पहलवान बजरंग पूनिया पर नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने कड़ा एक्शन लेते हुए चार साल का प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके बाद रेसलर बजरंग पूनिया पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। बता दें, 10 मार्च को राष्ट्रीय टीम चयन ट्रायल के दौरान डोपिंग टेस्ट के लिए सैंपल देने से इनकार करने के लिए बजरंग पर ये बैन लगाया गया है। यह फैसला तब आया है जब NADA ने पहले 23 अप्रैल को बजरंग पूनिया को इसी अपराध के लिए निलंबित किया था, जिसके बाद कुश्ती की वर्ल्ड लेवल की संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भी उन्हें बाद में निलंबति कर दिया गया था। दरअसल, बजरंग पूनिया ने अप्रैल 2024 में लगाए गए बैन के खिलाफ अपील की थी और NADA के अनुशासनात्म डोपिंग पैनल (ADDP) ने 31 मई को NADA द्वारा आरोप का नोटिस जारी किए जाने तक इसे अस्थायी रूप से हटा दिया था। 23 जून को एक बार फिर नाडा ने उन्हें औपचारिक रूप से आरोपों की सूचना दी। बता दें, ADDP ने निष्कर्ष निकाला कि बजरंग आर्टिकल 10.3.1 के तहत प्रतिबंधों के लिए जिम्मेदार था, जिसके लिए उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा। पैनल का कहना है कि एथलीट आर्टिकल 10.3.1 के तहत प्रतिबंधों के लिए उत्तरदायी है और इसके लिए उन्हें 4 साल की अवधि के लिए अयोग्य घोसित किया जाता है। ADDP ने अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में चूंकि एथलीट को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था, इसलिए पैनल मानता है कि एथलीट की 4 साल की अवधि के लिए अयोग्यता की अवधि उस तारीख से शुरू होगी जिस दिन अधिसूचना भेजी गई थी, यानी 23 अप्रैल, 2024 से लागू होगा।
NADA ने टोक्यो खेलों में कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया को इस अपराध के लिए सबसे पहले 23 अप्रैल को निलंबित किया था। निलंबन का सीधा अर्थ है कि बजरंग प्रतिस्पर्धी कुश्ती में वापसी नहीं कर पाएंगे और इसके अलावा वह देश या विदेश में कोचिंग की नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे। NADA ने कहा कि बजरंग ने ये हरकतें जानबूझकर की थीं, उन्होंने डोप टेस्ट के लिए यूरिन का नमूना देने से जानबूझकर इंकार किया था। NADA द्वारा निलंभित किये जाने के बाद अपने लिखित बचाव में, बजरंग ने कहा कि NADA के पिछले आचरण ने उनके मन में अविश्वास पैदा कर दिया था। उन्होंने दावा किया कि संगठन की पिछली घटनाओं में कोई स्वीकारोक्ति या प्रतिक्रिया न होने से डोपिंग नियंत्रण प्रक्रिया में उनका विश्वास कम हो गया था। दूसरी ओर NADA ने कहा कि डोप परीक्षण के लिए यूरिन का नमूना देने से एशलीट द्वारा जानबूझकर इनकार किया गया, एथलीट एंटी डोपिंग रूल 2021 के आर्टिकल 20.1 और 20.2 के अनुसार अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति उन्होंने पूरी तरह से उपेक्षा प्रदर्शित की है। वहीं, बजरंग का कहना है कि कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कारण डोपिंग नियंत्रण के संबंध में उनके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया गया। उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी सैंपल देने से इनकार नहीं किया, बल्कि दिसंबर 2023 में उनके नमूनों के लिए भेजे गए एक्सपायर्ड टेस्टिंग किट के बारे में अपनी चिंता के संबंध में NADA से स्पष्टीकरण मांगा था।
नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) को बीते दिन आतंक के विरुद्ध अपनी लड़ाई में बहुत बड़ी सफलता मिली है। जांच एजेंसी NIA ने बेंगलुरु की जेल से जुड़े आतंकी साजिश मामले में बड़ी सफलता हासिल करते हुए लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख सदस्य सलमान रहमान खान को अफ्रीकी के पूर्वी देश रवांडा से प्रत्यर्पित किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रत्यर्पण इंटरपोल और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के सहयोग से संभव हुआ है। आपको बता दें, रवांडा जांच ब्यूरो (RIB), इंटरपोल और नेशनल सेंट्रल ब्यूरो (NCB) के सहयोग से सलमान को कल रवांडा की राजधानी किगाली में गिरफ्तार किया गया और गुरुवार की सुबह उसे भारत लाया गया, जहां उसे औपचारिक रूप से नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी ने अपने हिरासत में ले लिया। जांच एजेंसी NIA ने आतंकी सलमान रहमान खान के खिलाफ आपराधिक साजिश, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने और आतंकवादी संगठन को सहायता प्रदान करने तथा शस्त्र अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से संबंधित अपराधों के मामले में केस दर्ज कर लिया है। भारत के लिए आतंकी सलमान रहमान खान का पकड़ा जाना बेहद महत्वपूर्ण है, क्यूंकि इसकी गिरफ्तारी से कई अन्य बातें बाहर आएंगी। अफ्रीकी देश रवांडा द्वारा आतंकवादी सलमान खान का भारत को प्रत्यर्पण अफ्रीकी देशों में भारत की बढ़ती साख और प्रभाव को दर्शाता है और साथ ही डॉ. एस जयसंकर की अगुवाई में मोदी सरकार की विदेश नीती की भी बड़ी जीत है।
आतंकी सलमान रेहमान खान पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है और साथ ही उसके विरुद्ध भारत में आतंक से जुड़े कई मामले में शामिल होने का प्रमाण भी है और जाँच एजेंसी को इसकी लंबे समय से तलाश भी थी। आतंकी सलमान के खिलाफ साल 2023 में बेंगलुरु के हेब्बल पुलिस स्टेशन में बेंगलुरु में आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने का आरोप है। उस पर हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक मुहैया कराने के अपराध में भी FIR दर्ज की गई है। NIA की जांच से ये भी पता चलाता है कि कैसे सलमान खान कट्टरपंथी बनने के बाद आतंकी गतिविधियों में सक्रिय भागीदार बन गया। उसने आतंकी मॉड्यूल से जुड़े स्लीपर सेल्स के लिए हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटकों की खरीद और वितरण में मदद की बल्कि एक अन्य आतंकी नसीर को भी अदालत में पेशी के दौरान भागने में मदद करने की साजिश रची। आतंकी सलमान खान पर कई तरह के अन्य अपराधिक मामले भी दर्ज हैं NIA ने उसके विरुद्ध कई चार्जशीट भी दायर की है और यही कारण है की इसका पकड़ा जाना भारत और देश की जाँच एजेंसी की बड़ी जीत है। खान पर आपराधिक साजिश रचने, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की सदस्यता और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने का भी आरोप है। खान की गिरफ्तारी के बाद जाँच एजेंसी और भी गतिविधियों पर बारिकी से उससे पूछताछ करेंगी।
देश की राजधानी से बड़ी खबर सामने आ रही है। बता दें, बीते दिन गुरुवार को दिल्ली के रोहिणी के प्रशांत विहार इलाके में एक पार्क की दीवार के पास जोरदार धमाका हुआ, इसमें एक शख्स के घायल होने की खबर भी सामने आई है। खबरों के अनुसार घायल सख्श को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस धमाके से पूरे इलाके में सनसनी फैली हुई है। धमाके की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी की टीम मौके पर पहुंची गई थी। दिल्ली पुलिस के अनुसार, गुरुवार की सुबह पुलिस को प्रशांत विहार इलाके से विस्फोट की सूचना मिली। सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंच गई। शुरुआती जांच में सामने आया कि एक मिठाई की दूकान के पास से धमाके की कॉल पुलिस को मिली, जिसके बाद मौके पर जांच के लिए NSG कमांडो, फॉरेंसिक टीम व अन्य कई सुरक्षा एजेंसियां पहुंची। प्रशांत विहार में धमाके की घटना के बाद पुलिस की तैनाती पर डीसीपी पूर्वी दिल्ली अपूर्वा गुप्ता ने कहा है कि तमाम जगहों पर पुलिस की तैनाती पहले से की गई थी, पुलिस द्वारा लगातार चेकिंग भी हो रही थी। मार्केट इलाकों में अतिरिक्त पुलिस की तैनाती बढ़ाई गई है। हम इलाकों को सैनिटाइज भी कर रहे हैं। भीड़ भाड़ वाली मार्केट में मार्केट प्रबंधन को सचेत कर रहे हैं। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के रेजिडेंशल इलाके में भी दहशत फैल गया, साथ ही पास के पार्क में घूम रहे लोगों में भगदड़ की स्थिति देखने को मिली।
