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Breaking News 3 June 2025

1.)  शर्मिष्ठा पनोली का क्या है पूरा मामला ? 

22 वर्षीय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली आज एक ऐसे भंवर में फँसी हैं, जहाँ से बाहर निकलना सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का ही नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक समझ का भी इम्तिहान है। एक वायरल वीडियो, एक आपत्तिजनक टिप्पणी और देश के संवेदनशील मुद्दों पर बोले गए तीखे शब्दों ने शर्मिष्ठा को उस जगह ला खड़ा किया है जहाँ अब अदालत तय करेगी कि यह ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का मामला है या ‘नफरत फैलाने’ का।

कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली?

कोलकाता के आनंदपुर की रहने वाली शर्मिष्ठा पनोली पुणे के सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कर रही हैं। वे सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, और इंस्टाग्राम पर उनके 90,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। शर्मिष्ठा राजनीतिक मुद्दों, समाजिक घटनाओं और राष्ट्रीय विषयों पर अपनी राय स्पष्टता से रखती रही हैं। लेकिन इस बार उनकी यही स्पष्टता एक गिरफ्तारी की वजह बन गई।

ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी बनी गिरफ्तारी का कारण

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई। इसके जवाब में भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया, जो सफल रहा। इस घटना पर पूरा देश प्रतिक्रिया दे रहा था, लेकिन कुछ बॉलीवुड सितारों की चुप्पी को लेकर शर्मिष्ठा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो में सवाल उठाए। उन्होंने बॉलीवुड के 'तीन खानों' पर विशेष रूप से टिप्पणी की। विडंबना यह रही कि यह वीडियो राष्ट्रवादी तेवर के साथ शुरू हुआ, लेकिन उसमें प्रयुक्त कुछ शब्द और एक विशेष समुदाय पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियाँ पूरे मामले को एक भड़काऊ दिशा में ले गईं।

ट्रोलिंग, धमकी और गिरफ्तारी

वीडियो वायरल होने के बाद शर्मिष्ठा को सोशल मीडिया पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उन्हें जान से मारने की धमकियाँ भी मिलीं। उन्होंने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी और लिखा  “मैं सभी से बिना शर्त माफी मांगती हूं। अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मुझे उसके लिए खेद है। अब से मैं अपने सार्वजनिक बयानों को लेकर सावधानी बरतूंगी।” लेकिन मामला अब सार्वजनिक आक्रोश से निकलकर कानूनी कार्रवाई की तरफ मुड़ चुका था। कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 196(1), 299, 352, 353(1), और 3 के तहत केस दर्ज किया। 15 मई को गार्डेनरीच थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने कोलकाता स्थित उनके घर पर छापा मारा, लेकिन वह वहां नहीं मिलीं। पुलिस ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया और आखिरकार 30 मई को उन्हें हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया गया। 31 मई को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। शर्मिष्ठा के वकील मोहम्मद समीमुद्दीन ने अलीपुर महिला सुधार गृह की स्थिति को लेकर अदालत में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि उनकी मुवक्किल को न तो उचित साफ-सफाई मिल रही है और न ही बुनियादी मेडिकल सुविधाएं। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्हें अन्य कैदियों से धमकी मिल रही है और उनकी जान को खतरा है। अदालत ने 4 जून तक इस पर रिपोर्ट तलब की है। शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा “शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने माफी भी मांगी है। उन्हें डराना और परेशान करना अब बंद होना चाहिए। उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर उठते आरोपों और ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ की बहस को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने एक आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया—
“यह दावा कि पनोली को पाकिस्तान विरोध के चलते गिरफ्तार किया गया, पूरी तरह भ्रामक और शरारतपूर्ण है। आरोपी ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें देश के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं का अपमान किया गया और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश की गई।” इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया पर की गई अभिव्यक्ति की क्या सीमाएं हैं? क्या एक राष्ट्रवादी तेवर के भीतर भी शब्दों की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए? क्या सोशल मीडिया पर मौजूद ‘प्रभाव’ एक जिम्मेदारी भी बनाता है? अब यह देखना बाकी है कि अदालत इस मसले को किस दृष्टिकोण से देखती है एक अपराध के रूप में या एक भूल के रूप में।

 

2.) PM मोदी के बिना G7 सम्मेलन: क्या भारत की वैश्विक छवि को नुकसान होगा?

