‘लिबरेशन डे’ के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के 50 देशों पर ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ की भारी मार डाल दी है। ‘दोस्त हो या दुश्मन, कोई नहीं बख्शा जाएगा’ की नीति पर चलते हुए ट्रंप प्रशासन ने हर देश से आयात होने वाले सामान पर भारी-भरकम आयात शुल्क लगा दिया है। यह कदम अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू उद्योगों को बचाने के नाम पर उठाया गया है, लेकिन इसके वैश्विक व्यापार पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं। तो आखिर सबसे ज्यादा झटका किसे मिला ? ट्रंप ने वियतनाम पर 46% और श्रीलंका पर 45% टैरिफ लगाया है, जो सबसे अधिक है। वहीं, चीन, जो अमेरिका के साथ सबसे बड़े व्यापार घाटे वाला देश है, उसे 34% शुल्क के दायरे में रखा गया है। थाईलैंड, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और रबर उत्पादों के निर्यात में अग्रणी है, को 44% की दर से टैरिफ झेलना होगा। वहीँ भारत पर 26% का टैरिफ लगाया गया है, जिससे हीरे-जेवरात, टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल सेक्टर पर असर पड़ सकता है। ट्रंप ने खास तौर पर भारतीय मोटरसाइकिलों का जिक्र करते हुए कहा कि जब भारत अमेरिकी मोटरसाइकिलों पर 70% टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी अब उसी अनुपात में टैक्स वसूलेगा। हालांकि, अमेरिकी सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि कुछ सेक्टर, जैसे फार्मास्यूटिकल और अर्धचालक उद्योग, इस टैरिफ से मुक्त रहेंगे। आइये जानते है कि कौन से देश बच गए? ब्रिटेन और ब्राजील जैसे देशों को इस टैरिफ सूची में थोड़ी राहत मिली है। इन पर न्यूनतम 10% टैरिफ लगाया गया है। यूरोपीय यूनियन को 20%, जापान को 24% और ताइवान को 32% आयात शुल्क देना होगा। दक्षिण कोरिया भी 25% की मार झेलेगा। इस घोषणा के बाद वैश्विक बाजार में हलचल तेज हो गई। हांगकांग स्थित ब्रोकरेज सीएलएसए के मुताबिक, भारतीय फार्मा सेक्टर को इस फैसले से राहत मिल सकती है, क्योंकि इस पर टैरिफ लागू नहीं होगा। इसी के चलते निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 4.4% की उछाल आई, जिसमें ग्लैंड फार्मा, ऑरोबिंदो फार्मा और डॉ. रेड्डी जैसी कंपनियां टॉप गेनर्स में रहीं।
टैरिफ एक प्रकार का कर या शुल्क होता है, जो किसी देश द्वारा आयात किए जाने वाले सामान पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के घरेलू उत्पादों को सस्ता और प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रखना होता है। जब कोई सरकार किसी देश से आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगाती है, तो उस सामान की कीमत बढ़ जाती है, जिससे उसकी मांग कम हो सकती है और घरेलू उत्पादों को बढ़ावा मिलता है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह टैरिफ अमेरिकी उद्योगों की रक्षा के लिए लगाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका और कई देशों के बीच व्यापार युद्ध को और बढ़ा सकता है। भारत, चीन और यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया आने वाले समय में देखने लायक होगी। क्या ये देश बदले में अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाएंगे या कोई अन्य रणनीति अपनाएंगे, यह आने वाले हफ्तों में स्पष्ट होगा। ट्रंप के इस फैसले ने साफ कर दिया है कि उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे में अब कोई समझौता नहीं होगा।
बैंकॉक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गुरुवार को थाईलैंड पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान भारतीय समुदाय के लोगों ने "मोदी-मोदी" और "वंदे मातरम" के नारों से माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और छठे बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
बैंकॉक एयरपोर्ट पर पीएम मोदी की अगवानी थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री सूर्या जुंगरुंगरेंगकिट और अन्य शीर्ष अधिकारियों ने की। इसके बाद पीएम मोदी का भारतीय समुदाय के बीच जोरदार स्वागत हुआ। गुजराती गरबा, मंत्रोच्चार और भारतीय पारंपरिक संगीत से माहौल सांस्कृतिक उल्लास से भर गया। इस्कॉन समुदाय ने उन्हें श्रीमद्भगवद गीता भेंट की, जबकि सिख समुदाय ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का स्मृति चिह्न सौंपा। पीएम मोदी ने यहां थाईलैंड में लोकप्रिय भारतीय महाकाव्य रामायण के स्थानीय संस्करण ‘रामकियेन’ का भी अवलोकन किया।प्रधानमंत्री मोदी ने थाई प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की, जिसमें व्यापार, रक्षा, संस्कृति और तकनीकी सहयोग पर चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जो द्विपक्षीय संबंधों को नई मजबूती प्रदान करेंगे। पीएम मोदी शुक्रवार को छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के सात देश (भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड) शामिल होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रस्थान से पहले कहा था कि बिम्सटेक पिछले दशक में क्षेत्रीय विकास, संपर्क और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावशाली मंच के रूप में उभरा है। भारत, जो इस समूह का सबसे बड़ा और प्रभावशाली सदस्य है, शिखर सम्मेलन में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को और मजबूत करेगा प्रधानमंत्री मोदी का भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात करने का कार्यक्रम है। यह बातचीत भारत और थाईलैंड के बीच गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूती देने पर केंद्रित होगी। थाईलैंड यात्रा के बाद पीएम मोदी 4-6 अप्रैल तक श्रीलंका की यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य भारत-श्रीलंका संबंधों को और प्रगाढ़ करना और हाल ही में हुए समझौतों की प्रगति की समीक्षा करना है। बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की उपस्थिति से भारत के नेतृत्व को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह मंच दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का काम करता है, जहां भारत न केवल एक अहम भागीदार है, बल्कि एजेंडा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।