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Breaking News 3 December 2024

1 ) प्रसिद्ध YouTuber अवध ओझा ने थामा AAP का हाथ

 

 कहां से चुनाव लड़ेंगे अवध ओझा?

आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज मोटिवेशनल स्पीकर और शिक्षक अवध ओझा को पार्टी ज्वाइन करवाया है। प्रसिद्ध YouTuber अवध ओझा के लंबे समय से पार्टी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। बता दें, अवध ओझा मोटिवेशनल स्पीकर हैं और साथ ही UPSC के अभ्यर्थियों को पढ़ाते भी हैं। उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से छात्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अवध ओझा को अपनी पार्टी में शामिल कराने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अवध ओझा का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में काफी अतुलनीय है। उनके पार्टी में शामिल होने से देश का बड़ा फायदा होगा और उनके आने से पार्टी को भी मजबूती मिलेगी। केजरीवाल ने कहा कि मेरी पार्टी में जब भी कोई शामिल होता है तो हम कहते हैं कि हमारी पार्टी मजबूत होगी, मगर अवध ओझा के आने से हम कह सकते हैं कि इससे शिक्षा में मजबूती होगी। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरने के बारे में पूछे जाने पर ओझा ने कहा कि मैं अब आम आदमी पार्टी का हिस्सा हूं और पार्टी जो निर्देश देगी उसके तहत काम करूंगा। आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने के बाद अवध ओझा ने कहा आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है और इसी से प्रभावित होकर मैं पार्टी में शामिल हुआ हूं। उन्होंने कहा कि राजनीति में आकर शिक्षा के विकास के लिए काम करना ही मेरी पहली प्राथिमिकता है।

2025 में लड़ेंगे दिल्ली विधानसभा चुनाव?

दिल्ली में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि अवध ओझा को भी टिकट मिल सकता है और और अगर ऐसा होता है तो उनका राजनीति में उतरने का सपना भी पूरा हो जाएगा। आपको बता दें, अवध ओझा ने कुछ समय पहले आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मुलाकात भी किया था और तब से ही उनके आम आदमी पार्टी में शामिल होने की चर्चा जोरों पर थी। UPSC टीचर और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा के आम आदमी पार्टी में शामिल होते ही अब उन खबरों पर विराम लग गया है की वो कब पार्टी ज्वाइन करेंगे और पार्टी ज्वाइन करेंगे भी या नहीं। अब माना जा रहा है कि अवध ओझा दिल्ली में आप के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। अवध ओझा को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाने वाले टीचर के तौर पर जाना जाता है। वह करीब पिछले 22 सालों से स्टूडेंट्स को UPSC कोचिंग दे रहे हैं। अवध ओझा सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं। बता दें, अकेले इंस्टाग्राम पर ही 22 लाख लोग उन्हें फॉलो करते हैं। अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेते ही अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, पार्टी ने मुझे शिक्षा के लिए काम करने का मौका दिया है और आज मैं अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के मौके पर कहना चाहता हूं कि शिक्षा का विकास मेरे लिए सर्वोत्तम विकास है। पार्टी की सदस्यता लेते ही उन्होंने कहा कि पार्टी मुझे जो भी काम देगी मैं उसे करूँगा। आपको बता दें, अवध ओझा पूर्व में भी कई बार राजनीतिक बयान देते रहें हैं, उन्होंने अखिलेश यादव को एक विजनरी नेता बताते हुए कहा था कि वो देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। तो वहीं, राहुल गांधी को प्रियंका गांधी से बेहतर नेता बताया था और कहा था प्रियंका एक अच्छी कोअर्डिनेटर और आयोजक हैं, साथ ही वो कई मौकों पर अरविंद केजरीवाल की भी तारीफ कर चुके हैं।

 

 

2 ) किसानों ने बंद किया दिल्ली की सड़कों का रास्ता

 

नोएडा के 149 गांवों के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच किया, जिससे दिल्ली-एनसीआर में भारी ट्रैफिक हो रहा है |  जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है | हालांकि किसान संगठनों की योजना संसद भवन के पास बड़ा प्रदर्शन करने की भी है, लेकिन पुलिस ने अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर (डीएनडी फ्लाईवे, चिल्ला बॉर्डर और कालिंदी कुंज) पर पुलिस बैरिकेडिंग के कारण भारी जाम की स्थिति बनी रही | जिससे यमुना और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक डायवर्जन किया गया, जिससे वाहन चालकों को शॉर्टकट रास्ते अपनाने पड़े। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे। उनका कहना है कि सरकार को उनकी समस्याओं का हल निकालना ही होगा।

किसानों की प्रमुख 7 मांगें क्या हैं?