दिल्ली के प्रशांत विहार इलाका एक बार फिर धमाके से गूंज उठा। आपको बता दें कि करीब 40 दिन पहले प्रशांत विहार के सेक्टर-14 स्थित CRPF स्कूल की दीवार के पास जोरदार धमाका हुआ था। इसकी गुत्थी अभी सुलझी भी नहीं थी कि फिर एक बार प्रशांत विहार के सेक्टर-14 में ही जोरदार ब्लास्ट ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कल यानि 28 नवंबर, गुरुवार सुबह करीब 11:30 बजे, सेक्टर-14 के डी ब्लॉक स्थित वीर सावरकर पार्क की दीवार के पास जोरदार धमाका हुआ। बता दें, जिस जगह पर ये धमाका हुआ वहां से 10 मीटर की दूरी पर ही सेंट मार्गरेट सीनियर सेकंडरी स्कूल की दीवार है और धमाके के समय स्कूल में बच्चे भी मौजूद थे। हालांकि, धमाके की इंटेंसिटी काम होने की वजह से किसी के हताहत होने की कोई जानकारी नहीं है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि धमाके की आवाज सुनकर पहले लगा कि शायद किसी गाड़ी में लगे सिलिंडर में ब्लास्ट हुआ है, लेकिन जैसे-जैसे लोग मौके पर पहुंचे उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया कि यह ठीक उसी तरीके का ब्लास्ट है, जैसा बीते महीने 20 अक्टूबर को CRPF स्कूल के पास हुआ था। इस धमाके में घटनास्थल पर मौजूद एक टेंपो चालक घायल हो गया, घायल व्यक्ति के सिर और आंखों के पास चोट देखी गई, जिसे तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया।
कल प्रशांत विहार में जिस जगह पर यह धमाका हुआ वहां से पार्क में एंट्री करने का छोटा गेट भी है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि धमाके के समय पार्क में ज्यादा लोग नहीं थे, क्योंकि जिस समय ये धमाका हुआ उस समय तक ज्यादातर लोग मॉर्निंग वॉक करके जा चुके होते हैं, लेकिन अगर ये धमाका सुबह 8 से 10 के बीच हुआ होता तो बड़ी घटना घट सकती थी। प्रशांत विहार में हुए इस लगातार दूसरे ब्लास्ट ने लोगों के बीच डर और चिंता की स्थिति पैदा कर दी है, लोगों का कहना है कि यह पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज है, क्योंकि जिस जगह पर ब्लास्ट हुआ है वहां से करीब 60 से 70 मीटर की दूरी पर ही क्राइम ब्रांच के ACP बैठते हैं, लोगों ने बताया कि स्कूल का प्लेग्राउंड भी इस तरफ है। बता दें कि कल जहां यह धमाका हुआ वहां से कुछ दूर लगती स्कूल की दीवार के पास बच्चों के झूले लगे हुए हैं और ऐसे में लोगों का डर और चिंता जायज है। वहीं, प्रशांत विहार में 20 अक्तूबर को सीआरपीएफ स्कूल की दीवार के पास तेज धमाके ने दिल्ली में दहशत फैला दी। उसकी आवाज भी दूर तक सुनी गई थी। धमाके से दुकानों पर लगे लगे सीसीटीवी कैमरे गिर गए थे। धमाका इतना जोरदार था कि स्कूल की मजबूत दीवार में छेद हो गया और आसपास की दुकानें और वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे।
देश की राजधानी दिल्ली में करीब एक साल में यह तीसरी बार है, जब इस तरह का धमाका हुआ है। पिछले ही वर्ष 26 दिसंबर को इस्राइल दूतावास के पीछे भी इसी तरह का धमाका हुआ था। हालांकि इस धमाके में किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन दूतावास जैसे हाई प्रोफाइल सिक्योरिटी वाले इलाके में धमाके से सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ गए थे। इसके बाद करीब 40 दिन पहले प्रशांत विहार में ही धमाका हुआ था। इस बीच, देश में कई स्थानों पर रेल पटरियां अवरुद्ध कर ट्रेन पलटाने के प्रयास किए गए हैं और राजधानी सहित देश के कई हिस्सों में स्कूलों व अस्पतालों में बम धमाके की धमकी भरे मेल आते रहे हैं। वहीं, विमानों को बम से उड़ाने की धमकियां भी दी जा रही हैं, जिनसे विमान सेवा प्रभावित हो रही है। बता दें, धमाके की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) समेत