नवाब सिंह यादव और सहआरोपी पीड़िता की बुआ दोनों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जल्द जांच पूरी कर कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषियों को सजा दिलाने के प्रयास जारी हैं।
रेपकांड की दूसरी आरोपी बुआ और नवाब का अफेयर
कन्नौज रेपकांड की दूसरी आरोपी पीड़िता की बुआ है, जो नाबालिग को लखनऊ से लेकर नवाब सिंह यादव के पास उसके महाविद्यालय में पहुंची थी। आरोप है कि घटना के समय वह कमरे के बाहर मौजूद थी, पीड़िता ने उसे आवाज भी लगाई थी, लेकिन उसने कोई मदद नहीं की थी। बता दें, पुलिस नवाब सिंह और पीड़िता की बुआ दोनों को अरेस्ट कर चुकी है। हालांकि, बुआ काफी दिनों तक फरार थी और पकड़े जाने पर पुलिस को गुमराह करने के लिए उसने अपने बयान भी कई बार बदले। इसी बीच जांच-पड़ताल के दौरान पुलिस को पता चला कि रेप पीड़िता की बुआ और आरोपी नवाब सिंह एक दूसरे को काफी समय से जानते थे और दोनों के बीच में शारीरिक संबंध भी थे। जाँच के दौरान बुआ ने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कॉल डिटेल और अन्य साक्ष्यों से साफ हो गया कि वो झूठ बोल रही थी। जब पीड़िता ने अपनी मां को सारी बात बताई और कहा कि बुआ भी नवाब सिंह से मिली हुई है तो केस आइने की तरह साफ हो गया। पीड़िता ने कहा कि उसके साथ जब रेप हुआ तो बुआ बाहर ही मौजूद थी लेकिन कोई मदद नहीं की और इस घटना के बाद बुआ फरार हो गई थी। बता दें, पीड़िता की मां की शिकायत पर बुआ को भी सहआरोपी बनाया गया और 21 अगस्त को पुलिस ने आरोपी बुआ को गिरफ्तार कर लिया, जब वो अपने घर जाने की कोशिश कर रही थी।
नवाब पर बाबा का बुलडोजर एक्शन
इस बीच नवाब सिंह यादव के करीबी रिश्तेदार की अवैध संपत्ति पर प्रशासन ने बुलडोजर एक्शन भी लिया। बता दें, तिर्वा में बने बांके बिहारी कोल्ड स्टोरेज की बाउंड्री वॉल, जो कि 450 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर बनी थी, उसे ढहा दिया गया। इस बीच 29 अगस्त को आई एक खबर के अनुसार रेप के आरोपी पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव के भाई नीलू यादव ने पीड़िता की बुआ को अपने बयान का लालच दिया था और उसने बुआ के करीबी के अकाउंट में करीब 4 लाख रुपये भी भेजे। अब इस मामले को लेकर एसपी अमित कुमार आनंद का कहना है कि नवाब सिंह के भाई की तलाश की जा रही है और उसपर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया है।
रैप स्टार यो यो हनी सिंह और बादशाह के बीच हुआ तनाव जगजाहिर है। एक समय पर ये जोड़ी म्यूजिक इंडस्ट्री में धमाल मचा रही थी, पर फिर इनके बीच झगड़ा हुआ और फिर हनी दोनों की जोड़ी टूट गई। एक मीडिया चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में हनी सिंह ने बादशाह और रफ्तार संग अपने रिश्ते को लेकर बात की है और कई चौकाने वाले खुलासे भी किए हैं। बता दें, हनी सिंह ने चैनल से बात करते हुए कहा की बादशाह कभी भी मेरा दोस्त नहीं था, बादशाह मेरे लिए बस एक क्लाइंट था। पूरे मामले पर बात करते हुए हनी सिंह ने कहा- बादशाह साहब एक बहुत बड़े अफसर के बेटे हैं। बादशाह के पिताजी ने मुझे पैसे दिए थे कि मैं बादशाह के इंग्लिश एल्बम के लिए म्यूजिक बनाऊं। हनी सिंह ने आगे कहा कि बादशाह कोई ऐसा टैलेंट नहीं जिन्हें सड़क से उठाया गया हो और फिर उसका नाम म्यूजिक इंडस्ट्री में छाया हो। उन्होंने कहा कि बादशाह मुझसे दो-तीन बार मिला, उसका परिवार यहीं रहता था और उसने इंटरव्यू में कहा भी था कि हनी सिंह मेरे पापा से मिले। जो पहले से अमीर हो, उसे माफिया मुंडीर जैसे छोटे प्लेटफॉर्म की जरूरत क्या है।