1. कानूनी गारंटी एवं फसलों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के गारंटी की मांग | 
2 .कृषि ऋण माफ करने की मांग | 
3. किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन और फसल बीमा की मांग |
4 .पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग | 
5 2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और किसान हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग | 
6.भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने की मांग | 
यह विरोध पिछले कुछ दिनों से तीव्र हो गया है इसी वजह से ट्रैफिक बाधाओं के कारण दिल्ली-नोएडा एक्सप्रेसवे और डीएनडी फ्लाईवे जैसी मुख्य सड़कों पर भारी जाम लगा हुआ  है।

प्रदर्शन से हर तरफ कोहराम 

आंदोलनकारियों ने नोएडा सेक्टर 24 में एनटीपीसी कार्यालय और ग्रेटर नोएडा के औद्योगिक प्राधिकरण कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे है | इस प्रदर्शन में भारतीय किसान परिषद (BKP) और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के सदस्य शामिल हैं वहीँ किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन को समर्थन दिया है।दिल्ली पुलिस ने सभी सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की है, जबकि गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी है और अधिक से अधिक मेट्रो सेवाओं का उपयोग करने की सलाह दी है।इसके अलावा ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए है । दिल्ली पुलिस ने कहा कि सुरक्षा के लिए बॉर्डर सील किए गए हैं और प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोका गया है। इससे किसानों का जत्था जगह-जगह सड़कों पर बैठ गया, जिससे जाम की स्थिति और गंभीर हो गई।  किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए कई मार्ग बंद कर दिए गए है , जिससे यातायात पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है | इसके अलावा केंद्र सरकार के तीन मंत्री, जिनमें केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री अर्जुन मुंडा, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किसान प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए बैठक का प्रस्ताव दिया है। यह बैठक चंडीगढ़ में आयोजित होने की संभावना है, जिसका उद्देश्य किसानों की चिंताओं का समाधान करना है। यह विरोध पिछले साल दिसंबर से जारी है, जहां किसानों ने अपनी अधिग्रहीत जमीन के लिए अधिक मुआवजे और विकास योजनाओं में हिस्सेदारी की मांग की है। उनका कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही है| इस आंदोलन से स्थानीय लोगों को यातायात बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं होतीं है, तो आंदोलन और भी बड़ा होगा | 

क्या समाधान निकल सकता है?

केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर सकती हैं। मांगों का समाधान 7 दिनों में निकालने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है। इस आंदोलन का एक और मुख्य कारण यह है कि इससे पहले किए गए आंदोलन (2021 का किसान आंदोलन) के बाद कई मुद्दों पर लिखित सहमति बनी थी। लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने उनमें से अधिकांश को लागू नहीं किया।

 

 

3.) डॉ. राजेंद्र प्रसाद कैसे बने राष्ट्रपति 

 

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे, जिनकी ईमानदारी, सादगी और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में भारत का संविधान तैयार हुआ। 26 जनवरी 1950 को जब भारत गणराज्य बना, तो वे सर्वसम्मति से देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए। राजेंद्र प्रसाद का राजनीतिक जीवन महात्मा गांधी के ही प्रभाव में आया था। गांधी जी के नेतृत्व में उन्होंने चंपारण सत्याग्रह (1917) में हिस्सा लिया था। यह आंदोलन उनके राजनीतिक जीवन का अहम मोड़ साबित हुआ। उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी और खुद को पूरी तरह से स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया। सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया था। 1934 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उनकी नेतृत्व क्षमता और दृढ़ निष्ठा ने उन्हें गांधी जी और अन्य नेताओं का विश्वासपात्र बना दिया। वे स्वतंत्रता संग्राम के हर महत्वपूर्ण क्षण का हिस्सा थे। राजेंद्र प्रसाद जी का राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 1950 से 1962 तक चला। वे दो बार इस पद पर रहे|  राष्ट्रपति रहते हुए भी उन्होंने अपनी सादगी को बनाए रखा। वे हमेशा जनता से जुड़े रहे और अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा से किया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद न केवल एक राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक कुशल लेखक भी थे। उनकी "आत्मकथा" आज भी प्रेरणादायक मानी जाती है। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य पुस्तकों का लेखन किया, जिनमें भारतीय समाज और राजनीति पर गहन विचार प्रस्तुत किए गए हैं।1962 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया। उन्हें जनता के बीच "देशरत्न" के नाम से भी जाना गया।

