उत्तर प्रदेश के बागपत के बड़ौत में मंगलवार की सुबह श्रद्धा का उत्सव मातम में बदल गया। भगवान आदिनाथ के निर्वाण लड्डू पर्व के अवसर पर जैन समुदाय द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रम के दौरान, मानस्तम्भ परिसर में बना लकड़ी का अस्थायी मचान अचानक ढह गया। इस हादसे में अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक श्रद्धालु घायल हैं। गांधी रोड पर स्थित जैन कॉलेज परिसर में बने 65 फीट ऊंचे अस्थायी मंच पर भारी भीड़ थी। श्रद्धालु मानस्तम्भ में विराजमान भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का अभिषेक करने पहुंचे थे। जैसे ही मंच पर दबाव बढ़ा, उसकी सीढ़ियां और रस्सियां टूट गईं। पूरा ढांचा भरभराकर गिर पड़ा और वहां भगदड़ मच गई। घटना में 75 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें 15 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी एक-दूसरे को बचाने की कोशिश करते रहे, लेकिन हादसा इतना बड़ा था कि कई लोग लकड़ी और बल्ली के मलबे में दब गए। मृतकों में तरशपाल जैन (74), अमित (40), उषा (65), अरुण जैन (48), शिल्पी जैन (25), विपिन (44), और कमलेश (65) शामिल हैं। कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है। जिला अस्पताल और अन्य चिकित्सा केंद्रों में घायलों का इलाज जारी है।
पिछले 25 वर्षों से हो रहे इस धार्मिक आयोजन में इस बार हादसे की वजह सुरक्षा प्रबंधन की खामियां बताई जा रही हैं। भारी बारिश के कारण मिट्टी में नमी थी, और मंच का ढांचा कमजोर हो चुका था। जब श्रद्धालुओं की भीड़ मंच पर चढ़ी, तो बल्ली और रस्सियों का संतुलन बिगड़ गया। घटना की सूचना मिलते ही डीएम अस्मिता लाल और एसपी अर्पित विजयवर्गीय मौके पर पहुंचे। राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया। अब तक 20 घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेजा जा चुका है, जबकि अन्य का इलाज चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए घायलों के समुचित इलाज और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। इस हादसे ने धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए अस्थायी ढांचे में लापरवाही आखिर कितने और निर्दोषों की जान लेगी? जहां एक ओर भगवान आदिनाथ की भक्ति में लीन श्रद्धालु, निर्वाण लड्डू चढ़ाने की तैयारियों में लगे थे, वहीं दूसरी ओर यह दर्दनाक हादसा उनके लिए हमेशा की याद बन गया। बागपत की यह सुबह, जो श्रद्धा का प्रतीक थी, अब मातम और आंसुओं की कहानी बन गई है।
दुनिया के सभी देशों में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) को मुट्ठी में करने की एक ऐसी जंग छिड़ी है, जिसमें हर गुजरते दिन के साथ नए डेवलपमेंट देखने या सुनने को मिल रहा है। इसी कड़ी में ताजा धमाका चीन ने किया है। बता दें, चीन का AI स्टार्टअप DeepSeek-R1 एक ऐसा सस्ता AI मॉडल लेकर आया है, जिसने अमेरिका के शेयर बाजार में खलबली मचा दी है। अमेरिका, चीन के इस नए AI मॉडल से किस कदर दहशत में है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी टेक कंपनियों को चेतावनी देते हुए इसे वेकअप कॉल बताया है। चीन की DeepSeek ने एक फ्री AI विकल्प लोगों के सामने पेश किया है। कंपनी का दावा है कि ये सस्ते चिप्स और कम डेटा का इस्तेमाल करता है। DeepSeek इस बात को भी चुनौती देता है कि AI का डेवलेपमेंट मुख्य रूप से चिप्स और डेटा सेंटर जैसे कंपोनेंट की मांग को बढ़ाएगा। हैरान करने वाली बात यह है कि DeepSeek-V3 मॉडल को सिर्फ 5.6 मिलियन डॉलर में बनाया गया है, जो OpenAi, Google, Meta द्वारा अपने AI मॉडल पर किये गए खर्च के सामने कुछ भी नहीं है। अब ऐसे में AI के क्षेत्र में चीन हिट होता नजर आ रहा है। इतना ही नहीं बीते दिन सोमवार को चिप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी Nvidia Corp के शेयरों में भूचाल आ गया। Chatgpt की ही तरह चीन के सस्ते AI मॉडल के खौफ में Nvidia के 600 बिलियन डॉलर चंद मिनटों में स्वाहा हो गए और ये दुनिया की सबसे बड़ी टेक जाइंट की मार्केट वैल्यू में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।