केंद्रीय एजेंसियों लगी हुई हैं, लेकिन फिलहाल अभी तक मामले में पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला है। कल हुए धमके की जांच पड़ताल के दौरान पुलिस को मौके से सफेद पाउडर मिला। अधिकारियों ने बताया कि फोरेंसिक टीम मौके से मिले साक्ष्य को इकट्ठा करने के बाद इसकी जांच में जुट गई है। मौके पर SPG के कमांडो और NIA की टीम पहुंचकर मौके से मिले साक्ष्य की जांच कर रही है। पुलिस ने मामले में घायल चालक से पूछताछ कर विस्फोट के बारे में जानकारी ली है, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने प्रशांत विहार विस्फोट मामले में प्रशांत विहार थाने में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के साथ आज विभिन्न विभागों के केंद्रीय मंत्रियों ने चर्चा की। बता दें, आज संसद भवन में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सदन के माननीय नेता (राज्यसभा) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे.पी.नड्डा सहित प्रतिष्ठित नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने भारत के माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उनके साथ माननीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू; डॉ. एल मुरुगन, माननीय संसदीय कार्य और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री; श्री अर्जुन राम मेघवाल, माननीय कानून एवं न्याय और संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और श्री प्रल्हाद जोशी, माननीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, साथ ही नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री भी मौजूद रहे।
यह हाई-प्रोफाइल मुलाकात और इस दौरान हुई बातचीत भारत के प्रमुख नीति निर्माताओं के बीच सहयोग और संवाद का एक प्रेरक उदाहरण थी। नेताओं ने एक मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए गुड गवर्नेंस, विधायी प्रक्रियाओं और राष्ट्रीय विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की। उपराष्ट्रपति ने प्रभावी नीति कार्यान्वयन के लिए मंत्रालयों के बीच तालमेल के महत्व पर जोर दिया, जबकि मंत्रियों ने संसदीय परंपराओं को बनाए रखने में उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया। संसद भवन में आज की गतिविधियों ने भारत के भविष्य को आकार देने में दूरदर्शी नेतृत्व और रचनात्मक बातचीत के महत्व को दोहराया। विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं के एक साथ आने के साथ, बातचीत ने लोकतंत्र के सार का उदाहरण दिया - लोगों की सेवा करने और देश के हितों को आगे बढ़ाने के लिए सद्भाव में काम करना।
अपनी व्यस्तत कामकाज के बीच, श्री जगदीप धनखड़ ने संसद भवन स्थित अपने कक्ष में विभिन्न राजनीतिक दलों के संसद सदस्यों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र की भी मेजबानी की। सत्र में मौजूद विभिन्न राजनीतिक दलों के संसद सदस्यों ने विचारों के स्वस्थ आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया, जहां सांसदों ने अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और देश के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर उपराष्ट्रपति का अनुभव और दृष्टिकोण मांगा। माननीय उपराष्ट्रपति ने संसद सदस्यों के साथ अपने के खुले और समावेशी दृष्टिकोण ने देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने के प्रति उनके समर्पण को उजागर किया। इस बातचीत ने न केवल एकता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत के नेताओं की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को भी प्रतिबिंबित किया जो एक गतिशील और विविध राष्ट्र की चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक है। ऐसे संवाद राष्ट्र को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाने में संचार और सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं।
