नई दिल्ली का संसद भवन, जहां लोकतंत्र की तकदीर लिखी जाती है, उस दिन एक अलग ही माहौल में सुलग रहा था। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गरमागरम बहस छिड़ी थी। आरोपों और तर्कों की आंधी के बीच एक नया विधेयक चर्चा के केंद्र में था.......... वक्फ संशोधन विधेयक 2024 . यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में बड़े बदलाव करने वाला था, और इसे लेकर देश की राजनीति में एक नया भूचाल आ चुका था। इतिहास के पन्ने पलटें, तो हमें 12वीं सदी का एक दिलचस्प वाकया मिलता है। सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर, जिन्हें इतिहास मुहम्मद ग़ोरी के नाम से जानता है, उन्होंने मुल्तान की जामा मस्जिद को एक पूरा गांव दान कर दिया था। यह वक्फ का भारत में पहला प्रलेखित उदाहरण था। समय बदला, हुकूमतें बदलीं, लेकिन वक्फ की यह परंपरा जारी रही। अंग्रेजों के शासनकाल में 1923 में पहली बार "मुसलमान वक्फ अधिनियम" लागू किया गया, ताकि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन हो सके। लेकिन असल बदलाव आज़ादी के बाद आया। 1954 में स्वतंत्र भारत की संसद ने एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया, जो वक्फ संपत्तियों को एक कानूनी पहचान देता था। लेकिन असली विवाद 1995 में शुरू हुआ, जब इसे संशोधित कर नया वक्फ अधिनियम लागू किया गया। इस कानून ने वक्फ बोर्डों को ऐसी शक्तियाँ दे दीं, जो किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की खुली छूट देती थीं। बिना किसी जांच-पड़ताल के, बिना किसी ठोस दस्तावेज के, अगर वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया कि कोई संपत्ति वक्फ है, तो वह तुरंत उनकी मिल्कियत बन सकती थी। यही वह बिंदु था, जहां से विवादों की चिंगारी उठी।
फिर आया साल 2013। इस वर्ष वक्फ अधिनियम में एक और संशोधन किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को असीमित अधिकार दे दिए। इससे न केवल संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़े, बल्कि कई जगहों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे की शिकायतें भी बढ़ने लगीं। रेलवे और रक्षा विभाग के बाद, वक्फ बोर्ड कथित तौर पर भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक बन चुका था। आंकड़े बताते हैं कि वक्फ बोर्ड देशभर में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं। इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। सरकार का कहना था कि यह विधेयक पारदर्शिता लाने के लिए है। इसके तहत वक्फ बोर्डों को अब किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। सभी संपत्तियों के लिए अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया होगी। वक्फ बोर्डों की संरचना बदली जाएगी, और महिलाओं को भी इसमें प्रतिनिधित्व मिलेगा। जिला मजिस्ट्रेट को वक्फ संपत्तियों की निगरानी की अनुमति होगी, ताकि किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोका जा सके। लेकिन, विपक्ष को सरकार की मंशा पर शक था। राज्यसभा में जब यह विधेयक पेश किया गया, तो विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाया कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट में से कुछ अहम बिंदु हटा दिए गए हैं। उन्होंने इसे ‘अलोकतांत्रिक’ करार देते हुए मांग की कि रिपोर्ट को पुनर्विचार के लिए वापस भेजा जाए। तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड द्वारा 2022 में तिरुचेंदुरई गांव पर दावा करने का मामला फिर से चर्चा में आ गया। यह गांव मुख्य रूप से हिंदू बहुल था, लेकिन वक्फ बोर्ड ने इसे अपनी संपत्ति बताकर वहां के निवासियों को नोटिस थमा दिया। अब देश इंतज़ार कर रहा है कि यह विधेयक इतिहास के पन्नों में किस रूप में दर्ज होगा एक सुधार के रूप में, या एक नए संघर्ष के बीज के रूप में।