हनी सिंह-बादशाह की फाइट में फैंस में छिड़ी जंग
एक ओर बादशाह और हनी सिंह की जोड़ी टूटी, दूसरी ओर इनके फैन्स के बीच शब्दों की जंग छिड़ गई। कुछ समय पहले ही एक कॉन्सर्ट के दौरान बादशाह को फैन्स ने हनी सिंह के नाम से टीज किया और जवाब में बादशाह ने हनी सिंह के कमबैक को लेकर कमेंट किया, जिसे लेकर बाद में उन्होंने अफसोस भी जताया। चैनल से बात करते हुए जब हनी सिंह से पूछा गया कि क्या उन्हें बादशाह से कोई गिला-शिकवा है, तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नाराजगी तो अपनों से होती है, परायों से नहीं और क्लाइंट से तो बिलकुल नहीं होती। बादशाह मेरे लिए बस एक क्लाइंट थे और हनी सिंह ने बताया वो बादशाह से आखिरी बार एक दोस्त की बर्थडे पार्टी पर मिले थे, जहाँ दोनों ने साथ में बियर पी और भांगड़ा किया।
रफ्तार ने पैर छूकर क्यों हनी सिंह से मांगी माफी?
हनी सिंह, रफ्तार, बादशाह, इक्का, जे स्टार, अल्फाज, मनी अलूजा और निंजा ने मिलकर माफिया मुंडीर नाम का एक हिप-हॉप ग्रुप बनाया था। माफिया मुंडीर ने कई हिट गाने बनाए, लेकिन फिर ये ग्रुप टूट गया और ग्रुप टूटने के बाद रफ्तार और बादशाह कई बार हनी सिंह के खिलाफ बोलते दिखे। रफ्तार के बारे में बात करते हुए हनी सिंह ने कहा कि बादशाह माफिया मुंडीर का हिस्सा नहीं थे। बादशाह से ज्यादा रफ्तार ने मेरे खिलाफ डिस ट्रैक निकाले हैं, पर मैं रफ्तार का सम्मान करता हूं क्यूंकि वो सड़क से उठा टैलेंट है और उसे उठाने वाला ऊपरवाला है। मैंने सिर्फ उसे चुना, क्योंकि उसमें अच्छा टैलेंट है। वो बात अलग है कि किसी के कहने पर वो मेरे खिलाफ बोलने लगा, पर मैंने कभी कुछ नहीं किया। वो कहता है कि उसने मेरे गाने लिखे, उसने मेरा गाना 'ब्राउन रंग' लिखा, तो मेरे पास तो सिर्फ करियर के दो साल थे, उसके पास तो सात-आठ साल थे, वो अपने लिए कोई 'ब्राउन रंग' क्यों नहीं लिख पाया। हनी सिंह ने ये भी बताया कि एक बार रफ्तार अपनी पत्नी के साथ उन्हें फ्लाइट में मिले थे और इस दौरान उन्होंने उनसे माफी मांगी। चैनल से अपनी बातचीत में हनी सिंह बोलें की रफ्तार दिल का बुरा नहीं है। मैंने एक बार फ्लाइट बोर्ड की, तब एक हाथ उठता है और आवाज आती है पाजी, तो मैंने सोचा कि शायद कोई फैन होगा, इसलिए मैं बैठ गया, लेकिन वो रफ्तार था, साथ में उसकी पत्नी भी थी। तब उसने मैरे पैर छूकर माफी मांगी और कहा कि पाजी आज के बाद कभी गलती नहीं होगी। मैंने कहा भाई कोई बात नहीं, तुम एंजॉय करो। इस घटना के 6 महीने बाद ही उसने मेरे खिलाफ डिस ट्रैक निकाल दिया और मैंने आज तक ये बात किसी इंटरव्यू में नहीं बताई कि रफ्तार ने मुझसे माफी मांगी।
क्या है भारत के सर्वोच्च न्यायालय का इतिहास?
