महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो चुके हैं। एक ओर जहां झारखंड में इंडि गठबंधन को जीत मिली है तो वहीं महाराष्ट्र में लगातार तीसरी बार 100 से अधिक सीट जीतकर भाजपा नंबर एक पार्टी बनकर उभरी है। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए को महाराष्ट्र की जनता ने विधानसभा चुनाव 2024 में सर्वाधिक 288 में से 235 सीट दिया है। महाराष्ट्र में जनता ने बीजेपी को अकेले 132 सीट, शिवसेना (शिंदे) को 57 सीट और एनसीपी (अजीत) को 41 सीट के साथ अब तक का सबसे बड़ा जनादेश दिया है, बावजूद इसके अगर महायुति गठबंधन कल तक मुख्यमंत्री चुनने में विफल रही तो सरकार का गठन उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल आज यानी मंगलवार, 26 नवंबर को खत्म हो रहा है और इसके खत्म होने से पहले महाराष्ट्र में सरकार का गठन जरूरी है, क्यूंकि ऐसा नहीं होने पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ सकता है। महाराष्ट्र के अगले सीएम को लेकर एनडीए के सभी दलों में बैठकों का दौर जारी है। मुख्यमंत्री पद पर एकमत होने के लिए बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के बीच बातचीत चल रही है। इसी बीच राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, नई सरकार बनने तक वह कार्यवाहक सीएम बने रहेंगे।
सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में 29-30 तारीख को शपथ ग्रहण संभव है। वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार एनडीए का हिस्सा और एनसीपी प्रमुख अजित पवार पूर्व सीएम और मौजूद डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस क मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में हैं और अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हो सकते हैं। बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को ऐतिहासिक सफलता मिली है। भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है, बीजेपी को अकेले अपने दम पर 132 सीटों पर जीत मिली है, ऐसे में पार्टी सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के अनुसार सीएम पद इस बार बीजेपी के हिस्से में जाना तय है। बता दें, 288 सीटों वालाी महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 145 विधानसभा सदस्यों का होना अनिवार्य है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए 235 सीट जीतने में सफल रही है, जो की सरकार बनाने के लिए बहुमत के आकंड़े से 90 सीट ज्यादा है।
देवेंद्र फडणवीस के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की चर्चा के बीच, शिवसेना के विभिन्न नेताओं ने बयान दिया कि शिंदे को पद पर बने रहना चाहिए, क्योंकि मुख्यमंत्री के रूप में भारी जीत उनके नेतृत्व में ही मिली है। इसी बीच आज यानि मंगलवार को शिवसेना के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। शिवसेना के सांसद पीएम मोदी से एकनाथ शिंदे को सीएम बनाए रखने की मांग करेंगे। शिवसेना ने बिहार और हरियाणा का उदाहरण देते हुए शिंदे को ही सीएम बनाए जाने की उम्मीद जतायी है। पार्टी का कहना है कि हमें पूरा विश्वास है कि जैसे बिहार में कम सीटों के बाद भी नीतीश कुमार सीएम बनाए गए और हरियाणा में नायब सैनी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया और बीजेपी ने वहां उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया, वैसा ही महाराष्ट्र में भी किया जाएगा। वहीं सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिंदे को 'ना' कहने का मन बना लिया है, क्यूंकि इस बार महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी सबसे ज्यादा सीटें जीतकर आई है और अगर ऐसे में पार्टी इस बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवसेना को दे देती है तो कार्यकर्ताओं मनोबल गिरेगा, जिन्होंने पार्टी को जीतने के लिए दिन-रात दिया था। सूत्रों का कहना है कि अगर गठबंधन को मामूली बहुमत मिलता तो शायद शिंदे को सीएम पद से हटाना मुश्किल होता, लेकिन बीजेपी ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया है और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री की कुर्सी फडणवीस के पाले में जाना लगभग तय है।
देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुंबई में 26 नवंबर, 2008 में हुए आतंकी हमले की आज 15वीं बरसी है। पाकिस्तान से नाव में आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने पूरी मायानगरी को बंधक बना लिया था। 26/11 का मुंबई हमला भारत के इतिहास में दर्ज वो काला दिन है, जिसे चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता है। पाकिस्तान से समुद्री मार्ग से आए 10 आतंकवादियों ने यहूदियों के केंद्र चाबाड हाउस समेत कई जगहों पर हमला कर दिया था। बम धमाकों और गोलीबारी के बीच एक तरह से करीब 60 घंटे तक मुंबई बंधक बनी रही। आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोगों की जान ले ली थी और इस हमले में 600 से अधिक लोग घायल हुए थे। आतंकियों का सामना करते हुए मुंबई पुलिस, होमगॉर्ड, ATS, NSG कमांडों सहित कुल 22 सुरक्षाबलों ने अपना बलिदान दिया था। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने दस में से नौ आतंकियों को मौके पर ढेर कर दिया था, जबकि एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया था, जिसे बाद में कानूनी प्रक्रिया के तहत फांसी दे दिया गया। बता दें, पाकिस्तान से आए आतंकियों ने दो फाइव स्टार होटल (होटल ताज और ओबेरॉय), छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) रेलवे स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और यहूदी केंद्र नरीमन हाउस को निशाना बनाया था। भारत द्वारा इस आतंकी हमले से जुड़े तमाम सबूत दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान ने लश्कर के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया।
26/11 मुंबई हमलों की छानबीन से जो कुछ सामने आया है, वह बताता है कि 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे। बता दें, रास्ते में आतंकियों ने एक मछली पकड़ने वाली छोटी नाव को हाइजैक कर लिया। इस दौरान उन्होंने नाव के 4 क्रू मेंबर्स को मौत के घाट उतार दिया और कैप्टन को नाव भारत लाने के लिए मजबूर किया। शाम को मुंबई के समुद्र तट से करीब 7 किमी दूर नाव के पहुंचते ही आतंकवादियों ने कैप्टन को मार दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रात के तकरीबन आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे और वहाँ से ये चार के ग्रुप में अलग-अलग बँट गए और टैक्सी लेकर आतंकी मंसूबों को अंजाम देने मुंबई में अपने टारगेट की तरफ निकल गए। हमले से कुछ देर पहले ही नरीमन हाउस बिजनेस एंड रेसीडेंशियल कॉम्प्लेक्स के पास के गैस स्टेशन में बड़ा धमाका भी हुआ था, जिसके बाद नरीमन हाउस में मौजूद लोग बाहर की तरफ आए और इसी दौरान आतंकियों ने उन पर अंधाधुन फायरिंग कर दी। सबसे बड़ा हमला होटल ताज पर था यदि आतंकी यहाँ अपने मंसूबों में पूरी तरह कामयाब हो जाते तो इतिहास में इस दिन की चोट और भी गहरी होती। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को कई जगहों पर हुए आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे जिनमें कई इजराइली नागरिक भी शामिल थे, जिसके बाद इजरायल ने पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन की सूची में डाल दिया। इजरायल द्वारा बयान में कहा गया कि लश्कर-ए-तैयबा एक घातक आतंकवादी संगठन है जो सैकड़ों भारतीयों और विदेशी नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार है। 26 नवंबर, 2008 को किए गए उसके जघन्य अपराध शांति चाहने वाले सभी देशों और समाजों के लिए खतरा है।
