Latest News

Breaking News 27 February 2025

1 ) Instagram में इतना बड़ा Glitch 

 

इंस्टाग्राम, जो खुद को फैमिली-फ्रेंडली प्लेटफॉर्म कहता है, इन दिनों यूजर्स के लिए एक अजीब अनुभव बन चुका है। जहां पहले लोग अपने फेवरेट इंफ्लुएंसर्स की क्यूट तस्वीरें, ट्रेंडी फैशन और रिल्स पर डांस मूव्स देखते थे, वहीं अब अचानक उनकी फीड में खून-खराबे से भरे वीडियो, हिंसा और अजीबोगरीब NSFW कंटेंट नजर आ रहा है। अब सवाल उठता है इंस्टाग्राम को हुआ क्या है? एल्गोरिदम नशे में है या मेटा की नीतियों में कोई सुराख हो गया है? हर महीने 2 बिलियन लोग इंस्टाग्राम पर एक्टिव रहते हैं, और इसमें सबसे ज्यादा यूजर्स भारत के हैं। लेकिन अब कुछ यूजर्स का कहना है कि उनकी फीड पर अचानक से ऐसे वीडियोज आने लगे हैं, जो उन्हें खुद रिपोर्ट करने पर मजबूर कर रहे हैं। एक यूजर ने एक्स पर लिखा  "क्या किसी और को भी ये नोटिस हो रहा है? मेरी IG रील्स फीड में अचानक से अजीब, हिंसक और परेशान करने वाली वीडियो दिखने लगी हैं। क्या इंस्टाग्राम का एल्गोरिदम बिगड़ गया है?"
दूसरे ने झुंझलाते हुए लिखा  "इंस्टाग्राम को हो क्या गया है? हर कुछ स्क्रॉल पर मुझे NSFW और वॉयलेंस से भरे वीडियो देखने को मिल रहे हैं!"
तीसरे यूजर ने तो साफ़-साफ़ कह दिया "मुझे फाइट वीडियोज और रिलेशनशिप ड्रामे दिख रहे हैं, ये अचानक क्यों हो रहा है?" यानी, लोग ब्रेकअप के आंसू बहाने आए थे और खून-खराबे से सराबोर हो रहे हैं। इंस्टाग्राम की गाइडलाइन्स साफ़ कहती हैं कि NSFW, न्यूडिटी, हिंसा या नफरत फैलाने वाले कंटेंट की इजाजत नहीं है। लेकिन हकीकत कुछ और ही कह रही है। मेटा ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसका कारण कंटेंट मॉडरेशन सिस्टम में कोई गड़बड़ी हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि इंस्टाग्राम के एआई एल्गोरिदम में कोई गड़बड़ हो गई है, जिससे कुछ कंटेंट को बिना फिल्टर किए वाइड ऑडियंस तक पहुंचाया जा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या यह महज एक बग है, या मेटा चुपचाप एल्गोरिदम में कुछ ऐसा बदल रहा है, जो यूजर्स को धीरे-धीरे महसूस हो रहा है? इंस्टाग्राम हमेशा से एक एस्थेटिक और पॉलिश्ड दुनिया दिखाने का दावा करता है। यहां हर कोई खुश नजर आता है, फिल्टर लगाए चेहरे चमकते हैं, और जिंदगी एक परफेक्ट फिल्म जैसी लगती है। अगर यह एक तकनीकी गड़बड़ी है, तो मेटा को इसे तुरंत ठीक करना चाहिए। लेकिन अगर यह किसी एल्गोरिदमिक बदलाव का संकेत है, तो यूजर्स को यह जानने का हक है कि उनके फीड पर ऐसा कंटेंट क्यों परोसा जा रहा है। क्योंकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सिर्फ हमें कनेक्ट नहीं करते, बल्कि हमारे विचारों और मानसिकता को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। और अगर हमारी स्क्रॉलिंग में अचानक हिंसा और असंवेदनशील कंटेंट भर जाए, तो यह महज एक एल्गोरिदम की गलती नहीं, बल्कि एक बड़ा सोशल इशू भी हो सकता है। अब देखना यह होगा कि मेटा इस पर कोई सफाई देता है या यूजर्स को "It's just an AI glitch" कहकर चुप कर दिया जाएगा!

