जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसने एक बार फिर घाटी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे जिपलाइन करते वक्त एक पर्यटक के कैमरे में आतंकियों की गोलियों की आवाज रिकॉर्ड हो गई। वीडियो में साफ तौर पर फायरिंग की आवाजें गूंजती सुनाई देती हैं। पर्यटक ऋषि भट्ट, जो बैसरन घाटी में अपने परिवार के साथ घूमने आए थे, ने दावा किया है कि जिपलाइन के दौरान ऑपरेटर ने उन्हें छोड़ते वक्त तीन बार "अल्लाह हू अकबर" और फिर "बिस्मिल्लाह" कहा। ऋषि भट्ट ने मीडिया को बताया कि जब वह जिपलाइन कर रहे थे, उसी दौरान अचानक फायरिंग शुरू हो गई। ऋषि के मुताबिक, जब ऑपरेटर ने उन्हें छोड़ा, तभी फायरिंग की आवाजें सुनाई देने लगीं और जिपलाइन ऑपरेटर जोर-जोर से धार्मिक नारे लगाने लगा। ऋषि ने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों से देखा कि 4 से 5 आतंकी निर्दोष पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई थी। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। ऋषि ने किसी तरह अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित जगह छिपकर जान बचाई। इस दर्दनाक हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने कई पर्यटकों का धर्म पूछकर उन्हें गोली मारी। पर्यटक ऋषि भट्ट के दावे और वायरल वीडियो के आधार पर अब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जांच तेज कर दी है। जिपलाइन ऑपरेटर से पूछताछ की जाएगी कि आखिर गोलीबारी के दौरान धार्मिक नारेबाजी क्यों की गई, और कहीं इसका आतंकी हमले से कोई संबंध तो नहीं है। पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर इस तरह की घटना ने न सिर्फ घाटी की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाए हैं कि क्या आतंकियों के स्थानीय मददगार अब पर्यटकों के बीच भी सक्रिय हो चुके हैं? जांच एजेंसियां अब इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं, ताकि आतंकियों के नेटवर्क और संभावित लोकल सपोर्ट सिस्टम को बेनकाब किया जा सके।
शतक की जमीन कोई भी हो, लेकिन जब बल्ला सपनों के साथ चलता है तो रिकॉर्ड भी झुक जाते हैं। राजस्थान रॉयल्स के 14 वर्षीय सलामी बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने ठीक यही किया। आईपीएल के अपने तीसरे ही मैच में उन्होंने दुनिया के सबसे खतरनाक स्पिनर राशिद खान की गेंद पर छक्का जड़कर शतक पूरा किया और बता दिया—भारत का क्रिकेट भविष्य अब किसी खतरे में नहीं, बल्कि बिल्कुल सुरक्षित हाथों में है। गुजरात टाइटंस के खिलाफ महज़ 38 गेंदों में 101 रनों की पारी... स्ट्राइक रेट 265.78... और उसमें शामिल 7 चौके और 11 छक्के... इस आंकड़े को देखकर यकीन करना मुश्किल है कि ये पारी किसी अनुभवी खिलाड़ी ने नहीं, बल्कि एक 14 साल के किशोर ने खेली है। वैभव ने GT के हर गेंदबाज़ को निशाने पर लिया, लेकिन सबसे ज़्यादा मार ईशांत शर्मा को पड़ी—जिनकी उम्र से ज़्यादा क्रिकेट का अनुभव है, लेकिन वैभव के बल्ले का तूफान रोक नहीं पाए। वैभव की ये कामयाबी रातों-रात नहीं आई। इसकी नींव उस दिन रखी गई थी, जब उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने बेटे के सपने पूरे करने के लिए अपनी खेती की ज़मीन तक बेच दी थी। बिहार के समस्तीपुर ज़िले से 15 किमी दूर मोतीपुर गांव में रहने वाले संजीव ने कहा था, “अब वैभव सिर्फ मेरा बेटा नहीं, पूरे बिहार का बेटा है।” उनके कोच ओझा बताते हैं कि जब वैभव सिर्फ 8 साल का था, तब वह उनके पास आया था। “हर बच्चा अलग होता है, लेकिन वैभव में जो सिखाया जाता था, वह तुरंत समझ लेता था। उसका बैट स्विंग युवराज सिंह जैसा है,” कोच ओझा कहते हैं। उन्होंने वैभव के लगभग 40 ट्रेनिंग वीडियो यूट्यूब पर भी डाले हैं। जहां एक ओर पिता रोज़ाना 100 किलोमीटर का सफर तय करके बेटे को मैच दिखाने ले जाते थे, वहीं मां उसकी डाइट पर पूरी नज़र रखती थीं। कोच बताते हैं, “अगर कोई लड़का हर दिन 600 गेंदें खेलता है, तो उसे प्रोटीन और पोषण की खास ज़रूरत होती है।” 