राजेंद्र प्रसाद जी के अनोखे किस्से 

राष्ट्रपति और पुरानी धोती का किस्सा

एक बार राष्ट्रपति भवन में एक विदेशी मेहमान आए। उन्होंने देखा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक पुरानी और मामूली सी धोती पहनी हुई थी। यह देखकर वह चकित हुए और पूछा, "क्या यह धोती आपकी स्थिति के अनुरूप है?"
राजेंद्र प्रसाद ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "यह धोती मेरे देश के गरीबों का प्रतिनिधित्व करती है। अगर मैं भव्य कपड़े पहनूं, तो मैं उनके दुखों से कैसे जुड़ सकता हूं?"यह घटना उनकी सादगी और अपनी जड़ों से जुड़े रहने के भाव को बखूबी प्रदर्शित करती है | 

गीली किताबों की घटना

चंपारण आंदोलन के दौरान, एक रात बारिश में राजेंद्र प्रसाद की किताबें और नोट्स भीग गए। उनकी स्थिति को देखकर गांधीजी ने पूछा, "अब क्या करोगे?"
राजेंद्र प्रसाद ने जवाब दिया, "रातभर जागकर सब कुछ फिर से तैयार करूंगा।"
यह किस्सा उनके समर्पण और मेहनत की मिसाल है।

खेत में राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रहते हुए भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद जब अपने गांव जाते थे, तो खेतों में जाकर हल चलाने और फसल काटने में हिस्सा लेते थे। एक बार किसी ने उनसे पूछा कि राष्ट्रपति होकर भी वे ऐसा क्यों करते हैं।
उन्होंने कहा, "मैं किसानों का बेटा हूं, और यह मेरा असली काम है।"
यह उनका अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एक आदर्श उदाहरण है।

'राजा' बनकर भी 'जनता' के बीच

डॉ. राजेंद्र प्रसाद जब राष्ट्रपति थे, तो वे अपनी सुरक्षा टीम को ज्यादा परेशान नहीं करते थे। एक बार उन्होंने कहा, "अगर मैं जनता से दूर रहूंगा, तो वे मुझसे कैसे जुड़ेंगे?" इसलिए वे अपने गांवों में बिना सुरक्षा के घूमते और लोगों से मिलते।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ये किस्से उनके व्यक्तित्व की अनोखी झलक देते हैं। 

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था | उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे, और उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं। इस परिवार में भारतीय संस्कृति और परंपराओं का गहरा प्रभाव था, जिसने राजेंद्र प्रसाद को नैतिकता और आदर्शों के लिए प्रेरित किया। बचपन से ही उनकी बुद्धिमत्ता और सरलता ने सभी को प्रभावित किया।राजेंद्र प्रसाद बचपन से ही पढ़ाई में अत्यंत मेधावी थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल में पूरी की। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर एमए की पढ़ाई की। उनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्वविद्यालय परीक्षा में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।1915 में उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और वकालत शुरू की। उनकी शिक्षा केवल औपचारिक डिग्रियों तक सीमित नहीं थी; वे सामाजिक मुद्दों को समझने और हल करने के लिए भी समर्पित थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का निधन 28 फरवरी 1963 को पटना में हुआ। उनकी अंतिम यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी, जो उनकी लोकप्रियता और जनता के प्रति उनके प्रेम का प्रमाण थी। उनके द्वारा स्थापित आदर्श और मूल्यों को आज भी याद किया जाता है।

 