साल 2008, 26 नवंबर की रात को एका-एक मायानगरी मुंबई गोलियों की आवाज से दहल उठी। पकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई के दो फाइव स्टार होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। शुरू में किसी को अंदाजा भी नहीं था कि इतना बड़ा हमला हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे इस हमले के पैमाने का अनुमान लगना शुरू हुआ। 26 नवंबर की रात में ही मुंबई पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते यानि ATS के प्रमुख हेमंत करकरे समेत मुंबई पुलिस के कई आला अधिकारी भी इस हमले में अपनी जान गँवा बैठे। पाकिस्तानी आंतकियों से लड़ते-लड़ते देश के कई वीर जाँबाजों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। मुंबई पुलिस के बहादुर पुलिसकर्मी, ATS के जवानों और NSG कमांडो सहित तमाम सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों का डटकर सामना किया और 10 में से 9 आतंकियों को मारकर लोगों की जान बचाई। इन जाबाजों में से कुछ चेहरे इस प्रकार हैं;
1.) मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे, उनके पास आतंकी हमले को लेकर क्राइम ब्रांच ऑफिस से जैसे ही फोन आया करकरे तुरंत घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा सँभाला। हालाँकि, कामा हॉस्पिटल के बाहर चली मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियाँ लगने से वह बलिदान हो गए। बाद में मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
2.) अशोक काम्टे जो उस समय मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे। जिस वक्त मुंबई पर आतंकी हमला हुआ, वह एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। तभी एक गोली उनके सिर में जा लगी। घायल होने के बावजूद उन्होंने लश्कर आतंकी इस्माइल खान को मार गिराया।
3.) कभी मुंबई अंडरवर्ल्ड के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई फायरिंग में हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ आतंकियों की गोली लगने से बलिदान हो गए थे। विजय सालस्कर को भी मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
4.) मुंबई पुलिस के ASI तुकाराम ओंबले, जिनके कारण ही भारत को कसाब को जिंदा पकड़ने में कामयाबी मिली। जब गिरगाँव चौपाटी पर अजमल कसाब से उनका सामना हुआ, तब वह पूरी तरह निहत्थे थे। यह जानने के बावजूद कि सामने वाले के हाथों में एके-47 है, वह अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकी कसाब पर टूट पड़े। इस दौरान उन्हें कई गोलियाँ लगीं और वह बलिदान हो गए, लेकिन उन्होंने कसाब पर अपनी पकड़ ढीली नहीं की। बलिदानी तुकाराम ओंबले को उनकी इस जाँबाजी के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
5.) मेजर संदीप उन्नीकृष्णन नेशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स (NSG) के कमांडो थे। वह 26/11 एनकाउंटर के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे, जिसमें 51 कमांडो थे। जब वो होटल ताज पैलेस और टावर्स होटल पर कब्जा जमाए आतंकियों से लड़ रहे थे तो एक आतंकी ने पीछे से उन पर हमला किया, जिससे घटनास्थल पर ही वह बलिदान हो गए। मरणोपरांत 2009 में उनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। उनके अलावा एनएसजी कमांडो गजेंद्र सिंह, 51 SAG (स्पेशल एक्शन ग्रुप) का हिस्सा थे, वो नरीमन हाउस को खाली कराते समय वीरगति को प्राप्त हुए, आतंकियों द्वारा फेंका गया एक ग्रेनेड उनके पास ही फट गया, जिससे गंभीर रूप से घायल होने के कारण वो वीरगति को प्राप्त हो गए।