फरवरी 2022 से शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को एक हजार से ज्यादा दिन हो गए हैं, दोनों देशों में से अभी भी कोई झुकने को तैयार नहीं है। वहीं, दोनों देशों की ओर से दावे अभी भी जारी है, लेकिन भीतर से दोनों देश की सरकारें और सेनाएं इस बात को महसूस कर रही हैं कि युद्ध से अभी तक कुछ भी बड़ा हासिल नहीं हुआ। इतने लंबे समय से चल रहे इस युद्ध ने इसी महीने और भयंकर रूप ले लिया है। रूस की ओर से दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन के उत्तर पूर्वी खारकीव क्षेत्र के एक गांव पर कब्जा कर लिया गया है और ऐसे माहौल में यूक्रेन की स्थिति कुछ कमजोर होती जा रही है। यूक्रेन के पूर्व विदेश मंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि व्लादिमीर पुतिन अपना इरादा बना चुके हैं और वह किसी की नहीं सुनेंगे। इस युद्ध में यूक्रेन ने अपने लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र और हजारों सैनिकों सहित हजारों नागरिकों को खो दिया है। रूस अभी भी आगे बढ़ रहा है और युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। दोनों ही ओर से मिसिलों द्वारा घातक हमले चालू हैं। यूक्रेन जहां अमेरिका द्वारा दी गई लंबी दूरी की मिसाइलों से लगातार हमला कर रहा है, वहीं रूस ने भी अपनी हाइपरसोनिक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल से हमला कर जवाब दे दिया है। रूस का कहना है कि उसने यूक्रेन द्वारा फायर की गई सभी मिसिलों को अपने अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की मदद से हवा में ही मार गिराया है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन को रूस द्वारा फायर की गई दुनिया की सबसे पहली हाइपरसोनिक मिसाइल से बहुत बड़ा नुक्सान उठाना पड़ा है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट कहा था कि अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा कीव को रूस के अंदर लक्ष्यों पर उन्नत पश्चिमी हथियार का उपयोग करने की अनुमति देने के जवाब में मॉस्को ने यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल दागी है। हालांकि, यूक्रेन के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने दावा किया कि रूस ने जिस मिसाइल का इस्तेमाल किया वह आरएस-26 रूबेज़ थी, जिसकी मारक क्षमता 6,000 किमी तक है। हालांकि यूक्रेन के अधिकारी यह भी मानते हैं कि यूक्रेन के पास अब सेना में भर्ती किये जाने योग्य लोगों की कमी हो रही है, सैनिकों की इस कमी के कारण रूस की सेना ज्यादा ताकतवर साबित हो रही है। वहीं, अब यूक्रेन के लोगों की ओर से भी सेना में भर्ती के लिए ज्यादा उत्सुक्ता दिखाई नहीं दे रही है। रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अगस्त के बाद से अब तक रूस ने यूक्रेन में 1,200 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, इसमें कुर्स्क क्षेत्र में वर्तमान में कीव के सैनिकों के कब्जे वाले क्षेत्र से दोगुना क्षेत्रफल है। जहां तक अब दोनों देशों के बीच समझौते की बात है तो उसे लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा है कि उन्हें बातचीत में तभी दिलचस्पी होगी जब कीव उनकी सभी मांगों को स्वीकार करेगा। बड़ी बात यह है कि इसमें रूस के कब्जे को पूरे चार यूक्रेनी क्षेत्रों तक बढ़ाना भी शामिल है। समझौते को लेकर अब माना तो यह जा रहा है कि मौजूदा परिस्तिथि मॉस्को के पक्ष में है और यूक्रेन के पीछे हटने और बड़े क्षेत्रफल पर कब्जे के साथ, क्रेमलिन के पास अब शांति वार्ता के लिए बैठने के कुछ कारण हैं।
