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Breaking News 3 July 2025

1 )  जहाँ कोहली-धोनी हार गए, वहाँ शुभमन गिल क्या कमाल कर पाएंगे? 

बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर जब भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला बुधवार से शुरू होगा, तो यह सिर्फ एक मैच नहीं होगा – बल्कि भारतीय क्रिकेट के 58 साल पुराने घाव को भरने की कोशिश होगी। इस मैदान पर भारत ने पहली बार 1967 में टेस्ट खेला था, और तब से लेकर आज तक कोई भी भारतीय कप्तान इस मैदान पर जीत नहीं दर्ज कर सका। चाहे वो मंसूर अली खान पटौदी की शालीनता हो, गांगुली की आक्रामकता, धोनी की रणनीति हो या विराट कोहली का जुनून – हर नाम एजबेस्टन में सिर्फ हार की कहानी का हिस्सा बन पाया है।

भारत ने इस मैदान पर अब तक कुल आठ टेस्ट मैच खेले हैं। इनमें से सात में उसे हार मिली, और सिर्फ 1986 में कपिल देव की कप्तानी में मैच ड्रॉ हो पाया। उस एक ड्रॉ को छोड़ दें तो इस मैदान पर भारत का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है। 2011 में धोनी की कप्तानी में भारत पारी और 242 रन से हारा, तो 2018 में कोहली की कप्तानी में 31 रन से हार मिली। 2022 में जब पांचवां टेस्ट खेला गया, तब कोहली कप्तान नहीं थे और बुमराह के नेतृत्व में टीम एक बार फिर सात विकेट से हार गई।

इस मैदान के आंकड़े डराते हैं। इसके हालात भारत के खिलाफ रहे हैं – तेज हवा, स्विंगिंग कंडीशन, बाउंसी ट्रैक और इंग्लैंड की घरेलू महारत। पर इस हार की आदत सिर्फ तकनीकी वजहों से नहीं बनी, इसका बड़ा कारण मनोवैज्ञानिक दबाव भी है। एजबेस्टन अब सिर्फ मैदान नहीं रहा, यह एक प्रतीक बन गया है – जहां हार की विरासत नए कप्तानों को पहले से ही झुका देती है। रणनीति, चयन और प्रदर्शन – हर मोर्चे पर टीम इंडिया यहां पिछड़ती रही है।

अब जब शुभमन गिल पहली बार टेस्ट कप्तानी करने जा रहे हैं, वो भी इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के खिलाफ, और वो भी एजबेस्टन जैसे मनहूस माने जाने वाले मैदान पर – तो उनकी परीक्षा सिर्फ विरोधी टीम से नहीं, बल्कि इतिहास से है। पहले टेस्ट में भारत को हार का सामना करना पड़ा। गेंदबाजों का लचर प्रदर्शन और फील्डिंग की गलतियों ने भारत की जीत की संभावना को लगभग पहले ही खत्म कर दिया था। बेन डकेट ने 149 रन की आक्रामक पारी खेली, और इंग्लैंड ने पांचवें दिन 371 रनों का लक्ष्य बेहद सहजता से हासिल कर लिया।

इस हार ने सीरीज को 1-0 से इंग्लैंड के पक्ष में कर दिया है। अब अगर भारत को वापसी करनी है, तो एजबेस्टन में जीत ही एकमात्र विकल्प है। और यही वह बिंदु है जहां गिल के सामने दोहरी चुनौती है – टीम को बराबरी पर लाना और साथ ही उस मैदान पर जीत दर्ज करना, जहां 58 वर्षों से भारतीय टीम जीत के लिए तरस रही है।

अगर गिल ऐसा कर पाते हैं तो वह न सिर्फ एक टेस्ट जीतेंगे, बल्कि इतिहास बदलेंगे। वह एजबेस्टन में जीत दर्ज करने वाले पहले भारतीय कप्तान बन जाएंगे। इससे भी बड़ी बात यह होगी कि वह भारतीय क्रिकेट की उस पुरानी ग्रंथि को तोड़ पाएंगे, जो हर बार टीम के आत्मविश्वास को निगल जाती है।

 