4.) बीजेपी नेता दीपिका पटेल ने की आत्महत्या 

सूरत के अलथाण इलाके में बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष, 34 वर्षीय दीपिका पटेल का शव उनके घर से पाया गया है। दीपिका ने सूरत नगर निगम के पार्षद चिराग सोलंकी को फोन करके आत्महत्या करने की बात कही थी। दीपिका की कॉल से पहले उन्होंने किसी भी प्रकार की मदद की कोई कोशिश नहीं की थी। पुलिस को यह जानकारी मिली कि पार्षद चिराग सोलंकी को दीपिका की कॉल आई थी, जिसमें उन्होंने कहा, "मैं आत्महत्या करने जा रही हूं।" चिराग सोलंकी ने इस कॉल के बाद तुरंत पुलिस को सूचित किया और दीपिका के घर पहुंचे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। दीपिका का शव उनके कमरे में मिला, और यह घटना सूरत शहर में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। पुलिस ने घटनास्थल से आत्महत्या के किसी स्पष्ट कारण का पता नहीं लगाया है, लेकिन पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में तनाव की संभावना जताई जा रही है।दीपिका की शादी नरेशभाई पटेल से हुई थी, और उनके परिवार में गहरी चिंता और शोक का माहौल है। बीजेपी की ओर से यह घटना दुखद बताई गई है और पार्टी ने कहा है कि वे इस मामले की गहराई से जांच करने की मांग करते हैं। इस घटना में ब्लैकमेलिंग का शक जताया जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पुलिस ने अब दीपिका के परिवार और करीबी दोस्तों से पूछताछ शुरू कर दी है, और यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या दीपिका के मानसिक स्थिति में कोई गड़बड़ी थी, जिससे वह इस कदम तक पहुंची। पुलिस ने यह भी बताया कि दीपिका की सोशल मीडिया गतिविधियों की भी जांच की जा रही है, ताकि यह समझा जा सके कि आत्महत्या से पहले उसके मानसिक स्थिति के बारे में कोई संकेत तो नहीं था। इस घटना को लेकर सूरत शहर में राजनीति और मीडिया में भी चर्चा जारी है। बीजेपी ने इस मामले में पारदर्शी जांच की मांग की है, ताकि आत्महत्या के कारणों का सही खुलासा हो सके।

पुलिस ने इस मामले पर क्या कहा 

पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दीपिका पटेल के फोन तथा अन्य डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच की जा रही है।पुलिस ने दीपिका की मानसिक स्थिति पर भी जांच शुरू की है। क्या वह किसी मानसिक तनाव या अवसाद से जूझ रही थीं? क्या उनके ऊपर किसी प्रकार का बाहरी दबाव था, जैसे राजनीति या व्यक्तिगत जीवन में समस्याएं, जो आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकती थीं? इस बिंदु पर पुलिस दीपिका के करीबी दोस्तों और सहयोगियों से पूछताछ कर रही है। इसके अलावा, दीपिका के सोशल मीडिया अकाउंट्स और निजी संदेशों की भी जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उनका व्यवहार और मानसिक स्थिति आत्महत्या के संकेत दे रही थी।इस मामले में पुलिस ने अब तक कोई ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, लेकिन जांच जारी है। दीपिका की आत्महत्या के कारणों का खुलासा होने में अभी समय लग सकता है, लेकिन पुलिस ने यह सुनिश्चित किया है कि मामले की पूरी गहराई से जांच की जाएगी और दोषियों को सजा दिलाने के लिए सभी संभावनाओं को ध्यान में रखा जाएगा।

 

5.) GDP में सिर्फ 5.4% ग्रोथ, क्या करेगा RBI ? 

 

क्या भारत की जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट देश की आर्थिक स्थिति को दर्शाती है? क्यूंकि भारत की जीडीपी की वृद्धि दूसरी तिमाही में सिर्फ 5.4% रही, जो आरबीआई के अनुमानित 7% से काफी कम है। इसमें मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग, खनन, और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में गिरावट इस मंदी का कारण बनी।कई सारे कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन और घरेलू मांग में कमी से आर्थिक विकास प्रभावित हुआ। इसके साथ ही, अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई दर 6.2% रही, जो आरबीआई की सहनीय सीमा से अधिक है। इस स्थिति ने नीतिगत दरों को घटाने के निर्णय पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च महंगाई दर के चलते आरबीआई दिसंबर में रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा। हालांकि, महंगाई में कमी के संकेत मिले तो फरवरी 2025 में दरों में कटौती की संभावना बन सकती है। वित्तीय बाजारों ने जीडीपी आंकड़ों पर मिलाजुला रुख दिखाया।10-वर्षीय सरकारी बांड की यील्ड में 6 बेसिस पॉइंट की गिरावट हुई, लेकिन व्यापक बाजार में अस्थिरता बरकरार है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक में महंगाई और धीमी विकास दर पर संतुलन साधना चुनौती होगी। 2022-23 के बीच 250 बेसिस पॉइंट की दर वृद्धि के बाद समिति ने अक्टूबर में अपनी नीति को तटस्थ किया था। यह नीति अब ग्रोथ और महंगाई के बीच संतुलन पर केंद्रित है। यदि महंगाई में राहत मिलती है, तो अगले कुछ महीनों में नीतिगत दरों में बदलाव हो सकता है। हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारकों पर निर्भर करेगी। निवेशकों को उम्मीद है कि सरकार वित्तीय सुधारों और खर्च के जरिए आर्थिक मंदी का मुकाबला करेगी। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिससे व्यापार तनाव बढ़ने की संभावना है। नवंबर में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 11 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गई है। बढ़ती महंगाई ने घरेलू मांग को बहुत प्रभावित किया है, जिससे उपभोग दर में गिरावट आई। वित्तीय क्षेत्र और सरकार के खर्च में हल्की वृद्धि ने थोड़ी राहत दी है, लेकिन समग्र स्थिति चिंताजनक है। शेयर बाजार में गिरावट के साथ, विदेशी निवेशकों का निवेश लगातार घट रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खपत और निवेश में तेजी नहीं आई, तो भारत की आर्थिक रिकवरी धीमी हो सकती है। यह सब सरकार की आर्थिक नीतियों और वैश्विक बाजार के घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा।