देश की राजधानी में एक इमारत पिछले 75 साल से अटल खड़ी है। 75 साल पुरानी ये इमारत सालों से लोगों के लिए न्याय के मंदिर का प्रतिक रही है। इमारत की शिलालेख पर संस्कृत में लिखा है- "यतो धर्मस्ततो जयः" यानी "जहां धर्म है, वहां विजय है।" भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत का सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी ज्यूडिशियल बॉडी है और इसका जिक्र संविधान के अनुच्छेद 124 में मिलता है। बता दें, देश की सुप्रीम कोर्ट ने आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी, 1950 को अपना काम शुरू किया और इसी दिन भारतीय संविधान भी लागू हुआ था।
कब हुआ देश में सुप्रीम कोर्ट का उद्घाटन?
भारत के एक लोकतांत्रिक देश बनने के ठीक दो दिन बाद, 28 जनवरी, 1950 को सुप्रीम कोर्ट का औपचारिक उद्घाटन हुआ। यह समारोह पुराने संसद भवन के एक हिस्से, चैंबर ऑफ प्रिंसेस में आयोजित किया गया था। ये वो जगह है जहां से भारत का फेडरल कोर्ट 1937 से 1950 तक 12 साल तक काम करता रहा था। इस समारोह में भारत के पहले चीफ जस्टिस हरिलाल जे.कनिया और कई दूसरे प्रतिष्ठित जज और गणमान्य व्यक्ति आए थे, जिनमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अलग-अलग विदेशों के राजदूत और प्रतिनिधि शामिल थे।
कहाँ से चलती थी देश की सुप्रीम कोर्ट?
आज जो सुप्रीम कोर्ट तिलक मार्ग में बना है वह पहले इस जगह नहीं था। बता दें, अपने शुरुआती दिनों में देश की सुप्रीम कोर्ट पुराने संसद भवन से चला करती थी। हालांकि, जैसे-जैसे देश की न्यायिक ज़रूरतें बढ़ीं, कोर्ट को 1958 में तिलक मार्ग, नई दिल्ली में शिफ्ट कर दिया गया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वार उद्घाटन किए गए इस भवन को न्याय के तराजू का प्रतीक बनाने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसमें 27.6 मीटर ऊंचा भव्य गुंबद और एक विशाल स्तंभ वाला बरामदा है। बता दें, इस बिल्डिंग के सेंट्रल विंग के केंद्र में चीफ जस्टिस का कोर्ट सबसे बड़ा कोर्ट रूम है।
कैसा रहा है देश की सर्वोच्च न्यायालय का सफर?
भारत के सुप्रीम कोर्ट की जड़ें 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट में मिलती हैं। कोलकाता में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई थी और यहीं से भारत में न्यायिक प्रणाली की शुरुआत हुई। कलकत्ता का ये कोर्ट आज के सुप्रीम कोर्ट का पूर्वगामी था, जिसने देश के कानून के लिए एक मंच तैयार किया और जिसे बाद में भारतीय संविधान में शामिल किया गया। दरअसल, उस समय के कलकत्ता और आज के कोलकाता के फोर्ट विलियम में सुप्रीम कोर्ट ऑफ ज्यूडिकेचर की स्थापना 1774 में की गई थी। इस कोर्ट ने कलकत्ता के मेयर कोर्ट की जगह ली और 1774 से 1862 तक ब्रिटिश भारत में सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण के रूप में अपना काम किया। असली कोर्ट हाउस एक दो मंजिला इमारत की थी, जिसमें लोहे का स्तंभ और कलश-टॉप वाली रेलिंग थी। यह कलकत्ता में राइटर्स बिल्डिंग के बगल में स्थित था और एक समय पर टाउन हॉल के रूप में भी काम करता था। बिल्डिंग को 1792 में ध्वस्त कर दिया गया था, जिसके बाद आज की जो बिल्डिंग है वो 1832 में बनाई गई थी।
पहले की तुलना में अब क्या है जजों की संख्या?