2 ) घाना ने PM मोदी को दिया National Honour – जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घाना की राजधानी अकरा में कदम रखते ही इतिहास रच दिया। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की घाना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ में नई भूमिका की एक स्पष्ट झलक देती है। कोटोका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री का पारंपरिक सम्मान के साथ भव्य स्वागत किया गया, जहां उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई  यह दृश्य केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत-घाना संबंधों के नए युग का उद्घोष था। इस यात्रा के दौरान घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने प्रधानमंत्री मोदी को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से नवाज़ा। यह सम्मान केवल एक राजनयिक औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह दर्शाता है कि अफ्रीकी देश भारत की भूमिका को किस प्रकार वैश्विक सहयोग, लोकतंत्र और विकास के साझेदार के रूप में देख रहे हैं। सम्मान ग्रहण करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह सम्मान 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं, भारत की सांस्कृतिक विरासत, युवाओं के उज्ज्वल भविष्य और भारत-घाना की ऐतिहासिक मित्रता को समर्पित है।” उन्होंने घाना सरकार और राष्ट्रपति महामा के आतिथ्य के लिए विशेष धन्यवाद भी दिया, यह उल्लेख करते हुए कि खुद राष्ट्रपति द्वारा एयरपोर्ट पर स्वागत किया जाना उनके लिए गहरी आत्मीयता और गर्व का विषय है।

द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊंचाई

प्रधानमंत्री मोदी ने घाना को पश्चिम अफ्रीका में "Beacon of Hope" यानी "आशा की किरण" बताते हुए उसे एक जीवंत लोकतंत्र की संज्ञा दी। उन्होंने साझा मूल्यों और लोकतांत्रिक विरासत पर आधारित भारत-घाना मित्रता को "समावेशी भविष्य के साझे सपने" की नींव बताया। इस दौरान कई रणनीतिक घोषणाएं की गईं, जो दोनों देशों के आर्थिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को गहराई देंगी। ITEC और ICCR स्कॉलरशिप्स को दोगुना करने की घोषणा । एक वोकेशनल स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना । 'फीड घाना' कृषि कार्यक्रम में सहयोग का आश्वासन । जन औषधि केंद्रों के ज़रिए सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव । वैक्सीन उत्पादन में तकनीकी सहयोग । आतंकवाद विरोधी अभियानों में संयुक्त प्रयास । यह स्पष्ट संकेत है कि भारत की अफ्रीका नीति अब केवल व्यापार या संसाधन तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों से लोगों के जुड़ाव और संस्थागत साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ रही है।

संयुक्त राष्ट्र सुधार और वैश्विक विमर्श

इस भेंट में संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भी गंभीर चर्चा हुई। दोनों देशों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वैश्विक संस्थानों में सुधार समय की मांग है, और भारत व घाना इस दिशा में समान दृष्टिकोण साझा करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति महामा को भारत आने का औपचारिक निमंत्रण दिया, जिसे राष्ट्रपति ने प्रसन्नता से स्वीकार किया। यह दौरा मोदी की पांच देशों की विदेश यात्रा का पहला चरण है, जो ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के साथ संपन्न होगा। राष्ट्रपति महामा ने पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. क्वामे नक्रूमा के ऐतिहासिक रिश्तों का उल्लेख करते हुए कहा, “यह संबंध केवल सरकारों के बीच नहीं, बल्कि हमारी जनता की साझी आकांक्षाओं और ऐतिहासिक चेतना का प्रतिबिंब है।”

 

3 ) रणबीर की 'रामायण' बनेगी 21वीं सदी की सबसे ऐतिहासिक फिल्म जाने क्यों ! 

भारतीय सिनेमा जब-जब गहराई में उतरता है, वह सिर्फ कहानियां नहीं, सभ्यताएं गढ़ता है। और अब एक ऐसी ही सभ्यता फिर से परदे पर सांस लेने जा रही है— रामायणम् के रूप में। रणबीर कपूर, यश, साई पल्लवी और ए.आर. रहमान जैसे महारथियों से सजी नितेश तिवारी की यह भव्य फिल्म ‘रामायण’ के नाम से नहीं, बल्कि एक संस्कृतनिष्ठ स्वरूप ‘रामायणम्’ के नाम से सामने आई है और इसका पहला टीज़र सच में रोंगटे खड़े कर देने वाला है।