 

 

2 )  महाकुंभ में कौन कौन से वर्ल्ड रिकॉर्ड बने ? 

 

प्रयागराज के महाकुंभ ने इस बार इतिहास नहीं, बल्कि इतिहास के सारे पैमाने तोड़ दिए हैं। बीते 45 दिनों में संगम की धरती पर जो महासंगम हुआ, उसकी गूंज सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में सुनाई दी। आंकड़े कहते हैं कि इस बार 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे यानी इतनी आबादी जितनी अमेरिका, रूस, पाकिस्तान, यूके, फ्रांस और जापान को मिलाकर भी नहीं होती। यह इतिहास के हर पैमाने को तोड़कर नया विश्व रिकॉर्ड रचने वाला महासंगम था। अगर इसे वैश्विक संदर्भ में देखा जाए, तो यह आयोजन दुनिया के 231 देशों की कुल आबादी से भी बड़ा था। अगर आप यह सोच रहे हैं कि 66 करोड़ की संख्या कितनी बड़ी होती है, तो एक नजर दुनिया के टॉप 5 देशों की आबादी पर डालिए। भारत की कुल आबादी करीब 145 करोड़ है, जबकि चीन की 141 करोड़। इसके बाद अमेरिका 34 करोड़, इंडोनेशिया 28 करोड़ और पाकिस्तान 25 करोड़ की आबादी के साथ आते हैं। इस तुलना से यह साफ हो जाता है कि प्रयागराज में पिछले 45 दिनों में जितने लोग आए, वह दुनिया के किसी भी देश की जनसंख्या के मुकाबले तीसरे स्थान पर होता!
 हर साल सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान करीब 25 लाख लोग मक्का में एकत्रित होते हैं। वहीं, इराक में अरबईन तीर्थयात्रा में दो दिन में 2 करोड़ से अधिक लोग शामिल होते हैं। ब्राजील का रियो कार्निवल भी दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है, जहां करीब 50 लाख लोग जुटते हैं। 2021 के टोक्यो ओलंपिक्स में दुनियाभर के दर्शकों और खिलाड़ियों को मिलाकर यह संख्या लगभग 60 लाख थी। अब इन आयोजनों की तुलना प्रयागराज महाकुंभ से करें, तो 66 करोड़ का आंकड़ा सभी को पीछे छोड़ चुका है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु सिर्फ भारत से नहीं थे, बल्कि यह एक वैश्विक आयोजन बन चुका है। इस बार 100 से ज्यादा देशों के नागरिकों ने महाकुंभ में हिस्सा लिया। रूस की आबादी 14 करोड़ है, लेकिन प्रयागराज में उससे चार गुना अधिक जनसैलाब उमड़ा। जापान की पांच गुना आबादी, इंग्लैंड की 10 गुना और फ्रांस की 15 गुना से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। अगर इसे महाद्वीपों से तुलना करें तो प्रयागराज में 45 दिनों में जितने लोग पहुंचे, वह ऑस्ट्रेलिया, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा था।

गिनीज बुक में दर्ज होने वाले रिकॉर्ड

24 फरवरी को महाकुंभ में 15,000 से ज्यादा सफाईकर्मियों ने 10 किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ सफाई की। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड इस रिकॉर्ड को 28 फरवरी को मान्यता दे सकता है। 14 फरवरी को 300 सफाईकर्मियों ने गंगा और संगम क्षेत्र की सफाई कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। गिनीज बुक ने इसे पहले ही आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल कर लिया है। 2019 के अर्धकुंभ में 10,000 सफाईकर्मियों ने संगम क्षेत्र में सफाई की थी, लेकिन 2025 में यह संख्या 15,000 तक पहुंच गई। अगले महाकुंभ में यह संख्या 100 करोड़ के आंकड़े को भी पार कर सकती है। जिस तरह से हर बार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, ऐसा लगता है कि 2037 का महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े इतिहास का नया अध्याय लिखने जा रहा है।जब पूरी दुनिया युद्ध, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रही थी, तब भारत के प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण, आध्यात्मिक और स्वच्छता से भरा आयोजन चल रहा था। धन्यवाद देखते रहे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।

 

 

3 ) चंद्रशेखर आज़ाद के साथ विश्वासघात करने वाला गद्दार कौन था? 

