8वां वेतन आयोग यानी 8th Pay Commission अब सिर्फ अटकल नहीं रहा मोदी कैबिनेट ने आज, 28 अक्टूबर 2025 को इसे आधिकारिक मंजूरी दे दी है। यानि केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारी और करीब 70 लाख पेंशनभोगी संभवतः बड़े बदलाव की ओर हैं। और इसकी गूंज आने वाले महीनों में राज्य-सरकारों तक भी जा सकती है।”
क्या हुआ है आज?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 8वें वेतन आयोग की Terms of Reference (ToR) को हरी झंडी दे दी गई। सरल भाषा में कहें तो सरकार ने आयोग को काम की रूपरेखा दे दी है यानी अब यह तय हो गया है कि आयोग बनेगा, उसकी जिम्मेदारी क्या होगी, कब तक रिपोर्ट देनी होगी, और किसे इसका फायदा मिलेगा। इस आयोग में एक चेयरमैन, एक सदस्य और एक सचिव होंगे, जो 18 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेंगे। और लागू करने की तारीख तय की गई है 1 जनवरी 2026
आख़िर क्या मिलेगा इससे जनता को फायदा?
अब ज़रा असली सवाल पर आते हैं “आम आदमी को क्या मिला?” अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं, तो आपकी बेसिक सैलरी में जबरदस्त उछाल आने वाला है। खबरों के मुताबिक फिटमेंट फैक्टर 1.8 से 2.8 के बीच तय हो सकता है।
यानि अगर आज आपकी बेसिक सैलरी ₹18,000 है, तो यह सीधे ₹32,000 से ₹36,000 तक जा सकती है। इसके साथ ही महंगाई भत्ता (DA), गृह भत्ता (HRA) और अन्य अलाउंसेज़ नए वेतन ढांचे के हिसाब से बढ़ जाएंगे। मतलब आपकी इन-हैंड सैलरी में 30 से 40% तक का इज़ाफा संभव है। पेंशनभोगियों के लिए भी यह किसी राहत पैकेज से कम नहीं क्योंकि उनकी पेंशन नए स्केल के हिसाब से फिर से तय होगी। यह कदम सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की जेब तक सीमित नहीं रहेगा।
इतिहास गवाह है कि जब भी नया वेतन आयोग लागू होता है, बाज़ार में खरीदारी बढ़ती है, घर-गाड़ी की सेल बढ़ती है, और इकोनॉमी में कैश फ्लो तेज़ होता है। यानि अगले साल की शुरुआत में भारत की अर्थव्यवस्था में एक नई "सैलरी लहर" देखने को मिल सकती है। हाँ, इसका बोझ सरकार के खज़ाने पर ज़रूर पड़ेगा, इसलिए रिपोर्ट में यह ध्यान रखा जाएगा कि ये बदलाव “वित्तीय रूप से सहनशील” हो।
क्या यह आख़िरी चरण है?
नहीं, अभी नहीं। आज सिर्फ मंजूरी मिली है अब आयोग बनेगा, डेटा इकट्ठा करेगा, कर्मचारियों और यूनियनों से बातचीत होगी, और फिर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। उस रिपोर्ट पर विचार करके सरकार को मंजूरी देनी होगी, तभी सैलरी बढ़ेगी।
तो, जनवरी 2026 से पहले कुछ भी लागू नहीं होगा, लेकिन दिशा अब साफ है। कर्मचारियों के चेहरों पर मुस्कान है। टाइमिंग भी लाजवाब है 2026 के आम चुनाव से कुछ महीने पहले। सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त में लिया है जब कर्मचारी यूनियनें महीनों से मांग कर रही थीं। तो इसे राजनीतिक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। “सरकार ने जनता को वेतन की मिठाई दी है, अब देखना है कि चुनाव में यह कितनी मीठी साबित होती है।