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Breaking News 3 May 2025

1.)  भोपाल का 'लव जिहाद' गिरोह

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल, जिसे एक समय झीलों और तहज़ीब की नगरी कहा जाता था, अब एक खौफनाक सच से दो-चार हो रही है। यहां एक निजी कॉलेज से जुड़े ‘लव जिहाद’ के गिरोह ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। हर दिन सामने आ रही नई पीड़िताएं इस बात की गवाही दे रही हैं कि कैसे मोहब्बत के नाम पर एक संगठित साज़िश रची गई—जिसका मकसद था: भरोसा तोड़ना, धर्म बदलवाना, रेप करना, और फिर ब्लैकमेल करके जिंदगी को नर्क बना देना। अब तक इस मामले में पांच छात्राएं सामने आ चुकी हैं। ये सभी एक ही प्राइवेट कॉलेज की छात्राएं हैं, जिनका इस्तेमाल एक योजनाबद्ध षड्यंत्र के तहत किया गया। ताज़ा मामले में जो पांचवीं पीड़िता सामने आई है, उसकी कहानी सुनकर रूह कांप उठती है। यह छात्रा अपने परिजनों के साथ बागसेवनिया थाने पहुंची, जहां उसने दो आरोपियों इरफान और अली—पर गैंगरेप, धमकी, ब्लैकमेलिंग और जबरन धर्मांतरण के गंभीर आरोप लगाए हैं।

अशोक गार्डन बना हैवानियत का अड्डा

पुलिस को दिए बयान में छात्रा ने बताया कि आरोपी उसे बहला-फुसलाकर अशोक गार्डन स्थित अपने घर ले गए। वहां उसके साथ गैंगरेप किया गया। इस हैवानियत की रिकॉर्डिंग भी की गई, ताकि बाद में उसी के ज़रिए ब्लैकमेल किया जा सके। ये कोई इत्तेफाक नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति थी, जिससे युवतियों को डर और शर्मिंदगी के जाल में कैद किया जा सके। इस मामले में एक नाम बार-बार सामने आ रहा है—'क्लब 90'। यह रेस्टोरेंट निजी कॉलेज से महज़ 100 मीटर की दूरी पर स्थित है और शुरुआती मोहब्बत का अड्डा बना हुआ था। आरोपियों द्वारा लड़कियों को पहले प्यार के नाम पर यहीं लाया जाता था। फिर यहीं से शुरू होता था वो खेल, जिसमें विश्वास के साथ-साथ शरीर और आत्मा को भी तोड़ दिया जाता था। पुलिस ने अब इस रेस्टोरेंट को सील कर दिया है और वहां मौजूद सीसीटीवी फुटेज, स्टाफ और अन्य तकनीकी साक्ष्यों की जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो यह कोई इक्का-दुक्का मामला नहीं है। इस 'लव जिहाद' गैंग के संपर्क में और भी कई लड़कियां हो सकती हैं। डर, सामाजिक बदनामी और मानसिक आघात के कारण वे अभी सामने नहीं आ रही हैं। लेकिन कानून की नजर अब हर उस कोने पर है, जहां प्यार की आड़ में जाल बुना गया। इस मामले ने धर्म और रिश्तों के नाम पर इंसानियत के पतन की तस्वीर पेश की है। जहां एक तरफ युवतियों को प्रेम का भरोसा देकर फंसाया गया, वहीं दूसरी ओर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया। आरोपियों के खिलाफ मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम सहित रेप, गैंगरेप, धमकी, साजिश और आईटी एक्ट जैसी कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

 

2.क्या है CBSE का नया नियम

 