टीज़र की शुरुआत होती है ए.आर. रहमान और हैंस जिमर के दिव्य और रहस्यमय संगीत से। यह कोई पारंपरिक बैकग्राउंड स्कोर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुनाद है, जो दर्शक को सीधे सृष्टि के प्रारंभिक काल में खींच ले जाता है—जब समय का कोई नाम-ओ-निशान नहीं था। इसमें बताया जाता है कि सृष्टि का संतुलन तीन महाशक्तियों—ब्रह्मा (सर्जक), विष्णु (पालक) और शिव (संहारक)—के हाथ में था। ये तीनों देवता जब सृष्टि में संतुलन बनाए हुए थे, तभी उसी संतुलन की राख से उत्पन्न होती है एक अनियंत्रित, अकल्पनीय ऊर्जा रावण। रावण को केवल एक राक्षस कह देना उसका अपमान होगा। वह एक विचार है, एक असंतुलन, एक ऐसा भय, जिसने देवताओं तक को कंपा दिया। रावण को रोकने के लिए विष्णु स्वयं अवतार लेते हैं—पर एक दिव्य योद्धा नहीं, बल्कि एक साधारण इंसान के रूप में। एक राजकुमार, जो प्रेम, त्याग और मर्यादा का प्रतीक है—राम।
यह वही क्षण है जहां से प्रारंभ होती है राम बनाम रावण की वो लड़ाई, जिसने केवल युद्ध नहीं, सभ्यता की आत्मा को परिभाषित किया। टीज़र कहता है "ये कहानी है उजाले बनाम अंधेरे की, इंसान बनाम अमर की, नियति बनाम अहंकार की। ये सिर्फ युद्ध नहीं, एक युग का परीक्षण है।" टीज़र के अंतिम सेकंड्स में जिस तरह रणबीर कपूर और रॉकिंग स्टार यश को पेश किया गया है, वह पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के विज़ुअल सिनेमैटिक लैंग्वेज को नया स्तर देता है। रणबीर कपूर को भगवान राम के रूप में एक दमदार और आध्यात्मिक आभा के साथ दिखाया गया है।
उनके हाथ में तीर-कमान, उनके शरीर की चाल में संयम, और उनकी आंखों में करुणा और क्रोध का संतुलन। एक क्लोजअप में रणबीर की एक उंगली में विशेष अंगूठी दिखाई देती है—संकेत है कि हर दृश्य में छुपा है कोई रहस्य या प्रतीक। वहीं यश की एक झलक में ही रावण की विकरालता महसूस होती है। वह पूरे समय परछाइयों में छुपे रहते हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी की दहाड़ पूरे टीज़र पर हावी रहती है। यश का यह रूप पारंपरिक राक्षस से अलग, एक राजनैतिक, दार्शनिक और मानसिक महाशक्ति जैसा प्रस्तुत किया गया है।अब स्टारकास्ट की बात करे तो साई पल्लवी: सीता माता के रोल में, जिनकी छवि अब तक टीज़र में नहीं दिखाई गई, रवि दुबे: लक्ष्मण के रूप में, जो राम के साथ छाया की तरह रहते हैं। सनी देओल: हनुमान के रूप में, जो आने वाले दृश्यों में निश्चित ही स्क्रीन फाड़ने वाले हैं। अरुण गोविल: दशरथ के किरदार में, जिन्होंने रामानंद सागर की ‘रामायण’ में स्वयं राम की भूमिका निभाई थी। उनका इस फिल्म में पिता का किरदार निभाना एक भावनात्मक चक्र का पूर्ण होना है।  रामायणम्: दो भागों में होगा महाभारतीय विमोचन Part 1: दिवाली 2026 और Part 2: दिवाली 2027। नामित मल्होत्रा द्वारा प्रोड्यूस और नितेश तिवारी द्वारा निर्देशित यह प्रोजेक्ट अब केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय माइथोलॉजिकल सिनेमाई यूनिवर्स की नींव रखने जा रहा है। तो क्या ये भारत का 'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' या 'Dune' साबित होगा? इसकी स्क्रिप्टिंग, सिनेमैटोग्राफी और टोन पूरी तरह ग्लोबल ऑडियंस को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। VFX और प्रोडक्शन डिज़ाइन ने स्पष्ट कर दिया है कि यह केवल भारतीय दर्शकों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय महागाथा की प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयास है।