जब 1950 में पहली बार सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई थी, तो संविधान में एक चीफ जस्टिस और सात अन्य जजों के लिए प्रावधान था, जिससे कुल आठ जज हो गए। यह संख्या शुरुआती साल के लिए पर्याप्त मानी गई थी, जहां सभी जज एक साथ बैठकर मामलों की सुनवाई करते थे। हालांकि, जैसे- जैसे मामलों की संख्या बढ़ी, जजों पर काम का बोझ भी बढ़ता गया, जिससे संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई। पिछले कुछ साल में, संसद ने बढ़ते लोड को मैनेज करने के लिए कई बार जजों की संख्या बढ़ाई गई है। पहला विस्तार 1956 में हुआ, जिसमें जजों की संख्या 8 से बढ़कर 11 हो गई, इसके बाद 1960 (14 जज), 1978 (18 जज), 1986 (26 जज), 2009 (31 जज) की संख्या का विस्तार हुआ और आखिरकार, 2019 में जजों की संख्या बढ़ाकर 34 कर दी गई, जो वर्तमान संख्या है। जजों की संख्या बढ़ने के साथ, छोटी बेंचों में बैठने की प्रथा आम हो गई. आज सुप्रीम कोर्ट आम तौर पर दो या तीन जजों की बेंचों में काम करता है, जिन्हें डिवीजन बेंच के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, कानून या जरूरी केसों के लिए, पांच या ज्यादा जजों की बड़ी बेंचें बनाई जाती हैं, जिन्हें संविधान बेंच कहा जाता है, ये सिस्टम सुनिश्चित करता है कि सभी के विचार इसमें शामिल किए जाएं।
किस केस में किया गया था सबसे बड़ी बेंच का गठन?
भारत के सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य का मामला है और इस मामले के कारण सुप्रीम कोर्ट में अब तक की सबसे बड़ी बेंच का गठन हुआ था, जिसमें 13 जज शामिल थे। उस समय बेंच को यह तय करने का काम सौंपा गया था कि संसद को संविधान में संशोधन करने का अप्रतिबंधित अधिकार है या नहीं। इस निर्णय ने इस सिद्धांत को जन्म दिया कि संविधान की कुछ मौलिक विशेषताओं को संसद नहीं बदल सकती और ये अब तक भारतीय संवैधानिक कानून की आधारशिला बना हुआ है।
इमारत में कब-कब हुए बदलाव?
सुप्रीम कोर्ट की इमारत अपने आप में न्याय और अधिकार का प्रतीक है और न्यायपालिका की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए समय-समय पर मूल इमारत में कई बदलाव किए गए हैं। पहला बदलाव साल 1979 में हुआ था, जिसमें पूर्वी और पश्चिमी विंग को जोड़ा गया था। साल 1994 में, एक और विस्तार ने इन विंग को जोड़ा और फिर साल 2015 में, मुख्य भवन से कुछ सेक्शन को ट्रांसफर करते हुए नए एक्सटेंशन ब्लॉक का उद्घाटन किया गया।
क्या हरियाणा में फिर साथ आएंगे कांग्रेस और AAP?
इस साल देश में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी-कांग्रेस का गठबंधन कोई सफलता हासिल नहीं कर पाया, इसके बाद अब हरियाणा विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के हाथ मिलाने की खबरें एक बार फिर सामने आ रही हैं। इसकी सुगबुगाहट सोमवार को हुई कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद से शुरू हो गई है। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि पार्टी की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने नेताओं से इस गठबंधन को लेकर राय मांगी है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा आम आदमी पार्टी को 3-4 सीटें देने पर सहमत बताए जा रहे हैं। अब आने वाले दिनों में देखना ये है की इस गठबंधन के पीछे की राजनीति क्या है और ये गठबंधन होता भी है या नहीं और अगर होता है तो किसके लिए फायदेमंद होगा यह गठबंधन।
राहुल ने पार्टी नेताओं से गठबंधन पर मांगी राय
दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इस बैठक में हरियाणा में होने वाले आगामी चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई। पार्टी सूत्रों से आ रही खबर के अनुसार, कांग्रेस ने हरियाणा के 30 से अधिक नाम फाइनल कर दिए हैं और इन नामों की घोषणा बुधवार को हो सकती है। बताया जा रहा है कि इसी बैठक में राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के नेताओं से हरियाणा में आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर राय मांगी है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस विषय में अभी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद हरियाणा में एक बार फिर आप से गठबंधन की बात किसी को पच नहीं रही है। लेकिन वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि हरियाणा में आप से गठबंधन कर राहुल गांधी अपनी राष्ट्रीय राजनीति की पिच सेट कर रहे हैं। वो इस समझौते के जरिए केंद्र में विपक्षी मोर्चे को और मजबूत बनाना चाहते हैं और कांग्रेस को विपक्षी मोर्चे में बड़े भाई की भूमिका में रखना चाहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें कुछ कुर्बानियां देनी पड़ें।
संजय सिंह ने गठंधन पर किया राहुल का समर्थन
हरियाणा में कांग्रेस से गठबंधन की खबरों का आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने स्वागत किया है। हरियाणा में कांग्रेस से गठबंधन के सवाल पर संजय सिंह ने कह कि राहुल गाँधी के इस बयान का मैं स्वागत करता हूं और निश्चित रूप से बीजेपी को हराना हम सबकी प्राथमिकता है। उनकी नफरत की राजनीति, उनकी जन विरोधी, किसान विरोधी, नौजवानों के खिलाफ बीजेपी की नीति और महंगाई को लेकर हमारा मोर्चा है। निश्चित रूप से उनको हराना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन इसके बारे में आधिकारिक तौर पर हमारे हरियाणा के प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष बातचीत के आधार पर आगे की सूचना अरविंद केजरीवाल को देंगे और फिर इस पर कुछ बात आगे की जाएगी। एक ओर जहाँ, संजय सिंह का कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए यह समझौता जरूरी है। तो वहीं, हरियाणा आम आदमी पार्टी के प्रमुख सुशील कुमार गुप्ता ने कहा है कि पार्टी के शीर्ष नेतत्वू का जो भी फैसला होगा,उन्हें मंजूर होगा। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीट पर तैयारी कर रहे हैं और हम अपनी भावना पार्टी हाईकमान को बताएंगे। बता दें, इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद दोनों दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर अपने उम्मीदवारों को हारने के आरोप लगाए थे।
लोकसभा चुनाव में कैसा था आप-कांग्रेस का प्रदर्शन?