आज भारतीय शेयर बाजार हल्की गिरावट के साथ खुला ,लेकिन इसके बावजूद बाजार में काफी उथल पुथल हो रही है | अडानी के मामले के बाद भी अडानी के शेयर्स में भारी तेजी देखी गयी है | आज NIFTY 50, 15.05 अंकों की गिरावट के साथ 24,179.45 पर कारोबार कर रहा है। Sensex ने भी मामूली गिरावट दर्ज की है। हालांकि, मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में सकारात्मक रुझान देखा गया, जिसमें Nifty Midcap 100, 78.20 अंकों (0.14%) और Nifty Smallcap 100, 141.55 अंकों (0.78%) की बढ़त पर हैं।इसके साथ ही NTPC, कोटक महिंद्रा बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, और एचसीएल टेक के शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया।हालांकि टाटा स्टील, और भारती एयरटेल के शेयरों में गिरावट देखी गई। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 26 नवंबर को ₹1,157 करोड़ के शेयर खरीदे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹1,910 करोड़ के शेयर बेचे। इसका असर बाजार पर हल्की गिरावट के रूप में दिखा।इस समय सभी अडानी समूह के शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं, जिससे बाजार को स्थिरता मिली है। एशियाई बाजारों में मिलाजुला रुख देखा गया, जहां हांगकांग और शंघाई सकारात्मक थे, लेकिन जकार्ता और सियोल में गिरावट रही। अमेरिका के बाजार पिछले दिन हरे निशान पर बंद हुए, जिसका सीमित सकारात्मक असर भारतीय बाजार पर है।बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप निवेशकों के लिए बेहतर अवसर हैं। FIIs की खरीदारी से संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार को लेकर पॉजिटिव हैं। छोटे निवेशकों के लिए लाभ कमाने का मौका स्मॉलकैप इंडेक्स में देखा जा सकता है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड शेयर पिछले एक महीने में 18.79% गिरावट आई। वही अगर बात करें इस शेयर के पिछले छह महीने के डाटा पर तो इस शेयर में 52.31% गिरावट आई हैं। इस स्टॉक ने पिछले साल 50.74% की गिरावट दर्ज़ की थी | VI ने पिछले 5 साल में सिर्फ 2.29% का रिटर्न दिया है। VI ने साल भर में 60.59% की गिरावट दर्ज़ की है ,जो काफी निराश करने वाली बात है |
अडानी ग्रुप के स्टॉक्स ने आज एक बड़ी रिकवरी दिखाई, जबकि इससे पहले यह भारी गिरावट के दौर से गुजर रहे थे। इस उतार-चढ़ाव का कारण अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप थे, जिसने अडानी की कंपनियों के निवेशकों और बाजारों में विश्वास को प्रभावित किया था। हालांकि, बुधवार को शेयर बाजार में सुस्ती के बावजूद अडानी स्टॉक्स ने तगड़ी तेजी दिखाई। विशेष रूप से, अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर में 20% तक की गिरावट आई थी, लेकिन कुछ समय बाद इसमें सुधार हुआ। अडानी ग्रीन एनर्जी और अन्य कंपनियों के शेयरों में भी उतार-चढ़ाव देखा गया, और कुछ स्टॉक्स ने 15% तक की गिरावट दर्ज की थी। इस सब के बावजूद, बाजार में अडानी ग्रुप के प्रति विश्वास को लेकर मिश्रित संकेत हैं। अडानी ग्रुप ने हाल ही में अमेरिका में अपनी 600 मिलियन डॉलर की बॉन्ड ऑफरिंग को रद्द कर दिया था, लेकिन बुधवार की तेजी से पता चलता है कि निवेशक अभी भी ग्रुप के लोंगटर्म ग्रोथ में विश्वास करते हैं। यह तेजी एक संकेत हो सकती है कि बाजार के कुछ हिस्से इन हालात को अस्थायी मानते हुए अडानी ग्रुप की संभावनाओं में विश्वास रखते हैं।
आज हम बात करेंगे ऐसी खबर की जिसने पूरे धार्मिक जगत को शोक में डाल दिया है ।मथुरा के वृन्दावन में प्रसिद्ध प्रेम मंदिर की स्थापना करने वाले जगद्गुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी, विषाखा त्रिपाठी, का एक भयानक हादसे में निधन हो गया। विषाखा जी जगद्गुरु कृपालु परिषद (JKP) की अध्यक्ष थीं और उन्होंने मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और समाजसेवा मेंकाफी योगदान दिया है । विसाखा जी का JKP संगठन गरीबों के लिए एक मसीहे की तरह काम करता है | हालांकि इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या ये एक महज हादसा था या एक सोची साजिश थी, इस घटना के बाद JKP परिषद के अनुयायि काफी शोक में है । बता दे जगद्गुरु कृपालु महाराज का भी निधन काफी रहस्य्मयी तरीके से हुआ था |