DeepSeek चीन का एक एडवांस्ड AI मॉडल है और इसे चीन की सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले Hangzhou में DeepSeek नाम की एक रिसर्च लैब ने डिवेलप किया है। चीन का DeepSeek AI दुनिया में लगातार कई बड़े कारनामे करता रहा है और हाल ही में उसने Chatgpt जैसे एक सस्ता AI मॉडल के जरिए दुनियाभर को हिला दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के एलान के बाद अमेरिकी मार्केट में Nvidia Corp के शेयरों में लगभग 14 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है, जो कंपनी की मार्केट वैल्यू में लगभग 500 बिलियन डॉलर है। इतना ही नहीं DeepSeek का AI असिस्टेंट अमेरिका के ऐप्पल ऐप पर ChatGPT को पीछे छोड़ते हुए नंबर एक पर पहुंच गया है। DeepSeek के आने के बाद अब Nvidia जैसी बड़ी टेक कंपनियों के लिए यह एक चुनौती है कि वे कैसे नए और सस्ते आर्टिफिशियाल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल्स से मुकाबला करेंगी। बता दें कि भारत में भी बीते दिन रिलायंस इंडस्ट्री ने दुनिया का सबसे बड़ा AI डेटा सेंटर बनाने की बात कही है और इस प्रोजेक्ट के लिए रिलायंस ने NVIDIA के साथ हाथ मिलाया है। इस सेंटर की कुल क्षमता 3 गीगावॉट होगी और दुनिया में इसका कोई मुकाबला नहीं होगा। इसके अलावा अमेरिका के माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और गूगल जैसे टेक जाइंट्स AI सर्विसेज की हाई डिमांड को पूरा करने के लिए डेटा सेंटर कैपेसिटी को बढ़ाने पर अरबों डॉलर्स खर्च कर रहे हैं।
तेजी से बदलती दुनिया में हर दिन टेक्नोलॉजी के फ्रंट पर नए-नए बदलाव देखने को मिल रहे है और इसकी वजह से हालत ये है कि एक टैक्नालॉजी आने के कुछ ही साल के अंदर वो पुरानी हो जाती है और नई टैक्नालॉजी उसकी जगह ले लेती है। दुनिया की तमाम कंपनियों और उनके रिसर्च सेंटर्स में टैक्नालॉजी की कई जनरेशन पर एक ही साथ काम चल रहा है। इसी टैक्नालॉजी में से एक है आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) है। AI एक ऐसा बदलाव है जिसे लेकर जितना कहा जाए, उतना कम है। AI के आने से सोसाइटी के एक सेगमेंट के लिए इसे नई सुविधाओं और सहूलियतों का सबसे बड़ा जरिया माना जा रहा है तो वहीं ये कइयों के लिए आने वाले दिनों में चिंता का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। बता दें, आने वाले समय में दुनिया में किसी भी देश के लिए अपना दबदबा अब सिर्फ सैन्य या आर्थिक ताकत के भरोसे कायम करना संभव नहीं है। दबदबे की इस लड़ाई में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) में जो देश आगे होगा वो दुनिया पे राज करेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया में बहुत तेजी से power dynamics को बदल रहा है और मौजूदा समय में इस होड़ में सबसे आगे दो देश अमेरिका और चीन हैं। हालांकि कई जानकारों का मानना है कि AI के क्षेत्र में भारत में भी काम तेज हुआ है। AI के क्षेत्र में भारत में बड़ी तेजी से नई कंपनियां और स्टार्टअप उभर रहे हैं, लेकिन भारत में अभी वो तूफानी तेजी आना बाकी है जो चीन और अमेरिका को टक्कर दे सके।
भारत जैसे विविधता से भरे देश में लंबे समय से चली आ रही एक बड़ी बहस अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है और इस कड़ी में उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को अपने प्रदेश में लागू कर दिया है। बता दें, उत्तराखंड के UCC में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन के लिए कानून हैं और यह देश के बाकी राज्यों से अलग है। UCC लागू होने के साथ अब उत्तराखंड में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कानून प्रभावी नहीं होगा। प्रदेश में इस कानून को लागू करने से पहले राज्य सरकार ने इसे लेकर लोगों को जागरूक भी किया था। UCC के नियम लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली, लोगों से इसे लेकर विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी। इसके लिए एक विशेषज्ञों की कमिटी बनाई गई थी। सरकार द्वारा UCC का लेकर एक पोर्टल भी आज लॉन्च किया गया है। बताता चलें की ये कानून अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू होगा।
यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में SDM रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत, नगर पालिकाओं में संबंधित SDM रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे और केंट क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या CEO द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे,जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे। नए कानून के तहत अगर रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड होकर रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर मामले में अपना आदेश जारी करेंगे। रजिस्ट्रार को लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देना होगा। सब रजिस्ट्रार को सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच व आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना होगा। इसके अलावा समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना, साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता-पिता या अभिभावकों को देना होगा।
26 मार्च 2010 से नए कानून लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का रजिस्ट्रेशन अगले छह महीने में करवाना होगा, वहीं इसके लागू होने के बाद होने वाले विवाह का रजिस्ट्रेशन विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा। संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का, संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। तलाक या विवाह समाप्त के लिए आवेदन करते समय, विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह समाप्ति की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी होना अनिवार्य होगा। वसीयत तीन तरह से हो सकेगी- पोर्टल पर फार्म भरके, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट के विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए। यदि सब रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है। सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है। रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है। आवेदक अपनी अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर कर सकेंगे।
बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी का अचानक संन्यासी जीवन अपनाकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने का फैसला महाकुंभ में बड़ा विवाद बन गया है। जहां किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इसे धर्म की सेवा का एक कदम बताया, वहीं योग गुरु बाबा रामदेव, बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री और कई संत समाज ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। क्या यह कदम धर्म और साधना की पवित्रता को प्रभावित कर रहा है? ममता, जिन्होंने 90 के दशक में अपनी बोल्ड छवि और ग्लैमर से सुर्खियां बटोरी थीं, 24 सालों के बाद भारत लौटीं और सीधे महाकुंभ में पहुंचकर सबकुछ त्यागने की घोषणा की। किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को दीक्षा देकर महामंडलेश्वर की उपाधि दी, लेकिन इस कदम ने संत समाज में तीखा विवाद खड़ा कर दिया।
योगगुरु बाबा रामदेव ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "संतत्व प्राप्त करने के लिए वर्षों की कठोर साधना और तपस्या की आवश्यकता होती है। एक दिन में कोई भी संत या महामंडलेश्वर नहीं बन सकता। आजकल किसी की भी मुंडी पकड़कर उसे महामंडलेश्वर बना दिया जा रहा है।" रामदेव ने महाकुंभ में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अश्लील रील्स पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, "कुंभ सनातन धर्म का महापर्व है, जहां स्नान, ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा का शुद्धिकरण होता है। लेकिन इसे नशा, अश्लीलता और फूहड़ता से जोड़कर इसकी गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है।" इसपर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर गहरी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "महामंडलेश्वर जैसी प्रतिष्ठित उपाधि संत समाज में बहुत महत्व रखती है। इसे प्राप्त करने के लिए वर्षों का त्याग और तपस्या जरूरी है। लेकिन आजकल यह उपाधि ऐसे लोगों को दी जा रही है, जिन्होंने कभी साधना का अर्थ भी नहीं समझा।"