27 मार्च 2011 को बिहार में जन्मे वैभव, आईपीएल की मेगा नीलामी 2024 में सिर्फ 13 साल की उम्र में 1.1 करोड़ रुपये में बिके। राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया और वे नीलामी में बिकने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। इसके साथ ही विवादों का दौर भी शुरू हुआ—उनकी उम्र को लेकर सवाल उठे। लेकिन पिता संजीव ने साफ कहा, “जो भी जानकारी दी गई है, वो एकदम सही है। हम किसी भी मेडिकल टेस्ट के लिए तैयार हैं।” जनवरी 2024 में वैभव ने महज़ 12 साल 284 दिन की उम्र में बिहार की तरफ से रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया। उसी साल चेन्नई में भारत अंडर-19 बनाम ऑस्ट्रेलिया मैच में उन्होंने 58 गेंदों में शतक जड़ा, जो अंडर-19 टेस्ट में किसी भी भारतीय द्वारा सबसे तेज शतक था।
2024-25 के ACC अंडर-19 एशिया कप में वैभव ने पांच मैचों में 176 रन बनाए और टूर्नामेंट के सातवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने। उनका सर्वोच्च स्कोर 76* रहा। राहुल द्रविड़ और जुबिन भरूचा ने आईपीएल की शुरुआत से पहले उन्हें 150+ की स्पीड से थ्रोडाउन देकर तैयार किया। इस अनगढ़े हीरे को तराशा गया, संजीव की ज़मीन से लेकर द्रविड़ की नज़र है । आईपीएल में अब तक वैभव ने तीन मैचों में 75.50 की औसत और 222.05 की स्ट्राइक रेट से 151 रन बनाए हैं। क्रिकेट की दुनिया में तूफान लाना उनके लिए अब आदत बनता जा रहा है।
कनाडा में हुए आम चुनावों में मार्क कार्नी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर ली है। लिबरल पार्टी ने लगातार चौथी बार सरकार बना कर न सिर्फ अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि कनाडा के राजनीतिक इतिहास में एक सुनहरा अध्याय भी जोड़ दिया। CBC और CTV न्यूज के मुताबिक, कार्नी अब कनाडा के नए प्रधानमंत्री होंगे। पूर्व बैंकर, ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम के अनुभवी खिलाड़ी और अब कनाडा की सियासत के नए कप्तान मार्क कार्नी ने कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे को हराकर यह जीत हासिल की। चुनावी मैदान में उतरते ही उन्होंने खुद को साधारण नेता नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव और मजबूत अर्थनीति का प्रतिनिधि साबित किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान – “कनाडा को अमेरिका में मिला देना चाहिए” पर जब तमाम नेता चुप थे, कार्नी ने खुलकर विरोध दर्ज कराया, और शायद यहीं से उन्होंने आम लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली।
मार्क कार्नी का जन्म 16 मार्च 1965 को फोर्ट स्मिथ, कनाडा में हुआ था और परवरिश एडमॉन्टन में। हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले कार्नी ने करियर की शुरुआत गोल्डमैन सैक्स में इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर की, और न्यूयॉर्क से लेकर टोक्यो तक अपने काम से पहचान बनाई। लेकिन यह कहानी सिर्फ पैसे कमाने की नहीं थी। 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट में जब दुनिया के बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा रही थी, कार्नी को बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर बनाया गया। उन्होंने कनाडा को मंदी की लहर से बचाया और वैश्विक नेतृत्व में एक विश्वसनीय नाम बनकर उभरे। 2013 में उन्हें बैंक ऑफ इंग्लैंड का प्रमुख बनाया गया – 1694 से अब तक यह जिम्मेदारी सिर्फ ब्रिटिश नागरिकों को दी जाती थी। लेकिन कार्नी ने यह परंपरा भी तोड़ी और जब 2016 में ब्रेक्सिट की आंधी आई, तो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में अहम भूमिका निभाई। कनाडा के लोग अब ऐसे प्रधानमंत्री के हाथों में देश की कमान देख रहे हैं, जिसे दुनिया ने आर्थिक संकटों में रास्ता निकालते देखा है। जो सिर्फ भाषण नहीं, अनुभव के दम पर नेतृत्व करता है।