 

आज का दिन भारतीय इतिहास में एक ऐसा दिन है, जब एक सच्चे देशभक्त ने अपने प्राणों की आहुति देकर मातृभूमि का कर्ज़ चुकाया था। 27 फरवरी 1931 यही वो दिन था जब अंग्रेजों की क्रूर सत्ता ने देश के सबसे निडर सपूत, चंद्रशेखर आज़ाद को घेर लिया था। लेकिन एक सच्चा क्रांतिकारी कभी हार नहीं मानता, और आज़ाद भी हारने वालों में से नहीं थे। उन्होंने अपने जीते-जी यह प्रण लिया था कि वह कभी भी ब्रिटिश हुकूमत के हाथों जिंदा नहीं पकड़े जाएंगे। और उन्होंने अपने वचन को निभाया भी। अपनी आखिरी गोली खुद को मारकर उन्होंने साबित कर दिया कि कोई भी ताकत उन्हें 'आज़ाद' रहने से रोक नहीं सकती।

कौन था वो गद्दार, जिसने किया आज़ाद को धोखा?

चंद्रशेखर आज़ाद का बलिदान जितना महान था, उतनी ही घिनौनी थी वह गद्दारी, जिसने अंग्रेजों को उनकी मौजूदगी की सूचना दी थी। वीरता की इस लड़ाई में सबसे बड़ा घाव अपनों की ही बेवफाई से आया था। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के ही एक सदस्य वीरभद्र तिवारी ने अंग्रेजों को यह खबर दी थी कि आज़ाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में मौजूद हैं। यह वही पार्क था, जो बाद में उनकी शहादत का गवाह बना और जिसे आज पूरा देश 'चंद्रशेखर आज़ाद पार्क' के नाम से जानता है। मुखबिरी के बाद सीआईडी प्रमुख जेआरएच नॉट-बोवर और इलाहाबाद पुलिस की पूरी टुकड़ी आज़ाद को घेरने के लिए पहुंची। लेकिन आज़ाद कोई आम इंसान नहीं थे वे क्रांति की जलती मशाल थे। उन्होंने अंतिम सांस तक अंग्रेजों का मुकाबला किया, तीन ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतारा, और जब आखिरी गोली बची, तो उसे अपनी ही कनपटी पर दाग दिया। क्योंकि आज़ाद कभी गुलाम नहीं होते!

गद्दार का क्या हुआ?

जिसने देश के एक सच्चे सपूत को धोखा दिया, उसकी नियति भी वैसी ही होनी चाहिए थी। जब क्रांतिकारी रमेश चंद्र गुप्ता को वीरभद्र तिवारी की इस गद्दारी का पता चला, तो उन्होंने उसे सजा देने का प्रण लिया। वे उत्तर प्रदेश के उरई पहुंचे और वीरभद्र तिवारी पर गोली चलाई, लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच गया। इसके बावजूद, गद्दार को सजा दिलाने की कोशिश करने के कारण रमेश चंद्र गुप्ता को 10 साल की जेल हो गई। लेकिन वीरभद्र तिवारी का क्या हुआ? इतिहास के पन्ने इस नाम पर आगे कोई कहानी नहीं बताते। शायद देश की मिट्टी ने उसे उसी अंधेरे में दफना दिया, जहां गद्दारों की जगह होती है। आज जब हम क्रिकेट और बॉलीवुड के हीरो को पूजते हैं, तब हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कभी इस देश के असली हीरो वे थे, जो अपनी जान की परवाह किए बिना हमारी आज़ादी के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए। 24 साल की उम्र जहां आम युवा अपने करियर और सपनों की दुनिया में खोए रहते हैं, वहां चंद्रशेखर आज़ाद ने देश के लिए अपने प्राण समर्पित कर दिए। उनकी शहादत हमें यह संदेश देती है कि आज़ादी कोई सौगात नहीं, बल्कि एक कीमत होती है, जिसे चुकाने के लिए असली देशभक्त अपनी जान तक न्यौछावर कर देते हैं। आज अगर हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं, तो वह उन्हीं वीर सपूतों की कुर्बानी का नतीजा है। जय हिंद! वंदे मातरम्!