एलन मस्क ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपनी सोशल मीडिया कंपनी X को अपनी ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी xAI को बेच दिया है। यह डील 33 अरब डॉलर में शेयरों के रूप में संपन्न हुई। गौरतलब है कि मस्क ने 2022 में ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीदा था और उसका नाम बदलकर X कर दिया था। मस्क ने इस ऐतिहासिक डील की जानकारी X पर एक पोस्ट के जरिए दी। उन्होंने कहा कि इस फैसले से xAI की AI तकनीक और X के विशाल नेटवर्क को मिलाकर जबरदस्त लाभ होगा। इस डील के तहत xAI की कुल वैल्यू 80 अरब डॉलर और X की वैल्यू 33 अरब डॉलर आंकी गई है। एलन मस्क ने अपने बयान में कहा, “xAI और X का भविष्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़ा हुआ है। आज, हम डेटा, मॉडल, कंप्यूटिंग पावर, डिस्ट्रीब्यूशन और टैलेंट को मिलाने का कदम उठा रहे हैं। इस मेल से xAI की AI क्षमता और X के बड़े नेटवर्क को मिलाकर जबरदस्त फायदा होगा।” मस्क ने यह भी कहा कि इस कदम का उद्देश्य अरबों लोगों को बेहतर और अधिक उपयोगी डिजिटल अनुभव प्रदान करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि xAI का मुख्य लक्ष्य सच्चाई की खोज और ज्ञान को बढ़ाना है। xAI एक अमेरिकी पब्लिक-बेनेफिट कॉरपोरेशन है, जो AI के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। एलन मस्क ने इसे मार्च 2023 में लॉन्च किया था, और इसका उद्देश्य “ब्रह्मांड की सच्ची प्रकृति को समझना” बताया गया है। इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में स्थित है। कंपनी की शुरुआत मस्क सहित 12 विशेषज्ञों की एक टीम के साथ हुई थी, जिनमें कई गूगल डीपमाइंड और GPT जैसी AI परियोजनाओं से जुड़े रहे हैं। गूगल डीपमाइंड के पूर्व इंजीनियर इगोर बाबुशकिन को मस्क ने xAI का चीफ इंजीनियर नियुक्त किया था। नवंबर 2023 में xAI ने अपना पहला प्रोजेक्ट ‘Grok’ लॉन्च किया, जिसे बाद में X में इंटीग्रेट कर दिया गया। कुछ महीनों बाद इसे सभी यूजर्स के लिए मुफ्त कर दिया गया, जिसके बाद इसकी लोकप्रियता भारत जैसे देशों में तेजी से बढ़ी। एलन मस्क ने जब 2022 में ट्विटर का अधिग्रहण किया, तो उन्होंने कंपनी में बड़े बदलाव किए। हजारों कर्मचारियों की छंटनी की गई, हेट स्पीच और यूजर वेरिफिकेशन से जुड़े नियमों को बदला गया, और प्लेटफॉर्म का नाम बदलकर X कर दिया गया।
जयपुर के प्रताप नगर स्थित वीर तेजाजी मंदिर में शुक्रवार देर रात असामाजिक तत्वों द्वारा मूर्ति क्षतिग्रस्त किए जाने से इलाके में तनाव फैल गया। इस घटना के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु सड़क पर उतर आए और टोंक रोड को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए चेतावनी दी कि अगर दोषियों की जल्द गिरफ्तारी नहीं हुई, तो आंदोलन और तेज होगा। घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फूट पड़ा और देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग मंदिर के बाहर जमा हो गए। श्रद्धालुओं ने इसे धार्मिक भावनाओं पर हमला बताते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। हालात बिगड़ते देख पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचा और लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी तत्काल गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे। घटना की गंभीरता को देखते हुए कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के नेता मौके पर पहुंचे और सरकार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का दबाव बनाया। सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया, "लोक देवता वीर तेजाजी महाराज की मूर्ति को तोड़ने वालों का जल्द पता लगाकर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस घटना ने न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि शहर में कानून-व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने इलाके में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है और जांच शुरू कर दी है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा। फिलहाल, जयपुर में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, और पुलिस स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए लगातार गश्त कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा या यह सिर्फ एक और राजनीतिक मुद्दा बनकर रह जाएगा।