CBSE की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों का इंतज़ार कर रहे लाखों छात्रों के लिए एक बड़ी खबर है। जहां एक ओर रिजल्ट कभी भी जारी हो सकता है, वहीं दूसरी तरफ बोर्ड ने रिजल्ट से पहले ही एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला ले लिया है। अब छात्रों को अपनी मेहनत के नंबरों पर सवाल उठाने से पहले खुद अपनी कॉपी देखने का अधिकार मिलेगा। जी हां, CBSE ने री-इवैल्यूएशन यानी पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है, जो न सिर्फ पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि छात्रों को आत्मनिर्भर भी बनाएगा। अब तक होता ये था कि यदि किसी छात्र को अपने नंबरों पर शक होता था, तो उसे सबसे पहले अंकों के सत्यापन (Verification) के लिए आवेदन करना पड़ता था। उसके बाद कॉपी की फोटोकॉपी मिलती थी, और फिर आख़िरी चरण में री-इवैल्यूएशन की प्रक्रिया होती थी। लेकिन नई व्यवस्था में यह सिलसिला उल्टा कर दिया गया है। अब छात्र सबसे पहले अपनी मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं की फोटोकॉपी देख सकेंगे। कॉपी में यह स्पष्ट रूप से अंकित होगा कि किस उत्तर के लिए कितने अंक मिले हैं और कटौती किस प्रश्न में की गई है। इसके बाद ही छात्र तय करेंगे कि उन्हें अंकों के सत्यापन या री-इवैल्यूएशन के लिए आवेदन करना है या नहीं। CBSE का कहना है कि यह फैसला छात्रों को भ्रम से बाहर निकालने, सिस्टम में विश्वास बढ़ाने और री-इवैल्यूएशन प्रक्रिया को अधिक जिम्मेदार बनाने के मकसद से लिया गया है। बोर्ड के इस कदम की सराहना की जा रही है क्योंकि यह न केवल छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि मूल्यांकन में पारदर्शिता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। अब देखना यह होगा कि इस फैसले का छात्रों और अभिभावकों के बीच क्या प्रभाव पड़ता है, और कितनी राहत मिलती है उन विद्यार्थियों को जो सालभर की मेहनत के बाद हर अंक की गिनती को लेकर जागरूक रहते हैं।

 

3.)  सोने की चमक फीकी क्यों पड़ रही है? 

 

कभी निवेश की सबसे सुरक्षित पनाहगाह माने जाने वाला सोना, अब खुद असमंजस की हालत में है। अगस्त 2024 से अप्रैल 2025 के बीच केवल 9 महीनों में सोने की कीमतों में करीब 50% की ऐतिहासिक उछाल देखी गई 1,000 डॉलर प्रति औंस से लेकर 3,500 डॉलर तक की उड़ान। लेकिन अब, यह ऊँचाई एक रुकावट में तब्दील होती नजर आ रही है। सोने की कीमतें 250 डॉलर लुढ़ककर 3,250 डॉलर तक आ गई हैं जो अप्रैल के उच्चतम स्तर से 7% से अधिक की गिरावट है। तो सवाल उठता है क्या यह महज तकनीकी करेक्शन है या फिर सोने की रैली वास्तव में थम चुकी है?

अनुपातों में छुपा है जवाब?

विश्लेषक मानते हैं कि सोना अब अत्यधिक मूल्यांकन की स्थिति में है। मौजूदा गोल्ड/सिल्वर अनुपात 100:1 पर पहुँच गया है, जबकि इसका ऐतिहासिक औसत 70:1 रहा है। इसका अर्थ साफ है या तो सोना महंगा है या चांदी सस्ती। संतुलन की स्थिति में या तो सोने को नीचे आना होगा या चांदी को ऊपर जाना होगा कहीं न कहीं यह संकेत देता है कि सोने में और गिरावट संभव है। सिर्फ चांदी नहीं, प्लैटिनम भी इस कहानी में अहम किरदार है। सोने और प्लैटिनम का पारंपरिक अनुपात 1 से 2 के बीच रहता है, लेकिन अब यह 3.5 तक पहुँच गया है। यह भी सोने की कीमतों में भविष्य की नरमी का इशारा कर रहा है।

क्या तेजी के कारण अब खत्म हो चुके हैं?