24 नवंबर, रविवार सुबह के 3.30 बजे थे नॉएडा के यमुना expressway के दनकौर कोतवाली थाना क्षेत्र के 8 किलोमीटर के बोर्ड के पास इनोवा हाईक्रोस और टोयटा में 8 लोग सवार थे , जिसमे विषाखा त्रिपाठी उनकी दोनों बहने , श्यामा त्रिपाठी और कृष्णा त्रिपाठी के अलावा 3 और महिलाएं और 2 ड्राइवर सवार थे, तभी तेज रफ्तार से आ रहे एक डंपर ट्रक ने इतनी जोर से टक्कर मारी कि दोनों कारें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए । इसके घटना के बाद सभी को नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल में तुरंत ले जाया गया गया । दुख की बात ये है कि विशाखा जी का वही निधन हो गया । बाकी उनकी दोनों बहनों को भी गंभीर चोटे आई है, इसके अलावा बाकी लोगों की भी हालत गंभीर बताएं जा रही है सूत्रों के मुताबिक विसाखा जी दिल्ली के द्वारका सेक्टर १० में रहती थी वो अपनी बहनों के साथ दिल्ली एयरपोर्ट के लिए रवाना हो रही थी।, उन्हें फ्लाइट से सिंगापूर जाना था | हालांकि दनकौर कोतवाली पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी का नाम बबलू उर्फ उपेंद्र कुमार है ये राजा का ताल फिरोजाबाद का निवासी है, वहीं, फिरोजाबाद के आरोपी ड्राईवर सोनू की तलाश की जा रही है। ऐसा कहा जाता है कि प्रेम मंदिर को बनवाने में लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जिसमे इटैलियन करारा संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है. मंदिर 54 एकड़ में फैला है| विशाखा त्रिपाठी जी का पार्थिव शरीर सोमवार को वृंदावन पहुंचा, पहले ही दिन उनको देखने के लिए करीब तीन हजार लोगो की भीड़ उमड़ गयी |परिसद ने कहा है की २८ नवंबर को उनका दाह संस्कार किया जायेगा |
संभल हिंसा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने अब तक 100 उपद्रवियों की पहचान कर ली है और उनकी धरपकड़ जारी है। घटना के दौरान कुछ दंगाइयों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और हालात को और बिगाड़ने की कोशिश की। पुलिस ने वीडियो फुटेज के आधार पर उन पर कार्रवाई की योजना बनाई है। इस हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जिनकी पहचान मोहल्ला कोट गर्वी निवासी नईम, सरायतरीन निवासी बिलाल और हयातनगर निवासी नोमान के रूप में की गई है। वहीं, 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ को गोलियां लगी हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों को आग के हवाले कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। जामा मस्जिद के पिछले हिस्से में स्थित हाफिजों वाली मस्जिद वाली सड़क से भीड़ एकत्र हुई थी। इसका प्रमाण ड्रोन कैमरे से बनाई गई वीडियो से मिलता है। इससे यह भी साफ होता है कि इस सड़क पर पुलिस का कोई पहरा नहीं था। इसलिए भीड़ धीरे-धीरे एकत्र होनी शुरू हुई और 10 मिनट में सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्र हो गए। जब भीड़ बढ़ी तो पहले उन्होंने निजी वाहनों में तोड़फोड़ शुरू की। इस समय तक पुलिस और भीड़ के बीच करीब 30 मीटर की दूरी थी। तोड़फोड़ के बाद भीड़ उग्र हो गई और इसके बाद ही आगजनी की गई।
संभल में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने यूपी सरकार को रिपोर्ट भेजी है, जिसमें हिंसा की गंभीरता और घटनाओं का पूरा विवरण दिया गया है। यह हिंसा 24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की, जब कुछ दंगाइयों ने पुलिस पर हमला किया और विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति को काबू में करने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और 12वीं तक के स्कूलों को भी बंद करने का आदेश दिया गया है। यह हिंसा जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के विरोध में हुई, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था। पुलिस प्रशासन ने सर्वे की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए, लेकिन उपद्रवियों ने गोलियां चलाकर और पथराव कर स्थिति को और भी बिगाड़ दिया।
