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Breaking News 3 October 2025

1.) America Shutdown : ट्रंप ने मचाई आर्थिक तबाही

दुनिया की सबसे ताक़तवर मानी जाने वाली अमेरिकी सरकार इन दिनों ठप है। आधी रात को जैसे ही बजट की समय-सीमा ख़त्म हुई, पूरा प्रशासन “आउट ऑफ़ सर्विस” हो गया। कारण है अमेरिकी कांग्रेस (विधायिका) में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक नेताओं के बीच बजट पर सहमति न बन पाना। इसका नतीजा यह हुआ कि लाखों सरकारी कर्मचारी या तो फरलो (बिना वेतन अस्थायी छुट्टी) पर भेज दिए गए या फिर बिना वेतन काम करने को मजबूर हैं। यह शटडाउन 1 अक्टूबर 2025 की सुबह 12:01 बजे से शुरू हुआ। अमेरिका में वित्तीय वर्ष 30 सितंबर को समाप्त होता है। नए साल के लिए यदि अमेरिकी कांग्रेस बजट या अस्थायी फंडिंग बिल (Continuing Resolution) पास नहीं कर पाती, तो सरकार के गैर-ज़रूरी विभागों का संचालन स्वतः रुक जाता है। इस बार भी वही हुआ।

यह 2025 का पहला और इतिहास का 23वां बड़ा सरकारी शटडाउन है। इससे पहले 2018-19 में 35 दिन तक चला शटडाउन सबसे लंबा रहा था। कर्मचारियों को लेकर इस बार की बहस और भी जटिल है। लगभग 8 लाख संघीय कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। इनमें से बड़ी संख्या को फरलो किया गया है यानी अस्थायी तौर पर घर भेज दिया गया, वेतन बंद लेकिन नौकरी बनी हुई। परन्तु ट्रंप प्रशासन की ओर से यह संकेत दिए जा रहे हैं कि कुछ जगह स्थायी लेऑफ़ भी किए जा सकते हैं।

यही सबसे बड़ा विवाद है। अमेरिकी कानून, विशेषकर Antideficiency Act कहता है कि फंडिंग बंद रहने पर अस्थायी काम रोका जा सकता है, लेकिन स्थायी छंटनी (RIF: Reduction in Force) नहीं की जा सकती। इसीलिए यूनियनों ने इसे अदालत में चुनौती दी है।

किन विभागों पर असर?
शटडाउन का प्रभाव अलग-अलग एजेंसियों पर अलग है।
Department of Health & Human Services (HHS): 41% कर्मचारियों को फरलो। CDC (Centers for Disease Control): 64% स्टाफ़ प्रभावित। NIH (National Institutes of Health): 75% कर्मचारी काम से बाहर। FDA (Food & Drug Administration): 86% स्टाफ़ काम जारी रखेगा, क्योंकि इसे आवश्यक सेवाओं में रखा गया है। CMS (Centers for Medicare & Medicaid Services): लगभग 53% स्टाफ़ कार्यरत रहेगा। White House: 1,733 में से लगभग 554 कर्मचारियों को फरलो। यानि स्वास्थ्य सेवाओं, शोध संस्थानों और प्रशासनिक ढांचे पर सीधा असर पड़ रहा है।

ट्रंप की रणनीति और Project 2025

डोनाल्ड ट्रंप ने इस शटडाउन को केवल वित्तीय संकट की तरह नहीं देखा, बल्कि इसे अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बना लिया है। ट्रंप की टीम “Project 2025” नामक योजना पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य है फेडरल एजेंसियों को छोटा करना, कई विभागों का विलय करना और सत्ता का केंद्रीकरण राष्ट्रपति कार्यालय में करना। ट्रंप बार-बार यह संकेत दे रहे हैं कि “यह छंटनी अस्थायी नहीं, स्थायी हो सकती है।” कुछ डेमोक्रेट-प्रभावित राज्यों और ग्रीन एनर्जी, ट्रांज़िट प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को रोककर ट्रंप प्रशासन ने राजनीतिक दबाव और बढ़ा दिया है। दरअसल, रिपब्लिकन धड़ा चाहता है कि खर्च में कटौती हो, जबकि डेमोक्रेटिक धड़ा चाहता है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण जैसी योजनाओं की फंडिंग जारी रहे। यूनियन और कर्मचारी संगठनों ने अदालत में केस दायर किए हैं। उनका तर्क है कि लेऑफ़ करना असंवैधानिक है और कानून के खिलाफ है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सांसद एक-दूसरे पर ठप होने का आरोप मढ़ रहे हैं। रिपब्लिकन कह रहे हैं कि खर्च की अंधाधुंध नीतियों ने देश को इस स्थिति में पहुंचाया है। वहीं डेमोक्रेट्स का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन बजट को बहाना बनाकर लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर कर रहा है। हर दिन का शटडाउन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाता है। शेयर बाज़ार पर असर पड़ चुका है। निवेशक विश्वास कमजोर हो रहा है। GDP ग्रोथ पर दबाव बढ़ सकता है, और यदि स्थिति लंबी चली तो वैश्विक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। पिछली बार के अनुभव बताते हैं कि कर्मचारियों को बाद में बैक पे मिल सकता है, लेकिन तब तक लाखों परिवार वित्तीय संकट झेलेंगे।
अब आगे क्या? यदि अमेरिकी कांग्रेस और राष्ट्रपति प्रशासन के बीच सहमति बन जाती है तो अस्थायी फंडिंग बिल से सरकार फिर चालू हो सकती है। लेकिन अगर टकराव बढ़ा, तो यह शटडाउन लंबा चलेगा और इसकी मार अमेरिकी अर्थव्यवस्था, आम नागरिक और सरकारी ढांचे पर गहरी होगी। अदालतों से आने वाले फैसले यह तय करेंगे कि कर्मचारियों को स्थायी रूप से निकाला जा सकता है या नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शटडाउन लंबा खिंचा, तो अमेरिकी लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी गहरा सवाल खड़ा होगा। लाखों कर्मचारी असमंजस में हैं  उनकी नौकरी बचेगी या नहीं, यह अगले कुछ दिनों की राजनीतिक सौदेबाज़ी और अदालत के फैसलों पर निर्भर करेगा। सब्सक्राइब करें ग्रेट पोस्ट न्यूज़।