संत समाज का एक बड़ा वर्ग इस घटना को सनातन धर्म की परंपराओं और पवित्रता पर आघात मान रहा है। कई संतों का मानना है कि धर्म के नाम पर ऐसे फैसले न केवल सनातन की छवि को धूमिल करते हैं, बल्कि इसका मजाक भी उड़ाते हैं। दूसरी ओर, किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "ममता ने अपना पूरा जीवन सनातन धर्म की सेवा के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया है। उनके अंदर धर्म और साधना के प्रति गहरा सम्मान है, और उन्होंने संन्यास के सभी नियमों का पालन किया है।" ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। जहां कुछ लोग इसे धर्म की नई शुरुआत बता रहे हैं, वहीं कई इसे सनातन धर्म और साधु समाज की गरिमा के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं। ममता कुलकर्णी का अचानक संन्यासी जीवन अपनाकर महामंडलेश्वर बनना सिर्फ एक व्यक्तिगत फैसला नहीं है। यह घटना धर्म, साधना, और परंपराओं पर एक नई बहस को जन्म दे चुकी है। क्या ऐसे फैसले धर्म की गरिमा बढ़ाते हैं या इसकी पवित्रता को कमजोर करते हैं? यह सवाल महाकुंभ के मंच पर गहराता जा रहा है।
भारतीय मछुआरों के मुद्दे पर भारत ने श्रीलंका के सामने अपनी नाराजगी जताई है। इस मामले में श्रीलंका के कार्यवाहक राजदूत को तलब कर विदेश मंत्रालय द्वारा कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है। विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में बताया की आज सुबह डेल्फ्ट द्वीप के नजदीक 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई नौसेना की ओर से गोलीबारी की घटना की सूचना मिली। मछली पकड़ने वाली नाव पर सवार 13 मछुआरों में से दो श्रीलंकाई नौसेना की गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए और घायलों का इलाज जाफना के एक अस्पताल में चल रहा है। तीन अन्य मछुआरों को मामूली चोटें आईं हैं और उनका भी इलाज किया गया है। जाफना में भारतीय कांसुलेट के अधिकारियों ने घायल मछुआरों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हालचाल जाना, साथ ही मछुआरों और उनके परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान भी की। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा, नई दिल्ली में श्रीलंका के कार्यवाहक उच्चायुक्त को आज सुबह विदेश मंत्रालय में बुलाया गया और इस घटना पर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। कोलंबो में हमारे उच्चायोग ने भी इस मामले को श्रीलंका सरकार के विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है। भारत सरकार ने हमेशा मछुआरों से जुड़े मुद्दों को मानवीय तरीके से निपटाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा की भारत किसी भी परिस्थिति में भारतीय मछुआरों के विरुद्ध बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं करेगा और इस मामले में दोनों देशों की सरकारों के बीच के मौजूदा सहमति का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
मछुआरों पर गोली चलाने और उन्हें नाव सहित गिरफ्तार करने की घटना ने खलबली मचा दी है। मछुआरों के गांव के लोगों ने इकट्ठा होकर मछुआरों पर गोली चलाने की निंदा की और केंद्र व राज्य सरकारों से मछुआरों और उनकी नाव को रिहा करने का अनुरोध किया। पुदुचेरी सरकार के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सरकार मछुआरों और उनकी नौका को छुड़वाने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग करेगी, गिरफ्तार किए गए मछुआरों के नामों का पता लगाया जा रहा हैं। पुडुचेरी के मत्स्य पालन मंत्री के. लक्ष्मीनारायणन ने दावा किया कि नौका सहित मछुआरों की रिहाई के लिए सरकार विदेश मंत्री से संपर्क में है। ये मछुआरे कुछ दिन पहले मछली पकड़ने निकले थे। वहीं, श्रीलंकाई नौसेना का दावा है कि मछुआरे मुलातिवु जल क्षेत्र में मछली पकड़ रहे थे जो की श्रीलंका की समुद्री सीमा में है। उनके अनुसार जब मछुआरे जब भागने लगे, तो उन पर गोली चलाई गई। श्रीलंकाई नौसेना ने बंदूक की नोंक पर नाव में सवार सभी 13 मछुआरों को गिरफ्तार किया था और उनकी गोलीबारी में दो मछुआरे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस बीच तमिलनाडु AIADMK प्रमुख और विपक्ष के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने श्रीलंका द्वारा मछुआरों के मुद्दे पर मंगलवार को राज्य की सत्ताधारी DMK सरकार की आलोचना की।