इन दिनों जब सोशल मीडिया से लेकर पब्लिक डिस्कोर्स तक 'भूत-प्रेत', शाप, और लोककथाओं में बसे डर की वापसी पर बहस हो रही है, तब काजोल अभिनीत यह नई फिल्म चर्चा के केंद्र में है। हर तरफ़ बात हो रही मां मूवी की । आइए जानते है क्यों ये मूवी है चर्चा में । कहानी की बात करें तो... बैकड्रॉप है पश्चिम बंगाल का एक गांव ‘चंद्रपुर’, जहां बेटियों के पैदा होते ही बलि दी जाती है। एक अंधविश्वास, एक श्राप, और उसी के बीच एक मां (काजोल), जो अपनी बेटी के साथ सालों बाद इस गांव में आती है।vलेकिन जैसे ही वो यहां कदम रखती है, गांव में एक के बाद एक लड़कियां गायब होने लगती हैं। कहानी धीरे-धीरे एक राक्षसी साजिश और मातृत्व के संघर्ष की ओर बढ़ती है — और यहां से शुरू होती है असली टेंशन। अगर आप हॉरर के नाम पर सिर्फ जंप स्केयर ढूंढ रहे हैं तो ये फिल्म शायद वैसी नहीं है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि फिल्म कुछ नया बोले, सोचने पर मजबूर करे — तो इस फिल्म में दम है।vकहानी की पेस अच्छी है, ट्विस्ट हैं, मिस्ट्री है और आखिर के 10 मिनट तो स्क्रीन से नज़र हटाने नहीं देते। हां, बीच-बीच में थोड़ी स्लो लग सकती है, और क्लासिक हॉरर वाले एलिमेंट्स कम हैं, लेकिन टोन सीरियस है और ट्रीटमेंट यूनिक काजोल ने इस रोल में पूरी जान डाल दी है। मां का रोल उन्होंने ऐसे निभाया है कि कई सीन दिल छू जाते हैं। इमोशनल सीन्स में वो बहुत नैचुरल लगी हैं — और जब राक्षसी ताकतों से भिड़ती हैं, तब भी असरदार हैं। रोनित रॉय एक डरावने और पावरफुल विलेन के रूप में छाप छोड़ते हैं। दिब्येंदु भट्टाचार्य का काम हमेशा की तरह शानदार है — लोकल बैकड्रॉप वाले किरदारों में उनकी पकड़ जबरदस्त है। नई एक्ट्रेस सुरजशिखा दास और काजोल की ऑन-स्क्रीन बेटी केहरिन शर्मा ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म को लिखा है अजीत जगताप, आमिल कियान खान और सायविन क्वाड्रास ने। डायरेक्टर विशाल फुरिया ने जो विजन दिखाया है, वो अलग है — पर कुछ हिस्सों में एक्सिक्यूशन थोड़ा ढीला पड़ जाता है।
कुछ सवाल अधूरे रह जाते हैं, कुछ घटनाएं पूरी तरह क्लियर नहीं होतीं। अगर हॉरर के डोज को थोड़ा और शार्प किया जाता, तो ये फिल्म और ऊंचाई छू सकती थी। फिर भी डायरेक्टर की कोशिश और विजन को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता। ‘शैतान यूनिवर्स’ की ये फिल्म एक स्टैंडर्ड हॉरर मूवी नहीं है। ये मायथोलॉजी, फेमिनिज्म और पर्सनल स्ट्रगल्स को हॉरर के फ्रेम में दिखाती है। ये डर सिर्फ डराने के लिए नहीं, बल्कि सोचने के लिए है।
देश की न्याय-व्यवस्था के केंद्र में मानी जाने वाली विधि शिक्षा इस बार खुद कठघरे में खड़ी है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित एक नामचीन लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय छात्रा के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार की घटना ने राज्य ही नहीं, पूरे देश की महिला सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना ऐसे समय में सामने आई है जब शहर पहले से ही आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक अन्य गैंगरेप घटना की गूंज से उबर नहीं पाया था। अब ठीक एक वर्ष के भीतर एक और शिक्षण संस्थान की चारदीवारी के भीतर छात्रा की गरिमा को कुचले जाने का आरोप लगा है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि एक पूर्व छात्र द्वारा विवाह प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद उससे बदला लेने की मंशा से यह वारदात की गई। घटना 25 जून को कॉलेज परिसर के भीतर एक सुनसान कमरे में घटित हुई, जहां आरोपी ने अपने दो साथियों की मदद से पीड़िता को जबरन ले जाकर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी। FIR के अनुसार, एक आरोपी ने बलात्कार किया, जबकि अन्य दो ने न केवल उसे रोकने में सहायता की बल्कि वीडियो रिकॉर्डिंग कर पीड़िता को धमकाया कि अगर उसने शिकायत की तो वीडियो को सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) की धारा 70(1), 127(2) और 3(5) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। धारा 70(1): यह प्रावधान तब लागू होता है जब एक से अधिक व्यक्ति किसी महिला के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम देते हैं या उसमें सहयोग करते हैं। इस धारा के अंतर्गत सभी अभियुक्त समान रूप से दोषी माने जाते हैं, भले ही यौन शोषण प्रत्यक्ष रूप से केवल एक ने किया हो। धारा 127(2): यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को उसकी इच्छा के विरुद्ध रोकता है या बंधक बनाता है, तो यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसके लिए एक वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड अथवा दोनों हो सकते हैं। धारा 3(5): यह प्रावधान उस स्थिति में लागू होता है जब किसी अपराध को समूह में साझा मंशा और उद्देश्य के तहत अंजाम दिया गया हो। इसमें समूह के प्रत्येक सदस्य को अपराध में समान रूप से उत्तरदायी माना जाता है। इस केस में जो कानूनी पहलू सबसे अहम है, वह है सहभागिता की परिभाषा। सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय इस सिद्धांत को स्पष्ट कर चुके हैं कि गैंगरेप के मामलों में सभी सहयोगियों को समान रूप से दोषी माना जाएगा, चाहे उन्होंने शारीरिक बलात्कार किया हो या नहीं। अदालत ने यह माना कि अगर किसी व्यक्ति ने बलात्कार किया है, लेकिन अन्य अभियुक्तों ने घटना में सहयोग किया है, धमकाया है, या मंशा साझा की है, तो उन्हें भी गैंगरेप के लिए समान दंड मिलना चाहिए।
यह घटना न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि उन संस्थानों की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है जो युवाओं को कानून, अधिकार और संविधान का पाठ पढ़ाते हैं। अगर ऐसे ही परिसर, जो देश के भविष्य को दिशा देने का दावा करते हैं, अपराध के अड्डे बनते जा रहे हैं, तो यह समूची शिक्षा प्रणाली के लिए एक गहरी चेतावनी है। पुलिस ने सभी आरोपियों को चिह्नित कर लिया है और पूछताछ जारी है। सूत्रों के मुताबिक, अन्य छात्रों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जिन्होंने या तो इस घटना की जानकारी होते हुए भी उसे छुपाया या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया। कोलकाता पुलिस इस मामले में त्वरित चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है। वहीं राज्य महिला आयोग और मानवाधिकार संगठन भी मामले की निगरानी कर रहे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को टारगेट कर तबाह कर दिया। ये एक स्पष्ट संदेश था भारत अब चुप नहीं बैठेगा। लेकिन इस ऑपरेशन के बाद सिर्फ सीमाओं पर नहीं, सिनेमा की दुनिया में भी हलचल शुरू हो गई।
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से जुड़े तमाम डिजिटल और सांस्कृतिक लिंक पर नकेल कस दी। पाकिस्तानी सेलिब्रिटीज़ के इंस्टाग्राम अकाउंट, यूट्यूब चैनल्स भारत में ब्लॉक कर दिए गए और फिल्मों में उनकी एंट्री पर भी पाबंदी लगा दी गई। लेकिन ठीक इसी माहौल में सामने आती है एक पंजाबी फिल्म — सरदार जी 3, जिसमें पाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर नजर आती हैं। वही हानिया आमिर, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को “कायरता” बताया था।
यहीं से विवाद की चिंगारी भड़कती है। फिल्म में हानिया के शामिल होने के चलते भारत के फैंस और सोशल मीडिया यूजर्स ने दिलजीत दोसांझ को निशाने पर लेना शुरू कर दिया। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर उनकी आलोचना होने लगी। इतना ही नहीं, अफवाहें फैलने लगीं कि उन्हें आगामी देशभक्ति फिल्म बॉर्डर 2 से बाहर कर दिया गया है, जिसमें सनी देओल और वरुण धवन जैसे स्टार्स नजर आने वाले हैं।
हालांकि, इस पूरे विवाद पर दिलजीत दोसांझ ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि सरदार जी 3 की शूटिंग फरवरी में पूरी की गई थी, जब सबकुछ सामान्य था। उनके मुताबिक, "अब अगर सिचुएशन बदली है तो ये मेरे हाथ में नहीं। निर्माताओं ने बहुत पैसा लगाया है और नुकसान झेलना पड़ रहा है, इसलिए उन्होंने फैसला किया कि फिल्म को भारत में रिलीज नहीं किया जाएगा। अब इसे केवल ओवर्सीज में 27 जून को रिलीज किया जाएगा और मैं उनके फैसले के साथ हूं।"
बावजूद इसके विवाद थमा नहीं। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) ने सख्त रुख अपनाते हुए न केवल सरदार जी 3 को सेंसर सर्टिफिकेट देने से रोकने की मांग की, बल्कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दिलजीत के खिलाफ कार्रवाई और उनका पासपोर्ट रद्द करने तक की अपील की। FWICE का तर्क है कि फिल्म में न सिर्फ हानिया आमिर, बल्कि नासिर चिन्योती, डेनियल खावर और सलीम अलबेला जैसे अन्य पाक कलाकार भी शामिल हैं, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
इस बीच जब दिलजीत से हानिया आमिर के साथ काम करने के अनुभव को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब दिया — “वो बहुत प्रोफेशनल हैं। मैं उनकी प्राइवेसी की इज्जत करता हूं। मैं खुद भी प्राइवेट इंसान हूं, और मैं महिलाओं को उनका स्पेस देना जरूरी मानता हूं। हमारी बातचीत भी काम तक सीमित रही।” अब अंत में बड़ा सवाल यह है कि क्या सिनेमा की ‘प्रोफेशनलिज्म’ की परिभाषा, देशभक्ति से बड़ी हो सकती है ।
अंतरराष्ट्रीय मार्केट की सुस्ती अब घरेलू सर्राफा बाजार में भी दिखाई देने लगी है। 28 जून को वाराणसी के मार्केट में Gold Prices में एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई है। लगातार चार दिनों से गिर रहे सोने के दाम अब Investors के लिए एक सुनहरा मौका बनते जा रहे हैं। आज 24 कैरेट सोना 930 रुपये लुढ़ककर 98,170 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया है, जबकि कल यानी 27 जून को इसका भाव 99,100 रुपये था। वहीं 22 कैरेट सोने की बात करें तो उसमें भी 850 रुपये की गिरावट आई है और अब यह 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ चुका है।
इसी तरह 18 कैरेट गोल्ड में भी आज की ट्रेडिंग में 700 रुपये की गिरावट दर्ज की गई और इसका नया रेट 73,640 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह गिरावट ग्लोबल मार्केट की Demand-Supply Fluctuation और घरेलू टैक्स एवं Import Duty जैसे फैक्टर्स की वजह से हो रही है। यही कारण है कि सोने की कीमतें Volatile बनी हुई हैं और इन्वेस्टमेंट के लिहाज़ से ये एक अच्छा एंट्री पॉइंट हो सकता है।
दूसरी ओर, चांदी की बात करें तो इसमें कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है। 28 जून को इसका भाव स्थिर रहा और यह 1,08,000 रुपये प्रति किलो के स्तर पर टिका रहा, जो पिछले दो दिनों से बना हुआ है। हालांकि, 25 जून को चांदी की कीमत 1,09,000 रुपये प्रति किलो थी। इसका मतलब यह है कि सिल्वर की Price Action इस वक्त Stable ज़ोन में है। Sarafa Association का कहना है कि बीते चार दिनों से Gold में लगातार करेक्शन (Correction) देखा जा रहा है, जबकि Silver अभी Stable Phase में है। उनका मानना है कि जो लोग लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की सोच रहे हैं, उनके लिए यह समय उपयुक्त हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेताया कि आने वाले दिनों में Market Volatility बनी रहेगी और कीमतें ऊपर-नीचे हो सकती हैं।
सोना खरीदते समय कुछ ज़रूरी बातें हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए। सबसे पहले तो उसकी शुद्धता जांचनी चाहिए, जिसे Carat में मापा जाता है — जैसे 24 Carat सबसे शुद्ध होता है, लेकिन यह थोड़ा सॉफ्ट होता है, जबकि 22 Carat में थोड़ा मिक्स धातु होता है ताकि वह ज्वेलरी में इस्तेमाल हो सके। इसके अलावा, BIS Hallmark जरूर देखना चाहिए, जो सोने की प्रमाणिकता (Authenticity) का संकेत होता है।
कुल मिलाकर, सोने की मौजूदा गिरती कीमतें एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट मूव हो सकती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो फेस्टिव या वेडिंग सीज़न से पहले गोल्ड में अपनी होल्डिंग्स बढ़ाना चाहते हैं।
जब भारत के कई राज्य अपने क्रिकेटिंग टैलेंट को मंच देने के लिए फ्रेंचाइजी आधारित घरेलू टी20 लीग्स शुरू कर चुके हैं, तब गुजरात भी इस कड़ी में शामिल होने जा रहा है। गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (GCA) ने 2025-26 सीज़न से अपनी खुद की राज्य स्तरीय टी20 लीग शुरू करने का ऐलान किया है। इस फैसले से न केवल गुजरात के क्रिकेट प्रेमियों में उत्साह है, बल्कि उन युवाओं के लिए यह एक सुनहरा मौका बनकर सामने आया है जो घरेलू स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन कर राष्ट्रीय या आईपीएल स्तर तक पहुंचना चाहते हैं।
इस अहम खबर की पुष्टि खुद गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अनिल पटेल ने की है। क्रिकबज से बातचीत में उन्होंने कहा कि GCA बहुत जल्द इस टूर्नामेंट को लेकर विस्तृत बैठक करने जा रही है, जिसमें लीग की रूपरेखा और संचालन से जुड़ी अहम बातें तय की जाएंगी। गुजरात पहले भी क्रिकेट के क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुका है। यह वही ज़मीन है जिसने भारत को जसप्रीत बुमराह, रवींद्र जडेजा, मुनाफ पटेल और अजय जडेजा जैसे धुरंधर खिलाड़ी दिए हैं। अब वक्त है नए सितारों को जन्म देने का, जो इस फ्रेंचाइजी लीग के जरिए सामने आएंगे।
देश भर में राज्य स्तरीय टी20 लीग्स का चलन तेजी से बढ़ा है। तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNPL) ने जहां साई सुदर्शन और नटराजन जैसे खिलाड़ियों को उभारा, वहीं उत्तर प्रदेश प्रीमियर लीग और दिल्ली प्रीमियर लीग से भी कई खिलाड़ी IPL का टिकट पा चुके हैं। अब गुजरात भी उसी राह पर कदम बढ़ा रहा है। यह उम्मीद की जा रही है कि गुजरात की इस नई लीग से निकले खिलाड़ी IPL की अगली नीलामी में सबका ध्यान खींचेंगे।
गुजरात की क्रिकेटिंग विरासत गहरी है। सौराष्ट्र, बड़ौदा और गुजरात की घरेलू टीमें पहले से ही रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट्स में शानदार प्रदर्शन करती रही हैं। लेकिन अब यह राज्य केवल पारंपरिक क्रिकेट का गढ़ नहीं रहेगा, बल्कि आधुनिक, तेज और दर्शकों को रोमांचित करने वाली टी20 लीग का भी केंद्र बनेगा। गुजरात के युवा खिलाड़ियों को अब एक ऐसा प्लेटफॉर्म मिलेगा जहां वे सीधे प्रोफेशनल क्रिकेट की ओर कदम बढ़ा सकेंगे।
इस लीग के आने से न केवल खिलाड़ियों को मौका मिलेगा, बल्कि खेल से जुड़ी पूरी अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। स्पॉन्सर्स को नया मार्केट मिलेगा, लोकल दर्शकों को एंटरटेनमेंट और जुड़ाव का नया जरिया मिलेगा और खेल प्रेमियों को अपने ही राज्य की टीम के लिए तालियां बजाने का मौका मिलेगा। यह टूर्नामेंट सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि गुजरात के खेल भविष्य की नींव साबित हो सकता है।
आज जब बुमराह की यॉर्कर पूरी दुनिया में वाहवाही बटोरती है या जब रवींद्र जडेजा की ऑलराउंड परफॉर्मेंस मैच का रुख बदलती है, तो यह याद रखना जरूरी है कि ये खिलाड़ी इसी माटी से निकले हैं। अब सवाल यह है कि अगला बुमराह कौन होगा? अगला सूर्या, अगला शुभमन कौन बनेगा? और जवाब है—शायद वह खिलाड़ी अभी गुजरात की किसी गली में क्रिकेट खेल रहा है, और उसे बस इस मंच की जरूरत है।