इस साल के मध्य में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन कुछ कमाल नहीं कर पाया था। दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव में दिल्ली, हरियाणा,चंडीगढ़, गुजरात और गोवा में समझौता किया था। इस गठबंधन ने केवल चंडीगढ़ और हरियाणा में जीत दर्ज की थी, लेकिन इसमें आप को कोई सफलता नहीं मिली थी। लोकसभा चुनाव के बाद दोनों दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप लगाए थे। चुनाव के नतीजों के बाद यह बात निकल कर सामने आई कि यह समझौता दोनों दलों के केंद्रीय नेतृत्व की वजह से हुआ, स्थानीय नेतृत्व इसके समर्थन में नहीं था। आपको बता दें, लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और आप ने हरियाणा के लिए समझौता किया था और इस समझौते के तहत कांग्रेस ने 9 और आप ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने जिन 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 5 सीटों अंबाला, हिसार, रोहतक, सिरसा और सोनीपत में जीत मिली थी। वहीं आप ने कुरुक्षेत्र में चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी। इस सीट पर आम आदमी पार्टी उम्मीदवार सुशील गुप्ता को 29 हजार से अधिक वोटों से हार मिली थी।
हाल के दिनों में अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा यूपी की योगी सरकार के तर्ज पर आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने के मामले पर बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई और कई सवाल भी उठाए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरोपी दोषी भी साबित होता है, तो भी उसके घर पर बुलडोजर चलाना किसी भी तरह से जायज नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने ये भी कहा कि अगर कोई किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तो भी बिना कानूनी प्रक्रिया को पूरा किए उसके घर को ढहाया नहीं जा सकता। इसी बीच कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने अपने बुलडोजर एक्शन पर जवाब दाखिल किया है और अब योगी सरकार के इस हलफनामे को देख सुप्रीम कोर्ट ने उसकी काफी तारीफ की है।
क्या है योगी सरकार के हलफनामे में?
यूपी की योगी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि प्रदेश में किसी का भी घर बिना कानूनी प्रकिया के नहीं तोड़ा जा रहा। बता दें, उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग के विशेष सचिव ने हलफनामे में कहा कि किसी भी अचल संपत्ति को कानूनी प्रक्रिया के तहत ही ध्वस्त किया जा सकता है और हम उसी का पालन कर रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के जवाब पर खुशी जताई और हलफनामे में अपनाए गए रुख की तारीफ की है। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन से जुड़े मामले के संबंध में पूरे देश के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी करने की बात भी कही है। कोर्ट ने मामले के पक्षकारों के वकीलों से उनके सुझाव भी मांगे है और साथ ही कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया की वो किसी भी अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। मामले की अगली सुनवाई अब 17 सितंबर को होगी।
आज माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री राम नाथ ठाकुर जी ने उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने किसानों के कल्याण और देश भर में कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा की। यह यात्रा कृषि समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्र में सतत विकास के रास्ते तलाशने के लिए सरकार और उपराष्ट्रपति कार्यालय के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को रेखांकित करती है। यह बातचीत किसानों की आजीविका बढ़ाने और कृषि क्षेत्र की वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की चल रही प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है।