क्या 2025 में होगी ब्याजदरों में कटौती ? 

भारत की धीमी जीडीपी वृद्धि और बढ़ती महंगाई ने आरबीआई की नीति पर गहरा प्रभाव डाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई की प्राथमिकता है की महंगाई को नियंत्रित करे, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की लॉन्गटर्म स्थिरता के लिए आवश्यक है। वित्तीय बाजारों ने दिसंबर की नीति बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना को लगभग खारिज कर दिया है। अगर महंगाई में गिरावट आती है तो फरवरी 2025 में कटौती की उम्मीद है | इसके अलावा, सरकार और निजी क्षेत्र को निवेश और रोजगार सृजन बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। कमजोर मांग और उत्पादन स्तर को सुधारने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की जरूरत महसूस हो रही है। अगर आरबीआई दरें नहीं घटाता है, तो विकासशील क्षेत्रों में ऋण महंगा रहेगा| जिससे कॉर्पोरेट क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा। अब, ध्यान इस बात पर है कि महंगाई और विकास के बीच कैसे संतुलन साधा जाए।

 

6.) आठ साल की बच्ची को 9 लोगो ने गोली मार कर की हत्या 

 

मेरठ में सरधना क्षेत्र के कालंद गांव में रविवार शाम एक दुखद घटना घटी, जिसमें 8 वर्षीय बच्ची आफिया की गोली लगने से मौत हो गई। यह घटना गांव के दो व्यक्तियों, साहिल और मशरूर, के बीच पुरानी रंजिश के कारण हुई। जानकारी के अनुसार, दोनों के बीच सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को लेकर विवाद था, जो पिछले एक साल से बढ़ता जा रहा था। रविवार को यह विवाद फिर से तूल पकड़ गया और दोनों के बीच गाली-गलौज हुई। कुछ ही देर बाद, मशरूर और उसके साथियों ने साहिल के घर पर हमला किया, जहां फायरिंग की गई। इस फायरिंग में गोली आफिया को लगी, जो साहिल के घर के पास खेल रही थी।घटना के बाद, पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और घायल बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया। हालांकि, उसे बचाया नहीं जा सका और उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। इस हमले के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया है और ग्रामीणों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुलिस अधिकारी मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द आरोपियों को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। यह घटना उस पुरानी रंजिश का नतीजा है, जो अब हिंसक रूप ले चुकी है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह विवाद केवल सोशल मीडिया टिप्पणियों से शुरू हुआ था, लेकिन समय के साथ यह और बढ़ता गया। इसके बाद, एक साल पहले भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था, जिसके कारण मुकदमेबाजी भी हुई थी। अब इस घटना ने एक मासूम की जान ले ली है| अब सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के विवादों को बेहतर तरीके से हल नहीं किया जा सकता था।हालांकि इसके बाद हमलावर फरार हो गए | मौके पर पुलिस पहुंची और घायल बच्‍ची को अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां उसको मृत घोषित कर दिया गया| 

सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव 

सरधना के कालंद गांव में जो घटना घटी, वह न केवल व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम थी, बल्कि यह सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और उसके दुष्प्रभाव को भी उजागर करती है। साहिल और मशरूर के बीच का विवाद अब हिंसक रूप ले चुका था, जिससे पूरे गांव में तनाव फैल गया है। यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे छोटे-छोटे मतभेद और सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के चलते बड़ा विवाद पैदा हो सकता है। अगर समय रहते इस विवाद को निपटाया गया होता, तो मासूम की जान बच सकती थी। पुलिस प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच में जुटा हुआ है, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर न्याय दिलाया जा सके। इसके साथ यह भी सवाल उठता है कि क्या गांवों और छोटे समुदायों में लोग ऐसे मामलों को सुलझाने के लिए पहले से अधिक प्रयास नहीं कर सकते थे? पुलिस और प्रशासन को भी ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए, ताकि समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहे।