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Breaking News 27 October 2025

1 )  दिल्ली में अब छठ पूजा का क्रेज बढ़ा : क्या है तैयारियां? 

दिल्ली में इस बार छठ पूजा का उत्साह रिकॉर्ड स्तर पर है। कभी बिहार और पूर्वांचल तक सीमित रहने वाला यह पर्व अब राष्ट्रीय राजधानी की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। राजधानी के यमुना किनारे और अन्य इलाकों में इस बार करीब 1,500 घाटों पर पूजा की भव्य तैयारियाँ की गई हैं। प्रशासन ने इनमें से 23 मॉडल घाटों को विशेष रूप से विकसित किया है, जहाँ शाम को “संध्या अर्घ्य” के दौरान लाखों श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करेंगे। आज 27 अक्टूबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य दिवस कहा जाता है। सुबह से ही श्रद्धालु घाटों की ओर रुख कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने इस अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, ताकि लोग पारंपरिक तरीके से पूजा कर सकें। दिल्ली पुलिस ने घाटों पर भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक प्रबंधन के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है। कई मार्गों पर डायवर्जन लागू हैं, खासकर यमुना पार, कालकाजी, मयूर विहार और नरेला क्षेत्रों में। प्रशासन के मुताबिक, दिल्ली में इस बार घाटों पर सुरक्षा, सफाई, लाइटिंग, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की पूरी व्यवस्था की गई है। एनडीएमसी, एमसीडी और दिल्ली जल बोर्ड को घाटों पर विशेष निगरानी का निर्देश दिया गया है। यमुना के किनारे बने अस्थायी घाटों पर नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की टीमें भी तैनात हैं। दिल्ली में छठ पूजा के बढ़ते प्रभाव का मुख्य कारण यहाँ की बड़ी पूर्वांचली आबादी है दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लाखों प्रवासी परिवार इस पर्व को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव के रूप में देखते हैं। यह वही वर्ग है जिसने दिल्ली के कामकाजी और जनसांख्यिक स्वरूप को आकार दिया है। अब उनके पर्व भी दिल्ली की जीवनशैली का हिस्सा बन चुके हैं। पहले यह पर्व सीमित इलाकों  जैसे लखनगर, त्रिलोकपुरी, मयूर विहार और बुराड़ी में मनाया जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह राजधानी के लगभग हर हिस्से में फैल चुका है। सरकार और प्रशासनिक समर्थन के कारण इसकी पहुँच अब गाँव या मोहल्लों से निकलकर बड़े सार्वजनिक स्थलों तक हो गई है। दिल्ली सरकार का कहना है कि छठ पूजा अब शहर की विविध संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि "दिल्ली की आत्मा उसकी विविधता में है, और छठ इसका सबसे सुंदर उदाहरण है।" शाम होते ही यमुना घाटों पर सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और कल सुबह उषा अर्घ्य के साथ पर्व का समापन होगा। इस दौरान घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति की उम्मीद है। पुलिस ने अपील की है कि लोग निर्धारित मार्गों का पालन करें और भीड़ वाले इलाकों में सावधानी बरतें।  संक्षेप में कहा जाए तो दिल्ली में छठ पूजा अब केवल मनाई नहीं जाती, बल्कि यह राजधानी की सामूहिक संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है।

 

2 )  देश के कई राज्यों में तूफ़ान का ख़तरा, सरकार हाई अलर्ट पर

भारत के पूर्वी तट पर एक बार फिर मौसम का मिज़ाज बिगड़ चुका है। बंगाल की खाड़ी में उठे Cyclone Montha ने अब तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ ली है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार यह चक्रवात 28 अक्टूबर की शाम या रात को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के आसपास ज़मीन से टकरा सकता है। इसके असर से अब न सिर्फ़ आंध्र बल्कि ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल तक कई राज्यों में भारी बारिश और तेज़ हवाओं का ख़तरा मंडरा रहा है। कई इलाकों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, ट्रेनें रद्द की गई हैं और तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।