15 से 17 जून 2025 को कनाडा में आयोजित होने जा रहे समूह-7 (G7) के शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित न किया जाना, न केवल एक राजनयिक अस्वीकृति है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन और कूटनीतिक रणनीति में गहरे बदलाव की ओर इशारा करता है। यह पहली बार होगा जब छह वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महत्वपूर्ण वैश्विक मंच का हिस्सा नहीं होंगे। इस कदम के पीछे की जटिलता और गंभीरता को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह केवल दो देशों के बीच रिश्तों का मुद्दा नहीं है, बल्कि विश्व राजनीति के बहुआयामी दृष्टिकोण से भारत की भूमिका, उसकी सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक प्रभाव के सवालों को जन्म देता है। भारत को कनाडा से आमंत्रण न मिलने की स्थिति तब उत्पन्न हुई जब कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की संदिग्ध हत्या ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को गहरे संकट में डाल दिया। कनाडा के भीतर सिख अलगाववादी समूहों के प्रभाव और राजनीतिक दबाव ने कनाडा सरकार को भारत के प्रति कठोर रुख अपनाने पर मजबूर किया है। इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों ने स्थिति को और जटिल बना दिया था, जो अब नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में भी अनसुलझी बनी हुई है।
कनाडा की यह नीति केवल एक देश की आंतरिक राजनीति का परिणाम नहीं, बल्कि एक वैश्विक रणनीतिक चाल है, जिसमें भारत की बढ़ती भूमिका को रोकने का प्रयास साफ दिखता है। जी-7 के अन्य सदस्य देशों के साथ कनाडा की समन्वित रणनीति, भारत को एक वैश्विक मंच से दूर करने की कोशिश के रूप में भी देखी जा सकती है।

भारत की वैश्विक भूमिका और G7 से बाहर रहना: क्या है खतरा?

भारत पिछले वर्षों में न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि कूटनीतिक और सुरक्षा दृष्टिकोण से भी एक मजबूत वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरा है। जी-20, ब्रिक्स (BRICS), और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे बहुपक्षीय मंचों में भारत की बढ़ती सक्रियता इस बात का प्रमाण है कि वह वैश्विक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत को G7 की बैठकों में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया जाना उसकी वैश्विक आर्थिक ताकत और कूटनीतिक महत्व का मान्यता पत्र था। अब कनाडा के दबाव के चलते इस आमंत्रण को ठुकराना, भारत के लिए केवल एक राजनयिक अपमान ही नहीं, बल्कि उसकी बढ़ती वैश्विक स्थिति पर एक बड़ी चोट है। यह कदम भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने और उसकी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

भारत के पास हैं मजबूत विकल्प और रणनीतिक जवाब

भारत के पास इस चुनौती का सामना करने के लिए कई कूटनीतिक और रणनीतिक विकल्प उपलब्ध हैं: जैसे बहुपक्षीय मंचों में सक्रियता: भारत जी-20, ब्रिक्स, SCO जैसे प्लेटफॉर्म्स में अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकता है। जी-20 की हाल ही में सफल मेजबानी से भारत ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है, जिसे 2025 के दक्षिण अफ्रीका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में और बढ़ाया जा सकता है। 

1.) द्विपक्षीय संबंधों का पुनर्गठन: भारत अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, और इटली जैसे G7 सदस्यों के साथ अपने द्विपक्षीय सहयोग को गहरा कर सकता है। इन देशों के साथ रक्षा, व्यापार, तकनीकी सहयोग की मजबूती भारत को वैश्विक मंच पर स्थिर स्थिति देगी।

2.) कनाडा के साथ राजनयिक और आर्थिक कदम: भारत कनाडा के साथ राजनयिक संबंधों को सीमित करते हुए कनाडाई राजनयिकों की संख्या घटा सकता है, वीजा नीतियां सख्त कर सकता है, और व्यापार वार्ताओं को स्थगित कर सकता है। इससे कनाडा पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बनेगा। 

