बिहार की सियासत एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार केंद्र में हैं लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव। हाल ही में तेज प्रताप ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से वीडियो कॉल पर बातचीत की, जिसका वीडियो उन्होंने खुद एक्स (पहले ट्विटर) पर शेयर किया। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने आगामी चुनाव, बिहार की राजनीति और आपसी संबंधों पर चर्चा की। अखिलेश यादव ने तेज प्रताप से पूछा कि वे कहां से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं, जिस पर तेज प्रताप ने जवाब दिया कि वह लखनऊ आकर पहले उनसे मिलेंगे और एक-दो दिन पहले कॉल कर जानकारी भी देंगे।
इस बातचीत में यह भी सामने आया कि अखिलेश फिलहाल गंगा किनारे एक कार्यक्रम में व्यस्त थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने तेज प्रताप से न सिर्फ बातचीत की, बल्कि गाड़ी में मौजूद अपने कुछ सहयोगियों से भी तेज प्रताप की बात करवाई। इस पूरे संवाद में एक भावनात्मक पहलू भी उभरा, जब तेज प्रताप ने एक्स पर लिखा कि "अखिलेश यादव मेरे परिवार के सबसे प्यारे लोगों में से हैं। उनका यह कॉल यह महसूस कराता है कि मैं अपनी राजनीतिक लड़ाई में अकेला नहीं हूं।" यह वाक्य उन हालातों की गहराई को दर्शाता है, जिनसे वे इन दिनों गुजर रहे हैं।
दरअसल, तेज प्रताप हाल ही में एक विवादित तस्वीर को लेकर सुर्खियों में आए थे, जिसमें वे एक महिला के साथ नजर आए। यह तस्वीर वायरल होते ही बवाल मच गया और उनके पिता लालू यादव ने बेहद सख्त रवैया अपनाया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि "ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधियां सामाजिक न्याय के संघर्ष को कमजोर करती हैं। उनके आचरण और गैर-जिम्मेदार व्यवहार के चलते उन्हें पार्टी और परिवार से दूर करता हूं।" इसके साथ ही तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। यह फैसला न सिर्फ पारिवारिक स्तर पर, बल्कि राजनीतिक रूप से भी तेज प्रताप के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।
ऐसे में तेज प्रताप का अखिलेश यादव से संवाद एक साधारण बातचीत नहीं, बल्कि राजनीतिक और व्यक्तिगत समर्थन की तलाश का संकेत भी माना जा सकता है। जब एक नेता अपने ही परिवार और संगठन से अलग कर दिया जाए, तब अन्य दलों और नेताओं से यह तरह-तरह की मुलाकातें नए समीकरणों की नींव बन सकती हैं। राजनीति में जब खून के रिश्ते भी दूर हो जाएं, तब विचारधारा और भावनात्मक जुड़ाव ही आगे का रास्ता तय करते हैं। तेज प्रताप इस समय अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, और अखिलेश यादव के साथ यह संवाद शायद उनके लिए एक नई शुरुआत का पहला कदम हो।
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया… दिन वही, भावना वही, लेकिन हर बार श्रद्धा और भक्ति का समंदर पहले से कहीं अधिक गहराता है। ओडिशा के पावन पुरी धाम में आज एक बार फिर जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के बीच आशीर्वाद देने निकले — रथ पर सवार होकर, सजे-धजे नंदीघोष पर। साथ हैं उनके भ्राता बलभद्र जी, जो तालध्वज पर आरूढ़ हैं, और बहन सुभद्रा जी, जिनका दर्पदलन रथ भक्तों की आस्था का दर्प ही तोड़ता है।
पुरी में रथयात्रा की तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी हैं। विशाल भीड़, भक्तों के जयकारे, शंखध्वनि और घंटों की गूंज से पवित्र पुरी नगरी गूंज रही है। तीनों रथों की सजावट ऐसी है मानो साक्षात् स्वर्ग धरा पर उतर आया हो। भगवान की यह यात्रा उनके मौसी के घर – गुंडिचा मंदिर तक 12 दिन चलेगी, और 8 जुलाई को ‘नीलाद्रि विजय’ के साथ इसका समापन होगा, जब प्रभु पुनः अपने मूल मंदिर लौटेंगे।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस, एनडीआरएफ और प्रशासन के हज़ारों अधिकारी पूरे संयम और सेवा भाव के साथ जुटे हैं, ताकि किसी भक्त की आस्था में कोई बाधा न आए। पुरी के जिलाधिकारी स्वयं तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं।
इधर गुजरात की भूमि भी भक्ति में डूबी हुई है। अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 148वीं ऐतिहासिक रथयात्रा धूमधाम से निकली। सुबह 4 बजे श्री मंदिर में मंगल आरती हुई, जिसमें देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह एवं उनका परिवार उपस्थित रहा। मंदिर में दर्शन के उपरांत प्रभु को खिचड़ी का भोग अर्पित किया गया।
प्रातः 7 बजे मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पारंपरिक 'पाहिंड विधि' के तहत भगवान को रथ पर विराजमान कराया। इस अवसर पर पहली बार रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ को 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया — एक दृश्य जिसने धर्म और राष्ट्र की भावना को एक साथ जोड़ा।
अहमदाबाद की रथयात्रा में भारत की सांस्कृतिक विविधता की अद्भुत झलक देखने को मिली: 101 झांकियां, 30 अखाड़े, 18 भजन मंडलियां, और 3 बैंड की स्वर लहरियों के साथ भगवान की महिमा गाई गई। रथ के आगे सोने की झाड़ू लगाकर स्वच्छता और समर्पण का संदेश भी दिया गया।
रात लगभग 8:30 बजे भगवान पुनः अपने मंदिर में लौटेंगे, लेकिन भक्तों के मन में आज की यह यात्रा अमिट भाव और आस्था की अमर छवि बनकर रह जाएगी।