अक्टूबर-नवंबर का महीना बंगाल की खाड़ी के लिए सबसे संवेदनशील माना जाता है। इस समय समुद्र का तापमान अधिक होता है, जिससे उष्णकटिबंधीय ऊर्जा पैदा होती है और वही एक चक्रवात का रूप ले लेती है। यही कारण है कि इस मौसम में अधिकांश शक्तिशाली तूफ़ान इसी क्षेत्र में बनते हैं। मौसम विभाग ने साफ़ कहा है कि “Montha” अगले 24 घंटों में Severe Cyclonic Storm बन सकता है, जिसकी गति 100 से 110 किमी प्रति घंटा तक पहुँच सकती है।

राज्य-वार स्थिति : आंध्र प्रदेश:
सबसे बड़ा ख़तरा यहीं है। तटीय ज़िलों काकीनाडा, मचिलीपट्टनम, श्रीकाकुलम और विजयनगरम में रेड अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने अब तक लगभग 50 हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। सभी मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया गया है और NDRF-SDRF की टीमें मैदान में हैं। विशाखापट्टनम-चेन्नई सहित कई ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं।

ओडिशा:
यहाँ तूफ़ान के सीधे टकराने की संभावना भले कम हो, लेकिन तेज़ हवाएँ और भारी बारिश का असर दक्षिणी ज़िलों में रहेगा। सरकार ने 128 रेस्क्यू टीमों को तैयार रखा है और निचले इलाकों में अलर्ट जारी है।

तमिलनाडु व तेलंगाना:
चेन्नई सहित तटीय तमिलनाडु में समुद्र में तेज़ लहरें उठ रही हैं। कई इलाकों में भारी वर्षा की संभावना है। तेलंगाना के कुछ ज़िलों  खम्मम, नलगोंडा और महबूबनगर में अगले दो दिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।

पश्चिम बंगाल:
उत्तर बंगाल में 28 से 31 अक्टूबर के बीच भारी वर्षा का पूर्वानुमान है। दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार जैसे ज़िलों में प्रशासन ने सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

केरल और कर्नाटक:
यहाँ सीधा खतरा नहीं है, लेकिन समुद्र की स्थिति “रफ” बनी हुई है। मौसम विभाग ने नावों और छोटी नौकाओं को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी है। केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्थिति की समीक्षा की है, जबकि आंध्र और ओडिशा सरकारें राहत कार्यों की मॉनिटरिंग कर रही हैं। तटीय ज़िलों में राहत शिविर, फूड पैकेट, पीने के पानी की व्यवस्था, और बिजली-संचार लाइनें सुरक्षित करने के आदेश जारी किए गए हैं। रेलवे और एयरपोर्ट प्राधिकरण ने भी इमरजेंसी कंट्रोल रूम बनाए हैं ताकि किसी आपदा की स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। IMD का अनुमान है कि लैंडफॉल के बाद यह तूफ़ान धीरे-धीरे कमजोर पड़ते हुए उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ेगा। इसके कारण तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश के आसार हैं। 29–30 अक्टूबर तक यह सिस्टम कमजोर होकर डिप्रेशन में बदल सकता है, लेकिन तब तक इसका असर कई राज्यों में देखने को मिलेगा।क्यों ज़रूरी है सतर्क रहना भारत हर साल औसतन पाँच बड़े चक्रवातों का सामना करता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने अब उनके पैटर्न को और अप्रत्याशित बना दिया है। “Montha” उसी का एक उदाहरण है तेज़ी से बनना, अचानक दिशा बदलना, और बेहद कम समय में खतरनाक ताक़त पकड़ लेना। यही वजह है कि सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी सतर्क रहना होगा।
सावधानी ही सुरक्षा घरों में बिजली मेन-स्विच बंद रखें। तीन दिन का सूखा भोजन, पानी और टॉर्च तैयार रखें। तटीय इलाकों में रहने वाले लोग तुरंत सरकारी निर्देशों का पालन करें। अफ़वाहों से बचें, केवल IMD या राज्य सरकार के अपडेट्स पर भरोसा करें। सब्सक्राइब करें ग्रेट पोस्ट न्यूज़।