3.) आयात-निर्यात नीति में विविधता: भारत कनाडा से दाल, उर्वरक और खनिजों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों से वैकल्पिक स्रोत तलाश सकता है, जिससे आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी।

4.) वैश्विक मंचों पर खालिस्तानी मुद्दा: भारत खालिस्तानी आतंकवाद को आतंकवाद की वैश्विक श्रेणी में शामिल कर कनाडा पर दबाव डाल सकता है, जिससे कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छवि प्रभावित होगी। हालांकि कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत के साथ संबंध सुधारने की इच्छा जताई है, लेकिन यह सुधार तभी संभव होगा जब कनाडा भारत की सुरक्षा चिंताओं, विशेषकर खालिस्तानी आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से लेगा। भारत इस अवसर का उपयोग कर सशर्त संवाद शुरू कर सकता है, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों पर रोक की सख्त मांग होगी।

 

3.) Today's Financial News : 

मंगलवार का सूरज जैसे ही चढ़ा, बाजार की नसों में बेचैनी तैरने लगी थी। और शाम होते-होते ये बेचैनी लाल रंग में तब्दील हो गई। विदेशी निवेशकों की बेचैनी, भू-राजनीतिक हलचलों की आहट और वैश्विक बाजारों की उथल-पुथल – इन सबने मिलकर घरेलू शेयर बाजार को झकझोर डाला।

बीएसई सेंसेक्स 636 अंक लुढ़क कर 80,737 पर आ टिका, और कारोबार के दौरान तो ये 798 अंक तक टूट गया था। निफ्टी ने भी अपने पंख समेट लिए और 174 अंक गिरकर 24,542 पर बंद हुआ। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, ये उन लाखों निवेशकों की उम्मीदें थीं जो एक बार फिर बाजार की रफ्तार में भरोसा कर बैठे थे।

क्यों गिरा बाजार?

इस गिरावट के पीछे वजहें कई थीं, लेकिन सबसे तीखी चोट विदेशी हाथों से आई। एफआईआई ने सोमवार को ₹2,589 करोड़ की बिकवाली की, यानी मोटा पैसा बाहर खींच लिया गया। इसके साथ ही, रूस-यूक्रेन से लेकर चीन-ताइवान तक की कूटनीतिक चालों और व्यापारिक अनिश्चितताओं ने भारतीय निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगाया । रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ रिसर्च प्रमुख अजीत मिश्रा ने साफ कहा “विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और अंतरराष्ट्रीय तनाव का असर सीधा बाजार पर पड़ा है। सेंसेक्स की 30 में से 29 कंपनियाँ फिसल गईं। अदाणी पोर्ट्स में 2.42% की गिरावट, वहीं बजाज फाइनेंस, टीसीएस, अल्ट्राटेक, इंडसइंड बैंक जैसे बड़े नाम भी झुक गए। बस महिंद्रा एंड महिंद्रा ही ऐसी कंपनी रही, जिसने हिम्मत नहीं हारी और हरे निशान में बंद हुई। अडाणी ग्रुप की सभी 10 लिस्टेड कंपनियाँ गिरावट में रहीं जैसे किसी तूफान में सारे जहाज़ एक साथ डगमगा गए हों।

वैश्विक बाजारों का असर भी दिखा

एशिया में हांगकांग और शंघाई थोड़ा संभले जरूर, लेकिन जापान का निक्केई कमजोर पड़ा। यूरोप में गिरावट का माहौल रहा। अमेरिका ने जरूर थोड़ा सहारा दिया, लेकिन वो भारत के जख्मों पर मरहम साबित नहीं हो पाया। ब्रेंट क्रूड 0.28% बढ़कर 64.81 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। तेल के दाम में हलचल निवेशकों को और चौंका रही है, क्योंकि इससे महंगाई और ब्याज दरों की चिंता फिर सिर उठा सकती है मार्केट के खिलाड़ी अभी 'रिवर्स गियर' में हैं। अगले कुछ दिन अस्थिरता से भरे हो सकते हैं। निवेशकों के लिए यह वक्त "जोश नहीं, होश" दिखाने का है।