सोने की पिछले वर्षों की रैली के पीछे भू-राजनीतिक तनावों, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और वैश्विक अनिश्चितताओं का बड़ा हाथ था। 2022-23 में अमेरिका, चीन, यूरोप और मध्य पूर्व में चल रहे तनावों के बीच सोने को ‘अल्टीमेट सेफ हेवन’ के रूप में देखा गया। केंद्रीय बैंकों ने रिकॉर्ड मात्रा में भौतिक सोने का भंडारण किया। इसी का असर था कि कीमतें नए-नए रिकॉर्ड छूती रहीं। लेकिन अब हवा का रुख बदल रहा है। ट्रम्प प्रशासन का रुख नरम पड़ा है। चीन समेत अन्य व्यापारिक साझेदारों से बातचीत की संभावनाएं उभर रही हैं। व्यापार युद्ध की तलवार अब सिर्फ हवा में लटक रही है। दुनिया को उम्मीद है कि टैरिफ में राहत और बातचीत से वैश्विक व्यापार फिर पटरी पर लौटेगा। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, जो एक समय 100 से नीचे गिर गया था, अब फिर 100 के पा पहुँच गया है। यह दर्शाता है कि निवेशक अब डॉलर में फिर से भरोसा दिखा रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो मजबूत डॉलर, सोने के लिए बुरी खबर होता है। और यही हो भी रहा है सोने में बिकवाली बढ़ गई है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सोना फिर से 3,500 डॉलर के पार जाएगा? या यह 3,250 डॉलर से और फिसलकर एक नया संतुलन ढूंढेगा? विश्लेषकों के मुताबिक, अगर वैश्विक स्तर पर स्थिरता बनी रहती है और डॉलर मजबूत होता है, तो सोने की कीमतों में और गिरावट संभव है। हालांकि, किसी भी नए भू-राजनीतिक संकट या आर्थिक अस्थिरता की स्थिति में सोना फिर से सुरक्षित ठिकाने की भूमिका में लौट सकता है।

 

4) संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने ये क्या कह दिया 

 शनिवार को दिल्ली में अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लौरेंको के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने आतंकवाद पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, “आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हम आतंकवादियों और उनका समर्थन करने वालों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” पीएम मोदी ने कहा कि भारत और अंगोला दोनों आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं और ऐसे किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो मानवता को चुनौती देता है। उन्होंने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी और इस मुश्किल घड़ी में संवेदना प्रकट करने के लिए राष्ट्रपति लौरेंको का आभार जताया। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस महज़ एक औपचारिक बयानबाजी नहीं थी, बल्कि भारत और अंगोला के बीच गहराते रिश्तों की मजबूत तस्वीर भी पेश कर रही थी। पीएम मोदी ने बताया कि दोनों देश अपनी राजनयिक साझेदारी की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। “जब अंगोला आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा था, भारत उसके साथ खड़ा था,” – इस वाक्य के ज़रिए प्रधानमंत्री ने भारत की ऐतिहासिक भूमिका को दोहराया। प्रधानमंत्री ने अंगोला को अफ्रीकी संघ की अध्यक्षता के लिए बधाई दी और कहा कि भारत को गर्व है कि उसके G20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता मिली। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में अफ्रीका में 17 नए भारतीय दूतावास खोले गए हैं और अफ्रीकी देशों को 700 मिलियन डॉलर की सहायता दी गई है। मोदी ने घोषणा की कि भारत अंगोला के सशस्त्र बलों को 200 मिलियन डॉलर की रक्षा क्रेडिट लाइन देगा और उन्हें आधुनिक बनाने में सहायता करेगा। साथ ही, दोनों देशों ने ऊर्जा सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने का फैसला किया है उन्होंने कहा, “हम अंगोला के साथ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा करेंगे। यह भारत-अफ्रीका साझेदारी का नया अध्याय होगा।”

और अंत में… पाकिस्तान को सीधा संदेश

अपनी बातों के अंत में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर करारा हमला बोला। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम आतंक का समर्थन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे। सीमा पार आतंकवाद अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह सिर्फ भारत का नहीं, पूरी मानवता का सवाल है।” यह बयान केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि आने वाले समय में भारत की रणनीति का स्पष्ट संकेत है—अब शब्द नहीं, सिर्फ एक्शन।