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Breaking News 27 March 2025

1.) रांची में दिनदहाड़े भाजपा नेता की हत्या 

रांची की सड़कों पर खून गिरा, गोलियां गूंजी और एक जनप्रतिनिधि मौत की नींद सो गया! झारखंड में कानून व्यवस्था का जो हाल है, वह किसी से छुपा नहीं, लेकिन अब अपराधी इतने बेखौफ हो चुके हैं कि दिनदहाड़े गोलियों से इंसाफ करने लगे हैं। बुधवार को राजधानी के कांके चौक पर भाजपा नेता और जिला महासचिव अनिल टाइगर को मोटरसाइकिल सवार अपराधियों ने सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया। कांके चौक स्थित एक होटल में अनिल टाइगर चाय की चुस्कियां ले रहे थे। बातचीत चल रही थी, मोबाइल स्क्रॉल कर रहे थे। तभी मौत दो पहियों पर सवार होकर आई। दो अपराधी बाइक से पहुंचे, पीछे बैठे शूटर ने बंदूक तानी और एक झटके में सिर के पार गोली उतार दी! मौके पर ही टाइगर ढेर हो गए। अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने अस्पताल पहुंचाया, लेकिन गोलियों ने पहले ही अपना काम कर दिया था। इस हत्या के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया। भाजपा और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने आज रांची बंद बुलाया। कांके में सड़कों पर टायर जलाए गए, चौक-चौराहों को जाम कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को सीधा जिम्मेदार ठहराया। "अगर एक जनप्रतिनिधि सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी का क्या होगा?" यह सवाल गूंजने लगा। झारखंड पुलिस के मुखिया अनुराग गुप्ता ने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और अपराधियों को जल्द पकड़ने का आश्वासन दिया।  प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस हत्या को "झारखंड में कानून व्यवस्था के ताबूत की आखिरी कील" बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस्तीफा मांगा और कहा "झारखंड में कानून नहीं, सिर्फ अपराधियों का राज बचा है। अपराधी जनप्रतिनिधियों को भी मार रहे हैं, आम नागरिकों की तो बिसात ही क्या?" हत्या के तुरंत बाद पुलिस ने एक अपराधी को रिंग रोड से गिरफ्तार किया है। लेकिन  एक युवक टाइगर से होटल में 20-25 मिनट तक मिला था। जैसे ही वह गया, शूटर्स आए और गोलियों की बौछार कर दी। रांची विधायक सीपी सिंह ने पुलिस प्रशासन पर सीधे सवाल उठाए। उन्होंने कहा "राजधानी में अपराधियों का हौसला इतना बुलंद क्यों है? पुलिस किसके इशारे पर काम कर रही है? पुलिस की मिलीभगत के बिना दिनदहाड़े इस तरह की हत्याएं नहीं हो सकतीं!" रांची का गुस्सा सड़कों पर है। बंद का असर दिख रहा है। लेकिन यह सिर्फ विरोध का मामला नहीं, बल्कि एक सिस्टम के गिरने का सुबूत है।

 

2.)लखनऊ में फूड प्वाइजनिंग का कहर

लखनऊ के निर्वाण राजकीय बालगृह में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। मानसिक रूप से मंदित बच्चों के इस अनाथालय में फूड प्वाइजनिंग के कारण चार मासूमों की मौत हो गई, जबकि 20 बच्चे अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यह घटना 23 मार्च की रात की है, जब अनाथालय में बच्चों को खींचड़ी और दही परोसा गया। खाना खाने के कुछ घंटों बाद ही कई बच्चों को उल्टी, सिरदर्द और पेट दर्द की शिकायत होने लगी। देखते ही देखते उनकी हालत बिगड़ने लगी और 70 से ज्यादा बच्चे बीमार पड़ गए। गंभीर रूप से बीमार बच्चों को लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान दो मासूमों की मौत हो गई। लोकबंधु अस्पताल में अभी भी 16 बच्चे भर्ती हैं, हालांकि डॉक्टरों ने उनकी हालत को स्थिर बताया है। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। प्रथम दृष्टया यह मामला साफ-सफाई और खाने की गुणवत्ता में लापरवाही का लग रहा है। राजकीय बालगृह निर्माण निर्वाण संस्थान में 147 मानसिक रूप से मंदित और अनाथ बच्चे रहते हैं, लेकिन जब 70 बच्चे अचानक बीमार पड़े, तो सवाल उठता है कि क्या संस्थान की नियमित जांच और निगरानी नहीं होती? घटना के बाद लखनऊ के डीएम ने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। मंडलायुक्त रोशन जैकप ने खुद लोकबंधु अस्पताल जाकर इलाज करा रहे बच्चों का हालचाल लिया और 24 घंटे मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। जिला प्रोबेशन अधिकारी (DPO) विकास सिंह के अनुसार, संस्थान में खाने की गुणवत्ता और साफ-सफाई की लापरवाही इस हादसे की मुख्य वजह हो सकती है।सरकार ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन इस घटना ने प्रशासन और संस्थानों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल प्रशासनिक अधिकारी जांच में जुटे हैं अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार सिर्फ जांच के आदेश देकर चुप बैठती है या फिर दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई भी होती है।