रूस और यूक्रेन में जहां रूस एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है और तो वहीं दूसरी ओर यूक्रेन अपनी सैन्य सहायता और हथियारों के लिए पश्चिमी देशों पर पूरी तरह निर्भर है। रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं और अपनी इसी शक्ति के दम पर रूस लगातार अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों को धमकाता आ रहा है जो यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति से सवाल पूछा गया था कि यदि यूक्रेन को परमाणु हथियार मिल जाएं तो क्या होगा, इसके जवाब में व्लादिमिर पुतिन कहा है कि यूक्रेन को अगर परमाणु हथियार मिलते हैं तो रूस अपने पास उपलब्ध सभी हथियारों का इस्तेमाल उसके खिलाफ करेगा। बता दें, ये बात उन्होंने कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही थी। पुतिन से एक अमेरिकी अखबार में प्रकाशित उस रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जनवरी में पद छोड़ने से पहले यूक्रेन को परमाणु हथियार दे सकते हैं और इसी के जवाब में पुतिन ने जो कुछ कहा उससे यूक्रेन और यूरोपीय देशों में जरूर डर का माहौल बना है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में यदि रूस ने अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया तो यूक्रेन का दुनिया के नक्शे से गायब होना तय है और यह विश्वशांति के लिए एक खतरा भी होगा।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, 2022 में देश में 461,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 168,491 मौतें और 443,366 घायल हुए। ये आंकड़े 2021 की तुलना में दुर्घटनाओं में 11.9 प्रतिशत, मृत्यु दर में 9.4 प्रतिशत और चोटों में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाते हैं। इन्हीं चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए सड़क सुरक्षा को मजबूत करने और यातायात प्रवर्तन में सुधार लाने के लिए, भारत सरकार वाहनों की रफ्तार मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रडार उपकरणों के लिए नियम लागू करेगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी प्रभाग द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, सभी रडार उपकरणों को तैनाती से पहले वेरिफिकेशन से गुजरना होगा और आधिकारिक अनुमति हासिल करनी होगी। आपको बता दें, ये नियम उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी विभाग (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत आते हैं, और विशेष रूप से माइक्रोवेव डॉपलर रडार उपकरण पर लागू होंगे। जिसका व्यापक रूप से ट्रैफिक स्पीड निगरानी में इस्तेमाल किया जाता है। इसका मकसद स्पीड का पता लगाने में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है। जो सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और ट्रैफिक कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है।
सत्यापित रडार उपकरण सटीक गति और दूरी माप प्रदान करेंगे, जो गति उल्लंघन की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रमाणित रडार उपकरण खराबी या त्रुटियों के जोखिम को कम करते हैं, जिससे प्रवर्तन में निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। इससे यातायात कानून प्रवर्तन बढ़ेगा और विश्वसनीय डेटा के साथ, यातायात अधिकारी गति सीमा को ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू कर सकते हैं। जिससे गति से संबंधित दुर्घटनाओं की घटनाओं में कमी आएगी। नए नियम अंतर्राष्ट्रीय कानूनी माप विज्ञान संगठन (OIML) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं, जो सड़क सुरक्षा प्रवर्तन में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को सुनिश्चित करते हैं। एक बार नियम अधिसूचित हो जाने के बाद, सभी रडार उपकरणों को इन सत्यापन और स्टैम्पिंग आवश्यकताओं का अनुपालन करना होगा। इस कदम से ट्रैफिक गति निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को मानकीकृत करने, प्रवर्तन सटीकता में सुधार करने और आखिरकार सभी के लिए सुरक्षित सड़कें बनाने की उम्मीद है। प्रवर्तन अशुद्धियों के मूल कारण को संबोधित करके, सरकार का लक्ष्य भारतीय सड़कों को सुरक्षित बनाना और सड़क दुर्घटनाओं की खतरनाक दर को कम करना है।