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद से ही बांग्लादेश में प्रदर्शनों का दौर जारी है। ISKCON ने बांग्लादेश ISKCON के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए बांग्लादेश सरकार की निंदा की। ISKCON ने अपने बयान में कहा कि हम बांग्लादेश की सरकार से अपील करते हैं कि वो देश में ऐसा माहौल बनाए, जिसमें सभी धर्मों के लोग शांति से साथ मिलजुलकर रह सकें। ISKCON ने कहा कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को समय-समय पर उठाते रहे हैं और सरकार को भी बिना किसी भेद-भाव के अपने देश के नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। इISKCON ने सरकार के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं, जिनमें इस्कॉन ने सनातन धर्म के लोगों पर हमले में सम्मिलित सभी दोषियों पर तत्काल कार्रवाई, बांग्लादेश ISKCON के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास और अन्य सनातनियों के अधिकारों की सुरक्षा, देश में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की गई है। ISKCON ने कहा कि बांग्लादेश हमारा जन्मस्थान है और हमारे पूर्वजों का घर है। हमें बांग्लादेश का नागरिक होने पर गर्व है, यहां इस धरती पर हमारे कई आचार्य, ऋषि-मुनि और संत पैदा हुए। बांग्लादेश के नागरिक होने के नाते हम चाहते हैं कि बांग्लादेश की मौजूदा और आगामी सरकारों के साथ हमारा शांतिपूर्ण सहयोग बना रहे, लेकिन हमारी सरकार से मांग है कि वो न्याय सुनिश्चित करे और देश के हर नागरिक को उसके धर्म और परंपराओं का पालन करने की स्वतंत्रता मिले।
बीते दिन मंगलवार, 27 नवंबर को बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर किया गया। बांग्लादेश की कोर्ट ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। आपको बता दें, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से ही लगातार वहां के अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा का दौर जारी है और उनके विरुद्ध हो रहे अत्याचार को लेकर बांग्लादेश ISKCON के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि हम बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं देने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। यह मामला बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाए जाने के बीच सामने आया है। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और हिंदू मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले अपराधियों की बजाय, शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखने वाले एक हिंदू संत के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं और और इसमें उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है।
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने बांग्लादेश की कोर्ट और पुलिस द्वारा हिंदू धर्मगुरु और ISKCON के प्रमुख पुजारी चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी की निंदा की है। उन्होंने कहा कि आइए हम सब मिलकर उनकी गिरफ्तारी की निंदा करें और मैं बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार से आग्रह करता हूँ कि वे हिंदुओं पर हो रहे लगातार अत्याचार को तुरंत रोकें। उन्होंने आगे लिखते हुए कहा कि बांग्लादेश के गठन के लिए हमारे जवानों ने अपना खून बहाया है, हमारे संसाधन खर्च हुए हैं, हमारे जवानों ने अपना बलिदान दिया है, लेकिन आज वहां हमारे हिंदू भाइयों और बहनों को जिस तरह से निशाना बनाया जा रहा है, उससे हम व्यथित हैं। हम संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं। बता दें, बांग्लादेश में ISKCON के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और इसके बाद वहां की अदालत ने भी उन्हें जमानत देने से मना करते हुए जेल भेज दिया। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश इस समय सांप्रदायिक आग में झुलस रहा है, देश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रही लगातार हिंसा पहले से ही रुकने का नाम नहीं ले रही और अब चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हालात और भी खराब हो गए हैं।