 

3.)  ओडिशा में विधानसभा से सड़क तक हंगामा

ओडिशा में राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। कांग्रेस के 14 विधायकों के निलंबन के खिलाफ भुवनेश्वर की सड़कों पर उतरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई। विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन और हल्का लाठीचार्ज किया। इस झड़प में कई कार्यकर्ता घायल हुए हैं।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 25 मार्च को ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की जांच के लिए एक समिति बनाने की मांग की। जब सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला, तो कांग्रेस विधायकों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया। सदन में 'राम धुन' गूंजने लगी, सीटी-बांसुरी और झांझ बजाकर कार्यवाही में बाधा डाली गई। इस हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने 12 कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया। निलंबित विधायक पूरी रात सदन में ही डटे रहे, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता बाहर धरने पर बैठ गए। अगले दिन सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव और बढ़ गया। सदन के भीतर से दो और कांग्रेस विधायकों का निलंबन कर दिया गया, जिसके बाद कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया। 27 मार्च को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधानसभा का घेराव किया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि हालात संभालने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। वाटर कैनन से लेकर लाठीचार्ज तक, हर हथकंडे अपनाए गए। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई कार्यकर्ता घायल हो गए, लेकिन कांग्रेस ने अपने आंदोलन को जारी रखने की घोषणा की है। ओडिशा कांग्रेस प्रभारी अजय कुमार लल्लू ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "देश में महिला सुरक्षा की बात करना कब से अपराध हो गया? ओडिशा में 64,000 से ज्यादा महिलाएं लापता हैं, हर दिन गैंगरेप हो रहे हैं। अगर चुने हुए विधायक सरकार से इन मुद्दों पर जवाब मांगते हैं, तो उन्हें निलंबित कर दिया जाता है? यह अलोकतांत्रिक है, हम चुप नहीं बैठेंगे!" विधानसभा के चारों ओर भारी पुलिस बल तैनात है। सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है, और सुरक्षा इतनी कड़ी कर दी गई है कि विधानसभा किसी किले की तरह नजर आ रही है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आंदोलन फिलहाल थमता नहीं दिख रहा। क्या कांग्रेस का यह विरोध प्रदर्शन सरकार को झुकाने में सफल होगा, या बीजेपी इस सियासी बवंडर से और मजबूत होकर उभरेगी? आने वाले दिनों में ओडिशा की राजनीति में और उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

 

4.) दिल्ली विधानसभा में 'भाई' शब्द पर हंगामा 

दिल्ली विधानसभा का सत्र गुरुवार को तीखी बहस और हंगामे का गवाह बना। विवाद की शुरुआत तब हुई जब कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को "भाई" कह दिया। आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने इस पर तीखी आपत्ति जताई और सदन में जमकर विरोध किया। मामला इतना बढ़ा कि विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने आप विधायक कुलदीप कुमार और विशेष रवि को मार्शल के जरिए सदन से बाहर करवा दिया।

क्या है पूरा मामला?

हंगामे की शुरुआत छठ पूजा से जुड़े एक सवाल के जवाब में हुई। AAP का आरोप है कि मंत्री प्रवेश वर्मा ने विपक्षी विधायकों से कहा, "इतनी बदतमीजी लाते कहां से हो?" इसी बयान को लेकर AAP विधायकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद प्रवेश वर्मा ने आतिशी के संदर्भ में कहा, "कहां से लाते हो भाई?" जिस पर आप विधायकों ने कड़ी नाराजगी जताई और सदन में हंगामा खड़ा हो गया। हंगामे के बीच प्रवेश वर्मा ने सफाई दी कि "भाई शब्द पर क्या आपत्ति है? आतिशी मेरी बहन हैं, वह भाई नहीं हैं। मैं सिर्फ यह स्पष्ट करना चाहता था कि दिल्ली वालों को भी यह समझ में आना चाहिए और सदन को भी पता होना चाहिए कि पूजा के लिए आर्थिक सहायता देने की परंपरा 1994 में बीजेपी सरकार के दौरान शुरू हुई थी, जब मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री थे।"
प्रवेश वर्मा ने बताया कि जुलाई 1995 में इस योजना का नाम बदला गया था और इस वर्ष के बजट में इसके लिए 55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस मद में "फर्जी बिलिंग नहीं होगी, जैसा कि पुरानी सरकारों में होता था।" साथ ही, उन्होंने कहा कि "दिल्ली में छठ और कांवड़ सेवा धूमधाम से मनाई जाएगी। सदन में भाजपा विधायक करनैल सिंह ने अवैध मीट की दुकानों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि "फुटपाथ और दुकानों पर खुले में मीट बेचा जा रहा है, जबकि नवरात्र आने वाले हैं।" उन्होंने मांग की कि इन अवैध दुकानों को बंद कराया जाए। इस पर पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि "अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी गैर-कानूनी रूप से सड़क पर कारोबार कर रहा है तो उसे हटाया जाए।" गौरतलब है कि करनैल सिंह ने इससे पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर सड़क पर नमाज पढ़ने का भी मुद्दा उठाया था।